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8.7.09

ले के चलुं मैं ख़ुदा तेरा नाम

आसान हो जायें सब मेरे काम।
ले के चलुं मैं खुदा तेरा नाम।
तेरी इबादत करुं सुब्हो-शाम।
ले के चलुं मैं खुदा तेरा नाम।
दुनिया का कोई भी ग़म हो खुदारा।
हम पे तो तेरा करम हो ख़ुदारा।
क्श्ती को छोडा है तेरे हवाले।
तुं ही दिख़ायेगा हमको किनारा..(2)
छ्ट जायेंगे ग़म के बादल तमाम..
ले के चलुं मैं खुदा तेरा नाम।
ये ज़िन्दगी तेरी नेअमत बडी है।
हमपे ख़ुदा तेरी रहेमत खडी है।
फ़िर ग़म हो कैसा, करम हो जो तेरा।
अपने लिये सल्तनत जो पडी है..(2)
तूं बादशाह, हम हैं तेरे ग़ुलाम।..
ले के चलुं मैं खुदा तेरा नाम।
ये चाँद सूरज, चमकते सितारे।
तेरे करम से हैं सारे नज़ारे।
अय दो जहां के निगेहबान मालिक़।
दुनिया बसी है, ये तेरे इशारे..(2)
तेरी ख़ुदाई पे लाख़ों सलाम..
ले के चलुं मैं खुदा तेरा नाम।
बस आख़री इल्तेजा है खुदा से।
कि ज़िन्दगी जो जीयुं में वफ़ा से।
मुझको सही राह पे तूं चलाना।
भुले से भी ना हो ख़ता ये “रज़ा’ से..(2)
जब मौत आये, ज़ुबाँ पे कलाम..
ले के चलुं मैं खुदा तेरा नाम।
.................रज़िया मिर्ज़ा......

4 टिप्पणियाँ:

subhaan allah !
waah
waah
kya khoob kaha.............

mubaraq ho !

उम्दा पोस्ट के लिए बहुत शुक्रिया!
TheNetPress.Com को आपका इंतजार रहता है.

khudaa khudaa karte hue bhee manzile maqsood mil hi jaatee hai.

बहुत खूब कहा है आप ने !!!

खुदा [अपने इष्ट ] का नाम ही काफी है ,उसका एक नाम मुश्किल - कुशा भी है , इसी लिए लिए गीता में कृष्ण ने कहा है '' विश्व में जो श्रेष्ठ नाम है वह मेरे ही [ कृष्ण के नहीं ईश्वर के ] हैं ,और यही बात कुरान पाक में आरंभ में ही कही गयी है इस कायनात में जो श्रेष्ठ और सुन्दर है वह मेरा ही नाम है |"


बधाई

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