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9.2.11

देवराज सिरोहीवाल द्वारा लिखित रागमय हरियाणा पुस्तक का हुआ विमोचन

सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी देवराज सिरोहीवाल द्वारा लिखित पुस्तक रागमय हरियाणा का विमोचन रोहतक के महर्ष्ि दयानंद विश्र्वविनालय के परिसर में किया गया। इस अवसर पर एक समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्यातिथि जानेमाने पत्रकार एवं पूर्व कुलपति (महानिदेशक) माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता संस्थान भोपाल राधे श्याम शर्मा ने कहा कि भारत के ग्रामीण विकास में पत्रकारिता की सशक्त भूमिका ने विशेष्कर रेडियो ने ग्रामीण लोक जीवन को खेत, खलिहान से लेकर घर आंगन के बीच अपनी छाप छोड़ी जिसकी वजह से सूचना क्रांति के दौर में अतुलनीय भारत का समूचा दर्शन कलम के सिपाहियों की बदौलत अपनी पहचान वैश्र्िवक प्रतिस्पर्धा में कायम कर पाया है। रव्ड़ियों कल भी प्रासंगिक था और आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि राधे श्याम शर्मा ने कहा कि भले ही पत्रकारिता आज मिशन से व्यवसाय बन गई है और पत्रकारिता के मूल्य में निरंतर बदलाव रहा है। नईनई चुनौतियां पत्रकारिता के सामने रही है फिर भी लोकतंत्र के स्तभ के रूप में सजग पत्रकारिता की रचनात्मक भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। पत्रकार और लेखक या साहित्यकार समाज की संवेदनाओं और जीवन मूल्यों से बेखबर नहीं होते वे पलपल हो रहे परिवर्तनों को आत्मसात करते है। उबेद नियाजी जाने माने प्रसारक और जर्मन में हिन्दी के प्रचारप्रसार में आकाशवाणी के भारत की ओर से प्रतिनिधि रहे ने कहा कि समाज के निर्माण में अपनी सुहाती खबरों और रचनाओं से समाज और व्यवस्था को केवल सजग करते है बल्कि उसे पटरी पर लाने के लिए आगाह भी करते है। उन्होंने कहा कि रव्ड़ियों रूपक लेखन विधा एक अनुपम विधा है जिसके लिखने वाले कम होते जा रहे है। दूरदर्शन हिसार के निदेशक विजय राजदान ने कहा कि रूपक लेखन अपने आप में बेजोड़ है जिसमें समाज में हो रहे बदलावों को दस्तावेज के रूप में नाटकीय पुट देकर श्रोताओं को कुशलतापूर्वक जोड़ना लेखक की कलम की सफाई है जो श्रृंगार रस, विरह और घटनाओं व्यक्तित्व जैसे किसी भी विषय को तानाबाना बुनकर रूपक के रूप में ढालना एक चुनौती भरा कार्य लेखक के सामने होता है। आकाशवाणी जालंधर एवं रोहतक के पूर्व केन्द्र निदेशक धर्मपाल मलिक ने कहा कि सिरोहीवाल अपने आप में पिछले फ् दशकों का ऐसा कलमकार है जिसने रूपक रचनाओं को निशुद्ध रूप से रव्ड़ियों के लिए लिखा और श्रोताओं को केवल मनोरंजन दिया बल्कि सूचनाओं को भी दिलचस्प तरीके से परोसा। उन्होंने कहा कि यह रेडियो का ही चमत्कार है कि पहले पहल दौर में दक्षिण भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में रेड़ियों ने सूचना की ऐसी क्रांति लाकर खड़ी कर दी कि किसानों ने धान की एक उन्नत बीज को रव्ड़ियों राईस के नाम से लोकप्रिय बनाया। अंत में रागमय पुस्तक के रचयिता रव्ड़ियों प्रसारक देवराज सिरोहीवाल ने अतिथियों का धन्यवाद करते हुए लेखक के मर्म को अपने ही शदों में यां करते हुए कहा कि वे उर्दू के पालने में पले, हिन्दुस्तानी में चले और जवां होकर हिन्दी में लिखने लगे। उम्र के भ्म् वें बसंत में मैं रागमय पुस्तक की रचना को लेकर गद्गद्हूं जो हरियाणा के अनेक गांवों को रागों के नाम से पहचान देती है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी अपने लिखित संदेश में रागमय हरियाणा पुस्तक के बारव् में लेखक सिरोहीवाल की भूरिभूरि प्रशंसा की है और हरियाणा की लोकजीवन की झांकी का इसे रव्ड़ियों दस्तावेज बताया है। डॉ के.के .खण्डेलवाल विाायुक्त एवं प्रधान सचिव सूचना जनसपर्क, एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग हरियाणा ने भी अपने संदेश में रागमय हरियाणा की पुस्तक कृति के लिए सराहना की है और इस अनूठी पहल के लिए लेखक को बधाई दी है।

कुछ दुनिया ने दिया हे मुझे वोह लोटा रहा हूँ में : इसी विधा से भाई ललित शर्मा जी बन गये हें नम्बर वन ब्लोगर


आज सुबह सवेरे से बसंत पंचमी के एहसास के बाद भी दिन भर पारिवारिक प्रोब्लम के चलते उदासी में गुजरा अदालत में काम बेहिसाब था रुक कर आराम की भी फुर्सत नहीं मिली थे शाम को घर आये तो दफ्तर में जयपुर से आई एक पार्टी बेठी थी उसे विधिक मामले में सलाह लेकर तुरंत जयपुर जाना था सो में घर इ कपड़े बदलते ही उलटे पाँव दफ्तर चला गया वहां गया तो बस गया ही सही काम में लगना पढ़ा और फिर कल की कुछ पत्रावलियां देख कर वापस थका हारा घर लोटा सर में थोडा दर्द मन में उदासी लियें में थोडा सुस्ता रहा था घड़ी की तरफ देखा साढे दस बजने वाले थे के अचानक मोबाईल की घंटी बजी फिर बंद हो गयी फिर घंटी बजी मोबाइल चार्ज पर था मेरी बिटिया ने मोबाइल बेड पर ही लाकर दिया मोबाइल की स्क्रीन पर जेसे ही भाई ललित शर्मा का नम्बर देखा तो यकीन मानिए मन की उदासी शरीर की सारी थकान दूर कम्बल हटाया और बेठ गया बस फिर बढ़े भाई से गुर सिखने लगे ।
बातों ही बातों में भाई ललित जी ने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया , भाई ललित जी से मेने कहा के अब सर्दी कम हुई हे तो उन्होंने कहा हाँ बसंत आ गया हे फिर उन्होंने दोहराया के सुबह साढ़े तीन बजे भाई अरुण राय जी ने मुझे बसंत की बधाई दी मेने कहा के बसंत केसा यह क्या होता हे कहां रहता हे ललित जी के इस बयान में मेरे मुंह से हंसी फुट पढ़ी फिर उन्होंने आगे कहा के अरुण राय जी ने कहा के आप बसंत पर कविता लिखो तब उन्होंने कहा के मुझे तो कविता लिखे बरस हो गये फिर जब उनसे कहा गया तो उन्होंने जवाब दिया के भाई कविता,रचना को तो अब में भूल गया हूँ बस अब तो गरिमा का ही ध्यान रखे हूँ ललित जी ने चाहे यह बात हंसी मजाक में कही थी लेकिन बात ठीक थी आप सहित मेने भी ललित जी का स्वभाव देखा हे उनकी लेखनी की तेज़ धार समस्याओं पर पकड़ और वर्तमान परिस्थितियों पर विचार देखे हें इसलियें ब्लोगर्स में बढ़े छोटे अपने पराये का भेद भुला कर सभी ब्लोगर भाईयों को एक सूत्र में पिरोने के लियें अगर कोई रचनात्मक कम कर रहे हें तो वोह भाई ललित जी ही हे ।
में ब्लोगिंग की दुनिया में नो सिखिया हूँ बहुत कुछ नहीं जानता इधर उधर से थोडा बहुत सीख साख कर कुछ करने की कोशिश कर रहा हूँ लेकिन मुझे पता चला हे के भाई ललित शर्मा जी ने ब्लोगिंग की इस दुनिया में करीब ५०० ब्लोगर्स से भी अधिक ब्लोगर्स की मदद की हे और उनकी इसी मदद के कारण आज कई ब्लोगर अपना नाम कमा रहे हे दोस्तों मेने भाई ललित जी के गरिमा मई रचनात्मक ब्लॉग को लगभग ध्यान से पढ़ा हे यकीन मानिए एक बार भाई ललित जी की पोस्ट और अंदाज़े बयान देखने के बाद इनके ब्लॉग पर बार बार टिप्पणी करने का दिल करता हे लेकिन मेने देखा के जिन ५०० से भी अधिक ब्लोगर्स के भाई ललित जी गुरु रहे हें वोह तो अपना फर्ज़ निभा ही नहीं रहे हें में सोचता हूँ के अगर उनके अपने शागिर्द ब्लोगर या जिनके ब्लॉग खुद ललित जी ने तय्यार कर के दिए हें अगर वोह खुद भी एक एक टिप्पणी दें तो टिप्पणियाँ ५०० प्रति दिन होती हे लेकिन लालती जी हमारे भाई हें जो कुछ उन्होंने दुनिया से सीखा हे उसे वोह मुफ्त बांटने के प्रयासों में लगे हें , नेकी कर दरिया में डाल की तर्ज़ पर वोह अपना काम कर रहे हें ।
ललित जी शर्मा के लियें यूँ तो लिखते लिखते शाम से सुबह हो जायेगी लेकिन इन दिनों उनकी कुर्सी बसंत का गीत वृद्धों में जवानी फूंकने वाली कविता ने उन्हें ब्लॉग जगत में दिन दुनी रात चोगुनी तरक्की दी हे और कुछ दिन पूर्व जब ललित जी जब कोटा आये थे तो उनके ब्लॉग की चिटठा जगत की रेंक १३००० थी लेकिन देखिये आज पहली रेंक के पहले पायदान पर चल रहे हें और चिटठा जगत ने भी उन्हें लगातार पहली रेंक पर रख कर उनका उत्साह बढाया हे । भाई लाली जी के लिएँ तो अब बस दुष्यं का यही कथन हे के
हाथों में अंगारों को लिए सोच रहा था
कोई मुझे अंगारों की तासीर बताये ।
भाई ललित जी रोज़ हजारों लोगों के सम्पर्क में रहते हें लेकिन लोग क्या हे केसे हे इस मामले में वोह खुद बेखबर से अपना काम सिर्फ काम ही नहीं अपना अभियान प्यार दो प्यार लो आगे बढाये जा रहे हें खुदा करे उनका यह अभियान उनके ब्लॉग लेखन की लोकप्रियता और गुणवत्ता की तरह दिन दुनी रात चोगुनी कामयाबी के साथ तरक्की करे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

8.2.11

जो कुछ दुनिया ने दिया हे मुझे वोह लोटा रहा हूँ में : इसी विधा से भाई ललित शर्मा जी बन गये हें नम्बर वन ब्लोगर

Tuesday, February 8, 2011


आज सुबह सवेरे से बसंत पंचमी के एहसास के बाद भी दिन भर पारिवारिक प्रोब्लम के चलते उदासी में गुजरा अदालत में काम बेहिसाब था रुक कर आराम की भी फुर्सत नहीं मिली थे शाम को घर आये तो दफ्तर में जयपुर से आई एक पार्टी बेठी थी उसे विधिक मामले में सलाह लेकर तुरंत जयपुर जाना था सो में घर इ कपड़े बदलते ही उलटे पाँव दफ्तर चला गया वहां गया तो बस गया ही सही काम में लगना पढ़ा और फिर कल की कुछ पत्रावलियां देख कर वापस थका हारा घर लोटा सर में थोडा दर्द मन में उदासी लियें में थोडा सुस्ता रहा था घड़ी की तरफ देखा साढे दस बजने वाले थे के अचानक मोबाईल की घंटी बजी फिर बंद हो गयी फिर घंटी बजी मोबाइल चार्ज पर था मेरी बिटिया ने मोबाइल बेड पर ही लाकर दिया मोबाइल की स्क्रीन पर जेसे ही भाई ललित शर्मा का नम्बर देखा तो यकीन मानिए मन की उदासी शरीर की सारी थकान दूर कम्बल हटाया और बेठ गया बस फिर बढ़े भाई से गुर सिखने लगे ।
बातों ही बातों में भाई ललित जी ने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया , भाई ललित जी से मेने कहा के अब सर्दी कम हुई हे तो उन्होंने कहा हाँ बसंत आ गया हे फिर उन्होंने दोहराया के सुबह साढ़े तीन बजे भाई अरुण राय जी ने मुझे बसंत की बधाई दी मेने कहा के बसंत केसा यह क्या होता हे कहां रहता हे ललित जी के इस बयान में मेरे मुंह से हंसी फुट पढ़ी फिर उन्होंने आगे कहा के अरुण राय जी ने कहा के आप बसंत पर कविता लिखो तब उन्होंने कहा के मुझे तो कविता लिखे बरस हो गये फिर जब उनसे कहा गया तो उन्होंने जवाब दिया के भाई कविता,रचना को तो अब में भूल गया हूँ बस अब तो गरिमा का ही ध्यान रखे हूँ ललित जी ने चाहे यह बात हंसी मजाक में कही थी लेकिन बात ठीक थी आप सहित मेने भी ललित जी का स्वभाव देखा हे उनकी लेखनी की तेज़ धार समस्याओं पर पकड़ और वर्तमान परिस्थितियों पर विचार देखे हें इसलियें ब्लोगर्स में बढ़े छोटे अपने पराये का भेद भुला कर सभी ब्लोगर भाईयों को एक सूत्र में पिरोने के लियें अगर कोई रचनात्मक कम कर रहे हें तो वोह भाई ललित जी ही हे ।
में ब्लोगिंग की दुनिया में नो सिखिया हूँ बहुत कुछ नहीं जानता इधर उधर से थोडा बहुत सीख साख कर कुछ करने की कोशिश कर रहा हूँ लेकिन मुझे पता चला हे के भाई ललित शर्मा जी ने ब्लोगिंग की इस दुनिया में करीब ५०० ब्लोगर्स से भी अधिक ब्लोगर्स की मदद की हे और उनकी इसी मदद के कारण आज कई ब्लोगर अपना नाम कमा रहे हे दोस्तों मेने भाई ललित जी के गरिमा मई रचनात्मक ब्लॉग को लगभग ध्यान से पढ़ा हे यकीन मानिए एक बार भाई ललित जी की पोस्ट और अंदाज़े बयान देखने के बाद इनके ब्लॉग पर बार बार टिप्पणी करने का दिल करता हे लेकिन मेने देखा के जिन ५०० से भी अधिक ब्लोगर्स के भाई ललित जी गुरु रहे हें वोह तो अपना फर्ज़ निभा ही नहीं रहे हें में सोचता हूँ के अगर उनके अपने शागिर्द ब्लोगर या जिनके ब्लॉग खुद ललित जी ने तय्यार कर के दिए हें अगर वोह खुद भी एक एक टिप्पणी दें तो टिप्पणियाँ ५०० प्रति दिन होती हे लेकिन लालती जी हमारे भाई हें जो कुछ उन्होंने दुनिया से सीखा हे उसे वोह मुफ्त बांटने के प्रयासों में लगे हें , नेकी कर दरिया में डाल की तर्ज़ पर वोह अपना काम कर रहे हें ।
ललित जी शर्मा के लियें यूँ तो लिखते लिखते शाम से सुबह हो जायेगी लेकिन इन दिनों उनकी कुर्सी बसंत का गीत वृद्धों में जवानी फूंकने वाली कविता ने उन्हें ब्लॉग जगत में दिन दुनी रात चोगुनी तरक्की दी हे और कुछ दिन पूर्व जब ललित जी जब कोटा आये थे तो उनके ब्लॉग की चिटठा जगत की रेंक १३००० थी लेकिन देखिये आज पहली रेंक के पहले पायदान पर चल रहे हें और चिटठा जगत ने भी उन्हें लगातार पहली रेंक पर रख कर उनका उत्साह बढाया हे । भाई लाली जी के लिएँ तो अब बस दुष्यं का यही कथन हे के
हाथों में अंगारों को लिए सोच रहा था
कोई मुझे अंगारों की तासीर बताये ।
भाई ललित जी रोज़ हजारों लोगों के सम्पर्क में रहते हें लेकिन लोग क्या हे केसे हे इस मामले में वोह खुद बेखबर से अपना काम सिर्फ काम ही नहीं अपना अभियान प्यार दो प्यार लो आगे बढाये जा रहे हें खुदा करे उनका यह अभियान उनके ब्लॉग लेखन की लोकप्रियता और गुणवत्ता की तरह दिन दुनी रात चोगुनी कामयाबी के साथ तरक्की करे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

इलाज के नाम पर किड़नी निकालने का आरोप

Monday, February 7, 2011

कोटा के एक निजी चिकित्सालय पारिक अस्पताल में बारां के एक व्यक्ति जफर मोहम्मद ने भर्ती के दोरान उसकी किडनी निकाल लेने का आरोप लगाया हे जनकी चिकित्सकों ने इसे मरीज़ की मर्जी से निकलना बताया हे ।
बारां का जफर मोहम्मद गुर्दे में दर्द के कारण कोटा में बसंत विहार स्थित इस चिकित्सालय में भर्ती हुआ जहां भर्ती के बाद मरीज़ के गुर्दे में गीतां होना बताया गया इलाज चला ओर फिर मरीज़ ठीक होकर बारां चला गया कुछ दिनों बाद फिर उसके गुर्दे में दर्द हुआ उसने दुसरे चिकित्सक को दिखाया मरीज़ की सोनोग्राफी की गयी तो पता चला के उसका एक गुर्दा ही गायब हे इस मामले में जफर मोहम्मद ने एक लिखित शिकायत पुलिस अधीक्षक कोटा को दी हे के इलाज के दोरान उसकी बिना अनुमति के उसका गुर्दा निकाल दिया गया हे बस इसी बात को लेकर कल डोक्टर भी नाराज़ हो गये उन्होंने इस मामले में कोई भी कानूनी कार्यवाही करने पर सरकार से निपटने की धमकी दी हे पारिक चिकित्सालय के डोक्टर एस ऍन पारिक का कहना हे के मरीज़ उनके यहाँ भर्ती जरुर हुआ था लेकिन उसके गुर्दे में गिठान होने से उसकी सहमती से उसकी जान की रक्षा के लियें यह गुर्दा निकला गया था जिसकी उसे पूरी जानकारी हे लेकिन ६ माह बाद अब वोह ब्लेकमेल कर रहा हे सच क्या हे वोह तो जनच में सामने आ जाएगा लेकिन डोक्टर एस ऍन परिक पर लगे इन आरोपों पर लोगों को विशवास इसलियें नहीं हो रहा हे क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में रूपये से अधिक चिकित्सा व्यवसाय को सेवा का रूप देकर बुलंदियों पर पहुँचाने का प्रयास किया हे इसलियें देखते हें सच क्या निकलता हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजथान

मजिस्ट्रेट दहेज़ नहीं लेने संकल्प भरेंगे

राजस्थान में नये हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने हाल ही में एक आदेश निकला हे जिसमें सभी नये अविवाहित मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिया हे के वोह विवाह के दोरान दहेज़ नहीं लेंगे इस बाबत अपना संकल्प पत्र यानि घोषणा पत्र जमा कराएं ।
पिछले दिनों मध्य प्रदेश में एक घोड़ी पर सवार मजिस्ट्रेट साहब ने दहेज़ की माग को लेकर काफी हंगामा किया और फिर पकड़े जाने पर उनेहं नोकरी से हाथ धोना पढ़ा वेसे राजस्थान में कर्मचारियों और अधिकारीयों के लियें पहले से ही कानून बना हे के वोह दहेज़ नहीं लेंगे और इसीलियें राजस्थान के मुख्य न्यायाधीश ऐ के मिश्रा ने यह आदेश जारी किये हें , राजस्थान के मुख्य न्यायधीश अधिन्ष्ठ न्यायालयों में व्याप्त अनियमितताएं रोकने के प्रयासों में भी जुटे हे इस मामले में वोह रजिस्ट्रार विजिलेंस के माध्यम से शीघ्र ही न्यायालयों में आकस्मिक स्टिंग ओपरेशन करवाने के मुड में हें और अचानक किसी भी जिले में न्यायालयों में आम आदमी की तरह जाकर न्यायालयों की कार्यवाहियों का निरिक्षण के प्रयास सम्भव हे , कल कोटा में पूर्व जज डोक्टर धर्म सिंह मीना और मजिस्ट्रेट रितुमिना सहित कई न्यायिक अधिकारीयों के मामले में विजिलेंस रजिस्ट्रार ने कोटा पहुंच कर बयान रिकोर्ड करवाए और जांच के दोरान आवश्यक पत्रावलियां और उनकी फोटो कोपी प्राप्त की । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

नगर विकास न्यास कोटा ने पचास लोगों को बेघर किया

नगर विकास न्यास कोटा ने कल अनन्तपुरा झालावाड रोड पर ५० से भी अधिक परिवारों को पक्के मकानों में से हटा कर मकानों को ध्वस्त कर दिया नगर विकास न्यास की इस कार्यवाही में इन परिवारों का करीब पांच करोड़ रूपये का सीधा नुकसान हुआ हे न्यास इस भूमि पर थाना बनाना चाहता हे ।
अनंत पूरा में इस बस्ती को बसे हुए करीब दस वर्ष हो गये और दस वर्षो में यहा महंगे आधुनिक सुविधा युक्त पक्के मकान बनाये जाते रहे दस वर्षों तक तो यहाँ नगर विकास न्यास इस निर्माण को देख कर खामोश रही निर्माण होते वक्त अतिक्रमियों को खदेड़ा नहीं गया और फिर जब यह निर्माण पूरा हो गया वहन नल बिजली के कनेक्शन हो गये और लोग पूर्ण रूप से स्थापित हो गये तब अचानक आधी रात को इस बस्ती पर नगर विकास न्यास का कहर शर्मनाक ही कहा जा सकता हे जब बस्ती बनी बस्ती बसी तब भी इसी पार्टी कोंग्रेस की सरकार थी तब भी आर दी मीना न्यास के सचिव थे लेकिन तब और अब में जनता को रोंदने का यह कानून केसे बदल गया अब अतिक्रमण के नाम पर प्रशासन ने राथोड़ी कर कई दर्जन लोगों को गिरफ्तार कर जेल में दल दिया हे महिलाएं हें के वोह बस अपने आशियाने उजड़ने पर आंसू बहा रही हे कुछ बच्चे हें के उनके आंसू सुख ही नहीं रहे हें ................. । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सांसदों की तरह में भी भ्रष्ट तो क्या हुआ .. ?

जी हाँ दोस्तों चोरी और सीना जोरी एक तो दागी होने पर दूसरों को दागी साबित करने वाली संस्था केन्द्रीय सुचना आयुक्त के पद पर धोखे से नियुक्त हुए और फिर अब पोल खुलने पर कहते हें के संसद भी तो भ्रष्ट होते हें फिर में क्यूँ इस पद पर नहीं रह सकता ।
केन्द्रीय सुचना आयुक्त पी जे थोमस देश भर में भ्रष्ट लोगों की जांच कर उन्हें दागी साबित करने का काम कर रहे हें लेकिन जब खुद चोर हो तो खुद किसी और को केसे चोर साबित कर सकता हे कहते हें के किसी को चोर कहने से पहले खुद अपने गिरेबान में झांकना चाहिए बस थोमस ने लगातार लग रहे आरोप और सुप्रीम कोर्ट के शिकंजे के बाद खुद के गिरेबान में झाँकने की जगह सांसदों के गिरेबान में झाँका और कहा के जब जब सांस भी भर्स्ट होते हें तो फिर में इन आरोपों के साथ पद पर क्यूँ नहीं रह सकता यह बेशर्मी वाला कथन थोमस ने कहीं किसी मंच या अचोपाल पर नहीं दिया हे यह ठोक के डंके की चोट पर बेशर्मी वाली बात तो थोमस ने देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट में कही हे अब देख लो जब भ्रष्टाचार मामलें में येदियुरप्पा से थोमस टक चोरी और सीना जोरी का यह आलम हे तो फिर इस देश का क्या होगा ऐसे लोगों को भी सह कर जब यह देश खड़ा हे तो फिर तो मेरा देश महान ही हुआ ना .......... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मोम का तेरा बुत ...

मोम का
तेरा
और तेरी
यादों का
बुत बनाकर
तेज़ धुप में
में
तुझे
पाने के
लियें
क्या बेठा
एक सूरज की धुप
ने तुझे
पिघला दिया
अब बता
इतनी कमजोर
तू मेरी
केसे
हो सकेगी ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

में चला में चला ....

उसने
जो फेरी
नज़रें मुझ से
नजरें झुकाए
में ऐसे चला
आवाज़ दी उन्होंने
तो भी
में
ना सुन सका
ना पलट कर
उन्हें
फिर से
देख सका
बस इसीलियें
आज भी में
अकेला सिर्फ अकेला हूँ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

6.2.11

यूँ आंसुओं पर ना जाओ मेरे ..

Saturday, February 5, 2011

यूँ
सूखे हुए
आंसुओं पर
न जाओ मेरे
कभी हम भी थे
जो हर
रोते हुए को
हंसाया करते थे ,
आज मिल कर उनसे
खुद को भी
मुस्कुराए हुए
बरस हो गये हें ...... ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

में जिसकी राह देखता हूँ ............ .

में जिसे
यूँ प्यार से
निहारता था
जिसके एक
इशारे पर
अपना सब कुछ
यूँ ही
न्योछावर करता था
आज वोह
उठ कर
चल दिए हें
कुदरत का
मुझ पर कहर देखिये
जिन्हें चाहा
जिंदगी से ज्यादा
जिंदगी भर मेने
आज वोह
मेरी तरफ
मूढ़ कर भी
नहीं देखते हें
और हम हें के
बस
उन्हीं उनकी
राह तकते हें ............. ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

घर जला हुआ ...

में आज फिर
अपने
जले हुए घर को
देख रहा था
उस घर की चीखें
उस घर की चीत्कार
सुन सुन कर सिहर रहा था
सुने से , टूट कर बिखरे
इस घर को
फिर से
संवारने की
सोच रहा था
के बस
फिर वही
सामने आ गये
जिन्होंने
मेरे इस खुशहाल घर को
राख के ढेर में बदला था
मेरे जले हुए घर को
फिर से
आबाद करने की कोशिश
और
इस घर जलाने वाले
की आँखों की चमक
मुझे बताओ
में असमंजस में हूँ
ऐसे में
अब में क्या करूं ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

दुश्मन ऐसे न जला ...

ऐ मेरी
जान और
प्यार के दुश्मन
हम तो
फूलों की छुहन से
यूँ ही जल जाते हें
हमें
यूँ
आग के शोलों में
ना जला ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

प्यार में क्या ऐसा होता हे

मेने
जब भी
जिस किसी को भी
प्यार का
फरिश्ता माना हे
सच कहूँ
मुझे उससे
गम और नफरत के सिवा
कुछ ना मिला
आप तो
अनुभवी हे
बतलाओ ना
क्या
प्यार में
यही सब
होता हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

महा कवि सूर्य मल मिश्रण ...

हाडोती में बहादुरों की धरती बूंदी के वीर रस कवि जो बाद में महा कवि कहलाये महा कवि सूर्य मल मिश्रण के बारे में देनिक अंगद के सम्पादक आदरणीय मदन मदिर ने काव्य टिप्पणी की हे जिसमें बूंदी की वीरता का उल्लेख हे जो प्रस्तुत हे ।
जिन कलमों में तलवारों को
लहू पिलाने की ताकत हे
जिन कवियों में राजपाट पर हुकुम
चलाने की आदत हे
सूर्यमल्ल की जन्म भूमि में
सूर्यवंशियों का स्वागत हे
पर प्रतिमा के पीछे गरिमा का
तस्कर व्यापा न हो
सत्ता की माया की कवि की
महिमा पर अधिकार न हो
चोराहे पर रोप दिया जो वंश भास्कर
चेताता हे
खुली धुप के रंग मंच पर
अंधकार का नाच ना हो .......... ।
संकलन ..... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान मुख्यमंत्री हटते ही पत्रावलियां नष्ट होती हे .?

राजस्थान में सरकार बदलते ही मुख्यमंत्री की समस्त पत्रावलियां नष्ट हो जाती हे यह कोई कानून नहीं फिर भी सरकार ने यह बचकाना आदेश एक परम्परा बना रखा हे । अभी हाल ही में सरकार ने एक सुचना के अधिकार अधिनियम के प्रार्थना पत्र पर यह जवाब दिया हे
राजस्थान में मुख्यमंत्री का कारायाली अलग से स्थापित होता हे जहां उनके अपने वफादार कर्मचारी होते हे और अधिकारी भी मन चाहे लगाये जाते हें करोड़ो अरबों रूपये जनता की शिकायते सुनने के नाम पर खर्च होते हे और फिर अगर उनका रिकोर्ड खत्म कर दिया जाए तो फिर तो यह जनता के साथ विश्वास घाट ही कहलायेगा इसीलियें राजस्थान में इस मामले को लेकर जनता में असंतुष्टि हे जयपुर में वर्ष २००८ के मामलों की नकल में वर्तमान मुख्यमंत्री जी के स्टाफ ने जब यह जवाब दिया तो यहाँ कानून के जानकार और पूर्व मुख्य सचिव सहित सभी अधिकारीयों को ताज्जुब हुआ अब इस मामले में जब सरकार के गेर कानूनी तोर तरीकों की पोल खुल गयी हे तब तो सरकार को कानून कायदे से चलने के लियें भविष्य के लियें रिकोर्ड सुरक्षित रखना ही होगा ॥ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

5.2.11

मुस्कानों का ताज महल ......

Saturday, February 5, 2011

दोस्तों हाडोती में बूंदी के विख्यात पत्रकार जनाब मदन मदिर जो आपात काल के सिपाही भी रहे हें उन्होंने अपने संघर्ष के दोरान सिर्फ और सिर्फ बुराई के खिलाफ लढना सीखा हे उन्होंने कभी किसी के आगे घुटने नहीं टेके कभी कवि से अपने जीवन की शुरात करने वाले यह सियासी समाजवादी आज बूंदी से प्रकाशित देनिक अंगद के प्रधान सम्पादक और मालिक हें पिछले दिनों इन जनाब की एक नई पुस्तक शब्द यात्रा का दिलचस्प विमोचन हुआ उसमें से केवल एक छोटी सी कविता मेरे ब्लोगर भाइयों की सेवा में पेश हे जिसका शीर्षक उन्होंने मुस्कानों का ताजमहल रखा हे .................................
यूँ तो अंतर की धरती पर
कई महल आशाओं के
सुख सम्पन्न कई मीनारें
विजयोल्लास मयी प्राचीरें
स्नेह प्रीति की कई सुरंगें
सुख सुविधा के अगिन झरोखे
सोने चांदी की दीवारे
स्वाभिमान के लोह स्तम्भ
धेर्य दुर्ग साहसिक कंगूरे
टूट टूट कर
ढह ढह कर
बन गये खंडहर
लेकिन अधरों की जमना पर
मुस्कानों का ताजमहल
अब तक जीवित हे ।
संकलन अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

प्रणव दा का अलादीन का चिराग ...

केंद्र सरकार को पूरी तरह से भ्रस्टाचार और महंगाई में डुबो देने के बाद केन्द्रीय मंत्री प्रणव मुखर्जी अब बिहार की तर्ज़ पर बंगाल को डूबा देने की तय्यारी में हे और इस दोरान केंद्र की महंगाई के मामले में जब उनसे सवाल पूंछा गया तो वो नाराज़ हो गये और कहने लगे के मेरे पास कोई अलादीन का चिराग नहीं हे जो में महंगाई कम कर दूंगा । सही भी हे प्रणव जी और कोंग्रेस इतिहास में अब तक की सबसे अक्षम सरकार साबित हुई हे प्रणव जी का कहना हे के वोह बेबस हे अलादीन का चिराग उनके पास नहीं हे तो भाई राष्ट्र हित में वोह पद छोड़ दे और कुछ केवल कुच्छ दिनों के लियें हमारे ब्लोगर भाइयों में से किसी एक को यह पद दे दें फिर देख लें किस तरह से अलादीन का चिराग महगाई नियंत्रित करने के लियें आ जाता हे हाँ बस जिन लोगों से महंगाई बढाने और मुनाफा कमवाने के लियें इस सकरार ने रिश्वत ली हे बस वोह सब लोग जेल में होंगे और जो जो रिश्वत खोर होगा उसे भी जेल जाना होगा खुद बा खुद देश में मूल्य व्रद्धी रुक जायेगी जमाखोरी कम होगी तो मुनाफाखोरी रुकेगी वायदा व्यापार रुकेगा तो खाध्य पदार्थों के भाव गिरेंगे लेकिन यह प्रणव दा हे समझदार हें समझ गये हें के कोंग्रेस हाईकमान जो लोग भ्रष्ट और जनविरोधी फेसले करते हें उसे ही प्रधानमन्त्री बनाता हे बस इसलियें प्रणव दा भी खुद को प्रधानमन्त्री बनाये जाने का सपना देख रहे हें । वेसे भी देश में बी राज्यों के चुनाव आ रहे हें और इसीलियें बिहार में जेसे कोंग्रेस खत्म की हे वेसे ही बंगाल में भी कोंग्रेस के खात्मे की योजना बनाई जा रही हे ........... ।
इधर हमारे प्रधानमन्त्री जी भ्रस्टाचार के मुद्दे पर खामोश तमाशा देखते रहे और जब खुद के सर पर बन आई खुद के विभाग से निकली पत्रावलियों में भ्रस्ताचार खुल कर बोलने लगा तब कहीं बोले हे के अब तो शर्म करो भाई प्रधान मंत्री जी जब आप को शर्म नहीं हे तो आपके अधीनस्थ पागल हे जो शर्म करेंगे इसलियें देश की अगर चिंता हे तो खुद को अपनी नादानियों,नाकामयाबियों के लियें कानून के हवाले करो और जनता को आमंत्रित कर खुद जनता की अदालत से सजा पाने का एलान करो ताकि आखरी वक्त में थोड़े बहुत पाप धूल जायेंगे ....... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सारी राजनतिक पार्टियां काले धन से चलती हे ... .

Friday, February 4, 2011

देश में राज स्थापित कर कुर्सी हडपने की दोड में लगी सभी राजनितिक पार्टियां काले धन को प्राप्त कर अपना काम चलाती हे यह कथन किसी एरे गेरे का नहीं बलके इस अपराध में शामिल एक उद्योगपति सांसद राहुल बजाज का हे जिस की सत्यता पर कोई शक करने का आधार नहीं हे ।
देश के बढ़े उद्योगपतियों में से एक राहुल बजाज इन दिनों सांसद हे और वोह काले धन पर बोल रहे थे उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा के राजनितिक पार्टियां चुनाव के दिनों में उद्योगपतियों से काला धन प्राप्त करती हें पर चुनाव उसी आधार पर लढा जाता हे , राहुल बजाज व्यवाहारिक हें वोह खुद भी सियासी पार्टियों को काले धन का चंदा देने वालों को इसुची में रहे होंगे लेकिन उहोने जो सच उगला हे उससे देश के सामने एक सवाल खड़ा हो गया हे के जब राजनितिक पार्टियां कुर्सी हथियाने के लियें काले धन और काले लोगों का सहारा लेती हे तो फिर कुर्सी मिलने के बाद वोह जनता की कम और ऐसे काले धन कमाने वालों की रक्षक ज्यादा बन जाती हे राजनितिक पार्टियां अब नई कहावत बना चुकी हे जेसे लोग कहते हें के तुम एक पैसा दोगे तो भगवान एक लाख देगा उसे अब नेताओं एन बदल दिया काले धन वालों से पार्टियां कहती हे के तुम हमें एक पैसा दोगे तो सरकार तुम्हे एक करोड़ कमाने का मोका देगी अब इससे अच्छा उद्योग कोनसा होगा झना अनुपातिक तोर पर एक पैसा लगाने पर एक करोड़ मिल रहे हें फिर जब सियासी पार्टी ने अगर वायदा कर लिया हे तो फिर पूरा तो करना ही हे और आज देश में जो कुछ भी हो रहा हे वोह इसी वायदे को निभाने के कारण जनता को बली का बकरा बना कर कसाई उद्योगपतियों,जमाखोरों,मुनाफाखोरों और भर्स्ट लोगों के सामने तदपने बिलखने सिसकने के लियें डाल दिया गया हे शायद इन दिनों लोकतंत्र की यही परिभाषा हो गयी हे .............. । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

4.2.11

Tuesday, February 1, 2011


क्यूँ देखता हूँ रोज़
सूरज की तरह
में तुम्हें
क्यूँ देखता हूँ रोज़
चाँद की तरह
में तुम्हें
क्यूँ देखता हूँ रोज़
चमकते तारों की तरह
में तुम्हे
जब तुमसे
चाँद ,तारे और सूरज की तरह
मुलाक़ात का
कोई वायदा भी नहीं हे
क्यूँ देखता हूँ
एक टक
यूँ ही
गुमसुम सा में तुम्हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान