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4.12.11

अविनाश वाचस्पति बोले तो अन्ना भाई


नमस्कार मित्रो आइये मिलते हैं एक ऐसे व्यक्तित्व से जो कि ब्लॉगजगत अथवा चिट्ठाजगत में एक जाना-माना नाम है चिट्ठाजगत में शायद ही कोई व्यक्ति हो जिसने अविनाश वाचस्पति का नाम न सुना हो. उत्तम नगर, नई दिल्ली में जन्म लेकर आजकल संत नगर, नई दिल्ली में चिट्ठाकारिता की तपस्या में लीन हैं जब अविनाश वाचस्पति के पहले चिट्ठे का प्रादुर्भाव हुआ था उन दिनों सक्रिय चिट्ठों की संख्या सिर्फ कुछ सौ थी वह चिट्ठे के माध्यम से हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए सदैव कर्मठता से लगे रहते हैं हिंदी भाषा के प्रति उनका कट्टर प्रेम उनके इस कथन से साफ़ प्रतीत होता है "हिन्‍दी का प्रयोग न करने को देश में क्राइम घोषित कर दिया जाना चाहिए और मैं पूरा एक दशक हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के नाम करने की घोषणा करता हूं। इस एक दशक में आप देखेंगे कि हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग सबसे शक्तिशाली विधा बन गई है। जिस प्रकार मोबाइल फोन सभी तकनीक से युक्‍त हो गया है, उसी प्रकार हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग सभी प्रकार के संचार का वाहक बन जाएगी"


अविनाश वाचस्पति नुक्कड़,अविनाश वाचस्पति, पिताजी,बगीची व तेताला जैसे कई चिट्ठे(ब्लॉग) के माध्यम से अंतरजाल पर सक्रिय हैंचिटठा जगत में अविनाश वाचस्पति अन्ना भाई के नाम से लोकप्रिय हैं


लेकिन मैं अर्थात आपका मित्र सुमित प्रताप सिंह उनको लेखक के रूप में जानने व पहचानने के लिए उनसे मिला


सुमित प्रताप सिंह- अविनाश वाचस्पति जी नमस्ते!


अविनाश वाचस्पति- नमस्ते सुमित प्रताप सिंह जी! कैसे मिजाज हैं आपके?


सुमित प्रताप सिंह- जी बिलकुल कुशल-मंगल है आप कहिये आप कैसे हैं?


अविनाश वाचस्पति- यहाँ भी सब कुछ है मंगल फेसबुक और चिट्ठे पर चल रहा है दंगल


सुमित प्रताप सिंह- हा हा हा बहुत खूब अविनाश जी आज आपको लेखक के रूप में जानने के लिए आया हूँ


अविनाश वाचस्पति- तो शौक से जानिये


सुमित प्रताप सिंह- आपकी पहली रचना कब और कैसे रची गई?


अविनाश वाचस्पति- मेरी सभी रचनाएं पहली ही होती हैं। मैंने आज तक कोई ऐसी रचना रचने की कोशिश नहीं की है जो दूसरी हो यानी दोयम दर्जे की हो। मेरी सभी रचनाएं मेरी पहली रचना की पहचान ही पाती रहें, यही बेहतर है।


सुमित प्रताप सिंह- आप लिखते क्यों हैं?


अविनाश वाचस्पति- यह तो वही सवाल हुआ कि सुमित जी, मैं आपसे पूछूं कि आप सांस क्‍यों लेते हैं या पानी क्‍यों पीते हैं और खाना क्‍यों खाते हैं। मेरे लिए मेरी प्रत्‍येक सांस से जरूरी मेरा लिखना है और वह ऐसा लिखा जाए जो कि सबके मानस में एक स्‍फूर्ति दे सके, उसे ऊर्जा और ऊष्‍मा से भर सके। प्रत्‍येक अंधेरे को आलोकित कर सके। अगर बुराई को भी हम चित्रित कर रहे होते हैं तो उसके माध्‍यम से भी अच्‍छाई को दिखाने की कोशिश होती है। दोनों का समाज में रहना अनिवार्य है। आप चाहें कि बुराई बिल्‍कुल ही हट जाए या हम सब अमर हो जाएं। इससे भी अराजकता का माहौल बन जाएगा और कोई नहीं चाहेगा कि अराजकता का साम्राज्‍य हो। उस अराजकता के साम्राज्‍य की पकड़ को कम करने के लिए, बदलने के लिए लिखना एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसे हवा, पानी, भोजन के बराबर महत्‍व दिया जाना चाहिए और मैं देता हूं और चाहता हूं कि सब ऐसा ही करें और सबको ऐसा करना ही चाहिए।


सुमित प्रताप सिंह- लेखन में आपकी प्रिय विधा कौन सी है?


अविनाश वाचस्पति- लेखन में सभी विधाएं मेरी प्रिय हैं अब अगर मैंने नाटक नहीं लिखे हैं, उपन्‍यास नहीं लिखे हैं, लघुकथाएं नहीं लिखी हैं या आत्‍मकथा अथवा अन्‍य कुछ भी, तो इसका यह मतलब नहीं है कि मुझे वह प्रिय नहीं है। मुझे सभी विधाएं समान रूप से प्रिय हैं, चाहे मैं उस विधा में लिख पाऊं अथवा नहीं लिख पाऊं। कोशिश तो कर ही सकता हूं, मेरी प्रिय विधा सदैव कोशिश करना ही है। कोशिश करना मुझे सबसे अधिक प्रिय है। जबकि मैं सरलता से व्‍यंग्‍य और कविता लिख लेता हूं। किसी भी क्रिया पर प्रतिक्रिया देना सबसे सरल है परंतु वह सार्थक तभी है जब वह सबको पसंद भी आए। मेरा सौभाग्‍य है कि फेसबुक जैसी सोशल साइटों पर मेरी प्रतिक्रियाएं मित्रों को पसंद आ रही हैं।


सुमित प्रताप सिंह- अपनी रचनाओं से समाज को क्या सन्देश देना चाहते हैं?


अविनाश वाचस्पति- समाज को कभी किसी संदेश को लेने की जरूरत नहीं है। संदेश सब जगह हैं। बस उन्‍हें ग्रहण करने, अपनाने वाले अपने नजरिए को सकारात्‍मक बनाए रखने की जरूरत है। सकारात्‍मकता की ओर प्रवाहित करना, मानव जीवन के उच्‍च मूल्‍यों को अपनाना, बुराईयों में से अच्‍छाईयां छांट छांट कर अपनी रचनाओं में चिपका चिपका कर उन्‍हें बांटने की कोशिश करता रहता हूं। सब चीजें समाज में मौजूद हैं। लेखक का काम तो उन्‍हें पहचानकर अपनी रचनाओं में उभारते रहना होता है। अब कोई उन्‍हें माने अथवा नहीं माने।


सुमित प्रताप सिंह- अविनाश वाचस्पति जी फेसबुक और चिट्ठे की दुनिया से अपना कुछ कीमती समय मुझे देने के लिए आपका बहुत-२ शुक्रिया


अविनाश वाचस्पति- शुक्रिया नामक क्रिया लगती है अजब प्रक्रिया शुक्रिया की कोई जरूरत नहीं है सुमित जी आप जब कहेंगे हम अपना कीमती समय आपको देते रहेंगे


3.12.11

ये होते हैं ठाठ !!!!!!!


किसी को जेब में रखने के लिए रुपए नहीं मिलते और ये साहब हैं कि रुपयों पर लेटे हुए हैं। बडे़ भाग्यशाली हैं ..........................

2.12.11

29.11.11

गश्त (लघु कथा)



एस.एच.ओ. (थानाध्यक्ष) रात के स्टाफ की ब्रीफिंग लेते हुए बोला, " तुम सब रात की गश्त ढंग से क्यों नहीं करते. आज डी.सी.पी. ने मुझे बुलाकर फिर से मेरी माँ-बहन एक कर डाली. अगर तुम्हें कामचोरी की गन्दी आदत पड़ ही गई है तो कम से कम पत्रकार अरोड़ा की गली में तो एक चक्कर लगा आया करो. साला हर दूसरे दिन अपने अखबार में खबर छाप देता है कि इलाके की पुलिस गश्त नहीं करती."

रात का स्टाफ एक सुर में बोला, "जनाब हम सब नियम से रात को थाने के इलाके के चप्पे-२ में गश्त करते हैं." एस.एच.ओ. ने उनसे खीज कर पूछा, "तो फिर अरोड़ा अपने अखबार में यह खबर क्यों छापता है कि तुम सब गश्त नहीं करते?" आगे पढ़ें...

25.11.11

आज भी नहीं लगा सतक !!!!!!!!!

भारत के महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर आज भी अपना शतकों का महाशतक नहीं लगा पाए। 94 रनों पर उनके कैच आऊट होने के दृश्य को देखकर मुझे निराशा हुई लेकिन मुझे उमीद है कि वे अपना महाशतक जल्द ही लगाएंगे .................................!

23.11.11

नूडल्स (लघु कथा)


गाड़ी में चलते-फिरते रेस्टोरेंट का मालिक बूढ़े कुक पर गुर्राया, "अबे बुड्ढे इतनी उम्र हो गयी है लेकिन तुझे नूडल्स बनाने नहीं आये. देख आज फिर से ग्राहक नूडल्स बिना खाए छोड़ गए. साले गलती तू करे और भुगतूं मैं." "लेकिन साब मैंने तो नूडल्स सही बनाए थे." बूढ़ा कुक धीमी आवाज में बोला. "चुप बे बुड्ढे! सही बनाए थे तो ग्राहक क्यों अंट-शंट बक रहे थे? आगे पढ़ें

18.11.11

संत समागम एवं मूर्ति स्थापना समारोह




हरियाणा- जीन्द जिला में ग्राम छापर के रविदास आश्रम में एक अध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जहाँ दूर- दूर से आये संतो के मुखारबिंद से संत शिरोमणी श्री गुरु रविदास महाराज की वाणी की अमृत वर्षा अखंड होती रही. आश्रम के संचालक स्वामी धनपत दास द्वारा बड़ी धूमधाम से संत समाज के समागम का आयोजन किया गया. इस दौरान एक शानदार शोभायात्रा भी निकली गई. यह यात्रा रथों एवं पालकियों में ग्राम छापर के उपरोक्त आश्रम से प्रारंभ होकर सफीदों उपमंडल के विभिन्न गावों व कस्बों से होते हुए शाम को लौटी. इसके बाद संत महापुरुषों द्वारा एक सत्संग का आयोजन हुआ, जिसमे प्रवचनों की बरखा ने श्रोताओं को निहाल कर दिया. संतों एवं साध-संगत ने हवन तथा पूजा के साथ बहुत ही मर्यादित ढंग से छापर आश्रम में श्री गुरु रविदास की मूर्ति की स्थापना की. जिसमे मुख्य संत महामंडलेश्वर श्री-श्री १०८ संत निरंजन दास महाराज जी के आदेशानुसार संत श्री लेखराज दास, मोहन दास, कीर्तन मंडली बलविंदर सिंह उर्फ़ बिट्टू व अन्य संत महापुरुष डेरा सचखंड बल्ला जालंधर ने मुख्य रूप से समागम की शोभा बढाई और श्री-श्री१०८ जित्वानंद श्री कबीर वृद्ध आश्रम एलनाबाद, श्री महंत संतराम दयालदास, सतपाल दास कपाल मोचन यमुनानगर, संत दिव्यानंद, हंसा नन्द, नरेशदास, संजय ब्रह्मचारी, बहन प्रतिभा शास्त्री, श्री महंत सदानंद जी, श्री महंत प्रकाशानंद हरिद्वार सावित्री बाई, श्री महंत सुरेशबाई एवं श्री रिसाल दास आदि संतों ने इस नेक कार्य में शिरकत की. आश्रम संचालक स्वामी धनपत दास ब्रह्मचारी ने कहा कि श्री गुरु रविदास महाराज दुनिया के महान संत थे. उन्होंने समाज को अच्छी राह पर चलाने का बीड़ा उठाया. इस कार्यक्रम के दौरान सतगुर महाराज का अटूट लंगर भी चलता रहा. आश्रम संचालक ने वस्त्र आदि भेंट कर आये हुए संतों को आदरपूर्वक विदाई दी. 

17.11.11

स्टिंग ऑपरेशन (लघु कथा)


शिकारी सिंह युवा एवं महत्वकांक्षी पत्रकार था। जल्द से जल्द पैसा व शोहरत पाने की खातिर उसने स्टिंग ऑपरेशन का सहारा लेने का निश्चय किया और उसके स्टिंग ऑपरेशन के शिकार हो गये 2 प्रतिशत ईमानदार व 98 प्रतिशत बेइमान मंत्री फटीचर लाल। जब फटीचर लाल को इस बात का पता चला तो उन्होंने शिकारी सिंह को अपनी 2 प्रतिशत ईमानदारी का वास्ता दिया...आगे पढ़ें...

11.11.11

जमीन बेचने के विरोध में संघ कार्यकर्ता करेंगे विरोध प्रदर्शन

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा जमीन बेचने का मामला
मिडिया में खबर आने के बाद संघ के प्रांतीय कार्यकर्ताओं में मचा हड़कंप
हरियाणा प्रांत के सफीदों कस्बे में राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ द्वारा गुपचुप तरीके से संघ की खाली जमीन को कथित
तौर पर बोली करवाकर बेचने के मामलें ने शुक्रवार को अचानक उस वक्त मोड़ ले लिया, जब कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की और संघ के कुछ कार्यकर्ताओं ने इस मामले को अदालत में चुनौती देने की बात कही। वहीं क्षेत्र के संघ कार्यकर्ताओं की नाराजगी और मीडिया के हस्तक्षेप के बाद राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के प्रांतीय वरिष्ठ कार्यकर्ताओं में भी हड़कंप मच गया है। जिसके चलते संघ के प्रांतीय स्तर के एक कार्यकर्ता द्वारा आननफानन में बुलाई गई बैठक का स्थानीय कार्यकर्ताओं ने बहिस्कार कर दिया। करोड़ों की जमीन को लेकर संघ के कार्यकर्ताओं में मची उथलपुथल के चलते अब इस मामले पर आग भड़कने लगी है। कुछ कार्यकर्ता जमीन बेचने के विरोध में प्रदर्शन का मन भी बना रहे है। गौरतलब है पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ सफीदों की खाली जमीन के बेचने को लेकर कार्यकर्ता में आपसी तनातनी चल रही थी। आपसी नाराजगी के बावजुद भी संघ के आला पदाधिकारियों ने मनमानी करते हुए नहर पुल के पास पड़ी गोबिन्द शाखा की जमीन को असंवैधानिक रूप बेच दिया गया। पाठकों की जानकारी के लिए यहां बताना जरूरी है कि यह जमीन 1962 में शहर के ही नरसिंह दास ने तीन कनाल आठ मरले जमीन राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ सफीदों मण्डी को दान दी थी। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के प्रांतीय वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से नाराज क्षेत्रिय कार्यकर्ता अब सामने आने लगे है। अपनी नाराजगी जताते हुए संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता शेर सिंह बावलियाँ ने कहा कि संघ के प्रांतीय वरिष्ठ कार्यकर्ता व क्षेत्रिय कार्यकर्ता की किसी भी तरह से मनमानी नहीं चलने दी जाएगी। इस मामलें में उन्हें सड़कों पर भी उतरना पड़े तो संघ के साथी तैयार है। उन्होंने कहा कि इस मामलें की जांच करवाई जाए और दोषिओं के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई अमल में लाई जाए।

क्या कहते है कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ?
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष जसबीर देशवाल ने इस जमीन की के मामलें में संघ पर निशाना साधते हुए कहा कि किसी भी दान की गई जमीन को बेचना ही गलत है और इस जमीन को इस प्रकार गुपचुप तरीके से बेचा जाना ही संघ की मंशा पर स्वालिया निशान लगाता है। जो आर.एस.एस. पानी पीपीकर काग्रेंस को भ्रष्टाचारी कहती है वहीं इस जमीने के मामले में अपने गिरव्बान में झांके। उन्होंने कहा कि हिंदूत्व का राग अलापने वाले संघी सबसे बड़े भ्रष्टाचारी है इस बात की पुष्टी इस जमीन की गुपचुप तरीके से बोली करवाने की प्रक्रिया से सामने आ चुकी है। उन्होंने कहा कि इस जमीन की खरीदफरोチत में करोड़ो के घोटाले की बू आ रही है, इसलिए इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

अखबार की सुर्खियां बनते ही प्रोपट्री बाजार में मचा हंगामा
राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ सफीदों मण्डी की खाली जमीन को बेचने की खबर अखबार की सुर्खियों में आते ही प्रोपट्री बजार में हगामा मच गया। इस जमीन पर गिद्ध की नजर रखने वाले प्रोपटी डीलरों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह जमीन शहर के मुख्य स्थान पर स्थित है। जिसकी कीमत केवल मात्र 8 करोड़ 21 लाख रूपये नहीं, बल्कि लगभग 30 करोड़ रूपये तक हो सकती है। उन्होंने बताया कि रेलवे रोड़ व जींद रोड़ के साथ लगी इस जमीन पर 20 से 30 गज की दुकान के भाव लगभग 60 से 70 लाख रूपये आंकी जा रही है और इस जमीन में लगभग 35 से 40 दुकानें आसानी से बनाई जा सकती है। इस हिसाब से देखा जाए तो संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं द्वारा गुपचुप तरीके से जमीन को बेचना संदेह के घेरें में आता है।