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22.11.09

लो क सं घ र्ष !: भू लोक से लोगो को बिना टिकट स्वर्ग लोक भेजने का कार्य

प्रधानमंत्री जी ,
रेल मंत्री पद पर सुश्री ममता बनर्जी आसीन हैं । रेल विभाग की हालत यह हो गई है कि प्रतिदिन अखबार के मुख्य पृष्ट से ज्ञात होता है कि कोई कोई दुर्घटना हो गई हैJustify Fullआज के अखबार में छपा है कि गोरखधाम एक्सप्रेस ट्रक से टकराया या आए दिन ट्रेन टे्क्टर भिडंत में 4 मरे", "ओवर स्पीडिंग से मंडोर एक्सप्रेस पलटी, 7 मरे ", "मालगाड़ी पलटी रेल मार्ग ठप " के शीर्षक से समाचार प्रकाशित होते रहते हैं । मुझे भी अम्बाला से लखनऊ तक की यात्रा का अच्छा अनुभव इस बीच में हुआस्लीपर क्लास के डिब्बे में चार शौचालय होते हैं चारो टूटे-फूटे थेउनके दरवाजे टूटे थे, पानी नदारद था यात्री सुविधाएं शून्य थीहाँ हर बड़े स्टेशन पर चेकिंग स्टाफ आकर यात्रियों से वसूली जरूर कर रहा था , जुर्माने कर रहे थेरेलवे के अधिकारीयों से बात करने पर यह भी पता चला कि टै्फिक स्टाफ बहुत कम है जो स्टाफ है उससे 18-18 घंटे कार्य लिया जा रहा है जिससे उनकी कार्यकुशलता में कमी रही है एक स्टेशन मास्टर ने बताया कि उनकी ड्यूटी पीरीयड़ में 200 ट्रेनों को पास कराना होता हैसाँस लेने की फुर्सत नही होती है ऐसे समय में मानवीय चूक तो होगी ही
रेल मंत्री सुश्री ममता बनर्जी के पास रेल मंत्रालय के लिए वक्त नही हैममता बनर्जी की इच्छा है कि बंगाल की वाम मोर्चा सरकार को किसी भी तरीके से हटा कर स्वयं मुख्य मंत्री बने । उनकी इच्छा पूर्ति के लिए उन्हें वाम मोर्चा सरकार हटाओ मंत्री बना दें । किसी दूसरे व्यक्ति को रेल मंत्रालय देखने की लिए दे दीजियेरेल में सफर करने का यह मतलब यह नही है कि आप भू लोक से लोगो को बिना टिकट स्वर्ग लोक भेजने का कार्य करें

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

21.11.09

लो क सं घ र्ष !: इन्साफ की खातिर

उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन ( मंत्री पद प्राप्त ) वरिष्ट अधिवक्ता पूर्व एडवोकेट ज़नरल श्री एस.एम काजमी ने एस.टी.एफ द्वारा खालिद मुजाहिद को 16 दिसम्बर 2007 को मडियाहूँ, जिला जौनपुर से पकड़ कर २२ दिसम्बर 2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर आर.डी.एक्स ड़िकोनेटर की बरामदगी दिखाकर जेल भेज दिया था , के मामले में अपने पद की परवाह करते हुए दिनांक 20 नवम्बर 2009 लो माननीय उच्च न्यायलय इलहाबाद खंडपीठ लखनऊ में खालिद मुजाहिद की तरफ़ से जमानत प्रार्थना पत्र पर बहस कीआज की दौर में पद पाने के लिए लोग सब कुछ करने के लिए तैयार रहते हैंवहीं श्री काजमी उत्तर प्रदेश के न्यायिक इतिहास में (जहाँ तक मुझे ज्ञात है ) पहली बार सरकार के ग़लत कार्यो के विरोध करने के लिए किसी मंत्री पद प्राप्त व्यक्ति ने किसी अभियुक्त की तरफ़ से वकालत की होज्ञातव्य है कि एस.टी.एफ पुलिस के अधिकारियो ने कचहरी सीरियल बम ब्लास्ट (लखनऊ, फैजाबाद, वाराणसी ) में खालिद मुजाहिद तारिक काजमी को घरो से पकड़ कर उक्त वाद में अभियुक्त बना दिया था । ऐसा कार्य एक सोची समझी रणनीति के तहत उत्तर प्रदेश में हुआ था ।
माननीय उच्च न्यायालय के न्यायधीश न्याय मूर्ति श्री अश्वनी कुमार सिंह ने एस.टी.एफ के वरिष्ट अधिकारी वाद के विवेचक तथा क्षेत्र अधिकारी पुलिस मडियाहूँ, जिला जौनपुर को 26 नवम्बर 2009 को न्यायलय में समस्त अभिलेखों की साथ तलब किया है
खालिद मुजाहिद के चाचा मोहम्मद जहीर आलम फलाही द्वारा क्षेत्र अधिकारी मडियाहूँ से सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचना मांगी थी कि एस.टी.एफ ने किस तारीख को खालिद मुजाहिद को गिरफ्तार किया थाजिस पर क्षेत्र अधिकारी मडियाहूँ ने लिखकर दिया था कि 16 दिसम्बर 2007 खालिद मुजाहिद को एस.टी.एफ पकड़ कर ले गई थी
श्री एस.एम काजमी द्वारा माननीय उच्च न्यायलय में निर्दोष युवक खालिद मुजाहिद की तरफ़ से जमानत प्रार्थना पत्र की बहस करने से ये महसूस होने लगा है की इन्साफ दिलाने की लिए लोगो में जज्बा हैकाजमी साहब बधाई की पात्र हैं

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

20.11.09

लो क सं घ र्ष !: नारी सशक्तीकरण का मूलमंत्र

आप कहते हैं तो कहा करें! मैं अपने दोस्तों और अपनी बात जरूर करूंगा, अभी हाल ही में मेरे दोस्त सत्येन्द्र राय सपत्नीक मेरे घर आये और हम दोनों दम्पत्तियों के बीच बात शुरू हुई। मेरी पत्नी की तरह सत्येन्द्र राय की पत्नी कामकाजी महिला हैं। दोनों प्राप्त होने वाला अपना वेतन अपने घर पर खर्च करती हैं। यह बात मेरे साथ मेरे मित्र भी स्वीकार करते हैं। घर का खर्च उठाना ही नहीं बल्कि घर के कामकाज की भी जिम्मेदारी दोनों बखूबी संभालती हैं। यह तारीफ मैं अपनी और अपने मित्र की पत्नी को खुश करने के लिए नहीं कर रहा हूं बल्कि उनके सशक्तीकरण पर कुछ सवाल उठा रहा हूं।

हम दोनों मित्र अपनी पत्नियों को शायद ही कभी कुछ कहते हों सिवाय उनकी तारीफ के, क्योंकि वह तारीफ के लायक हैं। जब बात शुरू हुई तो हम दोनों ने खुले मन स्वीकार किया कि हम खुले मन से निःसंकोच महिला सशक्तीकरण की बात करते हैं लेकिन अपने घर की महिलाओं की समर्पण की भावना को सहज रूप मेे स्वीकार कर लेते हैं और उनको जी-तोड़ मेहनत से बचाने का प्रयास नहीं करते। इसके पीछे हमारी सोच यह भी हो सकती है कि परिवार रूपी गाड़ी के दोनों पहिये सुगमता से चलते रहें तो गाड़ी रूकेगी नहीं। पति और पत्नी परिवार रूपी गाड़ी के दो पहिये हैं जिन्हें मिलकर गाड़ी को खींचना होता है।

सच यह है कि परिवार रूपी गाड़ी को चलाने के लिए पहियों को दुरूस्त रखना जरूरी है बिल्कुल उस तरह से जैसे गाड़ी के पहियों को समय-समय पर तेल और ग्रीस देकर चिकना किया जाता है। परिवार की इस गाड़ी के पहियों को पति-पत्नी का पारस्परिक व्यवहार, एक दूसरे के प्रति प्रेम और एक-दूसरे पर भरोसा ही इन पहियों की रफ्तार में तीव्रता लाने के लिए चिकनाई का काम करता है। महिला सशक्तीकरण से आशय यह कभी नहीं लेना चाहिए कि महिला या पुरूष प्राकृतिक नियम को बदल देंगे। प्रकृति ने नर और नारी दोनों को अलग-अलग बनाया ही है इसलिए कि दोनों प्राकृतिक नियमों के अनुसार अपना-अपना काम करेंगे, लेकिन यह आवश्यक है कि दोनों में पारस्परिक सहयोग बना रहे। दोनों में से कोई एक-दूसरे को हेय दृष्टि से न देखें और न ही वह एक-दूसरे को अपमानित करें। दोनों के लिए एक-दूसरे का सम्मान आवश्यक है लेकिन यह सम्मान प्रेमपूर्ण होना चाहिए।

अक्सर यह देखा गया है कि शादी से पूर्व नर और नारी में एक-दूसरे के प्रति प्रेम होता है और वह प्रेम कभी-कभी इतना परवान चढ़ता है कि दोनों एक दूसरे से शादी कर लेते हैं शादी से पहले लड़का लड़की के लिए आसमान से तारे तोड़कर लाने के लिए तैयार रहता है और लड़की भी लड़के पर अपनी जान न्योछावर करने को तत्पर दिखती है। शादी से पूर्व के इस प्रेम में एक-दूसरे के प्रति समर्पण की भावना होती है लेकिन अक्सर ऐसी शादियों में कटुता आते हुये भी देखा है। ऐसा केवल इसलिए कि पुरूष प्रधान इस समाज में शादी के बाद पति मर्द बन जाता है और वह अपनी पत्नी पर अपनी प्रधानता कायम करने का प्रयास करता है, जिसे पत्नी बर्दाशत नहीं कर पाती और परिवार रूपी इस गाड़ी के पहियों की चिकनाई यानी पारस्परिक प्रेम, एक-दूसरे के प्रति समर्पण की भावना और एक-दूसरे के प्रति विश्वास समाप्त हो जाता है। पत्नी की यह आकांक्षा कि शादी से पहले जैसा व्यवहार उसका पति करता था, शादी के बाद भी करता रहेगा, पूरी नहीं होती और इस प्रकार निराश होकर वह या तो दुखी होकर साथ निभाती है या फिर साथ छोड़ देती है और परिवार टूट जाता है। परिवार टूटने का एक कारण और भी हो सकता है कि पति धन का लोभी हो और दहेज न मिलने के कारण वह दामपत्य जीवन से अलग हो जाता है। दहेज भी हमारे समाज की एक बढ़ी बीमारी है और सिर्फ बीमारी नहीं बल्कि संक्रामक बीमारी है। जो भारतीय समाज के हर पंथ में जड़ें मजबूत करती जा रही है। इसका समूल नाश होना चाहिए लेकिन इसका नाश करने के लिए अब तक कोई एन्टीबायटिक दवा नहीं तैयार हो पायी है। इसकी एक ही एन्टीबायटिक दवा है, इसको समाप्त करने की हमारे मन में तीव्र इच्छा पैदा हो। मां-बाप दहेज के बिना अपने बच्चों की शादी करने का संकल्प लें, लड़के दहेज रूपी भीख लेने से बचें और लड़कियां ऐसे परिवार में शादी करने से मना कर दें जहां दहेज की मांग की जाती हो। दहेज की इसी लानत ने हमारे देश के समाज को 1400 वर्ष पूर्व अरब देश के समाज सक बद्तर बना दिया है। 1400 साल पहले अरब देशों में लड़कियों को पैदा होते ही जिन्दा गाड़ दिया जाता था ताकि उनके मां-बाप को किसी के सामने गिड़गिड़ाना न पड़े या सिर न झुकाना पड़े। आज हमारे देश के समाज ने गर्भ में ही लड़कियों को मार दिया जाता है और इस अपराध में नर-नारी बराबर के दोषी हैं। यह काम केवल इसलिए किया जाता है कि लड़की पैदा होने पर उनके सिर पर दहेज का भार पड़ेगा और लड़की के बाप को अपनी पगड़ी लड़के और उसके बात के चरणों में रखना होगा। कहां हैं वो महिला सशक्तीकरण की बात करने वाले लोग जो इस संक्रामक रोग को समूल नष्ट करने के लिए तैयार हों और सिर्फ तैयार न हों बल्कि इसके विरोध में लड़ाई का बिगुल फूंक दें। अन्यथा एक दिन वो आयेगा जब समाज में लड़कियों का संकट होगा और यह समाज पतन की और बढ़ेगा।

नारी सशक्तीकरण आन्दोलन चलाने वाले लोग यह बात भूल जायें कि नारी सशक्तीकरण का अर्थ पुरूष प्रधान समाज को समाप्त कर नारी प्रधान समाज स्थापित करना है। उन्हें हमेशा यह बात याद रखनी होगी कि समाज न पुरूष प्रधान हो और न नारी प्रधान बल्कि समाज ऐसा हो जिसमें नर-नारी सामंजस्य बना रहे और न तो नर नारी के सिर पर पैर रखकर चले और न ही नारी नर को कुचलने के लिए प्रयासरत हो, इसी में समाज की भलाई है और यही है नारी सशक्तीकरण का मूलमंत्र है।

मुहम्मद शुऐब एडवोकेट
मोबाइल- 09415012666

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प्यार बनाता हैं आपको रचनात्मक

अगर आप ज़्यादा रचनात्मक बनना चाहते हैं तो किसी के प्यार में डूबने के बारे में सोचियेआप किसी के प्यार में पड़कर ज़्यादा रचनात्मक हो सकते हैं,आपके दिमाग में काम के नए नए विचार आ सकते हैंआप कोई भी काम ज़्यादा अच्छी तरह से कर सकते हैं यह बात एक नए अध्ययन में सामने आई हैं वाशिंगटन प्रेस के हवाले से बताया गया हैं की एम्सटरडन विश्वविधालय के शोधकर्ताओ ने पाया हैं की प्यार इंसान की सोच को बदल देता हैं उनका मानना हैं की प्यार में पड़कर इंसान भावुक और विनम्र बन जाता हैं उसे कलात्मक काम करने की प्रेरणा मिलती हैं जबकि यह बदलाव केवल सेक्स करने से नही होता ताजमहल जैसे वास्तुशिल्प कामो के पीछे अगर कुछ हैं तो सिर्फ़ प्यार हैं रोमियो जूलियट जैसा खूबसूरत नाटक प्रेम के कारण ही निर्मित हुआ शोधकर्ताओ ने यह भी पाया की प्यार इंसान की सोच को बदल देता हैं यह इंसान पर बन्दूक के ट्रिगर की तरह काम करता हैं यह इंसान को तार्किक बना देता हैं यह यह भी बताता हैं की किसी को किस तरह जीवन की मुश्किलों को हल करना चाहिए शोधकर्ताओ ने पाया की ऐसा क्या हैं प्यार में जो इंसान में इतने बदलाव पैदा कर देता हैं तो इसका जवाब यह हैं की प्यार का असर दिमाग पर लंबे समय तक रहता हैं जबकि सेक्स का असर कुछ समय के लिए ही होता हैं देखा आपने प्यार कितने काम की चीज़ हैं तो आप भी किसी से प्यार करना शुरू कर दीजिये पर ध्यान रखे केवल प्यार करे सेक्स नही

चुम्बन बताये प्यार का राज़

चुम्बन यानि "किस"आपके मूड को प्रभावित कर बदल सकता हैं, हाल ही में वाशिंगटन में हुए शोध से यह बात सामने आई की पुरे जोश व आवेग से लिया गया "चुम्बन" एक खास तरह के "काम्प्लेक्स कैमिकल" को दिमाग में भेजता हैं जिससे व्यक्ति ख़ुद को अधिक उत्तेजित,खुश,तनाव रहित व सहज महसूस करता हैं शोध में पाया गया की चुम्बन के दौरान हार्मोन मुहं के जरिये एक दुसरे के शरीर में स्थानांतरित होते हैं और तत्काल असर करते हैं इस शोध से यह भी पता चला की चुम्बन कही ज़्यादा जटिल शारीरिक प्रक्रिया हैं जो की हार्मोनल परिवर्तन के लिए ज़िम्मेदार भी हैं यह भी पता चला की चुम्बन से एक साथ बहुत कुछ घटित होता हैं जो की व्यक्ति विशेष में काफ़ी बदलाव ला सकता हैं इन सब बातो का पता १५ जोड़ो में "ओक्सिटोनिक" और "कोर्टिसोल" हार्मोन का स्तर चुम्बन से पहले व बाद में जांचकर लगाया गया,ओक्सिटोनिक जो की व्यक्ति को चुम्बन के बाद एक दुसरे के करीब आने की इच्छा उत्पन करता हैं उसका स्तर चुम्बन बाद बढ गया था जबकि कोर्टिसोल जो की तनाव पैदा करने वाला हार्मोन हैं उसका स्तर गिर गया था लिहाजा अब शोधकर्ता इस शोध को हारमोंस के स्तर पर परख रहे हैं देखते हैं आगे यह शोध व जांच क्या रंग दिखाती हैं

19.11.09

अब काले आलू का मज़ा लीजिये

काले रंग के अंगूर,गाज़र और चुकंदर के बाद अब "काला आलू" भी बाज़ार में आने वाला हैं |इलाहाबाद के कृषि विश्वविधालय द्वारा विकसित यह आलू साधारण आलू से कही गुणा बेहतर हैं | एंटीओक्सीडेंट से भरपूर होने से इसमे बढती उम्र का असर और कैंसर का जोखिम कम करने क्षमता भी हैं |

यह भी पाया गया हैं की साधारण आलू के मुकाबले काले आलू में दोगुना आयरन और सात गुणा कैल्सियम पाया गया|संस्थान के अनुसार प्रति १०० ग्राम काले आलू में १०६.२ किलो कैलोरी उर्जा मिलती हैं जबकि साधारण आलू से इतनी ही मात्रा से ९७ किलो कैलोरी प्राप्त होती हैं |इस आलू में ७.७% स्टार्च,२३.५३% कार्बोहाईड्रेट के साथ ही प्रचुर मात्रा में विटामिन सी भी पाया जाता हैं |यह आलू "एन्थोसाइनिन" नामक एंटीओक्सीडेंट के कारण अन्दर से बैंगनी दिखता हैं जो बुढ़ापे के लिए ज़िम्मेदार फ्री रेडिकल्स को मारने के साथ ही कैंसर की संभावनाओ को भी कम कर देता हैं |इस आलू की अन्य खूबियो को जानने के लिए इसे बंगलोर स्थित आई आई एच आर भेजा गया हैं |