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20.2.11

आज में सूरज को दिया दिखा रहा हूँ जो चमकता हे ब्लॉग को उसके लियें लिखने की गुस्ताखी कर रहा हूँ

Sunday, February 20, 2011

दोस्तों आज मेरी २२०० वीं पोस्ट में लिख रहा हूँ सोचा के क्या लिखूं फिर सोचा के ब्लोगिंग की दुनिया को नई जिंदगी नई पहचान भाईचारा सद्भावना का पैगाम देने वाले किसी बंदे को चुना जाए तो जनाब यकीन मानिये मेरे जहन में सिर्फ और सिर्फ एक ही नाम जनाब बी एस बावला जी का आया और मेने उनके बारे में खोजबीन शुरू की तो लगा के उनके लियें कुछ भी लिखने की कोशिश बहुत कम हे क्योंकि वोह किसी लेखन किसी परिचय के मोहताज नहीं हे बलके उनसे जुडकर लोग दूसरों से परिचित होते हें पाबला जी ब्लोगिंग की दुनिया के नींव का पत्थर हे और इन्होने अपनी ब्लॉग कला से कई लोगों को कंगुरा बना दिया हे ।
हमारे कोटा में पिछले दिनों ब्लोगर भाई ललित शर्मा जी आये थे उनकी जुबान पर मुलाक़ात के दोरान कई दर्जन बार जब पाबला जी का नाम आया तो मुझे लगा के यह जनाब कुछ नहीं बहुत कुछ हट कर हे और सच मानिए भाई दिनेश राय जी दिविवेदी ब्लोगर ने जब मुझे उनके बारे में बताना शुरू किया तो वक्त की निकल गया पता ही नहीं चला लेकिन लगा के पावला जी ब्लोगिंग दुनिया की आन बान और शान हें । पावला जी ही हें जो ब्लॉग की दुनिया मने लोगों के जन्म दिन , लोगों की वैवाहिक वर्ष्गांठ की याद दिलाते हें और फिर बधाइयों के सिलसिले से एक दुसरे से मुलाक़ात कराते हें एक दुसरे से भाईचारा सद्भावना और प्यार विश्वास बढ़ाने का इससे बहतर काम क्या हो सकता हे जो किसी दुसरे के लियें पार बांटता हे उसे खुदा नवाजता हे और इसीलियें पाबला जी आज देश में ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉग मंच पर भी छा रहे हें ब्लॉग लेखन और ब्लॉग तकनीक साज सज्जा में अव्वल रहने वाले यह जनाब जब खुद लिखते हें तो फिर प्रिंट मीडिया इनके आलेखों को अपने अख़बारों में छपने के लियें मजबूर हो जाता हे और रोज़ मर्रा इनके कई लेख विभिन्न समाचार पत्रों मने छपे हुए देखे जा सकते हें यह ब्लोगिंग दुनिया के लियें गोरव की बात हे के प्रीत मिडिया अब ब्लोगिंग दुनिया का मोहताज रहने लगा हे ।
पाबला जी जिंदगी के मेले ,ब्लॉग बुखार कल की दुनिया से लेकर दर्जनों ब्लॉग के मालिक हे और सेकड़ों ,हजारों ब्लॉग की अपने घर बेठे थोक बजा कर मरम्मत कर उसे नई रंगत देने के लियें मशहूर हें अब बताओं पाबला जी की शान में यह चंद अल्फाज़ सूरज को दिया दिखाने के समान ऊंट के मुंह में जीरा नहीं तो क्या हे लेकिन यकीन मानिये जब भी पाबला जी से मुलाक़ात होगी तो बस जी भर कर उनके बारे में जानूंगा और लिखने का प्रयास करूंगा अभी तो बस इतना ही जान पाया हूँ के पाबला जी भिलाई इस्पात संयत्र में कार्यरत हें और दल्ली राजहरा के होने के कारण यहीं हाई स्कुल में पढ़े और बाद में रायपुर लुधियाना में जमे हें , और ब्लॉग की दुनिया में सभी छोटे बढ़े ब्लोगर के दिलों के शहंशाह और हर दिल अज़ीज़ बने हें ।
किसी शायर ने कहा हे ...खुदा नहीं न सही आदमी का ख्वाब सही
कोई हसीन नजारा तो हे नजर के लियें ......... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

प्लेन हाइजेकिंगᅠरोकेगा पीएएचटी


उसने वर्ष ख्००ऽᅠमें अमेरिका के राष्ट्रपति के विमान के हाइजैकᅠसे संबंधित

फिल्म एयरफोर्सक् या देチाी, उसके मन में विमान हाइजेकिंगᅠरोकने के लिए कुछ करने

की तमन्ना जाग उठी और उसने लगाग एक साल की मेहनत के बाद विमान हाइजेकिंगᅠरोकने

के लिए प्लेन एंटी हाइजेकᅠटेनालाजी (पीएएचटी) बनाकर उसका ल्यूᅠप्रिंट तैयार

कर लिया है।
हम बात कर रहे हैं ािवानीᅠजिले के तालूᅠगांव निवासी अशोक पंघालᅠकी। अशोक का

दावा है कि उसने जो ल्यूᅠप्रिंट तैयार किया है, उसे अमल में लाने के बाद विमान

हाइजेकिंगᅠपर पूरी तरह से रोक लग सकती है। बृहस्पतिवार को जींदᅠमें दैनिक

जागरण से एक チाास बातचीत में हांसी स्थित कोआपरेटिव सोसाइटी में उप निरीक्षक के

पद पर कार्यरत मात्र ख्ब्ᅠसाल के अशोक ने बताया कि एयरफोर्सक् फिल्म देチाने के

बाद उसे विमान हाइजेकिंगᅠरोकने की ललक उठी और इसके लिए उसने दर्जनों बार

दिल्लीमुंबई, दिल्लीचेन्नई व दिल्लीगोवा विमान में सफर ाी किया। इसके बाद उसने

ख्००ऽᅠमें ही फार्मूला बनाना तैयार किया। उसका दावा है कि यह फार्मूला

हार्डवेयर व साटवेयर के कंबीनेशनᅠसे बना है और उसे कोपिटᅠसे पायलट, कोपायलट

संचालित करेंगे।
उसने पूरी जानकारी देते हुए बताया कि विमान के कोपिटᅠमें उसका बनाया हुआ

साटवेयर लगा होगा, जोकि मोनिटरᅠसे संचालित होगा जबकि अन्य हार्डवेयर व साटवेयर

केबिन में लगा होगा। इसके अलावा विमान की जरूरत के अनुसार केबिन में

सीसीटीवीᅠकैमरों को ाी लगाया जाएगा। यदि कोई आतंकी विमान में घुसकर उसे

हाइजेकᅠकरना चाहेंगे तो कोपिटᅠमें बैठे हुए पायलट व कोपायलट कोपिटᅠसे इसे

आपरेट करेंगे और सीसीटीवीᅠफुटेजᅠसे केबिन में होने वाली हरकतों को देチाते हुए

कोपिटᅠमें लगे पीएएचटीᅠफार्मूला को एटीवेटᅠकरेंगे। एटीवेटᅠहोने के दो सेकेंड

में ही यह फार्मूला अपना काम करना शुरू कर देगा। इससे केबिन में लगे हार्डवेयर

व साटवेयर की सहायता से हाईजेकर्सᅠको बेहोश या फिर उसके स्नायु तंत्रों पर

प्रहार किया जाएगा, जिससे हाइजेकर्सᅠकुछ ाी करने की स्थिति में नहीं रहेंगे।

सुरक्षा कारणों से केबिन में लगे हार्डवेयर व साटवेयर या काम करेगा, अशोक ने यह

बताने से साफ इंकार कर दिया। उसका कहना है कि केबिन में लगे हार्डवेयर व

साटवेयर के जरिए गैस, विकीकरणᅠया आधुनिक हथियार जैसी कोई चीज निकाली जाएगी,

लेकिन उन्होंने इसका पूरा チाुलासा नहीं किया। उन्होंने बताया कि उनका यह

फार्मूला यात्रियों की सुरक्षा को देチाते हुए डिजाइन किया गया है। अशोक का कहना

है कि केबिन में लगा हार्डवेयर व साटवेयर कोपिटᅠके अलावा हैड आफिस से ाी जुड़ा

होगा। हैड आफिस में बैठे अधिकारी ाी कार्यालय से बैठकर इसे आपरेट कर सकेंगे और

जो चाहे निर्णय लेकर हाइजेकर्सᅠपर काबू पाया जा सकेगा।
बोइंगᅠव एयरबेसᅠकंपनियों से चल रही बातचीत
अशोक कहते हैं कि उनकी इस तकनीक को लेकर विमान निर्माता कंपनी बोइंगᅠव एयरबेसᅠसे उनकी बातचीत

चल रही है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो वह जल्द ही अपनी प्रजेंटेशनᅠदेंगे। उनका दावा है कि यह तकनीक

देश के लिए बहुत काम आ सकती है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि युवा पीढ़ी को आगे बढ़ाने के लिए

ऐसे लब या सेंटर बनाए जाए, जहां सीチाकर युवा पीढ़ी आगे बढ़ सकें।

ŒÜðÙ ãUæ§Áðç·¢¤» ÚUæð·ð¤»æ Âè°°¿ÅUè




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18.2.11

मुझे देखो में भारत महान हूँ

मेरा दर्द ... देखो में हिन्दुस्तान हूँ .......... .

Friday, February 18, 2011

देख लो
आज में
फिर दर्द से
छटपटा रहा हूँ
मझे मेरे अपने
लूट रहे हें
बस इसी दर्द से
कराह रहा हूँ में
रोज़ रोज़ की
इन भ्रस्ताचार की शिकायतों से
तडपने लगा हूँ में
नेत्ताओं के महमूद गजनवी बनकर
रोज़ मुझे लुटने से
घबरा गया हूँ में
जिसे अपना बनाया
जिसके हाथ में दोर दी मेने
वोह भी देखो
खुद मजबूर लाचार बन कर
मेरी लूट में शामिल होकर
समझोतों में लगा हे
इतना होता तो ठीक था
बस अब बेशर्मों की
तरह से
इस कहानी को गढ़ कर
खुद को
बेहिसाब अपराधों से
बचाने में लगा हे
मुझे बताओं
में अब क्या करूं
में इतना बेबस ,इतना लाचार
इतिहास गवाह हे
कभी नहीं रहा
लेकिन आज
में चुप खामोश
सब सह रहा हूँ क्योंकि
मुझ में करोड़ों करोड़
लोग बसते हें
और यह सभी लोग
मुझे
तू हे हिन्दुस्तान
तू हे मेरा भारत महान
कह कह कर हंसते हें
क्या
तुम देख सकोगे
क्या तुम बाँट सकोगे
मेरा यह दर्द
क्या तुम
कोई मरहम लगाकर
कोई अलादीन का चिराग जलाकर
दूर कर सकोंगे मेरा यह दर्द
अगर हाँ तो उठों ना
उठो बदल दो
यह सत्ता बदल दो यह रस्मो रिवाज
खुदा के लियें
पोंछ दो मेरे आंसू
बना दो मुझे फिर से
१९४७ माँ भारत आज़ाद
ताकि में गर्व से कह सकूं
में हिंदुस्तान हूँ
में मेरे करोड़ों करोड़ लोगों का
भारत महान हूँ
क्या कर सकोंगे ऐसा ........ ?
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

में शमा हूँ तो क्या ............

Friday, February 18, 2011

में शमां हूँ
तो क्या
तुम परवाने हो
मेरा क्या
में तो बस
एक रात
में ही जल कर
बुझ जाउंगी
फिर नई रात आएगी
नई शमा आएगी
उढ़ते हुए परवानों को
पास बुलाएगी
और फिर
उन्हें
तडपा तडपा कर
जलायेगी
तुम तो खुदा हो
रोक सकते हो तो रोक लो
बरसों से
चल रहे इस सिलसिले को
नहीं ना
नहीं रुकता हे
यह सिलसिला
तो फिर क्यूँ
यूँ ही मुझे
दोष देते हो
रात के अंधेरों में
मुझे जला कर
जिंदगी खुद की रोशन यूँ क्यूँ करते हो ............ । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तुम मेरे लियें .....

हाँ तुम मेरे लियें
झिलमिलाते
आसमां के तारे हों
उन्हें भी बस
टक टक निहारा जा सकता हे
तुम्हें भी बस यूँ ही
निहारा और देखा
जा सकता हे
जेसे तारे मुझे
कभी मिल नहीं सकते
वेसे ही
तुमने भी
मुझ से
नहीं मिलने की
ठान ली हे
तो बस
तुममें और आसमान के चमकते झिलमिलाते
तारों में क्या फर्क हे
तारे भी
रात में झिलमिलाते हें
तुम्हारी याद भी
बस रात को ही आती हे
तो फिर सही कहा ना मेने
तुम मेरे लियें
तारे सिर्फ तारे हो .................. । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

धारीवाल के कारतूसों पर धारीवाल का कारतुस

Thursday, February 17, 2011

राजस्थान के गृह मंत्री शान्ति कुमार धारीवाल हाल ही में एयरपोर्ट पर तलाशी के दोरान बेग से निकले कथित कारतूस प्रकरण में विपक्ष पर जमकर बरसे विपक्ष ने इस मामले को लेकर हंगामा किया तब धारीवाल ने विपक्ष को उनकी ओकात याद दिलाई ।
शांति कुमार धारीवाल ने सधी हुई भाषा में बार बार सद्भाविक भूल की चुटकी ली और चोर को ही थानेदार बना दिया आरोप लगा कर इस मामले में ६ माह की सजा का प्रावधान बताने वाले राजस्थान के पूर्व गुलाब चंद कटारिया से शांति धारीवाल ने कहा के चलो इस मामले की पूरी जांच आप ही कर डालो और इस जांच के अधिकारी भी आप बन जाओ फिर अगर आप मुझे दोषी मानते हें तो कार्यवाही करें नहीं तो इस मामले को शांत करे धारीवाल के इस कथन के बाद हंगामा करता विपक्ष एक दम खामोश हो गया और विधान सभा का शोर थम सा गया जब आरोप लगाने वाले को ही जांच की ज़िम्मेदारी दे गयी तो बस विपक्ष को सांप सूंघ गया क्योंकि विपक्ष भी जानता हे के वोह तुच्छ आरोपों को अनावश्यक तूल दे रहा था , धारीवाल के इस एलन के बाद विधान सभा का हंगामा खामोश और धारीवाल सभी झूंठे आरोपों से बरी कोटा में आज देनिक अख़बार कोटा ब्यूरों ने इस मामले में एक अख़बार सहित विपक्ष के खिलाफ सोदेबाज़ी का आरोप लगते हुए तल्ख टिप्पणी की हे और फिर इस मामले में ब्लेक मेल नहीं होने पर शांति धारीवाला की पीठ भी थपथपाई हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अमीन खान दास्ताँ अपनी कहते कहते रो पढ़े...

राजस्थान के एक मंत्री अमीन खान जो हाल ही में महा महीम राष्ट्रपति जी के खिलाफ कथित अपमानकारी टिप्पणी के लियें मंत्रिमंडल से निकाले गये हें वोह अब इचंस्भा में मोका मिलते ही फुट पढ़े ।
कोंग्रेस के विधायक के मामले में भाजपा के घनश्याम तिवारी ने पूंछा के अमीन खान ने कोनसी टिप्पणी की थी जिससे उन्हें निकलाना पढ़ा इसका जवाब देने खुद अमीन कहां खड़े हुए उन्होंने कहा में गाँव का शुद्ध गंवार आदमी मुझे बोलना नहीं आता गाँव का होने के नाते माननीय सोनिया जी और इंदिरा जी के प्रति में अपनी और कार्यकर्ताओं की वफादारी पली में अपने शब्दों में समझा रहा था और उस वक्त मेने राष्ट्रपति जी वाली बात कही मेरे मन में कभी कोई दुर्भावना नहीं रही लेकिन मेरे ही अपने लोगों ने इस बात को तूल दिया मुझे लगा की मेरी इस भावना का प्रदर्शन गलत किया गया हे और महामहिम राष्ट्रपति मुझ से नाराज़ हे इसलियें मेने खुद इस्तीफा दे दिया ।
अमीन खान ने गहलोत और गहलोत सरकार की जम कर तारीफ़ की लेकिन उनके चेहरे पर हंसी और नम आँखें उनके अंदर क्या गुजर रही हे उस भावना को झलका रही थी अमीन खान ने भाजपा के तस्करी के आरोपों के बारे में जवाब दिया के बाजपा विधायक गुलाब कटारिया की अध्यक्षता में एक समिति बना लें और वोह खुद जाँच कर लें अगर उन्हें लगे के वोह दोषी हें तो उन्हें फिर फांसी पर चढा दें । विधानसभा में अमीन खान के इस आक्रामक रुख से राजस्थान भाजपा सकते में हे और खुद विपक्ष के नेता घनश्याम तिवारी सदमे में हे के आखिर उन्होंने यह प्रश क्यूँ पूंछा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

निगम हाउस टेक्स पर ओम बिरला बरसे

राजस्थान विधान सभा में कोटा के विधायक ओम बिरला कल अचानक नगर निगम कोटा द्वारा हाउस टेक्स वसूली के नाम पर सख्ती बरतने और व्यापारियों की उपेक्षा बरतने के मामले में खूब भडके और इस वसूली को रोकने की मांग की ।
कोटा में भाजपा के काल में जब जब हाउस टेक्स लगाने की कोशिश की तब तब कोंग्रेस ने इस हाउस टेक्स का विरोध कर इसकी वसूली रुकवा दी अब फिर कोंग्रेस की सरकार आई और कोंग्रेस की महापोर कुर्सी पर बेठी बस जिस बात का विरोध कोंग्रेस ने किया वही वसूली कोंग्रेस ने शुरू कर दी और वसूली भी ऐसी सख्ती जिसने टेक्स जमा नहीं कराया नगर निगम में उनके फ़ूड लाइसेंस अन्य स्विक्र्तिया बंद कर दीं बस निगम की इस कार्यवाही पर ओम बिरला खूब जम कर बरसे और उन्होंने इस अवेध वसूली को तुरंत रोकने की मांग की जिस पर विधान सभा में कई विधायकों ने खूब तालियाँ बजा कर स्वागत किया । । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

इंजीनियर से बने मुनि महाराज ..................... .

मध्य प्रदेश के बुढार के रहने वाले अमित जेन लाखों खर्च कर इंजीनियर बने और लाखों रूपये प्रतिमाह के पैकेज को तय कर मुनि महाराजों के सम्पर्क में आने के बाद वोह सब कुछ त्याग कर मुनि महाराज बन गये लेकिन कल कोटा में छात्रों को देखा तो उनकी जानकारी फिर से ताज़ी होगयी ।
मुनि महाराज अमित जेन जिनका समाज में अपना नाम अपनी प्रतिष्ठा हे समाज उनके पीछे उमढ रहा था लेकिन कुछ कोचिंग के बच्चों को देख कर महाराज ठिठके उन्होंने उन बच्चों के तोर तरीकों को देखा भाला जाना और फिर मुनि महाराज उन्हें इंजीनियर की पढाई के टिप्स देने लगे बस ऐसा लगा के मुनि महाराज अपने बचपन अपने पढाई के दिनों में खो गये लेकिन इधर कोचिंग के बच्चे सोचते रहे के आखिर एक इंजीनियर पढ़ कर भी अपना सब कुछ त्याग कर मुनि महाराज बन सकते हें तो फिर दुनिया में क्या रखा हे ............... सही हे ना दुनिया दरी से समाज सेवा भली और समाज सेवा से इश्वर सेवा भली लेकिन यह सब दुनिया दारी .समाजसेवा के साथ भी अगर की जाए तो आज आदमी के भेस में जो जानवर घूम रहे हें वोह खालिस इंसान बन जाएँ हमें इंसान भी अगर मिल जाएँ तो समाज का काम चल जाए फिर मुनि और अवतार तो बहुत बढ़ी बात हे शायद इसीलियें इंसान को इन्सान बनाने के लियें मुनि महाराज ने बच्चों को कोचिंग टिप्स के साथ साथ कुछ टिप्स दिए ............. । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह आग केसी केसी .........

मेरे दिल में
तेरे
प्यार की आग
क्या
तेरे मिलन की
ठंडक से मिटेगी
मेरे तन की
यह आग
क्या
तेरे मिलन से
मिटेगी
लेकिन
मेरे जज्बात की आग
जो तुने भड़काई हें
न तेरे मिलन से
ना तेरे अश्कों से मिटेगी
बस सोच लो
इसके लियें तो
जो सियासत हे
मेरे देश की
जो बदली कहावत हे
मेरे देश की
जिसमे लिखते थे
मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी
अब लिखना पढ़ रहा हे
मजबूरी का नाम मनमोहन सिंह
यह नई मजबूरी
इस देश से
हब हटेगी
बस अब तो
दिल में लगी यह आग
तब ही बुझेगी ................ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

16.2.11

...अय धूप की किरन!!!!!




तूं
हर सुबह मेरे घर की खिड़की पर दस्तक देती थी।.

छोटी-छोटी किवाडों से मेरे घर में चली आया करती थी।

मैं चिलमन लगा देती फिर भी तू चिलमनो से झांक लिया करती।

तेरी रोशनी चुभती थी मेरी आंखों में,मेरे गालों पर,मेरी पेशानी पर।

मैं तुझे छुपाने कि कोशिश करती थी कभी किताबों के पन्नों से तो

कभी पुरानी चद्दरों से.लेकिन…..

ऎ किरन ! तू किसी न किसी तरहां आ ही जाती.

ना जाने तेरा मुजसे कैसा नाता था?

क्यों मेरे पीछे पड गई है तूं ?

आज मुझे परदेश जाने का मौका मिला है.मै बहोत खुश हुं।

ऎ किरन ! चल अब तो तेरा पीछा छुटेगा !

दो साल बाद वापस लौटने पर…..

जैसे ही मैने अपने घर का दरवाज़ा खोला !

मेरा घर मेरा नहीं लगा मुझे,

क्या कमी थी मेरे घर मैं?

क्या गायब था मेरे घर से?…..

अरे हां ! याद आया ! वो किरन नज़र नहीं आती !

बहोत ढुंढा ऊसे,पर कहीं नज़र नहीं आई,वो किरन,

खिड़की से सारी चिलमनें हटा दी मैने,फिर भी वो नहीं आई,

क्या रुठ गई है मुझ से?

घर का दरवाज़ा खोलकर देखा तो,

घर की खिड़की के सामने बहोत बडी ईमारत खडी थी.

उसी ने किरन को रोके रखा था।

आज मैं तरसती हुं, ऊस किरन को, जो मेरे घर में आया करती थी।.

कभी चुभती थी मेरी आंखों में..मेरे गालों पर…

आज मेरा घर अधूरा है, ऊसके बिना.ऊसके ऊजाले से मेर घर रोशन था.

पर आज ! वो रोशनी कहां? क्यों कि ….!

वो धूप की किरन नहीं..

दो गीत सिर्फ आपके लियें

दो प्रासंगिक गीत हे महरबानी करके कुच्छ कहिये ..... जरुर ....

Tuesday, February 15, 2011

आदरणीय भाईयों आदाब ,
अभी पिछले दिनों कोटा में एक साहित्यिक सम्मेलन में शमशेर ऐतिहासिक साह्तिय्कार पर परिचर्चा थी इस दोरान कोटा के कवि ठाडा राही की कविता से कार्यकम का आगाज़ हुआ और होना भी था क्योंकि मिस्र की तख्ता पलट क्रांति के बाद कई वर्षों पहले लिखी कविता और गीत प्रासंगिक बन गये यकीन मानिए इस गीत को कोटा के प्रसिद्ध साहित्यकार और चित्रकार जनाब शरद तेलंग ने साज़ के साथ जो आवाज़ दी उस आवाज़ ने इन बेजान अल्फाजों को ज़िंदा कर दिया और भारतेंदु समिति कोटा के साहित्यिक होल में बेठे सभी आगंतुकों को देश के हालातों पर सोचने के लियें मजबूर कर दिया इसलियें यह दो गीत हू बहू पेश हें .................................. ।
जाग जाग री बस्ती
अब तो जाग जाग री बस्ती ।
जीवन महंगा हुआ यहाँ पर
म़ोत हुई हे सस्ती । ।
श्रमिक क्रषक तो खेत मिलों में
अपना खून बहाते ,
चंद लुटेरे जबरन सारा
माल हजम कर जाते ,
बंगलों में खुलकर चलती हे
आदमखोर परस्ती । ।
जाग जाग री बस्ती .......
गूंगे बहरे बन जन युग में
पशुओं जेसे जीते ,
आक्रोशों को दबा दबा कर
अपने आंसू पीते
संघर्षों से क्यूँ डरते हो
सहते फाका मस्ती । ।
जाग जाग री बस्ती ............ ।
काली पूंजी का हे संसद
शासन से गठबंधन ,
मेहनत कश जनता जिनको
लगती हे जानी दुश्मन
घूम रहे हें बेदर्दों से
खाकी दस्ते गश्ती । ।
जाग जाग री बस्ती .....
तुमें ही हिटलर नदिरशाहों को धूल चटाई
शोषण के पंजों से
आधी दुनिया मुक्त कराई
उठो मुर्दनी क्यूँ छाई हे
छोडो हिम्मत पस्ती । ।
जाग जाग री बस्ती ॥
टूट गये मस्तूल ढेर ये
फटे हुए पालों को
जिसके चारों और घिरा हे
घेरा घड़ियालों का
खुद पतवार सम्भालो राही
डूब रही हे कश्ती । ।
जाग जाग री बस्ती ...
जमना प्रसाद ठाडा राही ...
एक दुसरा गीत हे जो भी पेश हें ॥
यह वक्त की आवाज़ हे मिल के चलो
यह जिंदगी का राज़ हे मिलके चलो
मिलके चलो मिलके चलो मिलके चलो रे
चलो भाई .........
आओ दिल की रंजिशें मिटा के आ ,
आओ भेदभाव सब भुला के आ ,
देश से हो प्रेम जिनको जिंदगी से प्यार
कदम कदम से और दिल से दिल मिला के आ
यह भूख क्यूँ यह ज़ुल्म का हे जोर क्यूँ
यह जंग जंग जंग का हे शोर क्यूँ ?
हर इक नजर बुझी बुझी हर इक नजर उदास
बहुत फरेब खाए अब फरेब क्यूँ ।
जेसे सुर से सुर मिले हों राग के
जेसे शोले मिल के बढ़े आग के
जिस तरह चिराग से जले चिराग
वेसे बढो भेद अपना त्याग के । ।
दोस्तों यकीन मानिए यह दो गीत जिनके हर अलफ़ाज़ ने मेरे दिल की गहराइयों को छू लिया था और मेने उसी वक्त प्रण किया था के इन दो गीतों से में मेरे साथियों की मुलाक़ात जरुर कराउंगा लेकिन बस वक्त की तंगी इंटरनेट की खराबी ने बेवफा बना दिया ओर में तुरंत खुद से आपके लियें क्या वायदा निभा नहीं सका लेकिन देर से ही सही अब प्रस्तुत हे दोस्तों अगर यह गीत इनके बोल आपको वर्तमान परिस्थितयों में प्रासंगिक और जीवित होने का एहसास दिलाएं और आप के हाथ खुद बा खुद कोई टिप्पणी करने के लियें मजबूर हो जाएँ तो इसके पहले हकदार गीतकार साहित्यकार शरद तेलंग हें और फिर इसका श्रेय भाई दिनेश राय द्विवेदी अनवरत और तीसरा खम्बा के ब्लोगर भाई के साथ महेंद्र नेह जी हें , .... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

क्या देश में गहलोत सा हे कोई दुसरा मुख्यमंत्री

Tuesday, February 15, 2011

दोस्तों आप इतिहास छानिये भविष्य के गर्भ में जाइए और बताइए क्या देश में हमारे राजस्थान जेसा कोई मुख्यमंत्री हे नहीं ना अब में इन मुख्यमंत्री जी की लोकप्रियता का कारण बताता हूँ राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत जी खुद के पास तो कोई विभाग नहीं रखते हें खुद बिना विभाग के मुख्यमंत्री हें लेकिन कंट्रोल पूरा का पूरा हे छोटी सी भी फ़ाइल हो मुख्यमंत्री भवन से गुजरेगी , अल्पमत हो तो यह जादूगर हें सरकार फिर भी बहुमत साबित कर बना लेते हें असंतुष्ट हो तो उसे अपना बना लेते हें लेकिन कोई गद्दार हो तो फिर उसे सबक भी सिखा देते हें ।
ऐसे कामयाब मुख्यमंत्री जिन्होंने ने विरोधियों को नाकों चने चबा दिए हों कल उनके निवास पर जब जनसुवाई के दोरान जनसुनवाई के दोरान आया और उसने मुख्यमंत्री गहलोत के गिरेबान पर हाथ डालना चाहा एक बार नहीं दो बार नहीं कई बार उसने ऐसा किया लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत ने अपना राजधर्म निभाया उन्होंने इस विक्षिप्त युवक से खुद ने कारण जानना चाहा और एक सन्वेदनशील राजा की तरह उन्होंने अपना राजधर्म निभाते हुए इस विक्षिप्त युवक को उसके गाँव चंव्दिया नागोर भिजवाया ।
मुख्यमंत्री का करिश्मा उनकी संवेदनशीलता इस हद तक तो ठीक थी लेकिन कल तो उन्होंने सभी हदें पार कर कीर्तिमान स्थापित कर दिया मुख्यमंत्री गहलोत इस विक्षिप्त युवक के ससुराल रह रहे पत्नी और बच्चों का हाल जानने पहुंच गये उन्होंने वहां इस युवक की पत्नी को पचास हजार की सहायता की घोषणा की और उसक युवक के पुत्र पुत्री मनीषा व् किरन की पढाई का खर्चा खुद उठाने की बात कही हमने किताबों में पढ़ा था किस्सों में सुना था के पहले राजा महाराजा रात को बहस बदल कर बाहर निकला करते थे और लोगों के दुःख दर्द छुप कर पता लगते थे फिर उन दुःख दर्द का समाधान उन तक पहुंचा कर राज धर्म अपनाते थे हमारे देश में किसी मुख्यमंत्री ने तो ऐसा नहीं किया था लेकिन जब हमारे राजस्थान के मुख्मंत्री अशोक गहलोत ने ऐसा कर दिखाया तो बस मुझ सहित राजस्थान की जनता का सीना गर्व से ऊँचा हो गया ...................... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

साहित्य की दुश्मन हें सरकारें

Tuesday, February 15, 2011

दोस्तों अव्वल तो इन दिनों साहित का अर्थ ही बदल गया हे जो कल लुटेरे हुआ करते थे आज वोह साहित्य के दूकानदार बने बेठे हें पहले साहित्य लिखने समझने और सुनने के लियें बहुत बढा कलेजा चाहिए था में मेरी बात बताता हूँ प्रारम्भ काल यानि बचपन में में भी पत्रकारिता के साथ साथ लोटपोट,चम्पक,चंदामामा ,नन्दन और लोकल समाचारों में कहानी कविताएँ छपवाकर तीसमारखां समझता था .।
मेने उर्दू साहित्य में एम ऐ करने का मन बनाया मेरे और साथी भी थे हमारे गुरु भी विख्यात शायर थे एम ऐ के दोरान जब बढ़े शायर,उर्दू साहित्यकारों को पढ़ा तो लगा हम इनका मुकाबला कभी नहीं कर सकेंगे रदीफ़ काफिया,प्लाट किरदार और भी साहित्य शायरी की बहुत बहुत विधाओं को जान्ने का अवसर मिला उर्दू केसे पैदा हुई फिर उर्दू को केसे ज़िंदा रखने का प्रयास किया फिर अब उर्दू को केसे खत्म किया जा रहा हे पढ़ा फिर एल एल बी के बाद निठल्ले तो सोचा हिंदी साहित्य भी पढ़ डालें सो हिंदी में एम ऐ बात वही साहित्य लिखने के फार्मूले वही बस लेखक अलग तरीके अलग अलफ़ाज़ शब्द अलग विचार एक श्र्गार रस, वीर रस ,सभी रसों ने साहित्य को सरोबार कर दिया फिर मुझे पत्रकारिता क्षेत्र में पहले पत्रकार फिर सम्पादक का काम करने को अवसर मिला इस दोरान साहित्यकारों,रचनाकारों,कवि,शायरों और घसियारों से मिलने का मोका मिला कोटा मेले दशहरे में सिफारिशें केसे लगती थीं केफ भोपाली कोटा में क्या करते थे अपनी गजलों को केसे बेच कर जाते थे सब जानते हें ।
मुम्बई भी कई बार किसी सिलसिले में जाना हुआ वहां देखा एक लेखक कई दर्जन लोगों को नोकर रखता हे एक खानी की थीम देता हे सब अलग अलग लिखते हें और मुख्य लेखक उन्हें भुगतान करता हे उस कहानियों के समूह में से काट छांट कर अपनी कहानी बनाता हे फिल्म वालों को बेच देता हे खेर यह तो साहित्य विक्रेताओं की बात हुई लेकिन टी वी ने अब साहित्य को चाहे आम कर दिया हो लेकिन लिखा जाने वाला साहित्य कम पढ़ा जाने लगा और पढ़ा जाने वाला साहित्य सुना जाने लगा इस बिगड़ी और बदली परिस्थिति को बदलने कोई भी आगे नहीं आया जो जानते हें साहित्य किया हे जो लिखते हें कविता,गजल,कहानी,लेख रिपोर्ताज क्या हें उनका हाल आप और हम सब जानते हें आज की जनता का टेस्ट क्या हे आप और हम देखेंगे तो शर्म के मारे मर जायेंगे आज मुन्नी बदनाम हो गयी ,पप्पू पास हो गया , शीला जवान हो गयी,ऐ बी सी डी छोडो ,एक दो तीन ,मुन्ना बाही मोटर चली जेसे गाने हिट होते हें तो जनता की सोच पर अफ़सोस होता हे ना गीत हे न संगीत हे ना अलफ़ाज़ हें ना विचार हें ना फलसफा हे लेकिन गीत सुपर हिट हे कुल मिला कर अगर मेरे शब्दों में कहा जाए के इन दिनों साहित्य गरीब की जोरू सबकी भाभी बन गयी हे और साहित्य के साथ सरे राह बलात्कार ही बलात्कार हो रहा हे यही वजह हे के आज साहित्य तार तार हे जो साहित्यकार हें उनकी एक अलग कतार हे उनकी आँखों में आंसू चेहरे पर प्यास समाज में उपेक्षा टूटा हुआ घर फटे कपडे दो रोटी की आस उसका सरमाया हे जो दूकानदार हे उनके पास चमचमाती गाडिया हे बंगले हें कई प्रकाशन हे कविसम्मेलन के मुशायरे के साहित्यिक संस्थाओं के बुलावे हें लेकिन कुछ हे जो संघर्ष कर रहे हें और उम्मीद में हें के वोह इस जंग को जीत कर रहेंगे देश में चाहे कभी लिखा जाने वाला साहित्य हो चाहे बोला जाने वाला चाहे छापा जाने वाला साहित्य हो भी साहित्यकारों को कामयाबी का इन्तिज़ार हे आज अकादमियों में सरकार का कब्जा हे अकादमी में राजनीति हो रही हे हमारे अपने राजस्थान की बात करें यहाँ उर्दू,हिंदी,सिन्धी,पंजाबी साहित्य अकादमी में अध्यक्ष पद रिक्त पढ़े हें साहित्यिक गतिविधियाँ नोकर शाहों के हवाले हें कमोबेश देश और दुसरे राज्यों में साहियिक संस्थाओं का यही हाल हे जो निजी साहित्यिक संस्ताये हें वहां संथा अधिनियम की पालना नहीं हे सियासत ने वहां की आमदनी देख कर कब्जा कर लिया हे सदस्य गेर साहित्यकार बने हें और हालात यह हें के चुनाव में गेर साहित्यकार ही संस्थाओं के मालिक बने बेठे हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान