आप अपने क्षेत्र की हलचल को चित्रों और विजुअल समेत नेटप्रेस पर छपवा सकते हैं I सम्पर्क कीजिये सेल नम्बर 0 94165 57786 पर I ई-मेल akbar.khan.rana@gmail.com दि नेटप्रेस डॉट कॉम आपका अपना मंच है, इसे और बेहतर बनाने के लिए Cell.No.09416557786 तथा E-Mail: akbar.khan.rana@gmail.com पर आपके सुझाव, आलेख और काव्य आदि सादर आमंत्रित हैं I

16.2.11

साहित्य की दुश्मन हें सरकारें

Tuesday, February 15, 2011

दोस्तों अव्वल तो इन दिनों साहित का अर्थ ही बदल गया हे जो कल लुटेरे हुआ करते थे आज वोह साहित्य के दूकानदार बने बेठे हें पहले साहित्य लिखने समझने और सुनने के लियें बहुत बढा कलेजा चाहिए था में मेरी बात बताता हूँ प्रारम्भ काल यानि बचपन में में भी पत्रकारिता के साथ साथ लोटपोट,चम्पक,चंदामामा ,नन्दन और लोकल समाचारों में कहानी कविताएँ छपवाकर तीसमारखां समझता था .।
मेने उर्दू साहित्य में एम ऐ करने का मन बनाया मेरे और साथी भी थे हमारे गुरु भी विख्यात शायर थे एम ऐ के दोरान जब बढ़े शायर,उर्दू साहित्यकारों को पढ़ा तो लगा हम इनका मुकाबला कभी नहीं कर सकेंगे रदीफ़ काफिया,प्लाट किरदार और भी साहित्य शायरी की बहुत बहुत विधाओं को जान्ने का अवसर मिला उर्दू केसे पैदा हुई फिर उर्दू को केसे ज़िंदा रखने का प्रयास किया फिर अब उर्दू को केसे खत्म किया जा रहा हे पढ़ा फिर एल एल बी के बाद निठल्ले तो सोचा हिंदी साहित्य भी पढ़ डालें सो हिंदी में एम ऐ बात वही साहित्य लिखने के फार्मूले वही बस लेखक अलग तरीके अलग अलफ़ाज़ शब्द अलग विचार एक श्र्गार रस, वीर रस ,सभी रसों ने साहित्य को सरोबार कर दिया फिर मुझे पत्रकारिता क्षेत्र में पहले पत्रकार फिर सम्पादक का काम करने को अवसर मिला इस दोरान साहित्यकारों,रचनाकारों,कवि,शायरों और घसियारों से मिलने का मोका मिला कोटा मेले दशहरे में सिफारिशें केसे लगती थीं केफ भोपाली कोटा में क्या करते थे अपनी गजलों को केसे बेच कर जाते थे सब जानते हें ।
मुम्बई भी कई बार किसी सिलसिले में जाना हुआ वहां देखा एक लेखक कई दर्जन लोगों को नोकर रखता हे एक खानी की थीम देता हे सब अलग अलग लिखते हें और मुख्य लेखक उन्हें भुगतान करता हे उस कहानियों के समूह में से काट छांट कर अपनी कहानी बनाता हे फिल्म वालों को बेच देता हे खेर यह तो साहित्य विक्रेताओं की बात हुई लेकिन टी वी ने अब साहित्य को चाहे आम कर दिया हो लेकिन लिखा जाने वाला साहित्य कम पढ़ा जाने लगा और पढ़ा जाने वाला साहित्य सुना जाने लगा इस बिगड़ी और बदली परिस्थिति को बदलने कोई भी आगे नहीं आया जो जानते हें साहित्य किया हे जो लिखते हें कविता,गजल,कहानी,लेख रिपोर्ताज क्या हें उनका हाल आप और हम सब जानते हें आज की जनता का टेस्ट क्या हे आप और हम देखेंगे तो शर्म के मारे मर जायेंगे आज मुन्नी बदनाम हो गयी ,पप्पू पास हो गया , शीला जवान हो गयी,ऐ बी सी डी छोडो ,एक दो तीन ,मुन्ना बाही मोटर चली जेसे गाने हिट होते हें तो जनता की सोच पर अफ़सोस होता हे ना गीत हे न संगीत हे ना अलफ़ाज़ हें ना विचार हें ना फलसफा हे लेकिन गीत सुपर हिट हे कुल मिला कर अगर मेरे शब्दों में कहा जाए के इन दिनों साहित्य गरीब की जोरू सबकी भाभी बन गयी हे और साहित्य के साथ सरे राह बलात्कार ही बलात्कार हो रहा हे यही वजह हे के आज साहित्य तार तार हे जो साहित्यकार हें उनकी एक अलग कतार हे उनकी आँखों में आंसू चेहरे पर प्यास समाज में उपेक्षा टूटा हुआ घर फटे कपडे दो रोटी की आस उसका सरमाया हे जो दूकानदार हे उनके पास चमचमाती गाडिया हे बंगले हें कई प्रकाशन हे कविसम्मेलन के मुशायरे के साहित्यिक संस्थाओं के बुलावे हें लेकिन कुछ हे जो संघर्ष कर रहे हें और उम्मीद में हें के वोह इस जंग को जीत कर रहेंगे देश में चाहे कभी लिखा जाने वाला साहित्य हो चाहे बोला जाने वाला चाहे छापा जाने वाला साहित्य हो भी साहित्यकारों को कामयाबी का इन्तिज़ार हे आज अकादमियों में सरकार का कब्जा हे अकादमी में राजनीति हो रही हे हमारे अपने राजस्थान की बात करें यहाँ उर्दू,हिंदी,सिन्धी,पंजाबी साहित्य अकादमी में अध्यक्ष पद रिक्त पढ़े हें साहित्यिक गतिविधियाँ नोकर शाहों के हवाले हें कमोबेश देश और दुसरे राज्यों में साहियिक संस्थाओं का यही हाल हे जो निजी साहित्यिक संस्ताये हें वहां संथा अधिनियम की पालना नहीं हे सियासत ने वहां की आमदनी देख कर कब्जा कर लिया हे सदस्य गेर साहित्यकार बने हें और हालात यह हें के चुनाव में गेर साहित्यकार ही संस्थाओं के मालिक बने बेठे हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

15.2.11

बारावफात कहें या ईद मिलादुन्नबी , ख़ुशी मनाये या गम ... ?

Monday, February 14, 2011

जी हाँ दोस्तों कल १२ रबीउलअव्वल यानी इस्लाम के आखरी पैगम्बर हजरत मोहम्मद रज़ी अलाह ताला का जन्म दिन हे कल के ही दिन उनका जन्म हुआ था लेकिन अफ़सोस नाक बात यह हे के इसी दिन विश्व भर में नेकी और इन्साफ की शिक्षा का परचम आम करने वाले हर दिल अज़ीज़ खुदा की तरफ से आदमियों की उम्मत में से भेजे हुए इस पैगम्बर ने पर्दा लिया था यानी विसाल हुआ था अब एक दिन जिसमें ऐसी अज़ीम पैगम्बर शख्सियत के जन्म की ख़ुशी और इसी दिन इन के विसाल के दुःख की खबर क्या किया जाए गम किया जाए या ख़ुशी मनाई जाए होना क्या चाहिए इसमें कई मत हे लेकिन हम देखते हे इस दिन मोलाना लोग खूब चंदा करते हें सडकों पर प्रदर्शन करते हें जुलुस निकालते हें , कुछ मोलाना हे जो हुजुर मोहम्मद साहब की शिक्षा की चर्चा आम करते हें , सब जानते हें खुदा के सबसे अज़ीज़ पैगम्बर जिनके माध्यम से खुदा ने इस्लाम की शक्ल सूधारने के लियें कुरान के रूप में एक कानून एक आदेश एक निर्देश दिया वोह पैगम्बर हुजुर मोहम्मद सल्ललाहो अलेह वसल्लम हें लेकिन बारावफात सरकारी केलेंदरों में छपता हे जिससे से लगता हे के हम अफ़सोस मना रहे हें और १२ रबी उल अव्वल यानी पैदाइश का जश्न हम और हमारे मोलाना मनाते हें खेर यह बारीक़ बाते हें मोलाना ही जाने लेकिन कल इस दिन को कुछ लोग गरीबों को खाना खिला कर , रक्तदान कर मना रहे हें तो कुछ लोग जुलुस निकल कर खुद को घोड़े पर बग्घी पर बिठाकर निकालेंगे हुजुर मोहम्मद सल्लाहो अलेह वसल्लम के इस जुलुस में मालाएं मोलाना लोग पहनेंगे जय जय कार उनके नाम की होगी लाखों का चंदा होगा शायद उनकी यह सीख नहीं रही होगी ।
हुजुर सल्लाहो अलेह वसल्लम की शिक्षा थी के चारों तरफ दावते इस्लाम की धूम मची हो , उनकी शिक्षा थी के जो शख्स इरादे का पक्का हो वोह दुनिया को अपनी मर्जी के मुताबिक अल्लाह के हुक्म से ढाल सकता हे ,उनकी शिक्षा थी के जद्दो जहद ना करना मोहताजी का बैस होता हे और मोहताजी दिल को तंग अक्ल को खाफिफ बनाती हे ,वोह कहते थे म्सहिब से मत घबराइये क्योंकि सितारे अँधेरे में ही चमकते हें ,उनका कहना था दुनिया में थोड़े माल पर राज़ी रह ,और दूसरी की रोज़ी पर आँख मत डाल अगर तुम किसी पर अहसान करो तो उसे छुपाओ और कोई तुम पर अहसान करे तो उसे लोगों पर ज़ाहिर करों ताकि उसका होसला बढ़े, वोह कहते हें के जो अलाह के कम में लग जाता हे अल्लाह उसके काम में लग जाता हे , नसीहत करना आसान हे अम्ल करना मुश्किल हे ,जहां जबर हे वहा जूनून हे जहां सब्र हे वहा सुकून हे , बा अदब बा नसीब हे बे अदब बे नसीब हे ।
हुजुर पैगम्बर फरमाते थे जिस दिल में बर्दाश्त की कुवत होती हे वोह कभी शिकस्त नहीं खाता ,झूंठ से गुरेज़ करो ,सब्र और शुक्र से बढ़ कर को मीठी चीज़ नहीं हे ,तालीम इंसान को अखलाक सिखाती हे ,अपनी सीरत ऐसी खुशबूदार कली की तरह बनाओ जिसकी महक से सभी जगह खुशबु हो अखलाक एक ऐसा हिरा हे जो पत्थर को काट देता हे , जब पैसा बोलता आहे तो सच्चाई खामोश हो जाती हे गाली का जवाब नेकी से दो क्योंकि कबूतर और कव्वे की बोली में फर्क हे ,सबसे बढ़ा अख्तावर वोह हे जो लोगों की बुराइयों का बयान करता हे अलाह के सिवाय किसी से उम्मीद मत रखो ,कुच्छ ऐसी ही शिक्षाएं हें जिन्हें ना हम मानते हें ना हमारे मोलाना मोलाना हे के धर्म को हर हाल में पेट पालने का साधन बनाना चाहते हें और हम हे के खुद इस्लाम को पढना अपनाना नहीं चाहते केवल नामा के ही मुसलमान हे हाजी हे लेकिन हमारी हरकतें उफ्फ्फ खुदा खेर करे कोई देखे तो सोचेगा क्या ऐसा होता हे इस्लाम इसलियें दोस्तों अपने अखलाक से ऐसा माहोल बनाओ के लोगों के जहन में जो इस्लाम की गलत तस्वीर बनी हे उसे अपने अखलाक से अपने समर्पण से बदल डालो ताके वोह कहें के अगर मखलूक उम्मत ऐसी हे तो इस कोम के रसूल केसे होंगे ............ । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

इस्तीफे की जगह मुर्गा बनने की शरारत

जोधपुर नगर निगम में एक सहवरित पार्षद आजम जिन्हें जोधपुर में पोलीथिन के खिलाफ अभियान की ज़िम्मेदारी दी थी जब वोह इस काम में नाकामयाब और फिसड्डी साबित हुए तो दुसरे विपक्षी पार्षदों के प्रकोप से बचने के लियें उन्होंने खुद को बचाने के लियें अनोखा फार्मूला निकाला और बीच बैठक में सदन के समक्ष मुर्गा बन कर प्रायश्चित किया ।
सहवरित पार्षद आज़म को खतरा था के बैठक में सभी उनके लियें मुसीबत खड़ी कर देंगे और हो सकता हे इस नाकामयाबी की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पढ़ जाए इसलियें उन्होंने दूसरों के प्रकोप का भाजन बनने से बचने के लियें हंसी का पात्र बनना बहतर समझा और सदन की अध्यक्षता कर रहे महापोर जी से अनुमति चाही के वोह अपने कारनामों में नाकामयाब रहे हें शहर से पोलीथिन नहीं हटा सके हें इसलियें वोह अपनी इस नाकामयाबी के लियें प्रायश्चित करते हुए खुद एक सजा तजवीज़ कर रहे हें और सदन के समक्ष जोधपुरी मुर्गा बनना चाहते हें शायद पहले से ही मेच फिक्सिंग का मामला था इसलियें महापोर जी ने अनुमति दी और पार्षद आजम जी जोधपुरी मुर्गा बन गये काफी वक्त तक वोह मर्गा बने मुद्रा में खड़े रहे और लोग उन पर गुस्सा होने की जगह हंसते रहे और तालिया बजाते रहे तो ऐसे क्या पार्षद ने खुद के नाकामयाब होने पर विपक्ष के कोप भाजन से बचने के लियें ।
शायद देश के इतिहास में यह पहला वाकया हे के कोई व्यक्ति सदन के बीच खुद स्वेच्छा से मुर्गा बना हो और इस तरह से अपनी नाकामयाबी का प्रायश्चित किया हो । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मुख्यमंत्री गहलोत से अभद्रता

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कल जब मुख्यमंत्री निवास पर जन सुनवायी कर रहे थे तो अचानक एक विक्षिप्त युवक ने उनके गिरेबान पर हाथ डालना चाहा जिसे सुरक्षा कर्मियों ने पकड़ा , पीटा लेकिन मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर इस युवक को उसके गाँव में पुलिस सुरक्षा में पहुंचा दिया गया ।
कल जोधपुर में लाईट चली जाने के बाद और अन्धेरा होने पर भी मुख्यमंत्री जी ने इस अव्यवस्था के लियें वहां किसी भी अधिकारी को ज़िम्मेदार मान कर निलम्बित नहीं किया लेकिन उन्होंने लोगों से मिलकर जन सुनवाई नहीं टाली और सिर्फ एक टोर्च की रौशनी में उन्होंने जनता की समस्याएं सुन कर उनका निदान करने का प्रयास किया जयपुर में अचानक बदले इस घटनाक्रम से मुख्यमंत्री गहलोत विचलित नहीं हुए हें उनका कहना हे के वोह तो एक सामान्य घटना हे कोई भी अपनी समस्या लेकर आता हे उसका बर्ताव कुछ भी हो सकता हे लेकिन मेरा काम जनसुनवाई करना हे इसलियें में तो समस्याएं सुनूंगा इन परिस्थितियों में मुख्यमंत्री गहलोत के इस रवय्ये ने राजस्थान की जनता का दिल जीत लिया हे इतना ही नहीं गहलोत ने इस हमलावर युवक की स्थिति जानी पुलिस सुरक्षा में उसकी सुनवाई की उससे ऐसा करने का कारण जाना और फिर इस युवक को सोडाला जयपुर पुलिस की अभिरक्षा में देकर उसे मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर जेल भेजने के स्थान पर युवको को उसके गाँव भेजा गया जहां उसकी माँ इस युवक का इन्तिज़ार कर रही थी मुख्यमत्री की इस अदा ने तो उनकी लोकप्रियता में और चार चाँद लगा दिए हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

शादी की ख़ुशी में गोली चलने से रंग में भंग पढ़ा

कोटा में प्रेमनगर बस्ती की एक शादी समारोह में बंदूक से सलामी देने के लियें ख़ुशी ज़ाहिर क्या की के दुःख का कारण बन गया और आज इस दुर्घटना में घायल चार लोग अस्पताल में भर्ती हें ।
कोटा प्रेमनगर में कल शादी समारोह में एक व्यक्ति ने रस्म के हिसाब से विदायगी के वक्त दो बार बारह बोर से फायर किये एक फायर तो ठीक चला लेकिन कारतूस पुराना ह्नोए से जब दुसरा कारतूस नहीं चला तो बंदूकची ने अपनी लाइसेंसी बंदूक को जब चेक करना चाहा तो बंदूक से अचानक फायर हो गया और छर्रे टकरा कर वहां महमानों के जा लगे जिससे एक की आँख खराब हो गयी हे तीन दुसरे लोग घायल हें जो अभी अस्पताल में भर्ती हे तो जनाब किसी भी शादी में अब बंदूक बाज़ी से रंग में भंग पढ़ सकता हे इसलियें धमाकों के लियें आतिशबाजी से ही काम चलाना अच्छा हे वरना शासी ब्याहोने में रंग में भग पढ़ सकता हे अब दुल्हा और रिश्तेदार जेल में बंद बंदूकची की जमानत के प्रयासों में जुटे हें जबकि कुछ रिश्तेदार घायलों की तीमारदारी में अस्पताल में रुके हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बिना हेलमेट के भी सडक दुर्घटनाओं में मोतें

दोस्तों कोटा सहित कुछ शहरों में हेलमेट के नाम पर अख़बार प्रचार के लियें पुलिस लूट से जनता परेशान हे जबकि कोई भी पुलिस दुर्घटनाओं के मूल कारणों पर नहीं जा रही हे और कल इसी लियें नागोर अजमेर मार्ग पर एक ही गाँव के २४ श्रद्धालुओं की अक़ल म़ोत हो गयी ।
राजस्थान में भरी वाहनों पर ओवर लोडिंग और दूसरी जांच के मामले में सख्ती इस लियें नहीं हे के इनसे अवेध चोट वसूली की बढ़ी रकम अधिकारीयों को प्राप्त होती हे और अधिकारी सरकार और संगठन में रेली वगेरा के दोरान खुद वाहनों की व्यवस्था करवाते हें इसीलियें यातायात नियम सडकों पर केवल हेलमेट तक ही सिमट कर रह गया हे बाक़ी सभी कानून नदारद हें , कल इसीलियें एक ट्रोला जो शायद अवेध रूप से ही संचालित हो रहा होगा एक पिकअप जिसमे भी शायद कानून की पालना में सवारी नहीं बेठी होगी बस इसीलियें एक बढ़ी दुखान्तिका मुक्यमंत्री के इलाके में हो गयी २४ लोग अचानक म़ोत के घात उतर गये लेकिन सरकार हे के सुधरी नहीं यातायात सूधारने और दुर्घटनाओं से लोगों को बचाने के लियें जहां सख्ती करना चाहिए वहां तो सख्ती नहीं हे और हाँ जहां सख्ती नहीं होना चाहिए वहां सख्ती हे अब भी कुछ नहीं बिगड़ा हे सरकार चाहे तो अभी से राष्ट्रिय राज मार्ग और राज्य राज मार्गों के लियें जो कानून हें उनकी सख्ती से पालना शुरू करवड़े वरना फिर नई दुखान्तिकाओं से सामना होना पढ़ सकता हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

13.2.11

लोगों कों खूब भा रहा है सुरजकुण्ड मेला

सूरजकुंड मेला हथकरघे पर बुने उत्कृष्ट डिजाईनों और समोहक वर्णों के लिये याद किया जायेगा। हाथ से बुने हुए वस्त्र पर्यटकों को अपनी ओर आकृष्ति कर रहे हैं। थीम राज्य आन्ध्र प्रदेश के ऐसे ही राष्ट्रीय याति प्राप्त डिजाईनों को लोग खूब पंसद कर रहे हैं। वस्त्रों पर उकेरी गई कशीदाकारी देखते ही बनती है। उनके डिजाईनों में कला की गहराई है और वह पौराणिक शास्त्रीय कथाओं को उसके अध्यात्मिक स्वरूप में प्रस्तुत करते हैं। आन्ध्र प्रदेश के शिल्प में जो सबसे प्रभावी बात देखने को मिलती है वह यह कि कोई भी डिजाईन केवल कलाकार की चपलता से प्रभावित ना होकर साधना की परिपक्वता को दर्शाता है। यहां हर डिजाईन में कुछ उद्देश्य छिपा हुआ है जो अंतत जिज्ञासु को धर्म, कर्म और मोक्ष के चरम लक्ष्य की ओर लेकर जाता है। यह बात केवल वस्त्र डिजाईन में ही नही बल्कि उनके नृत्य और समस्त जीवन शैली में भी नजर आती है।इन्हीं में से एक प्रमुख है मंगलागिरी साड़ी। मंगलागिरी आन्ध्र प्रदेश के गुंटूर जिले का एक छोटा कस्बा है। इन साड़ियों के भारी जरी बार्डर और मोनो स्ट्रिप एवं धागों से बुनी स्ट्रिप पल्लू स्त्रियों को काफी लुभा रहे हैं। साड़ियों की डिजाईनों में चैक के साथ जरी और रंगों का संतुलित मिश्रण किया गया है।साड़ियों का कपड़ा भी महीन बुनकरी से बुना गया है। हथकरघे की दोहरी बुनाई, उचित समायोजित आकार तथा बडी ही तन्मयता से धीरव् धीरव् की जाने वाली बुनाई इन साड़ियों को अदुभूत सौंदर्य और मजबूती प्रदान करती है। इनकी खास बात यह है कि प्रत्येक साड़ी की बुनाई और हस्तशिल्पी के ज्ञान की विविधता के कारण एवं धागे की बुनावट से विशिष्ट डिजाईन रखती है। उदीता धनलक्ष्मी के स्टाल पर ऐसी विशेष् डिजाईनर साड़ियों और वस्त्र देखने को मिलते हैं। वह बताती हैं कि उनके वस्त्रों में शुद्ध सूती और सिल्क का प्रयोग होता है तथा उन्हे वर्गाकार चौखटे की रूपरव्खा में बुना जाता है। वह राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता हैं और अपनी साड़ियों को विदेशों में निर्यात भी करती हैं। एक हट के मालिक बाबू रामकहते हैं कि उनके परिधानों में प्रयोग किये जाने वाले रंग एंटी एलर्जिक हैं। उनके परिधानो को मेले में हाथों हाथ लिया जा रहा है।मंगलागिरी साड़ियों की तरह ही आन्ध्र प्रदेश की गढ़वाल साड़ियां भी लोगों के आर्कष्ण का केंद्र बना हुआ है। अदुभूत सूती बेस पर भारी सिल्क बार्डर और पल्लू इन साड़ियों की खास विशेष्ता है। सिल्क की साड़ी में छींट का काम बहुत लुभाता है। गढवाल साड़ियों की सबसे प्रमुख विशेष्ता इसकी इंटरलाकड बुनाई शैली है जिसे कूपाडम के नाम से जाना जाता है इसलिये ही इसे कूपाडम साडियों के नाम से भी जाना जाता है। सिल्क बार्डर वाले यह परिधान तुस्सार सिल्क अथवा शहतूत सिल्क कहा जाता है। इन सडियों के सूती बेस में आजकल सिल्क की चैक का काम होता है , जिसे पचास पचास प्रतिशत की मात्रा में प्रयोग किया जाता है। इस मेले की शान में चार चांद लगाते हस्तशिल्पी राष्ट्रीय स्तर राज्य स्तर के अवार्ड जीत चुके हैं। इन अवार्डियों की प्रतिभागिता ने मेले की शोभा बढ़ाकर सूरजकुंड को गौरवान्वित किया है। सूरजकुंड क्राफट मेले में सोने की वस्तुओं की भांति दिखाई देने वाली पीतल की वस्तुएं आकर्ष्ण का केंद्र बनी रही। इनमें सोने की भांति दिखने वाली पीतल की लक्ष्मीगणेश, राधा कृष्ण, शिवपार्वती देवीदेवताओं की मूर्तियां हाथीघोड़े, सूर्य, घंटी, काजलदानी, पूजा का सामान सहित अनेक कलाकृतियां मौजूद हैं। उार प्रदेश के आजाद कुमार सोनी नामकहस्तशिल्प द्वारा लगाई स्टाल में सोने की भांति दिखने वाली इन कलाकृतियों में सौ ग्राम से तीस किलोग्राम भार की इन वस्तुएं को लोग दो सौ रुपये से तीस हजार रुपये तक में खरीद रहे थे। इस सबंध में आजाद सोनी बताया कि उनका परंपरागत काम बतौर सुनार सोनेचांदी की वस्तुएं बनाना था, लेकिन पिछले काफी समय से उनके परिवार के लोग सोनेचांदी की वस्तुएं बनाने की बजाए पीतल की एक विशेष तकनीक द्वारा बनाई गई वस्तुओं का व्यापार करने लगे हैं।मेले की नाट्यशाला में गत सायं मध्य प्रदेश, छाीसगढ़ और उड़ीसा के लोकनृत्य का कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में श्रीमति प्रेम शिला वर्मा ने पांडवानी गायन से किया। उन्होंने महाभारत की कथा में से उस भाग का गायन किया जब पांडव अज्ञातवास के दौरान विराट नगर में रहे थे। इसके बाद राई नृत्य प्रस्तुत किया गया। यह नृत्य बुंदेलखण्ड के इलाके में बेड़नी जाति की महिलाओं और पुरुषें द्वारा संयुत रुप से किया जाता है। मध्य प्रदेश के सागर शहर से आए इन कलाकारों ने राधाकृष्ण की लीलाओं का मनोरम मंचन किया। कार्यक्रम के दौरान उड़ीसा के आदिवासी लोकनृत्यों की प्रस्तुति की गई, जिसमें भुवनेश्वर से आए कलाकारों ने डालखाई और दूसरव् नृत्य प्रस्तुत किए। डालखाई संभलपुर इलाके की एक ऐसी परंपरा है जैसे उारी भारत में रक्षा बंधन का दृश्य होता है। वहां नवरात्रों में बहने भाइयों के लिए व्रत रखती है और अष्ठमी के दिन नए अनाज के पकवान बनाकर व्रत खोलती हैं। स्पेन से मेला देखने आये मार्को गार्शिया और ऐंजेलिना को मेला बहुत ही बहुरंगी लगा। गार्शिया ने कहा कि उनके देश में हर जगह कार्निवाल प्रसिद्ध हैं परन्तु एक साथ ही इतनी विविधता कला और संगीत में उन्होंने पहले कभी नहीं देखी। ऐंजेलिना ने कहा कि भारत की विभिन्न संस्कृतियों के बारव् में सुना जरूर था परन्तु उसका वास्तविक अनुभव यहीं पर देखने को मिला। जापान से भारत घूमने आई इिश्मीतो ने लकड़ी और बांस का सामान खरीदा और उन्हें मेले में दक्षिण भारतीय भोजन और मेले के इंतजाम बहुत अच्छे लगे।रियोडी जैनरो से आये फर्नाडिज दंपति ने कहा कि यहां के शास्त्रीय नृत्य कूचिपूड़ी और राजस्थान के लंगा गायक बूंदे खान की प्रस्तुति बेहद शानदार लगी और वह देर सांय हर रोज संगीत संध्या में रहे हैं। वे भारत के लोगों की विविधता के साथ सामान्य भाव और सौहार्द से रहने की भावना से बेहद प्रभावित नजर आये। फ्रांस के लियरव् मेले में लोक धुनों पर नाचे , कला को जाना कला को बेचने वालों को जाना और ग्राहकों को भी जाना उन्होंने हा कि भारत में संतोष् की प्रवृति से वे हैरान हैं। यहां गरीब लोग संर्घष् करते हुए भी अराजक नहीं है और शांत भाव से जीवन की चुनौतियों से जूझते हैं , योंकि यहां के हर नृत्य में हर कला में धर्म और संस्कार छिपे हुए हैं जो मानवों को अराजकता और अनैतिकता एंव हिंसा से दूर कर सामान्य और संस्कारी रखते हैं।

मनमोहन जी के क्रष्णा ने देश का सर शर्म से नीचा किया

Saturday, February 12, 2011

भारत के प्रधानमन्त्री के मंत्रिमंडल में एक मंत्री भी ऐसा नहीं हे जिस पर देश या देश का कोई भी व्यक्ति जाती समाज गर्व कर सके हाँ हर मंत्री ने किसी ना किसी रूप में देश का सर शर्म से नीचा जरुर किया हे देश को अपमानित और बे इज्जत किया हे और देश को भ्रस्ताचार,बेकारी,गरीबी,महंगाई की आग में झोंक दिया हे और नतीजे सामने हें , इन सब के बावजूद भी मनमोहन सोनिया के रत्न हे तो मनमोहन के यह सभी मंत्री रत्न बने हुए हें ।
दोस्तों अब तो देश का सर विदेश मंत्री एस एम कृष्णा जी ने शर्म से नीचा कर दिया जिस कृष्ण जी को संयुक्त राष्ट्र संघ में पूरी तय्यारी के साथ करोड़ों रूपये खर्च करके इसलियें भेजा गया था के वोह भारत की संयुक्त राष्ट्र की दावेदारी को दमदारी से रखेंगे लेकिन रिमोट से चलने वाले मंत्री हमेशा दूसरों का लिखा भाषण पढने वाली पार्टी की संस्क्रती को जिंदा रखने वाले यह मंत्री जी ने भी कोंग्रेस में दूसरों के भाषण को पढने की परम्परा को जिंदा रखा और संयुक्त राष्ट्र संघ में एक स्क्रिप्ट लेकर भाषण देने खड़े हो गये लगभग तीन मिनट तक विदेश मंत्री कृष्णा जी पुर्तगाल का लिखा भाषण पढ़ते रहे और उन्हें बार बार पुर्तगाल का नाम आने पर भी यह अहसास नहीं हुआ के वोह भारत का नहीं पुर्तगाल का भाषण पढ़ रहे हें लेकिन नकल में अक्ल की जरूरत होती हे क्रष्ण जी मनमोहन जी के मंत्रिमंडल में थे इसलियें उनके तो अक़ल हो ही नहीं सकती इसलिए नकल में भी अक़ल नहीं लगने से उन्होंने दुसरे देश का मान बढ़ाया तो अपने देश का अपमान कर दिया ,
राजथान में अमीन खान एक मंत्री जी को उनकी गलती के लियें हटाया हे लेकिन क्या अन्तराष्ट्रीय स्तर पर देश का मान सम्मान अपमानित करने वाले इन मंत्री कृष्णा जी को क्या मनमोहन सरकार हटाएगी क्या उनकी इस भयंकर गलती की सजा उन्हें मिलेगी या फिर दूसरा करे तो गलती अपना करे तो माफ़ी वाले सिद्धांत के तहत इन की सी गलती को नजर अंदाज़ कर दिया जाएगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक प्रताड़ित महिला का अनोखा विरोध

दोस्तों हमारे देश में महिला उत्पीडन और पत्नी उत्पीडन के साथ साथ पतिउत्पीडन के भी अनेक किस्से चर्चित रहे हें लेकिन इन दिनों कोटा की एक विवाहिता ने अपने गाँव में ससुराल वालों के खिलाफ बिना कोई मुकदमा दर्ज कराए साथ रखने की जिद पर अनशन कर नया विरोध शुरू किया हे ।
दोस्तों आम तोर पर महिला से झगड़ा होता हे वोह थाने जाती हे और थाने जाकर दहेज़ प्रताड़ना का मुकदमा दर्ज करा देती हे लेकिन इससे पति और ससुराल पक्ष में कडवाहट आ जाती हे और रिश्ता फिर गुस्से और बदले की भेंट चढ़ जाता हे जिन रिश्तों में कल शहद घुलता था उन रिश्तों में जहर घुल जाता हे और नतीजा अलगाववाद तबाही और बर्बादी के सिवा कुछ नहीं होता इस समस्या को देख कर अंतर्राष्ट्रीय दबाव में हमारे देश में घरेलू हिंसा अधिनियम लागु किया गया पुलिस और प्रोटेक्शन अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान रख कर निर्देश दिए गये के हर घर में इस मामल की खुद जाकर जांच की जायेगी के कहीं कोई महिला पीड़ित तो नहीं हे लेकिन सरकारें हें कानून किताबों रह जाता हे और लागू नहीं होता शरीफ सज्जन घरेलू महिलाएं तो तडपती रहती हे सिसकती रहती हे और जिनके पास रुपया होता हे वोह इन कानूनों का दुरूपयोग कर फायदा उठाना चाहते हें और इस तरह के कानूनों की फिर आलोचना शुरू हो जाती हे खेर यह तो हुई कानून और सरकार की बात लेकिन एक महिला जो इटावा के थाना इलाके के गाँव बमुलिया की बहु हे उसके ससुराल पक्ष ने उसे घर से निकाल दिया इस महिला ने पहले तो पुलिस के जरिये खुद को ससुराल में रहने की इजाजत दिलवाने का प्रयास किया लेकिन जब घरेलू हिंसा कानून में प्रावधान होने के बावजूद भी पुलिस ऐसा नहीं कर सकी तो पीड़ित महिला ने थाने में दहेज़ का या प्रताड़ना का मुकदमा दर्ज कराने की भूल नहीं की उसने ससुराल के बाहर पहले तो घर में जाने की कोशिश की फिर बाहर ही भूख हडताल शुरू कर दी और दो दिन की इस हडताल के बाद इटावा थानाधिकारी को मजबूरी में समझाने के लियें फिर जाना पढ़ा लेकिन इस महिला के इस रवय्ये से अब ससुराल वाले पशोपेश में हे क्योंकि महिला ने मुकदमा भी दर्ज नहीं कराया और उनके पास उसे छोड़ने का भी कोई बहाना नहीं हे इस बहु का ससुराल के खिलाफ अनशन अनूठा आन्दोलन हे ............................ । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

वेलेंटाइन दिन पर हिन्दू कट्टरों ने पासा पलटा

पिछले कुच्छ सालों से वेलेंटाइन डे को भारतीय संस्क्रती के खिलाफ प्रचारित कर देश भर में तोड़ फोड़ हिंसा करने वाले हिंदूवादी सन्गठन के नेता विनोद वेश्य ने कहा हे के हम इसका विरोध नहीं करेंगे लेकिन इस मामले हमने इस दिन नग्नता और अश्लीलता से बचने के लियें कई स्थानों को पत्र लिखे हें ।
दोस्तों आप को पता होगा के देश का भोला भाला नोजवान यही सोचता रहा था के कट्टरवादी हिन्दू सन्गठन राष्ट्र भक्ति और देश की संस्क्रती बचाने के लियें वेलेंटाइन दिन का विरोध करता हे टोलियाँ बनाता हे और पार्कों सडकों दुकानों पर जाकर मार पित तोड़फोड़ करता हे लेकिन पिछले दिनों भोपाल और दूसरी जगहों पर कट्टर पंथी हिन्दू नेताओं के खिलाफ वेलेंटाइन कार्ड बेचने वाले लोगों ने गुप्त योजना बनाई और कट्टर पंथी नेता जो हर बार हमला करने के पूर्व चोथ वसूली की मांग किया करते थे उन नेताओं के खिलाफ स्टिंग ओपरेशन किया उनके बयान उनके प्रस्ताव रिकोर्ड किये जिसमें हिन्दू वादी नेताओं को कार्ड विक्रेताओं से रिश्वत की राशी मांगते हुए बताया गया था ओर कहा जा रहा था के अगर रूपये मिल गये तो ठीक नहीं तो तोड़ फोड़ पक्की हे बस कुछ लोग ब्लेकमेलिंग में आज भी जेल में हें बात मीडिया के माध्यम से सारे देश को पता चल गयी के क्यों वेलेंटाइन का विरोध होता हे सो अब ब्लेकमेलिंग की पोल खुलने के बाद पासा पलट दिया गया हे ।
दोस्तों कल वेलेंटाइन दिवस हे में भी पुराने हिंदूवादी ख्यालात का हूँ इस दिन को बहुत ज्यादा तरजीह नहीं देता और देना भी नहीं चाहिए लेकिन देश में सभी तरह के लोग हें इन दिनों इंटरनेट मेसेज का जमाना हे और मोबाईल मेसेज से लेकर अख़बार विज्ञापनों के माध्यम से इस दिन को कमाई का जरिया बना रहे हे ऐसे में देश के लियें और शर्म की बात हो गयी हे खेर साथ बेतों एक दुसरे को मुबारकबाद दो प्यार दो प्यार लो तक तो यह दिन ठीक हे लेकिन इस दिन के नाम पर फ़िज़ूल खर्ची और अश्लीलता ना काबिल बर्दाश्त होना चाहिए अंग्रेजी संत बाबा वेलेंतैन ने कभी भी अश्लीलता को बढावा नहीं दिया कभी फ़िज़ूल खर्ची की बात नहीं कही बस प्यार का संदेश दिया हे संदेश सिर्फ इतना सा हे के प्यार जाति धर्म समुदाय विचारधारा से उपर उठा हुआ होता आहे और जहाँ प्यार होता हे वहां इसरार होता हे भाईचारा सद्भावना होता हे हमारे देश में यही संदेश हे के बालिग़ लोग अपनी मर्जी से विवाह रचा सकते हें इसका संदेश केवल मर्जी के विवाह तक हे विवाह के पूर्व या बाद में अश्लीलता या जारता अय्याशी करने का नहीं हे और यह सब संदेश मिस्र से आया था जहां आज क्रान्ति ने अपना नया इतिहास बनाया हे अगर हम वेलेंटाइन बाबा का संदेश मान सकते हें तो हमारे देश को भ्रस्ताचार और भर्स्ट नेताओं से बचाने के लियें क्या वहन की क्रान्ति की मिसाल का अनुकरण नहीं कर सकते शायद हाँ शायद नहीं ..................... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

चीन की भारत सहित पड़ोसी देशों को ललकार

भारत के टुकड़ों पलने वाला चीन का साहस अब इतना बढ़ गया हे के वोह दबे अल्फाजों में चीन की फोज को चेता रहा हे के चीन को भारत सहित दुसरे पड़ोसी देशों से युद्ध के लियें तय्यार रहें चीन ऐसा इसलियें कर रहा हे के उसने हमारे देश के मोम के पुतले भ्रष्ट नेताओं की ओकात देख ली हे ।
चीन की इस अपमानकारी बचकानी ललकार का अगर वक्त रहते हमारे देश ने मुंह तोड़ जवाब नहीं दिया तो उसके होसले और बुलंद होते जायेंगे लेकिन शायद ऐसा होगा नहीं क्योंकि हमारा देश इस मामले में पहले अमेरिका से पूंछेगा और फिर अमेरिका जो कहेगा हमारे नेता बस वही करेंगे जब हमारे देश का यह हाल हे तो फिर हमारे देश में हमारा अपना क्या हे हमारी जनता का क्या हे । दोस्तों चीन ऐसा हमारे कठपुतली नेताओं के कारनामे देख कर कह सकता हे लेकिन चीन शायद भूल गया हे के यह देश और इस देश के वासी मिटटी के माधो को चाहे प्रधानमन्त्री बना देंगे लेकिन देश उनके भरोसे नहीं छोड़ेंगे अभी हमारे देश के नो जवानों से लेकर महिला , बच्चों और बूढों में इतनी ताकत हे के चीन अगर हमारे देश की तरफ आँख भी उठाकर देखने की जुर्रत करेगा तो हम उनकी आँखें निकल लेंगे , यह भारत पहले वाला भारत नहीं हे यहाँ नेता कमजोर हो सकते हें सत्ता कमजोर हो सकती हे लेकिन देश आज भी एकजुट मजबूत हे वो हर मुसीबत हर युद्ध का मुकाबला करने को तय्यार हे इसलियें दोस्तों चीन ने यह मुंग और मसूर की दाल वाली जो बात कही हे उसका मुंह तोड़ जवाब देने की तय्यारी कर लेना चाहिए ॥ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

न्याय के महंगे होने पर राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत भडके

देश में न्याय को मोती फ़ीस लेने वाले वकीलों ने महंगा बना दिया हे और गरीब आदमी के लियें इलाज और न्याय एक सपना बनता जा रहा हे कल जयपुर में आयोजित विधि सम्मेलने में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी वकीलों को फटकर लगते हुए गरीबों को कम शुल्क पर न्याय देने की बात कही ।
वकीलों के एक फ़ीस टेरिफ के अनुसार अभिषेक मनु सिंघवी,राम जेठ मलानी सहित कई ऐसे वकील हें जो एक दिन की सुनवाई के २५ लाकह रूपये लेते हें ऐसे में गरीब आदमी किसी आच्चे वकील को तो कर ही नही सकता गहलोत ने कहा के यह तो विधिक न्यायिक प्राधिकरण के जरिये ही न्याय प्राप्त कर सकता हे गहलोत ने वकीलों से आह्वान किया के वोह गरीबों को मुफ्त विधिक सहायता और मुफ्त नहीं तो कमसेकम न्यूनतम शुल्क पर न्याय दिलवाएं ।
केन्द्रीय विधि मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा के यह एक गम्भीर बात हे और इसके लियें हम केंदिरी स्तर पर कानून बनाने की बात कर रहे हें ताकि न्याय सभी के लियें हो सके और सभी को न्याय दिलवाने में सरकार कामयाब हो सके कोंग्रेस विधि प्रकोष्ट की तरफ से आयोजित इस सम्मेलन में कोंग्रेस से जुड़े वकीलों का यह सम्मेलन हुआ जिसमें कई कोंग्रेस के वकील नदारद देखे गये और प्रदेश विधि प्रकोष्ट के लोगों की इस मामले में कई शिकायतें और निजी विवाद भी सामने आये हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

12.2.11

साहित्यकार शम्शेर बहादुर सिंह को कोटा के साहिय्कारों ने याद किया

Saturday, February 12, 2011

देश के प्रख्यात साहित्यकार शमशेर बहादुर सिंह को आज यहाँ भारतेंदु समिति कोटा में उनकी स्म्रति में दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित कर याद किया , भारतेंदु समिति भवन में आयोजित इस कार्यक्रम को कोटा की विकल्प साहित्यिक संस्था और राजस्थान हिंदी साहित्य एकेडमी उदयपुर के संयुक्त तत्वाधान में शुरू किया गया ।
तीसरा खम्भा और अनवरत के संस्थापक ब्लोगर किंग भाई दिनेश राय द्विवेदी भारत होटल से महमानों को कार्यक्रम स्थल पर लेकर पहुंचे और कार्यक्रम की शुरुआत की गयी भाई अम्बिका दत्त जी ने कार्यक्रम का अस्न्चालं शुरू किया महमानों को मंच पर बेठा कर कार्यक्रम की शुरुआत की गयी दीप के स्थान पर मशाल दीप प्रजलित किया गया और कार्यक्रम के शुभारम्भ के पहले भाई शरद तेलंग की मधुर आवाज़ में कोटा के ठाडा राही के गीत को सुना कर माहोल को जमाया गया शरद जी की मधुर आवाज़ ने सच वातावरण खुबसुरत और संगीतमय बना दिया ।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में जनाब महेंद्र नेह ने दर्द भरे अंदाज़ में बताया के इस कार्यक्रम की प्रस्तावना स्वर्गीय शिवराम जी ने बनाई थी लेकिन आज जब कार्यक्रम हो रहा हे तो वोह खुद हमें छोड़ कर चले गये , इसी दोरान शांति भारद्वाज राकेश ,डोक्टर कन्हय्या लाल ,अकील शादाब गीतकार कमलाकर, सईद महवी , कवि गोविन्द सिंह जी के निधन पर शोक व्यक्त किया गया ।
कार्यक्रम में जस्टिस शिव कुमार के नहीं आ पाने से रामकुमार कृषक जी से कार्यक्रम की अध्यक्षता करवाई गयी जबकि कवि साहित्यकार नन्द भारद्वाज को मुख्य अतिथि बनाया गया सुरेश सलिल विशिष्ट अतिथि थे कार्यक्रम में साहित्य एकेडमी से डोक्टर प्रमोद भट को आना था लेकिन वोह नहीं आये और प्रतिनिधि विष्णु पालीवाल को भेज दिया सभी वक्ताओं ने कवि साहित्यकार शमशेर की कविता रचना प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया वक्ताओं ने शमशेर को सरल और जटिल रचनाकार कवि बताया किसी ने उन्हें मार्क्सवादी कहा तो किसी ने उन्हें साहित्यकार के साथ साथ कलाकार चित्रकार शिल्पकार भी कहा ।
शमशेर बहादुर सिंह का जन्म १३ जनवरी १९११ को एक जात परिवार में देहरादून में जन्म हुआ शमशेर ने इलाहाबाद से बी ऐ किया उनकी पत्नी का कम समय में ही मिर्त्यु हो गयी वोह फिर दिल्ली आ गये उन्होंने लगभग एक वर्ष तक दिल्ली में धित्र्कारिता सीखी १९३७ में वोह हरिवंश राय बच्चन की प्रेरणा से वापस इलाहबाद चले गये वोह कलेक्ट्रेट में रीडर के पद पर कार्यरत रहे फिर बनारस में कहानी के सम्पादक हो गये इसी दोरान शमशेर कम्युनिस्ट की और बढ़ गये ,इनका नया साहित्य का निराला अंक बहुत चर्चित रहा ,फिर समशेर माया मैगज़ीन में सहायक सम्पादक हो गये १९५४ में इन्होने माया छोड़ दी इन्होने मनोहर कहानिया सहित कई दूसरी मेग्ज़िनों का भी सम्पादन किया इन्होने एक पुस्तक प्रकाशित की और फिर मध्य प्रदेश से तुलसी पुरस्कार के लियें चयन हुआ दिली में हिंदी उर्दू शब्दकोश में सहयोगी रहे १९७८ में शमशेर ने सोवियत संघ की यात्रा की कई संस्थाओं के अध्यक्ष रहने और शाहिटी में गदध पदध की सेवा करने के बाद जब इनका लेखन इनके विचार बुलंदियों पर थे तब १२ माय १९९३ को इनका निधन हो गया इनका साहित्यिक योगदान आज भी अविस्मरनीय हे और इसीलियें इनकी प्रतिभा को जन जन तक पहुँचने के लियें विकल्प ने कोटा में दो दिवसीय कार्यक्रम रखा हे । कार्यक्रम में भारतेंदु समिति अध्यक्ष राजेश बिरला, मदन मदिर ,बार कोंसिल के सदस्य महेश जी गुप्ता, शरद तेलंग ,अर्चना सक्सेना,दृष्टिकोण के सम्पादक चटर्जी ,एडवोकेट विपिन बाफना, प्रशांत तहलियानी ,डोक्टर मनु शर्मा सहित दर्जनों साहित्यकार और पत्रकार उपस्थित थे . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

वक्त करता जो वफा .... .. .

Saturday, February 12, 2011

दोस्तों एक गीत हे ;वक्त करता जो वफा तो आप हमारे होते ,, वक्त से हम और आप कोन जाने कब बदले वक्त का मिजाज़ , कहते हें वक्त सिकन्दर होता हे , वक्त हमेशां एक जेसा नहीं रहता , कोन जाने कब किस का वक्त बदल जाये , कहते हें जिसने वक्त की ना की कद्र उसकी वक्त ने नहीं की कद्र इन सब कहावतों के बीच देश वक्त के भंवर में फंसा हे और वक्त का य्हना हर हिन्दुस्तानी मजाक उढ़ा रहा हे ।
दोस्तों आज कोटा भारतेंदु समिति में एक कार्यक्रम शमशेर जी की स्मरति में १-३० बजे दिन में शुरू होना था मुझे भाई दिनेश जी द्विवेदी ब्लोगर किंग ने कहा आप को भी आना हे में इस कार्यक्रम में वक्त के हिसाब से १-२५ बजे जा पहुंचा घर के कई कामकाज शिड्यूल में थे लेकिन सब स्थगित कर दिए और वक्त से थोडा पहले भरतेंदु समिति पहुंचा वहां केवल अम्बिका दत्त जी थे और माइक वाला माइक लगा रहा था मेने घड़ी देखी इस हाल को देख कर में समझा शायद कार्यक्रम पहले ही हो चुका हे और सब लोग जा चुके हे माइक खोला जा रहा हे लेकिन पूछने पर पता चला के माइक खोला नहीं लगाया जा रहा हे टाइम निकला दो बज गये अम्बिका दत्त जी और मेरे अलावा एक दो और साहित्यकार आ गये कार्यक्रम में राजस्थान हाई कोर्ट के पूर्व जज और केन्द्रीय विधि आयोग के सदस्य जस्टिस शिवकुमार जी को मुख्य अतिथि बन कर आना था उनसे बात करने की कोशिश की लेकिन मोबाइल बंद था थोड़ी देर में आयोजक महेंद्र नेह साहब आये पता चला शिवकुमार जी का स्वस्थ खराब हे इसलियें अब वोह नहीं आयेंगे ।
इसी बीच देश में वक्त की पाबंदी का लेक्चर शुरू हो गया एक साहब ने कहा के एक एम एल ऐ हेमंड यादव वक्त पर पहुंचने के आदतन थे वोह कार्यक्रमों में पांच साल टक बुलाये जाने पर परेशान रहे क्योंकि जब वोह जाते थे तो कार्यक्रम के आयोजक भी मोके पर नहीं पहुंच पाते थे फिर राजस्थान सरकार में पंचायत मंत्री भरत सिंह का ज़िक्र चला कहा गया के भरत सिंह जी प्रारम्भ में हर कार्यक्रम में वक्त पर जाते थे लेकिन कई कार्यक्रमों में तो वक्त पर जाने से उन्हें पहचाना तक नहीं गया नतीजा यह निकला एक दो कार्यक्रम में तो उन्होंने वक्त पर पहुंचने की जिद बनाये रखी लेकिन जब देखा के पुरे कुए में ही भांग घुट रही हे तो उन्होंने फिर कार्यक्रमों में वक्त पर जाना बंद कर दिया ।
एक वकील साहब आये उन्होंने कहा के अदालत में ही देखलो पक्षकार अदालत में भटकते रहते हे और अधिकतम वकील हें के ११ बजे से २ बजे दिन तक आते रहते हें और जो वकील दस बजे अदालत पहुंचते हें उन्हें बेवकूफ बताते हे एक कर्मचारी जी थे उन्होंने कहा के दफ्तरों में भी अगर सही टाइम पर चले जाओ तो बेवकूफ और निकम्मा कहा जाता हे और जो कर्मचारी देर से जाता हे वही अफसर का खास होता हे और दफ्तर में भी लेट लतीफ कर्मचारियों की ही चलती हे ।
एक पंडित जी आ गये वोह कहने लगे के साहब हद तो यह हे के ख़ास पूजा का मुहरत निकलवाया जाता हे वक्त तय होता हे और कार्ड छपते हें अगर वी आई पी कोई मंत्री जी हों और वोह लेट हो जाएँ तो मुहरत भी लेट हो जाता हे और पूजा भी लेट कर दे जाती हे । अब देश में वक्त का यह हाला हे किसी को वक्त की कद्र नहीं हे टाइम के पाबन्द को बेवकूफ और देर से जाने वाले को रईस और अक्लमंद कहा जाता हे तो दोस्तों देश में वक्त से जब हम वफा नहीं कर रहे तो देश में वक्त हमारा वफादार केसे रह सकता हे आज वक्त का ही तकाजा हे के देश में अराजकता की स्थिति हे भाई भिया का सगा नहीं दफ्तरों में महा भ्रस्ताचार हे देश कई साल पीछे जा रहा हे दफ्तरों अदालतों में लेट लतीफ लोगों के कारण पत्रावलियों के अड़म्बार लगे हें अब ना जाने कब देश के लोगों में अक्ल आएगी और वोह वक्त की बेशकीमती कीमत को समझेंगे और इस देश को वापस से सोने की चिड़िया बनायेंगे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोंग्रेस जी अब हामिद अंसारी जी को हटा दो

Saturday, February 12, 2011

महामहिम राष्ट्रपति जी ने इंदिरा जी की बुरे वक्त में भी सेवा की थी और उनकी पहुंच किचन तक थी यह सच बोलने पर राजस्थान सरकार ने राजस्थान सरकार के मंत्री अमीन खाना को हटा दिया हे लेकिन अब उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने तो देश में बच्चियों के पैदा होते ही मार देने का कहकर बवाल खड़ा कर दिया हे ऐसे में तो अब उपराष्ट्रप्ति को भी पद से हटाना जरूरी हो गया हे ।
कल एक कार्यक्रम के दोरान उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी जी की पत्नी श्रीमती सलमा अंसारी से जब पत्रकारों ने देश में महिलाओं की स्थिति और उन पर हो रही ज्यादतियों के बारे में बताते हुए इससे बचने के उपाय पूंछे तो सलमा अंसारी ने साफ़ शब्दों में कहा के अगर इस देश में महिलाओं की ऐसी स्थिति हे तो यहाँ लडकियों के पैदा होते ही उनकी हत्या कर देना चाहिए यह बात देनिक नवज्योति सहित सभी प्रमुख अख़बारों में छपी हे अब उच्च पद पर असीं व्यक्ति की पत्नी अगर देश के हाल पर ओरतों का इस तरह से अपमान कर गेर कानूनी रूप से लडकियों की पैदा होते ही हत्या करने की सलाह दे तो यह देश की सभी महिलाओं ,विधि,विधान और संविधान का अपमान हे इतना ही नहीं आज हमारे देश में महिला राष्ट्रपति और सरकार के उपर सरकार यु पी ऐ अध्यक्ष सोनिया गाँधी महिला हे ऐसे हाल में भी महिलाओं के बारे में इस तरह की टिप्पणी खतरनाक और शर्मनाक हे इस मामले में देश की महिलाओं को प्रदर्शन करना चाहिए और ऐसा व्यक्ति जिसकी पत्नी सरकारी कार्यक्रम के दोरान पत्रकारों से इस तरह की टिप्पणी करती हे उस व्यक्ति को भी पद से हटा दिन चाहिए अगर अख़बार ने खबर गलत दी हे तो फिर अखबारों के खिलाफ कार्यवाही होना चाहिए । अब देखते हें क्या होता हे कोंग्रेस का इन्साफ ........... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सत्यार्थ प्रकाश के प्रसंग से भूतपूर्व पटवारी के जीवन में आया नया मोड़

लोगों से ली रिश्र्वत लौटाकर खुद बन गया संत
पश्चाताप के लिए गुरुकुल में कर रहा है गौसेवा
कहते हैं कि जब जागो तभी सवेरा हो जाता है। जीवन में की गई गलतियों पर मनुष्य पश्चाताप कर ले और सद्‌कर्म शुरू कर दे तो वह देवता तुल्य हो जाता है। इसी बात को अपने जीवन में उतारा है हरियाणा के सफीदों हलके के महामुनि महासिंह ने। क्षेत्र में महामुनि के नाम से जाने जाने वाले इस शक्श का वर्तमान व भूतकाल बिल्कुल अलग है। महामुनि पहले पटवारी थे। नौकरी के समय लोगों से रिश्र्वत लेने के लिए मशहुर महासिंह पटवारी के जीवन में एक ऐसा परिवर्तन आया कि उन्होंने बिना किसी दबाव के सभी लोगों की रिश्र्वत वापिस कर दी। बाद में वे खुद भी संत बन गए। संत बनने के बाद महामुनि गुरुकुल कालवा में चले गए और तपस्वी आचार्य बलदेव महाराज के सानिध्य में दीक्षा ग्रहण करके गऊ सेवा में जूट गए। सफीदों हलके का यह वहीं गुरुकुल है जहां कभी योग गुरु रामदेव ने अपनी शिक्षा प्राप्त की थी। इसी गुरुकुल की शिक्षा की ज्योत आज विश्र्व में योग के रूप में जल रही है।तपस्वी आचार्य बलदेव द्वारा स्थापित इस गुरुकुल में अनेक संत पैदा हुए हैं। ऐसे ही संत महामुनि महासिंह हैं। जो पिछले 15 साल से इस गुरुकुल व गौशाला की सेवा कर रहे हैं। महामुनि का इसी गुरुकुल से ह्रदय परिवर्तन हुआ और एक ऐसा काम किया जिसके लिए बहुत बडे़ दिल की जरूरत होती है। उन्होंने अपनी नौकरी के समय लोगों से सरकारी काम की एवज में ली रिश्र्वत को वापिस कर दिया। महामुनि ने लोगों को रिश्र्वत के पैसे वापिस करके उनसे माफी मांगी और इसका पछतावा करने के लिए संत बन गए। उसी दिन से गौ सेवा करके लोगों के लिए मिशाल बन गए। महामुनि खुद स्वीकार करते हैं कि उन्होंने नौकरी के समय लोगों से रिश्र्वत ली लेकिन रिटायरमेंट के बाद जब वे आचार्य बलदेव के संपर्क में आए तो उनका जीवन ही बदल गया। आचार्य बलदेव ने उन्हे सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने के लिए दी। सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने के बाद उनके जीवन में एकदम से बदलाव आ गया। महामुनि बताते हैं कि सत्यार्थ प्रकाश के एक प्रसंग कि एक पटवारी द्वारा पछतावा करते हुए अपनी जमीन बेचकर लोगों की रिश्र्वत लौटाने की घटना ने उन्हें झकझौर कर रख दिया। महामुनि ने यह प्रसंग पढ़कर उसी समय निर्णय लिया कि वे भी सभी के रिश्र्वत में लिए पैसे लौटा देंगे। इस निर्णय के बाद महामुनि ने बैठकर उन सभी लोगों की लिस्ट तैयार कर ली जिनसे उन्होंने नौकरी के दौरान रिश्र्वत ली थी। महामुनि सभी लोगों के घरों पर गए और उनका पैसे लौटाने का कार्य शुरू कर दिया। कुछ लोगों ने तो उनसे पैसे वापिस ले लिए लेकिन कुछ लोगों ने पैसे लेने से मना कर दिया। जिन लोगों ने पैसे लेने से मना कर दिया उन लोगों की जितनी रकम बनती थी महामुनि ने उस रकम की गौशाला में चंदे की रसीद कटवा दी। महामुनि ने जिन ग्राम पंचायतों से पैसे लिए थे उनके पैसे भी लौटा दिए। उसके बाद महामुनि ने बाकी का सारा जीवन गऊ सेवा में लगा दिया। महामुनि ने पैसे से इस कदर तौबा कर ली कि सरकार द्वारा दी जा रही पैंशन को गुरुकुल में पढ़ने वाले ब्रह्मचारियों व गरीब छात्रों को दान कर देते हैं। महामुनि के इस कार्य से कायल गुरुकुल के प्रबंधक आचार्य राजेंद्र ने उनकी प्रशंसा करते हुए उनकों सच्चा पुरुसारथि बतलाया। उनके परिवार के लोग भी उनके इस कार्य से खुश हैं। उनके बेटे लाला ने बताया कि मुनि बनने के बाद वे कभी भी घर पर वापिस नहीं आए। अपने पैसे प्राप्त करने वाले श्रीया व सरपंच दलबीर ने बताया कि उनके मना करने के बावजूद उन्होंने पैसे वापिस कर दिए।

10.2.11