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29.11.11

गश्त (लघु कथा)



एस.एच.ओ. (थानाध्यक्ष) रात के स्टाफ की ब्रीफिंग लेते हुए बोला, " तुम सब रात की गश्त ढंग से क्यों नहीं करते. आज डी.सी.पी. ने मुझे बुलाकर फिर से मेरी माँ-बहन एक कर डाली. अगर तुम्हें कामचोरी की गन्दी आदत पड़ ही गई है तो कम से कम पत्रकार अरोड़ा की गली में तो एक चक्कर लगा आया करो. साला हर दूसरे दिन अपने अखबार में खबर छाप देता है कि इलाके की पुलिस गश्त नहीं करती."

रात का स्टाफ एक सुर में बोला, "जनाब हम सब नियम से रात को थाने के इलाके के चप्पे-२ में गश्त करते हैं." एस.एच.ओ. ने उनसे खीज कर पूछा, "तो फिर अरोड़ा अपने अखबार में यह खबर क्यों छापता है कि तुम सब गश्त नहीं करते?" आगे पढ़ें...

25.11.11

आज भी नहीं लगा सतक !!!!!!!!!

भारत के महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर आज भी अपना शतकों का महाशतक नहीं लगा पाए। 94 रनों पर उनके कैच आऊट होने के दृश्य को देखकर मुझे निराशा हुई लेकिन मुझे उमीद है कि वे अपना महाशतक जल्द ही लगाएंगे .................................!

23.11.11

नूडल्स (लघु कथा)


गाड़ी में चलते-फिरते रेस्टोरेंट का मालिक बूढ़े कुक पर गुर्राया, "अबे बुड्ढे इतनी उम्र हो गयी है लेकिन तुझे नूडल्स बनाने नहीं आये. देख आज फिर से ग्राहक नूडल्स बिना खाए छोड़ गए. साले गलती तू करे और भुगतूं मैं." "लेकिन साब मैंने तो नूडल्स सही बनाए थे." बूढ़ा कुक धीमी आवाज में बोला. "चुप बे बुड्ढे! सही बनाए थे तो ग्राहक क्यों अंट-शंट बक रहे थे? आगे पढ़ें

18.11.11

संत समागम एवं मूर्ति स्थापना समारोह




हरियाणा- जीन्द जिला में ग्राम छापर के रविदास आश्रम में एक अध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जहाँ दूर- दूर से आये संतो के मुखारबिंद से संत शिरोमणी श्री गुरु रविदास महाराज की वाणी की अमृत वर्षा अखंड होती रही. आश्रम के संचालक स्वामी धनपत दास द्वारा बड़ी धूमधाम से संत समाज के समागम का आयोजन किया गया. इस दौरान एक शानदार शोभायात्रा भी निकली गई. यह यात्रा रथों एवं पालकियों में ग्राम छापर के उपरोक्त आश्रम से प्रारंभ होकर सफीदों उपमंडल के विभिन्न गावों व कस्बों से होते हुए शाम को लौटी. इसके बाद संत महापुरुषों द्वारा एक सत्संग का आयोजन हुआ, जिसमे प्रवचनों की बरखा ने श्रोताओं को निहाल कर दिया. संतों एवं साध-संगत ने हवन तथा पूजा के साथ बहुत ही मर्यादित ढंग से छापर आश्रम में श्री गुरु रविदास की मूर्ति की स्थापना की. जिसमे मुख्य संत महामंडलेश्वर श्री-श्री १०८ संत निरंजन दास महाराज जी के आदेशानुसार संत श्री लेखराज दास, मोहन दास, कीर्तन मंडली बलविंदर सिंह उर्फ़ बिट्टू व अन्य संत महापुरुष डेरा सचखंड बल्ला जालंधर ने मुख्य रूप से समागम की शोभा बढाई और श्री-श्री१०८ जित्वानंद श्री कबीर वृद्ध आश्रम एलनाबाद, श्री महंत संतराम दयालदास, सतपाल दास कपाल मोचन यमुनानगर, संत दिव्यानंद, हंसा नन्द, नरेशदास, संजय ब्रह्मचारी, बहन प्रतिभा शास्त्री, श्री महंत सदानंद जी, श्री महंत प्रकाशानंद हरिद्वार सावित्री बाई, श्री महंत सुरेशबाई एवं श्री रिसाल दास आदि संतों ने इस नेक कार्य में शिरकत की. आश्रम संचालक स्वामी धनपत दास ब्रह्मचारी ने कहा कि श्री गुरु रविदास महाराज दुनिया के महान संत थे. उन्होंने समाज को अच्छी राह पर चलाने का बीड़ा उठाया. इस कार्यक्रम के दौरान सतगुर महाराज का अटूट लंगर भी चलता रहा. आश्रम संचालक ने वस्त्र आदि भेंट कर आये हुए संतों को आदरपूर्वक विदाई दी. 

17.11.11

स्टिंग ऑपरेशन (लघु कथा)


शिकारी सिंह युवा एवं महत्वकांक्षी पत्रकार था। जल्द से जल्द पैसा व शोहरत पाने की खातिर उसने स्टिंग ऑपरेशन का सहारा लेने का निश्चय किया और उसके स्टिंग ऑपरेशन के शिकार हो गये 2 प्रतिशत ईमानदार व 98 प्रतिशत बेइमान मंत्री फटीचर लाल। जब फटीचर लाल को इस बात का पता चला तो उन्होंने शिकारी सिंह को अपनी 2 प्रतिशत ईमानदारी का वास्ता दिया...आगे पढ़ें...

11.11.11

जमीन बेचने के विरोध में संघ कार्यकर्ता करेंगे विरोध प्रदर्शन

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा जमीन बेचने का मामला
मिडिया में खबर आने के बाद संघ के प्रांतीय कार्यकर्ताओं में मचा हड़कंप
हरियाणा प्रांत के सफीदों कस्बे में राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ द्वारा गुपचुप तरीके से संघ की खाली जमीन को कथित
तौर पर बोली करवाकर बेचने के मामलें ने शुक्रवार को अचानक उस वक्त मोड़ ले लिया, जब कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की और संघ के कुछ कार्यकर्ताओं ने इस मामले को अदालत में चुनौती देने की बात कही। वहीं क्षेत्र के संघ कार्यकर्ताओं की नाराजगी और मीडिया के हस्तक्षेप के बाद राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के प्रांतीय वरिष्ठ कार्यकर्ताओं में भी हड़कंप मच गया है। जिसके चलते संघ के प्रांतीय स्तर के एक कार्यकर्ता द्वारा आननफानन में बुलाई गई बैठक का स्थानीय कार्यकर्ताओं ने बहिस्कार कर दिया। करोड़ों की जमीन को लेकर संघ के कार्यकर्ताओं में मची उथलपुथल के चलते अब इस मामले पर आग भड़कने लगी है। कुछ कार्यकर्ता जमीन बेचने के विरोध में प्रदर्शन का मन भी बना रहे है। गौरतलब है पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ सफीदों की खाली जमीन के बेचने को लेकर कार्यकर्ता में आपसी तनातनी चल रही थी। आपसी नाराजगी के बावजुद भी संघ के आला पदाधिकारियों ने मनमानी करते हुए नहर पुल के पास पड़ी गोबिन्द शाखा की जमीन को असंवैधानिक रूप बेच दिया गया। पाठकों की जानकारी के लिए यहां बताना जरूरी है कि यह जमीन 1962 में शहर के ही नरसिंह दास ने तीन कनाल आठ मरले जमीन राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ सफीदों मण्डी को दान दी थी। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के प्रांतीय वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से नाराज क्षेत्रिय कार्यकर्ता अब सामने आने लगे है। अपनी नाराजगी जताते हुए संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता शेर सिंह बावलियाँ ने कहा कि संघ के प्रांतीय वरिष्ठ कार्यकर्ता व क्षेत्रिय कार्यकर्ता की किसी भी तरह से मनमानी नहीं चलने दी जाएगी। इस मामलें में उन्हें सड़कों पर भी उतरना पड़े तो संघ के साथी तैयार है। उन्होंने कहा कि इस मामलें की जांच करवाई जाए और दोषिओं के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई अमल में लाई जाए।

क्या कहते है कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ?
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष जसबीर देशवाल ने इस जमीन की के मामलें में संघ पर निशाना साधते हुए कहा कि किसी भी दान की गई जमीन को बेचना ही गलत है और इस जमीन को इस प्रकार गुपचुप तरीके से बेचा जाना ही संघ की मंशा पर स्वालिया निशान लगाता है। जो आर.एस.एस. पानी पीपीकर काग्रेंस को भ्रष्टाचारी कहती है वहीं इस जमीने के मामले में अपने गिरव्बान में झांके। उन्होंने कहा कि हिंदूत्व का राग अलापने वाले संघी सबसे बड़े भ्रष्टाचारी है इस बात की पुष्टी इस जमीन की गुपचुप तरीके से बोली करवाने की प्रक्रिया से सामने आ चुकी है। उन्होंने कहा कि इस जमीन की खरीदफरोチत में करोड़ो के घोटाले की बू आ रही है, इसलिए इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

अखबार की सुर्खियां बनते ही प्रोपट्री बाजार में मचा हंगामा
राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ सफीदों मण्डी की खाली जमीन को बेचने की खबर अखबार की सुर्खियों में आते ही प्रोपट्री बजार में हगामा मच गया। इस जमीन पर गिद्ध की नजर रखने वाले प्रोपटी डीलरों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह जमीन शहर के मुख्य स्थान पर स्थित है। जिसकी कीमत केवल मात्र 8 करोड़ 21 लाख रूपये नहीं, बल्कि लगभग 30 करोड़ रूपये तक हो सकती है। उन्होंने बताया कि रेलवे रोड़ व जींद रोड़ के साथ लगी इस जमीन पर 20 से 30 गज की दुकान के भाव लगभग 60 से 70 लाख रूपये आंकी जा रही है और इस जमीन में लगभग 35 से 40 दुकानें आसानी से बनाई जा सकती है। इस हिसाब से देखा जाए तो संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं द्वारा गुपचुप तरीके से जमीन को बेचना संदेह के घेरें में आता है।

10.11.11

डूबकर मर जाओ आर.एस.एस. वालो !!!!!

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने बेच दी जमीन
अब कहां शाखा लगाएंगे स्वयंसेवक ?
पुराने स्वयंसेवकों ने लगाए संघ उच्चाधिकारी करोड़ो के घोटाले के आरोप
विरोध में आर.एस.एस.कार्यकर्ता हुए
राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के लिए इससे बड़ी डूब मरने वाली या बात होगी कि उसने हरियाणा प्रांत के सफीदों कस्बे में अपनी ही जमीन को ही बेच डाला। इस जमीन को बेचने के पीछे संघ को पैसे की जरूरत बताया जा रहा है। या राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इतनी कंगाल हो गई है कि उसे अपनी कंगाली दूर करने के लिए अपनी जमीन बेच डाली? अब सफीदों कस्बे के स्वयंसेवकों के सामने यह प्रश्न खड़ा हो गया है कि वे अपनी संघ की शाखा कहां पर लगाएंगे। आर।एस.एस. यह कहती नहीं थकती कि वह हिंदू समाज के उत्थान युवाओं के चरित्र निर्माण का कार्य करती है। इस जमीन के बिक जाने के बाद यह बात साफ हो गई कि आर.एस.एस. हिंदू समाज का बंटाधार करने में लगी हुई है। सफीदों की नहर पुल के समीप खाली पड़ी जमीन को कथित तौर पर बोली करवाकर बेच दिया जाना जहां क्षेत्रवासियों के गले नहीं उतर रहा, वहीं संघ के कुछ पुराने संघ कार्यकर्ताओं ने जमीन को बेचने की प्रकिया को असंवैधानिक बताया और इस जमीन की खरीद फिखरोत में भारी गोलमाल की आशंकाएं जताई है तथा कथित तौर पर करवाई जमीन की बोली में संघ के स्थानीय कार्यकर्ताओं की नाराजगी ने संघ के उच्च पदाधिकारी को भी संदेह के कटघरें में खड़ा कर दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार क्षेत्र में बढ़ रही अवैध कालोनियों की भरमार में अब राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ सफीदों शाखा की जमीन भी बली चढ़ गई। शहर के नहर पुल के पास खाली पड़ी लगभग 1600 गज जमीन पिछले कई वर्षें से क्षेत्र के भूमाफियाओं की नजरों में खटकी हुई थी। प्रोपटी बाजार के जानकारों की माने तो लगभग 15 करोड़ रूपये की यह जमीन केवल मात्र साढ़े 8 करोड़ में प्रदेश राष्ट्रीय स्तर के उच्च अधिकारियों ने स्थानीय कार्यकर्ताओं से मिलीभगत सहयोग से बेच दी गई। बताया जाता है कि शहर भर में चर्चा का विष्य बनी इस जमीन के वैसे तो खरीददार बहुत थे, लेकिन गुपचुप तरीके से संघ के अधिकारियों ने इस जमीन को महज केवल मात्र साढ़े 8 करोड़ रूपये में सफीदों शाखा को दान में मिली जमीन को बेच दिया गया। बताया जाता है कि किसी ने स्थानीय नहर पुल के समीप पड़ी खाली जमीन 1962 में शहर के ही नरसिंह दास ने तीन कनाल आठ मरले जमीन राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ सफीदों को दान दी थी। जिसको स्थानीय कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने मिलीभगत कर संघ की ही एक अन्य संस्था डा. हेडगेवार समिति को 2007 में इस जमीन को सुपुर्द कर दिया। तभी से इस जमीन पर काले बादल मंडराने लगे थे। इस जमीन से पहले भी लगभग दो मरले जमीन को बेच दिया गया था। इस जमीन के हुए कथित तौर पर करोड़ो के घोटाले के मामले में संघ के ही कुछ पुराने कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोल दिया है।
संघ के कार्यकर्ताओं ने लगाए करोड़ों के घोटाले के आरोप
इस संदर्भ में लगभग 30 साल से संघ में काम कर रहे कार्यकर्ता शिवचरण ने आरोप लगाए कि क्षेत्र के कुछ
कार्यकर्ताओं ने संघ के उच्च अधिकारियों से मिलकर इस जमीन को सौदा कर दिया और बोली कर इस जमीन को
लगभग साढ़े 8 करोड़ में बेच दिया गया। इस बोली में शहर के किसी भी व्यक्ति को सूचना नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि इस की सूचना अगर होती तो इस जमीन की कीमत ओर बढ़ सकती थी। जिससे करोड़ो की इस जमीन में करोड़ों के ही घोटाले की बू रही है। इस बोली की प्रक्रिया भी संदेहपूर्ण है। जिसके चलते संघ कार्यकर्ता संदेह के घेरे में आते है। इस विष्य पर विरोध प्रकट करने के लिए आगामी रविवार को नाराज कार्यकर्ताओं द्वारा एक बैठक भी की जा रही है।
कैसे हुई करोड़ो की जमीन की बोली?
संघ की इस जमीन की बोली करवाने की प्रक्रिया पर उस वक्त स्वालिया निशान लग गया जब संघ द्वारा इस बोली की सूचना सार्वजनिक नहीं की गई। करोड़ो रूपये की जमीन की बोली करवाने आए अधिकारियों ने स्थानीय खांसर चौंक पर स्थित संघ के ही एक स्कूल के एक बंद कमरव् बोलीदाताओं को बैठाया गया और बताया जाता है कि बोली देने पहुंचे चुनिंदा लोगों ने आपस में ही पूल करके साढ़े 8 करोड़ में जमीन को लेने का फैसला ले लिया और संघ के अधिकारियों को खुश करने के लिए 11 लाख रूपये की राशी भी दी गई। जबकि प्रोपटी बाजार के जानकारों की माने तो लगभग इस जमीन की किमत 15 करोड़ रूपये आंकी जा रही है।
वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को भी नहीं दी बोली की सूचना
संघ की इस जमीन की बोली करवाने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए संघ के उच्च अधिकारियों ने स्थानीय वरिष्ठ कार्यर्ताओं को भी बोली में बुलाना मुनासिब नहीं समझा गया। इस संदर्भ में संघ के नगर कार्य वाहक जयप्रकाश, प्रचारक संजीव शर्मा जितेन्द्र जैन सहित अनेक कार्यकर्ताओं ने अपनी दबी जुबान में बताया कि इस बोली के विष्य में वे कुछ नहीं जानते और ही उनके पास इसकी सूचना थी। इस संदर्भ में संघ के नगर कार्यवाहक जयप्रकाश ने जानकारी देते हुए कहा कि इस बोली के विष्य में पहले भी बैठक तो हो चुकी थी, लेकिन बोली के समय पर वह नहीं जा सका। जब उनसे बोली की सूचना सार्वजनिक करने के बारें में पुछा गया तो उन्होंने टालमटोल करते हुए कहा कि अधिकारियों ने फोन पर ही सूचना दे दी थी।

9.11.11

सुईं से लिखी मधुशाला""

सुईं से लिखी मधुशाला""
दादरी के पीयूष दादरी वाला ने "एक ऐसा कारनामा" कर दिखाया है कि देखने वालों कि ऑंखें खुली रह जाएगी और न देखने वालों के लिए एक स्पर्श मात्र ही बहुत है I
दादरी वाला दुनिया में भारत का नाम, "मिरर इमेज" में "श्री मदभाग्व्द कथा" यह दुनिया की अभी तक की पहली ऐसी पुस्तक (ग्रन्थ) जो शीशे में देखकर पढ़ी जाएगी अब तक दुनिया में ऐसा नहीं हुआ है दादरी वाले ने सभी १८ अध्याय ६०० शलोको दोनों भाषाओँ हिंदी व् अंग्रेजी में लिख, रोशन किया है I यू आई डी बी वर्ल्ड रिकार्ड्स ने इसे मोस्ट ७०० मिरर इमेज बर्सेज नाम से वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज किया है I इसके अलावा दादरी वाला संस्कृत में श्री दुर्गा सप्त शती, अवधि में सुन्दर कांड, आरती संग्रह , हिंदी व् अंग्रेजी दोनों भाषाओ में श्री साईं सत्चरित्र भी लिख चुके हैं I
दादरी वाला ने पूछने पर बतया कि आपने सुई से पुस्तक लिखने का विचार क्यों आया ? तो दादरी वाला ने बताया कि अक्सर मेरे से ये पूछा जाता था कि आपकी पुस्तको को पढने के लिए शीशे क़ी जरुरत पड़ती है, पदना उसके साथ शीशा, आखिर बहुत सोच समझने के बाद एक विचार दिमाग में आया क्यों न सूई से कुछ लिखा जाये सो मेने सूई से स्वर्गीय श्री हरबंस राय बच्चन जी की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक "मधुशाला" को करीब २ से २.५ महीने में पूरा किया यह पुस्तक भी मिरर इमेज में लिखी गयीं है और इसको पदने लिए शिसे की जरुरत नहीं पड़ेगी क्योंकि रिवर्स में पेज पर शब्दों इतने प्यारे जेसे मोतियों से पेजों को गुंथा गया हो I उभरे हुए हैं जिसको पदने में आसानी है और यह सूई से लिखी "मधुशाला" दुनिया की अब तक की पहली ऐसी पुस्तक है जो मिरर इमेज व् सूई से लिखी गई है और इसका श्रेय भारत के दादरी कसबे के निवासी 'पीयूष दादरी वाला' को जाता है I
इसके अलावा दादरी वाला संग्रह के भी शोकिन हैं उनके पास माचिसों का संग्रह, सिगरेटों के पैकेटों का संग्रह, दुर्लभ डाक टिकटें, दुर्लभ सिक्कों का संग्रह, प्रथम दिवस आवरण, पेन संग्रह व् विश्व प्रसिद्ध व्यक्तियों के औटोग्राफ का संग्रह (मनमोहन सिंह जी, वी. पी. सिंह जी, चन्द्र शेखर, राजीव गाँधी जी, इंदिरा गाँधी जी, अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, ऋतिक रोशन, लतामंगेस्कर, अटल जी, मायावती जी, मुलायम सिंह जी) आदि संग्रह को चार चाँद लगा रहे हैं I
पीयूष दादरी वाला पेशे से यांत्रिक इंजिनियर है और एक बहु राष्ट्रीय कम्पनी में कार्यरत हैं, दादरी वाला तीन पुस्तके भी लिख चुके हैं (गणित एक अध्यन, इजी इस्पेलिंग व् पीयूष वाणी) I

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piyushdadriwala
09654271007

2.11.11

गर्व (लघु कथा )

"माँ आज तुमने इतनी मार्मिक कविता सुनाई कि श्रोताओं की तालियां रुकने का नाम नहीं ले रही थीं. आज तुमने मेरा जन्मदिन का कार्यक्रम सफल कर दिया." आनन्द अपनी माँ को कार से उतारते हुए बोला. आनन्द की माँ प्यार से उसके सिर पर हाथ फिराते हुए बोलीं, "मेरा बेटा देश का इतना बड़ा कवि है... आगे पढ़ें