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1.1.10

नव वर्ष मुबारक....!










































चटकती कलियों को
किलकती गलियों को
नव वर्ष मुबारक....!

नील गगन के बादल को
ममता के आँचल को
नव वर्ष मुबारक....!


पूरब की पुरवाई को
सागर की गहराई को
नव वर्ष मुबारक....!


अनेकता के साथों को
एकता के हाथों को
नव वर्ष मुबारक....!

पतझर की बहार को
माटी के कुम्हार को
नव वर्ष मुबारक....!

बचपन की बातों को
बिछुड़े हुए नातों को
नव वर्ष मुबारक....!

झुकती हुई आँखों को
सूखी हुई शाखों को
नव वर्ष मुबारक....!

पूर्वजों की थाती को
शहीदों की छाती को
नव वर्ष मुबारक....!

छप्पर की बाती को
चींटी-बाराती को
नव वर्ष मुबारक....!

उठती डोली को
पपिहा की बोली को
नव वर्ष मुबारक....!
 
शहर की अंगड़ाई को
गाँव की बिवाई को
नव वर्ष मुबारक....!

बुजुर्गों के सानिध्य को
भारत के भविष्य को
नव वर्ष मुबारक....!

अलाव की रातों को
बसंत की यादों को
नव वर्ष मुबारक....!

गुजरती राहों को
बिचुद्ती बाँहों को
नव वर्ष मुबारक....!

गाँव की पगडण्डी को
सब्जी की मंडी को
नव वर्ष मुबारक....!

खेतों की फसलों को
चिड़ियों के घोसलों को
नव वर्ष मुबारक....!
 
रोते नादानों को
उड़ते अरमानों को
नव वर्ष मुबारक....!

निकलते दिनकर को
स्थिर समंदर को
नव वर्ष मुबारक....!

कोयले की खानों को
मुर्गे की बांगो को
नव वर्ष मुबारक....!

नदिया की कल कल को
गोरी की छम छम को
नव वर्ष मुबारक....!

सरहद के जवानों को
खेत खलिहानों को
नव वर्ष मुबारक....!

जीवन दाता को
जग के विधाता को
नव वर्ष मुबारक....!


 







 
प्रबल प्रताप सिंह 

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