आप अपने क्षेत्र की हलचल को चित्रों और विजुअल समेत नेटप्रेस पर छपवा सकते हैं I सम्पर्क कीजिये सेल नम्बर 0 94165 57786 पर I ई-मेल akbar.khan.rana@gmail.com दि नेटप्रेस डॉट कॉम आपका अपना मंच है, इसे और बेहतर बनाने के लिए Cell.No.09416557786 तथा E-Mail: akbar.khan.rana@gmail.com पर आपके सुझाव, आलेख और काव्य आदि सादर आमंत्रित हैं I

15.12.11

पैट्रोल के दाम फिर से बढ़ेंगे

देश में पैट्रोल के दाम फिर से बढ़ने वाले हैं। देश के लोगों को कुछ इसी तरह से इंतजाम करना होगा !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

12.12.11

चरित्रहीन (लघु कथा)

धीरज दूध की डेयरी पर खड़ा दोस्तों के साथ गप्प मार रहा था. किसी भी लड़की को बात ही बात में चरित्रहीन कर देना उसकी बुरी आदत थी. अभी किसी बात पर बहस हो ही रही थी कि सामने से एक लड़की आती हुई दिखी. धीरज अपनी आदतानुसार शुरू हो गया, " पता है कल्लू वो जो सामने से लड़की आ रही है न. उससे मेरी दोस्ती करीब एक साल तक रही. हम दोनों ने साथ-२ खूब मस्ती की." आगे पढ़ें...

8.12.11

आज आप ई-मेल से भी वोट दे सकते हैं

दोस्तो आज वोट देने का आखिरी दिन है तो कृपया आज आप अपने सुमित प्रताप सिंह को "मेरा शहर, मेरा गीत" का विजेता बनवाने के लिए अधिक से अधिक वोट कीजिये. वोटिंग करना बहुत ही आसान है. बस अपने मोबाइल में DEL C टाइप कीजिये और भेज दीजिये 57272 पर.
आज आप ई-मेल से भी वोट दे सकते हैं. बस आपको नीचे लिखा सन्देश cityanthem@del.jagran.com पर भेज देना है-

मेरा मनपसंद गीत है-
"कुछ ख़ास है मेरी दिल्ली में"
गीत का कोड नं.- DEL C

गीत पढने के लिए क्लिक करें http://sumit-ke-tadke.blogspot.com/2011/12/blog-post.html पर...

5.12.11

कृपया मुझे वोट दें



प्यारे दोस्तो "दैनिक जागरण" ने "मेरा शहर मेरा गीत" आयोजन हेतु मेरा यानि कि आपके दोस्त सुमित प्रताप सिंह का गीत "कुछ ख़ास है मेरी दिल्ली में" का शीर्ष 3 स्थान (TOP 3) पर चयन किया है| इस गीत को प्रथम स्थान पर चयन हेतु SMS वोटिंग प्रक्रिया से गुजरना है| आपसे निवेदन है कि कृपया मेरे इस गीत को प्रथम स्थान दिलाने हेतु वोट कीजिये और अपने सभी दोस्तों व रिश्तेदारों को भी वोट करने के लिए प्रोत्साहित कीजियेगा| मेरे इस गीत को जिताने के लिए अपने मैसेज बॉक्स में टाइप करें DEL C और SMS द्वारा भेज दें 57272 पर |शुक्रिया|

4.12.11

अविनाश वाचस्पति बोले तो अन्ना भाई


नमस्कार मित्रो आइये मिलते हैं एक ऐसे व्यक्तित्व से जो कि ब्लॉगजगत अथवा चिट्ठाजगत में एक जाना-माना नाम है चिट्ठाजगत में शायद ही कोई व्यक्ति हो जिसने अविनाश वाचस्पति का नाम न सुना हो. उत्तम नगर, नई दिल्ली में जन्म लेकर आजकल संत नगर, नई दिल्ली में चिट्ठाकारिता की तपस्या में लीन हैं जब अविनाश वाचस्पति के पहले चिट्ठे का प्रादुर्भाव हुआ था उन दिनों सक्रिय चिट्ठों की संख्या सिर्फ कुछ सौ थी वह चिट्ठे के माध्यम से हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए सदैव कर्मठता से लगे रहते हैं हिंदी भाषा के प्रति उनका कट्टर प्रेम उनके इस कथन से साफ़ प्रतीत होता है "हिन्‍दी का प्रयोग न करने को देश में क्राइम घोषित कर दिया जाना चाहिए और मैं पूरा एक दशक हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के नाम करने की घोषणा करता हूं। इस एक दशक में आप देखेंगे कि हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग सबसे शक्तिशाली विधा बन गई है। जिस प्रकार मोबाइल फोन सभी तकनीक से युक्‍त हो गया है, उसी प्रकार हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग सभी प्रकार के संचार का वाहक बन जाएगी"


अविनाश वाचस्पति नुक्कड़,अविनाश वाचस्पति, पिताजी,बगीची व तेताला जैसे कई चिट्ठे(ब्लॉग) के माध्यम से अंतरजाल पर सक्रिय हैंचिटठा जगत में अविनाश वाचस्पति अन्ना भाई के नाम से लोकप्रिय हैं


लेकिन मैं अर्थात आपका मित्र सुमित प्रताप सिंह उनको लेखक के रूप में जानने व पहचानने के लिए उनसे मिला


सुमित प्रताप सिंह- अविनाश वाचस्पति जी नमस्ते!


अविनाश वाचस्पति- नमस्ते सुमित प्रताप सिंह जी! कैसे मिजाज हैं आपके?


सुमित प्रताप सिंह- जी बिलकुल कुशल-मंगल है आप कहिये आप कैसे हैं?


अविनाश वाचस्पति- यहाँ भी सब कुछ है मंगल फेसबुक और चिट्ठे पर चल रहा है दंगल


सुमित प्रताप सिंह- हा हा हा बहुत खूब अविनाश जी आज आपको लेखक के रूप में जानने के लिए आया हूँ


अविनाश वाचस्पति- तो शौक से जानिये


सुमित प्रताप सिंह- आपकी पहली रचना कब और कैसे रची गई?


अविनाश वाचस्पति- मेरी सभी रचनाएं पहली ही होती हैं। मैंने आज तक कोई ऐसी रचना रचने की कोशिश नहीं की है जो दूसरी हो यानी दोयम दर्जे की हो। मेरी सभी रचनाएं मेरी पहली रचना की पहचान ही पाती रहें, यही बेहतर है।


सुमित प्रताप सिंह- आप लिखते क्यों हैं?


अविनाश वाचस्पति- यह तो वही सवाल हुआ कि सुमित जी, मैं आपसे पूछूं कि आप सांस क्‍यों लेते हैं या पानी क्‍यों पीते हैं और खाना क्‍यों खाते हैं। मेरे लिए मेरी प्रत्‍येक सांस से जरूरी मेरा लिखना है और वह ऐसा लिखा जाए जो कि सबके मानस में एक स्‍फूर्ति दे सके, उसे ऊर्जा और ऊष्‍मा से भर सके। प्रत्‍येक अंधेरे को आलोकित कर सके। अगर बुराई को भी हम चित्रित कर रहे होते हैं तो उसके माध्‍यम से भी अच्‍छाई को दिखाने की कोशिश होती है। दोनों का समाज में रहना अनिवार्य है। आप चाहें कि बुराई बिल्‍कुल ही हट जाए या हम सब अमर हो जाएं। इससे भी अराजकता का माहौल बन जाएगा और कोई नहीं चाहेगा कि अराजकता का साम्राज्‍य हो। उस अराजकता के साम्राज्‍य की पकड़ को कम करने के लिए, बदलने के लिए लिखना एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसे हवा, पानी, भोजन के बराबर महत्‍व दिया जाना चाहिए और मैं देता हूं और चाहता हूं कि सब ऐसा ही करें और सबको ऐसा करना ही चाहिए।


सुमित प्रताप सिंह- लेखन में आपकी प्रिय विधा कौन सी है?


अविनाश वाचस्पति- लेखन में सभी विधाएं मेरी प्रिय हैं अब अगर मैंने नाटक नहीं लिखे हैं, उपन्‍यास नहीं लिखे हैं, लघुकथाएं नहीं लिखी हैं या आत्‍मकथा अथवा अन्‍य कुछ भी, तो इसका यह मतलब नहीं है कि मुझे वह प्रिय नहीं है। मुझे सभी विधाएं समान रूप से प्रिय हैं, चाहे मैं उस विधा में लिख पाऊं अथवा नहीं लिख पाऊं। कोशिश तो कर ही सकता हूं, मेरी प्रिय विधा सदैव कोशिश करना ही है। कोशिश करना मुझे सबसे अधिक प्रिय है। जबकि मैं सरलता से व्‍यंग्‍य और कविता लिख लेता हूं। किसी भी क्रिया पर प्रतिक्रिया देना सबसे सरल है परंतु वह सार्थक तभी है जब वह सबको पसंद भी आए। मेरा सौभाग्‍य है कि फेसबुक जैसी सोशल साइटों पर मेरी प्रतिक्रियाएं मित्रों को पसंद आ रही हैं।


सुमित प्रताप सिंह- अपनी रचनाओं से समाज को क्या सन्देश देना चाहते हैं?


अविनाश वाचस्पति- समाज को कभी किसी संदेश को लेने की जरूरत नहीं है। संदेश सब जगह हैं। बस उन्‍हें ग्रहण करने, अपनाने वाले अपने नजरिए को सकारात्‍मक बनाए रखने की जरूरत है। सकारात्‍मकता की ओर प्रवाहित करना, मानव जीवन के उच्‍च मूल्‍यों को अपनाना, बुराईयों में से अच्‍छाईयां छांट छांट कर अपनी रचनाओं में चिपका चिपका कर उन्‍हें बांटने की कोशिश करता रहता हूं। सब चीजें समाज में मौजूद हैं। लेखक का काम तो उन्‍हें पहचानकर अपनी रचनाओं में उभारते रहना होता है। अब कोई उन्‍हें माने अथवा नहीं माने।


सुमित प्रताप सिंह- अविनाश वाचस्पति जी फेसबुक और चिट्ठे की दुनिया से अपना कुछ कीमती समय मुझे देने के लिए आपका बहुत-२ शुक्रिया


अविनाश वाचस्पति- शुक्रिया नामक क्रिया लगती है अजब प्रक्रिया शुक्रिया की कोई जरूरत नहीं है सुमित जी आप जब कहेंगे हम अपना कीमती समय आपको देते रहेंगे


3.12.11

ये होते हैं ठाठ !!!!!!!


किसी को जेब में रखने के लिए रुपए नहीं मिलते और ये साहब हैं कि रुपयों पर लेटे हुए हैं। बडे़ भाग्यशाली हैं ..........................

2.12.11