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14.1.11

स्वाभिमान टाइम्स और डेली न्यूज़ में परिकल्पना ब्लॉग विश्लेषण -२०१० की चर्चा

लोकसंघर्ष पर पुनर्प्रकाशित परिकल्पना ब्लॉग विश्लेषण-२०१० की चर्चा स्वाभिमान टाईम्स ( 9 जनवरी 2011 को स्वाभिमान टाईम्स के नियमित स्तंभ ‘अन्तर्जाल’ ) में .....
2 जनवरी 2011 को जयपुर से प्रकाशित डेली न्यूज़ में परिकल्पना-अमरेन्द्र प्रकरण
सहित पिछले वर्ष की हिन्दी ब्लॉगिंग का जायजा लेता सुश्री प्रतिभा कुशवाहा का आलेख.......

11.1.11

सर्दी से बचने के उपाए

लीजिये मित्रो हम फिर से उपस्थित हैं अपने इस चिठ्ठे  पर, काफी समय बाद हमारा आना हुआ पर क्या करे काम ही कुछ ऐसा हैं | कल हमारे एक मित्र रमेश जी ने हमसे इस सर्दी के विषय में कुछ लिखने को कहाँ  तो सोचा चलो इस सर्दी  से बचने के उपाए ही लिखे जाए |

प्राय: जब भी मंगल ग्रह अस्त होता हैं तो धरती पर गर्मी का प्रभाव कम हो जाता हैं चूँकि इस बार यह ११ मई  तक अस्त ही रहेगा जिस कारण गर्मी में कमी यानी सर्दी ज्यादा पड़ेगी या कहे पड़ रही हैं | गुरु ग्रह व शुक्र भी (लगभग ४ माह) अपनी अपनी राशी में ही रहे जिससे वर्षा खूब हुई और इसी वर्षा ने सर्दी को और बढाने का काम किया | 

इस जाड़े से कैसे बचे -इस भयंकर सर्दी से बचने के लिए राशि अनुसार हम कुछ उपाए यहाँ पर बता रहे हैं व आशा करते हैं की हमारे पाठक इससे लाभान्वित होंगे |

मेष राशी - गाय के घी में गेहू,गुड व बादाम के बने हलवे का सेवन  करे |

वृष राशी - दूध में लहसुन व मिश्री डालकर रोजाना सवेरे पीये |

मिथुन राशी - मूंगकी दाल का हलवा खाए |

कर्क राशी - केसर मिला दूध पिए |

सिंह राशी - मेष राशी वाला उपाए ही करे |

कन्या राशी- मूंग की दाल की बनी चाट पकोड़े खाए |

तुला राशी- लहसुन की बनी खीर का सेवन करे |

वृश्चिक राशी- सरसों के तेल की मालिश करे तथा गुड का सेवन करे |

धनु राशी- मेथी साग का सेवन करे |

मकर राशी- उड़द की दाल का बना पकवान खाए |

कुम्भ राशी- उड़द की दाल का सेवन ज्यादा करे |

मीन राशी- मेथी साग का प्रयोग खाने में करे |

दैनिक जागरण में छपे अपने विचार



मित्रो! आज के दैनिक जागरण समाचार पत्र के सम्पादकीय पृष्ठ के जागरण जंक्शन.कॉम नामक कॉलम में हम भी बोले तो हमारे विचार भी छप गये हैंसमय मिले तो अवश्य पढ़ना... धन्यवाद...

10.1.11

खटीमा में उपस्थित हुए देश भर के ब्लोगर और साहित्यकार

खटीमा। साहित्य शारदा मंच के तत्वावधान में डा0 रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ की सद्यःप्रकाशित दो पुस्तकों क्रमशः सुख का सूरज (कविता संग्रह) एवं नन्हें सुमन (बाल कविता का संग्रह) का लोकार्पण समारोह एवं ब्लॉगर्स मीट का आयोजन स्थानीय राष्ट्रीय वैदिक विद्यालय, टनकपुर रोड, खटीमा (ऊधमसिंह नगर) में सम्पन्न हुआ।
पुस्तकों का लोकार्पण सभाध्यक्ष डा0 इन्द्रराम, से0नि0 प्राचार्य राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय काशीपुर के कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि दिल्ली से आए लोकप्रिय व्यंगकार एवं वरिष्ठ ब्लागर श्री अविनाश वाचस्पति एवं विशिष्ट अतिथि श्री सोहन लाल मधुप, सम्पादक प्रजापति जगत पत्रिका थे तथा आमंत्रित अतिथियों में परिकल्पना ब्लॉग के संचालक लखनऊ से पधारे श्री रवीन्द्र प्रभात, लोक संघर्ष पत्रिका के प्रबन्ध सम्पादक बाराबंकी से पधारे एडवोकेट रणधीर सिंह ‘सुमन’, हसते रहो ब्लॉग के संचालक दिल्ली से पधारे श्री राजीव तनेजा, पद्म सिंह, पवन चंदन, धर्मशाला (हिमांचल प्रदेश) के केवलराम, बेतिया (बिहार) से मंगलायतन ब्लॉग के संचालक मनोज कुमार पाण्डेय के अतिरिक्त बरेली से आए शिवशंकर यजुर्वेदी, किच्छा से नबी अहमद मंसूरी, लालकुऑ (नैनीताल) से श्रीमती आशा शैली हिमांचली, आनन्द गोपाल सिंह बिष्ट, रामनगर (नैनीताल) से सगीर अशरफ, जमीला सगीर, टनकपुर से रामदेव आर्य, चक्रधरपति त्रिपाठी, पीलीभीत से श्री देवदत्त प्रसून, अविनाश मिश्र, डा0 अशोक शर्मा, लखीमपुर खीरी से डा0 सुनील दत्त, बाराबंकी से अब्दुल मुईद, पन्तनगर से लालबुटी प्रजापति, सतीश चन्द्र, मेढ़ाईलाल, रंगलाल प्रजापति, नानकमता से जवाहर लाल, स0 स्वर्ण सिंह, खटीमा से सतपाल बत्रा, पी0एन0 सक्सेना, डा0 सिद्धेश्वर सिंह, रावेन्द्र कुमार रवि, डा0 गंगाधर राय, सतीश चन्द्र गुप्ता, वीरेन्द्र कुमार टण्डन आदि उपस्थित रहे।
लोकर्पण समारोह के पश्चात विषय प्रवर्तन के अन्तर्गत हिन्दी भाषा और साहित्य में ब्लॉगिंग की भूमिका विषय पर उद्बोधन करते हुए रवीन्द्र प्रभात ने कहा कि इस समय हिन्दी में लगभग 22 हजार के आसपास ब्लॉग हैं, जबकि यह संख्या अंग्रेजी की तुलना में काफी कम है। अंग्रेजी में इस समय लगभग चार करोड़ से अधिक ब्लॉग्स हैं। हालॉकि यह अलग बात है कि अप्रत्याशित रूप से ब्लॉगिंग विश्व में एशिया का दबदबा कायम है। टेक्नोरेटी के एक सर्वेक्षण के अनुसार विश्व के कुल ब्लॉग्स में से 37 प्रतिशत जापानी भाषा में हैं, 36 प्रतिशत अंग्रेजी में, और 8 प्रतिशत के साथ चीनी तीसरे नम्बर पर है। अभी तुलनात्मक रूप से भले ही हिन्दी ब्लॉग का विस्तार कॉफी कम है किन्तु हिन्दी ब्लॉगों पर एक से एक एक्सक्लूसिव चीजे प्रस्तुत की जा रही हैं और ऐसी उम्मीद की जा रही है की आने वाले समय में हिन्दी ब्लॉगिंग का विस्तार काफी व्यापक होगा।
अविनाश वाचस्पति ने कहा कि ब्लॉगिंग की कार्यशाला विद्यालयों में होनी चाहिए खासकर जूनियर कक्षा के विद्यार्थियों को कम्प्यूटर के माध्यम से ब्लॉग बनाना सिखाया जाये। इससे हिन्दी ब्लॉगिंग का बहुआयामी विस्तार होगा। जबकि राजीव तनेजा का कहना था कि धीरे-धीरे ब्लॉगिंग समान्तर मीडिया का रूप लेता जा रहा है और आने वाले समय में यह आशा की जा रही है कि ब्लॉगिंग के माध्यम से हिन्दी काफी समृद्ध होगी। इस अवसर पर पवन चन्दन ने कई उद्धरणों के माध्यम से ब्लॉगिंग के विस्तार पर प्रकाश डाला। लोक संघर्ष पत्रिका के प्रबन्ध सम्पादक एडवोकेट रणधीर सिंह ‘सुमन’ ने रहस्योघाटन करते हुए कहा कि हिन्दी के कई ऐसे वरिष्ठ साहित्यकार हैं जो ब्लॉग जगत की गतिविधियों के न जुड़े होने के बावजूद हमारे पास अपनी रचनाएँ प्रेषित करते हैं ताकि उन्हें ब्लॉग में सम्मानजनक स्थान दिया जा सके। जिस दिन यह सभी वरिष्ठ साहित्यकार ऑनलाइन अन्तरजाल से जुड़ जायेंगे मेरा दावा है कि हिन्दी ब्लॉगिंग का परचम पूरी दुनिया में लहरायेगा।
इस अवसर पर डा0 सिद्धेश्वर सिंह ने हिन्दी ब्लॉगिंग के कई अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिन्दी ब्लॉगिंग हिन्दी भाषा और साहित्य को एक नया संस्कार देने की दिशा में तेजी से अग्रसर है।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डा0 रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि आज हमारी संस्था द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का जीवंत प्रसारण अन्तरजाल पर पौडकास्ट के माध्यम से जबलपुर में बैठे श्री गिरीश बिल्लौरे मुकुल द्वारा इसे संचालित किया जा रहा है और पूरी दुनिया इस जीवंत प्रसारण का आनन्द उठा रही है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डा0 इन्द्रराम ने कहा कि मेरे लिए यह एक नया अनुभव है कि साहित्य और ब्लॉग जगत से जुड़े हुए रचनाधर्मियों का सानिध्य खटीमा जैसे छोटे से शहर में प्राप्त हो रहा है।
कार्यक्रम का संचालन श्री रावेन्द्र कुमार रवि द्वारा किया गया।

(खटीमा से डा रूप चन्द्र शास्त्री की रपट )

9.1.11

पेट के लिए ठण्ड में भी दिखाने पड़ते है करतब

कड़ाके की ठंड है तो या हुआ पेट की आग तो बुझानी ही है। हाड़ कंपा देने वाली ठंड में भी रोजी रोटी के लिए रस्सी पर करतब दिखाती यह बालिका संजना शायद यही कह रही है|

8.1.11

आंध्र प्रदेश का विभाजन ही समस्या का हल है?


आन्ध्र प्रदेश का दो भागों अथवा तीन भागों में विभाजन करना ही क्या समस्या का हल है? तेलंगाना राज्य की समस्या कहीं राजनीतिक बेरोजगारों द्वारा स्वयं को रोजगार उपलब्ध करवाने का एक प्रयत्न मात्र तो नहीं? हम अल्प विकास के नाम पर बिहार को दो भागों में विभाजित कर झारखंड का निर्माण देख चुके हैं। किन्तु झारखंड को घोटालों अथवा अव्यवस्था के सिवा भला क्या हासिल हुआ?

क्या सारा देश हिजडा हो गया हे ................?

दोस्तों मेने आभी अभी ब्लोगर कवि योगेन्द्र मोदगिल जी की एक रचना जिसका शीर्षक क्या सारा देश हिजड़ा हो गया हे पढ़ी इस रचना में उन्होंने अख़बार और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के सेक्स विज्ञापनों की भरमार की तरफ ऊँगली उठायी हे मेने इसका जवाब कवि महोदय को दिया के हाँ सारा देश हिजडा ही हो गया हे भाई आप मेरी बात से सहमत हों या न हों लेकिन मेरी बात पूरी तो पढेंगे । आज आप घर बाहर टी वी अख़बार जहां भी देखें सडकों पर दीवारों पर विज्ञापन देखें तो खुलेआम सेक्स की दवाओं के बेशर्म विज्ञापन हें । अख़बार टी वी जो देश को सुधारने और देश को नेतिक चारित्रिक शिक्षा देने की बात करते हें वोह इतनी बेशर्मी फेलायेंगे सपनों में भी किसी ने नहीं सोचा था लेकिन इससे भी बढ़ी हिजड़ी हमारी जनता और हमारी सरकार हे हमारा सिस्टम तो बिलकुल ही हिजड़ा गया हे । देश में ऐसे सेक्स के मामलों के विज्ञापन प्रकाशन नहीं करने की मनाही हे और ओषधि उपचारक नियन्त्रण विज्ञापन प्रतिषेध अधिनियम बनाया गया हे जिसमें लोगों के साथ ऐसी दवाओं के नाम पर जज्बात भड़का कर ठगी ना हो इसके लियें ऐसी दवा का विज्ञापन देना .छापना दोनों अपराध हें और आज जो कुछ भी अखबारों में छप रहा हे या टी वी में चल रहा हे सब अपराध हे और संगिये अपराध होने के कारण जिसमें पुलिस खुद मुकदमा दर्ज कर दोषी लोगों को गिरफ्तार कर सकती हे पुलिस को ऐसे विज्ञापन छपने वाले सम्पादकों मालिकों और टी वी चेनल वालों सहित विज्ञापन छपवाने वालों को गिरफ्तार कर जेल भेजना चाहियें और सम्बन्धित सामग्री जब्त करना चाहिए । वेसे भी ड्रग एक्ट के तहत किसी भी दवा का विज्ञापन देना अपराध हे अब में मर्द और हिजड़ों की बात पर आता हूँ दोस्तों कोटा में जब हमने अख़बारों में यह हाल देखा हर पेज पर सेक्स की दवा और ट्यूब इंजक्शन मशीनों यंत्रों के विज्ञापन हें तो हमारी मर्दानगी जागी और हम सभी अख़बार कानून लेकर थाने मुकदमा दर्ज करने जा पहुंचे थानेदार जी हेडिंग की तरह थे अख़बार वालों का नाम मुलजिमों की सूचि में देख कर घबरा अगये और उन्होंने मेरे हाथ जोड़ लिए में फिरागे बढा सर्किल अधिकारी के पास पहुंचा लेकिन वही हारा थका हेडिंग नुमा जवां मिला मेने सोचा चलो कोटा एस पी साहब को तो किसी बात का डर नहीं हें वोह तो जाते ही रिपोर्ट दर्ज करवा देंगे सो में उनके पास पहुंच गया उन्होंने कागज़ उलटा पलटा कानून देखा और अगल बगल झाँकने लगे तो भाई मेने फ़ाइल उठाई आई जी साहब के पास जा पहुंचा आई जी साहब ने भी मुकदमा दर्ज नहीं किया और फ़ाइल पेंडिंग में डाला दी में भी कहां हार मानने वाला था में उठा कलेक्टर कोटा टी रविकांत जी के पास जा पहुंचा कलेक्टर थे के करंट में थे उन्होंने मेरा प्रार्थना पत्र और कानून की कोपी देखी सरकार के वकील और विधि सहायक को बुलाया विज्ञापनों की विधिक जाँच की और बस उन्होंने सभी अख़बार वालों के खिलाफ कार्यवाही करने का एक फरमान कोटा नगर पुलिस अधीक्षक के नाम डाल दिया और जनसम्पर्क अधिकारी महोदय को बुला कर इस मामले में कानूनी रूप से प्रेस विज्ञप्ति जारी करने का भी निर्देश दिया कुछ अख़बारों में विज्ञप्ति छपी सोचा अख़बार तो विज्ञापन बंद कर देंगे पुलिस अधीक्षक ने कलेक्टर के आदेश निर्देशों को दायें बाएं किया और कोई कार्यवाही नहीं की फिर रोज़ जब विज्ञापन छपते रहे तो में एक बार फिर कलेक्टर के पास जाना चाहता था के सुबह खबर पढ़ी कोटा कलक्टर का ट्रांसफर कर दिया गया हे मेने कलेक्टर को इस हेडिंग के आधार पर बने समाज की आर्य्वाही पर सांत्वना दी और मामला अदालत में पेश किया जहां अदालत ने सभी अख़बार मालिकों को सम्मन से तलब किया हे लेकिन जनाब पुलिस की रिपोर्ट आई हे के अख़बार वाले वक्त पर नहीं मिलते इसलियें उन्हें सम्मन तामिल नहीं करवाए जा सके अब आप खुद ही बताइए जब इतनी सारी कार्यवाही के बाद भी विज्ञापन बदस्तूर जारी हो गेर कानूनी काम चल रहा हो तो फिर क्या इस देश के लोगों इस देश के समाज सेवकों इस देश की पुलिस इस देश के कानून और सिस्टम के लियें कवि योगेन्द्र मोदगिल की कविता का शीर्षक क्या असार देश हिजडा हो गया हे सही नहीं हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान