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11.12.09

पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने इनेलों प्रतिवादियों को किया नोटिस जारी

चंडीगढ़: हरियाणा में नौ विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव नियुक्त किए जाने को चुनौती देने वाली इनेलो विधायकों की एक याचिका को आज पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर दिया है। कालका से इनेलो विधायक प्रदीप चौधरी, यमुनानगर के विधायक दिलबाग सिंह व मुलाना के विधायक राजबीर बराड़ा की ओर से दायर की गई इस याचिका पर आज हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मुकुल मोदगिल व अजय कुमार मित्तल पर आधारित खण्डपीठ ने प्रारम्भिक सुनवाई के बाद याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया।
उच्च न्यायालय में दायर की गई इस याचिका पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील अशोक अग्रवाल व इन्द्रपाल गोयत ने इनेलो विधायकों की ओर से पक्ष रखा। याचिका में इन नियुक्तियों को पूरी तरह से असंवैधानिक व इसे संविधान के 91वें संशोधन की भावना के एकदम विपरीत बताया गया। इस याचिका में केन्द्र सरकार, हरियाणा सरकार व मुख्यमन्त्री हरियाणा के अलावा नियुक्त किए गए सभी नौ मुख्य संसदीय सचिवों धर्मवीर (सोहना), अनीता यादव (अटेली), राव दान सिंह (महेंद्रगढ़), प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा (फतेहाबाद), सुल्तान सिंह (पुण्डरी), जयवीर वाल्मीकि (खरखौदा), जलेब खान (हथीन), रामकिशन फौजी (बवानीखेड़ा) व शारदा राठौर (बल्लबगढ़) को पक्ष बनाया गया है।
इनेलो विधायकों द्वारा मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका में यह भी कहा गया है कि इन सभी विधायकों को झण्डी वाली गाड़ी सहित मन्त्री पद वाली सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं । याचिका में यह भी कहा गया है कि संविधान के 91वें संशोधन के अनुसार हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में 15 फीसदी मन्त्रियों की तय सीमा के अनुसार मात्र 13 मन्त्री ही बनाए जा सकते हैं। इन नौ विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव के नाम पर मन्त्रियों वाली सुविधाएं व मन्त्रियों की तरह विभिन्न विभागों का कामकाज आबंटित करके संविधान का खुला उल्लंघन किया गया है।
मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देते हुए यह भी कहा गया कि पहले मुख्य संसदीय सचिव का एक पद था और सितम्बर 2007 में एक अन्य पद सृजित कर दिया गया। याचिका में यह भी कहा गया है कि इन नौ मुख्य संसदीय सचिवों को मुख्यमन्त्री ने 7 नवम्बर को शपथ दिलाई जबकि दस दिन बाद 17 नवम्बर को पिछली तारीख से ये पद सृजित किए गए। हालांकि प्रदेश सरकार के पास ऐसे पद सृजित करने का कोई अधिकार ही नहीं है। याचिका में हिमाचल हाईकोर्ट द्वारा इसी तरह नियुक्त किए गए मुख्य संसदीय सचिवों व संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद्द किए जाने सम्बन्धी दिए गए फैसले का हवाला देते हुए इन सभी नौ मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को तुरन्त रद्द किए जाने की मांग की गई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि इन मुख्य संसदीय सचिवों को न सिर्फ राष्ट्रीय झण्डे व प्रदेश के निशान वाली सरकारी मन्त्रियों वाली गाडिय़ां दी गई हैं बल्कि उन्हें पुलिस पायलट भी उपलब्ध कराई गई हैं और वे जिला मुख्यालयों पर अपने दौरों के दौरान मन्त्रियों की तरह सलामी भी लेते हैं।

1 टिप्पणियाँ:

ये तो बहुत अच्छी खबर है। राजनेताओं पर लगाम कसनी ही चाहिये। लोग भूखों मर रहे हैं और ये जनता के पसों पर ऐश कर रहे हैं धन्यवाद्

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