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14.12.10

राहुल के निकटतम जितेन्द्र के दादा गांधी की हत्या में शामिल थे

देश के कोंग्रेस के युवा सम्राट के निकटतम मित्र और विशेष सलाहकार अलवर के महाराजा डोक्टर जितेन्द्र सिंह के दादा अलवर के पूर्व महाराजा तेजसिंह गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के सहयोगी थे और उन्हें इस मामले में नजर बंद भी किया गया था । अलवर के महाराजा का यह सच किसी विपक्ष में बेठे व्यक्ति ने नहीं बताया हे बलके राजस्थान सरकार के दो वर्ष की उपलब्धी मामले में प्रकाशित पुस्तक अलवर जिला दिग्दर्शन में इस मामले का रहस्योद्घाटन किया गया हे ।
कल अलवर में प्रभारी मंत्री और यातायात मंत्री ब्रिज किशोर शर्मा ने जब इस पुस्तिका का विमोचन किया और अलवर के पूर्व महाराजा जो कोंग्रेस सांसद और राहुल गाँधी के अति विश्वसनीय निकटतम डोक्टर जितेन्द्र सिंह के दादा स्वर्गीय तेज सिंह के इस प्रकाशित रस्योद्घाटन जिसमे महाराजा तेजसिंह और अलवर के प्रधान मंत्री ऍन वी खरे को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के षड्यंत्र में शामिल होना बताया गया हे और इस आरोप में इन दोनों को नजरबंद भी किया गया था के बारे में जब प्रभारी मंत्री जी से पूंछा गया तो मंत्री जी ने अलवर की भूमि पर ही सीधे जवाब दिया के किताब में छपा हे तो सच ही होगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

12.12.10

ड्रेन के जहरीले पानी से हो रही हैं किसानों की फसलें खराब

नहरी विभाग को किसानों की फसलों की कोई परवाह नहीं
कुंभकर्णी नींद सोया हुआ है नहरी विभाग
सफीदों (हरियाणा) : सफीदों कस्बे के गंदे पानी व बाढ़ के पानी की निकासी करने वाली सफीदों डिच ड्रेन उपमंडल के गांव छाप्पर के किसानों पर कहर बनकर बरप रही है। ड्रेन की सफाई ना होने की वजह से हर सीजन में किसानों की फसलें तबाह हो रही हैं। ग्रामीण प्रशासन व नहरी विभाग के आला अधिकारियों को कई बार ड्रेन की सफाई के लिए गुहार लगा चुके हैं लेकिन प्रशासन व नहरी विभाग के अधिकारी इस समस्या को लेकर कुंभकर्णी नींद सोए हुए हैं। प्रशासन को किसानों की जान व माल की कोई परवाह नहीं है। किसान जगतार सिंह, बलदेव सिंह, मालक सिंह, कुलवंत सिंह, जोगेंद्र सिंह, महेंद्र सिंह व साहब सिंह ने बताया कि सरकार ने बाढ़ के पानी को निकालने के लिए हांसी ब्रांच नहर के दोनों ओर डिच ड्रेन बनाई हुई हैं। इस ड्रेन में बाढ़ के साथसाथ सफीदों कस्बे का गंदा पानी भी सारा साल बहता है। यह ड्रेन पिछले कई वर्षें से गंदगी व घास से अटी पड़ी है। ड्रेन के बंद होने के कारण गंदा व बरसाती पानी किसानों के खेतों में मार करता है। जिससे उनकी हर सीजन में लाखों रुपए की फसलें तबाह हो जाती हैं।किसानों ने बताया कि इस ड्रेन के माध्यम से सफीदों से जो गंदा पानी आता है वह पानी बहुत ही जहरीला है तथा यह जहरीला पानी ड्रेन बंद होने के कारण उनके खेतों में बह जाता है। किसानों ने बताया कि इस जहरीले पानी की चपेट में कोई भी फसलीय पौधा आता है वह उसी वक्त वह पौधा नष्ट हो जाता है। इस ड्रेन में समुंद्र सोख नामक वनस्पति पैदा हो गई है जोकि पशुओं के लिए घातक है तथा पानी के बहाव को भी रोकती है। इस पानी के संपर्क में आने से कई पशु गंभीर रोगों का शिकार हो चुके हैं। किसानों का कहना है कि पहले उनकी धान की फसले खराब हुई थी अब गेंहु की फसल भी चौपट होने के कगार पर है। अगर प्रशासन ने इस ओर कोई कदम नहीं उठाया तो उनके अरमानों पर पानी फिरने से कोई नहीं रोक सकता। किसानों का कहना है कि इस ड्रेन की सफाई हुए काफी वर्ष हो चुके है। कायदे से तो ड्रेन की सफाई हर वर्ष् होनी चाहिए लेकिन विभाग को कायदे कानूनों से कोई सरोकार नहीं है। नहरी विभाग की कारगुजारियों के कारण खेतों में जलभराव होना एक आम बात हो गई है। किसानों ने बताया कि इस ड्रेन के बंद होने के कारण अब इसका पानी गांव के रिहायशी इलाकों में भी मार करने की संभावना बन गई है।पानी के बढ़ते जलस्तर के कारण गांव की हरिजन बस्ती में भी ड्रेन का पानी घूसने की प्रबल संभावना है। ग्रामीणों का कहना है कि वे इस समस्या को लेकर कई बार प्रशासन व नहरी विभाग के आलाधिकारियों के पास जा चुके है लेकिन आज तक उन्हें कोरें आश्र्वासनों के अलावा कुछ भी नहीं मिला। ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन चाहता है कि उनके खेतों व गांव में जलभराव ना हो तो उसे अपनी कुंभकर्णी नींद से जागना होगा। उन्होंने प्रशासन व विभाग से गुहार लगाई है कि इस ड्रेन की समुचित सफाई करवाई जाए। अब देखना यह है कि विभाग अपनी कुंभकर्णी नींद से कब जागता है? इस संबंध में नहरी विभाग के कार्यकारी अभियंता कमलकांत से बात की गई तो उन्होंने कहा कि खेतों में खड़ा पानी गांव की बस्तियों का है। विभाग समयसमय पर इस ड्रेन की सफाई करवाता रहता है। अब फिर से सफाई करवाने के लिए अतिरिक्त उपायुक्त के पास एस्टीमेट बनाकर भेजा जा रहा है। एस्टीमेट पास होने के बाद मनरेगा के तहत इस ड्रेन की सफाई करवाई जाएगी।

11.12.10

कोन जज भ्रष्ट हे , यह पब्लिक हे सब जानती हे

देश में कोन जज कितना भर्स्ट हे और कोन कितना ईमानदार हे , यह पब्लिक हे सब जानती हे अंदर क्या हे बाहर क्या हे सब जानती हे जी हना यह किसी फ़िल्मी गाने की लाइन या डायलोग नहीं हे बलके देश की सुप्रीम कोर्ट की टिप्प्प्नी हे जो उन्होंने देश की एक इलाहाबाद हाईकोर्ट की याचिका की सुनवाई के दोरान की हे ।
दोस्तों पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के जज मार्कड काटजू पर श्रीमती ज्ञान सुधा मिश्रा ने अपने एक फेसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़सलों में गंदगी और भ्रस्ताचार की बदबू देख कर सर पकड़ लिया था और टिप्पणी की थी के देश की कुछ न्यायालय आज अंकल सिड्रोम के दोर से गुजर रहे हें और इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकील और जज के नापाक रिश्ते आम हो गये हें , सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज तिलमिला गये और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दायर कर इस टिप्पणी को निकालने की मांग की बस इस याचिका की सुनवाई के दोरान इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकील साहब के तर्क सुन कर सुप्रीम कोर्ट के जज काटजू आप खो बेठे और कहने लगे के वकील साहब देश की जनता हे देश की पब्लिक हे सब जानती हे के कोन जज कितना भ्रष्ट हे उन्होंने कहा के इलाहाबाद के सभी जज भ्रष्ट नहीं हें लेकिन वहां क्या चल रहा हे सब जानते हें , जस्टिस काटजू ने कहा के अगर आज में भ्रष्ट हो जाऊँगा तो जनता को पता हे के कोन कितना भ्रष्ट हे , सुप्रीम कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट की पुनर्विचार याचिका ख़ारिज कर दी हे कहने को तो यह महज़ एक फेसला हे लेकिन इस फेसले में देश का दुःख देश का दर्द देश की अस्त व्यस्त कानून व्यवस्था छुपी हे और जब इस दर्द से सुप्रीम कोर्ट के जजों की आत्मा कराह रही हे तो फिर आम जनता के दर्द का क्या आलम होगा कहते हें हर शाख पे भ्रष्ट बेठा हे अंजामे गुलिस्ता क्या होगा ................ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

पूजा हो या नमाज़

पूजा या नमाज़ कायम करो .....

जिसकी पूजा
या नमाज़ सच्ची
तो उसकी
जिंदगी अच्छी ,
जिसकी जिंदगी अच्छी
उसकी म़ोत अच्छी
जिसकी म़ोत अच्छी
उसकी आखेरत अच्छी
जिसकी आखेरत अच्छी
उसकी जन्नत पक्की
तो जनाब इसके लियें
करो पूजा या नमाज़ सच्ची ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

10.12.10

चोर चोर मोसेरे भाई

देश में सबसे बढ़ा संचार घोटाला हुआ इस पर भाजपा का संसद में शोर शराबा हुआ और जे पी सी की मांग को कोंग्रेस लगातार तानाशाहों की तरह ठुकराती रही ऐसे घोटाले पहले भी हुए हें कोंग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री सुखराम के खिलाफ तो इस घोटाले में पकड़े जाने के बाद मुकदमा चला और सजा हुई , भाजपा शासन में ऐसे ही घोटालों में पूर्व मंत्री स्वर्गीय प्रमोद महाजन पर अरबों रूपये के आरोप लगे और फिर उनसे इस्तीफा लिया गया , भाजपा के ही अरुण शोरी को आरोपों के बाद पद से हटाया गया अब ऐ राजा इस भ्रस्ताचार की गिरफ्त में हे लेकिन देश के बढ़े उद्योगपति जो इस घोटाले में शामिल हें उन रतन जी टाटा ने सुप्रीम कोर्ट की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा हे के संचार घोटाले मामले की जाँच वर्ष २००१ से होना चहिये रतन टाटा ने ऐसा क्यूँ बयान दिया हे वेसे तो सब जानते हें लेकिन जब रतन टाटा ने गेर जरूरी तोर पर इस मामले में प्रधानमन्त्री मनमोहन सिघ की वकालत की तो बात साफ़ हो गयी और सब जान गये के रतन टाटा ने यह बयान दिया नहीं बलके उनसे यह बयान किसी दबाव में दिलवाया गया हे ताकि भाजपा जे पी सी की मांग से बेकफुट पर आजाये और कोंग्रेस भाजपा चोर चोर मोसेरे भाई की तरह तू मेरी मत कह में तेरी नहीं कहूँ की तर्ज़ पर खामोश हो जाए । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

भ्रस्ताचार ही भ्रस्ताचार

विश्व भ्रस्टाचार दिवस पर भी भ्रष्टाचार ही भ्रस्टाचार

दोस्तों विश्व भ्रस्टाचार दिवस के उपलक्ष में आप सबको बधाई , भ्रस्टाचार मामले में हमारा देश ७५ प्रतिशत त्रस्त हे और यहाँ का करीब २० लाख करोड़ रुपया विदेशों में जमा हे जो अब बढ़ कर २५ लाख करोड़ रूपये हो गयी हे , दोस्तों कम से कम हमारा देश भ्रस्टाचार मामले में तो तरक्की कर ही रहा हे और तरक्की भी कितनी के इस देश में भ्रस्ताचार की जांच करने वाली केन्द्रीय सतर्कता समिति के आयुक्त थोमस खुद भ्रष्टाचार मामले में उलझे हुए हें उलझे भी ऐसे के प्राथमिक आधार पर थोमस को प्रथम द्रष्टया दोषी मानकर सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मान लिया हे लेकिन जनाब को शर्म ही नहीं हे और वोह पद से इस्तीफा देना नहीं चाहते हें ।
देश का २५ लाख करोड़ रूपये जो बाहर भेजा गया हे मेने मेरे साथ बेठे कुछ पढ़े लिखे लोगों से लिख कर बताने को कहा कई लोग पोस्ट ग्रेजुएट थे लेकिन इस रकम को कोई लिख नहीं सका अब दोस्तों देश के नोजवान जिस राशी को लिख भी नहीं पा रहे हें इससे भी कई अधिक राशि आज विदेश में हे जो हमारा हक हे । हमारे देश में आज भ्रस्ताचार शिष्टाचार बन गया हे और भ्रस्ताचार रोकने के लियें जितने भी कानून बने हें वोह ढीले हें क्योंकि इन कानूनों को भर्स्ट लोगों ने ही तय्यार किया हे आज देश में भ्रस्ताचार को रोकने का कानून जो कुल दो प्रष्ट का हे अपने आप में मजाक हे करोड़ों की रिश्वत लेते पकड़ो और मामला थाने और जमानत का हे विचारण जज स्तर के अधिकारी करेंगे । इस तरह से भ्रस्ताचार निरोधक दिवस पर देश का ही भ्रस्टाचार छाया रहा हे देश में घर से लेकर दफ्तर और दफ्तर से लेकर बाहर तक भ्रस्ताचार हे इस मामले में ७५ फीसदी लोग प्रभावित हें ईमानदार वही हे जिनको मोका नहीं मिला हे देश में लोकायुक्त कानून हे लेकिन निष्प्रभावी हे केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त पद पर केसे लोग बैठते हें आज जग ज़ाहिर हे भ्रस्ताचार निरोधक विभागों में जो अप्रभावी नाकाबिल अधिकारी होते हें उन्हें सजा के बटर भेजा जाता हे न्यायालयों में सरकारी वकील ढंग से पेरवी नहीं करते यहाँ तक के बार बार मांग उठने पर भी देश में भ्रस्ताचार नियन्त्रण के लियें कानून में कोई नया संशोधन नहीं किया गया हे ना ही नया कानून प्रभाव में लाया गया हे जबकि देश में भ्रस्ताचार मामले में फंसी की सजा की मांग उठती रही हे लेकिन नेता हो छे अफसर शाही हो इस मामले में कोई बहस करने को तय्यार नहीं हे संसद में कोई कानून बनाने को तयार नहीं हे और अख़बार विज्ञापनों के बोझ ते इतने दबे हें के वोह तो इन खबरों को छापना ही नहीं चाहते जबकि इलेक्ट्रोनिक मीडिया की खबरें तो स्पेक्ट्रम घोटाले में चोंका देने वाली हे ऐसे में छोटा मुंह बढ़ी बात तो हे लेकिन बिलकुल सच हे के बस अब दश के भ्रस्ताचार के खिलाफ अलख जगाने का सारा भार ब्लोगर साथियों पर ही आन पढ़ा हे तो जनाब मेरे ब्लोगर भाइयों जुट जाओ और अगले साल ९ दिसम्बर अंतर्राष्ट्रीय भ्रस्ताचार दिवस के दिन अधिकतम भ्रष्ट भेदिये देश की जेलों में हो और सरकार कोई कठोर और प्रभावी कानून बना कर भर्स्ट लोगों को सजा देने का प्रावधान बनाए । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

9.12.10

कुछ मानवाधिकार के लियें भी किया जाये विश्व मानवाधिकार दिवस की नोटंकी कल होगी देश भर में विश्व मानवाधिकार दिवस कल दस दिसम्बर को मनाने की नोटंकी की जाएग

विश्व मानवाधिकार दिवस की नोटंकी कल होगी

देश भर में विश्व मानवाधिकार दिवस कल दस दिसम्बर को मनाने की नोटंकी की जाएगी इस नोटंकी में देश में कथित रूप से राष्ट्रिय स्तरीय और राज्य स्तरीय कई कार्यक्रम आयोजित कर लाखों रूपये बर्बाद किये जायेंगे लेकिन देश में आज भी मानाधिकार कानून मामले में देश पंगु बना हुआ हे देश में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन वर्ष १९९३ में गठित कर सुप्रीम कोर्ट के जज रंगनाथ मिश्र को इसका अध्यक्ष बनाया गया और इसी के साथ ही राष्ट्रिय मानवाधिकार कानून देश भर में लागू कर दिया गया , रंगनाथ मिश्र ने इस कानून के माध्यम से देश भर में लोगों को न्याय दिलवाया लेकिन फिर सरकार अपने स्तर पर इस आयोग में नियुक्तियां करने लगी और आज देश भर में राष्ट्रिय और राज्य मानवाधिकार आयोग खुद एक सरकारी एजेंसी बन कर रह गये हें आयोग खुद काफी लम्बे वक्त तक खुद की सुख सुविधाओं के लियें लड़ता रहा और फिर जब राजकीय नियुक्तिया इस आयोग में हुई तो आयोग सरकार के खिलाफ कोई भी निर्देश देने से कतराने लगा , राजस्थान में भी मानवाधिकार आयोग हे लेकिन कई ऐसे मामले हें जिनमे सरकार के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो सकी हे जब योग और कर्मचारियों तथा पदाधिकारियों की नियुक्ति सरकारी स्तर पर होती हे और वेतन भत्ते सरकार से उठाये जाते हें तो जिसका खायेंगे उसका बजायेंगे की तर्ज़ पर कम होता हे और स्थिति यह हे के देश में १९९३ में बने कानून के तहत आज तक किसी भी हिस्से में मानवाधिकार न्यायालय नहीं खोली गयी हे जबकि अधिनियम में हर जिले में एक मानवाधिकार न्यायायलय खोलने का प्रावधान हे लेकिन सरकार ने नातो ऐसा किया और ना ही पद पर बेठे आयोग के अध्यक्षों ने इस तरफ सरकार पर दबाव बनाया जरा सोचो जब आयोग खुद ही अपने कानून को देश में लागु करवा पाने में असमर्थ हे तो फिर दुसरे कल्याणकारी कानून केसे लागू होंगे ।
राजस्थान में पुलिस नियम अधिनियम २००७ में पारित हुआ इस कानून के तहत पुलिस और जनता की कार्य प्रणाली पर अंकुश के लियें समितियों और आयोग के गठन का स्पष्ट प्रावधान हे लेकिन आज तक तीन वर्ष गुजरने पर भी समितिया गठित नहीं की गयी हें जबकि थानों पर अंकुश के लियें इन समितियों का गठन विधिक प्रावधान हे इसी तरह मानवाधिकार कानून के तहत जिलेवार प्रतिनिधियों की नियुक्ति नहीं की गयी हे । देश के थानों में आज भी प्रताड़ना का दोर जारी हे हालात यह हें के हिरासत में मोतों का सिलसिला थमा नहीं हे सरकारी मशीनरी कदम कदम पर मानवाधिकारों का शोषण कर रही हे लेकिन आयोग के दायरे सीमित हें स्टाफ और सदस्य सीमित हें जिला स्तर पर कोई प्रतिनिधि नियुक्त नहीं किये गये हें और आयोग मात्र कार ड्राइवर और भत्तों का बन कर रह गया हे कुछ मामलों में आयोग कठोर रुख अपनाता हे तो उसकी पलना नहीं होती हे कोटा जेल के अंदर इन दिनों नियमित हिरासत में मोतें हो रही हें और हालात यह हें के राजस्थान और राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग ने कोटा जेल में मानवीय व्यवस्थाएं करने के लियें एक दर्जन से अधिक मेरी सोसाइटी ह्युमन रिलीफ सोसाइटी की शिकायत पर राज्य सरकार और कोटा के अधिकारीयों को निर्देश दिए हें मुझे गर्व हे के मानवाधिकार क्षेत्र में कार्य करने के लियें मेरी सोसाइटी ह्यूमन रिलीफ सोसिईती १९९२ में बनी और फिर १९९३ में आयोग और राष्ट्री मानवाधिकार कानून बना राजस्थान में कोटा से राष्रीय मानवाधिकार आयोग में सबसे पहली शिकायत मेरी दर्ज की गयी और इस शिकायत पर बाबू इरानी पीड़ित को न्याय दिलवाकर एक थाना अधिकारी को अपराधी बना कर मुकदमा दर्ज करवाने के निर्देश दिए गये और मुआवजा भी दिलवाया गया । कल विश्व मानवाधिकार दिवस पर अप सभी ब्लोगर बन्धु जिलेवार मानवाधिकार कोर्ट खोलने ,समितिया गठित करने पुलिस आयोग और समितिया गठित करने , न्यायालयों और थानों में कमरे लगवाने के मामले में एक एक ब्लॉग अवश्य लिख कर नुब्ग्र्हित करने ताकि देश में कम से कम इस कानून की १७ साल बाद तो क्रियानाविती हो सके । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

8.12.10

मानवाधिकार का सिसिकता कानून

देश में मानवाधिकार असमंजस

हमारे देश में अंतर्राष्ट्रीय संधि के बाद वर्ष १९९३ में राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून बना कर मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया फिर राज्यों में मानवाधिकार गठित किये गये लेकिन मानवाधिकार मामले आज भी जस के तस बढ़ रहे हें और हात यह हें के कानून में प्रथक से मानवाधिकार न्यायालयों के खोलने के स्पष्ट प्रावधान होने के बाद और इन न्यायालयों में मानवाधिकार सरकरी वकीलों की आवश्यक नियुक्ति के प्राव्धना होने के बाद भी कार्यवाही नहीं की गयी हे कल्पना कीजिये देश में ऐसा आयोग जिसके अध्यक्ष सुर्पिम कोर्ट के सेवानिव्रत्त न्यायधीश होते हें और अरबो रूपये इस आयोग पर खर्च होते हें कानून १७ वर्ष पहले बना दिया गया और आज तक भी इस कानून की पालना केंद्र सरकार करने में अक्षम रही हे । यह स्थिति तो इन हालात में हे जब भाजपा और कोंग्रेस ने राष्ट्रिय और राज्य स्तर पर मानवाधिकार प्र्कोष्टों का गठन कर इन पदों पर रिटायर्ड जजों को ही नियुक्त किया हे । राजस्थान में हाल ही में जस्टिस इसरानी जो राजस्थान कोंग्रेस के मानवाधिकार प्रकोष्ट के प्रदेश अध्यक्ष हें उनकी कोटा यात्रा के दोरान एक कार्यक्रम रखा गया जिसमे भी मानवाधिकार न्यायालय खोलने की बात उठाई गयी अब आप सोच लें के देश में १७ वर्ष पूर्व बना मावाधिकार कानून आब तक लागू नहीं किया जा सका हे तो जनाब यह केसा मानवाधिकार हे इस देश में । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक चोराहा जिसने सियासत का भ्रस्ताचार और तोड़ फोड़ देखी हे

कोटा एरोड्रम चोराहे के नाम पर करोड़ों का गेम

दोस्तों कोटा में बेस्ट ब्लोगर जनाब ललित जी शर्मा जब आये और में मेरे एक साथी दिनेश राय जी द्विवेदी जी ललित जी को लेकर कोटा शहर के भ्रमण पर ले जा रहे थे तब यहाँ एरोड्रम चोराहे पर चार खम्बे और हाथी देख कर ललित जी ने पूंछ ही लिया के यह कोनसा चोराहा हे , इस चोराहे के बारे में कोई पूंछे और कोटा के फिजुलखर्ची और सियासत का खेल किसी को नहीं बताया जाए ऐसा तो हो हीं नहीं सकता बस में ललित जी को इस चोराहे की बदनसीबी बताने लेगा लेकिन जनाब कोटा के इस एरोड्रम की कहानी करोड़ दो करोड़ की फ़िज़ूल खर्चे पर खत्म नहीं हुई हे अब नये सिरे से फिर आठ करोड़ रूपये इसी चोराहे के नाम पर बर्बाद होंगे और इस बार फिर पहला करोड़ों रूपये से किया गया निर्माण कार्य तोड़ा जायेगा फिर आठ करोड़ रूपये की लागत से इण्डिया मेरिज चोराहा बनाया जाएगा तो जनाब इस चोराहे की बर्बादी ,बदनसीबी और फिजुलखर्ची की सियासत की कहानी आपके सामने भी पेश हे क्या कहीं ऐसा भी हो सकता हे ।
जनाब कोटा के राष्ट्रिय राजमार्ग के बीच शहरी रास्ते में स्थित इस चोराहे की एक सडक उद्योग नगर तो दूसरी चम्बल गार्डन जाती हे तो एक सडक बस स्टेंड और स्टेशन से आकर राष्ट्रीय राज मार्ग जयपुर जबलपुर की तरफ झालावाड के रास्ते से जाती हे । यह चोराहा पहले तोपों से सजा संवरा था लोग इसे खुबसुरत चोराहा मानते थे इस चोराहे की सुन्दरता बढ़ाने के नाम पर भाजपा सरकार ने पहले करोड़ों रूपये खर्च किये , फिर वापस इसी भाजपा सरकार ने १७ साल पहले इस पुरे चोराहे को तोड़ा और इस चोराहे पर भाजपा का चुनाव चिन्ह जो देश का राष्ट्रिय फुल कमल भी हे कमल का फुल बना कर लगवाया इस नये सोंदर्य करन में सरकार के फिर करोड़ो रूपये खर्च हुए , इस चोराहे सोंदर्य करन के कुछ दिनों बाद ही कोंग्रेस की सरकार आई कोंग्रेस की सरकार के प्रतिनिधियों ने कहा के भाजपा ने चोराहे पर भाजपा का चुनाव चिन्ह लगा दिया हे इसलियें इसे हटाया जाएगा और बस फिर इस चोराहे की शक्ल बदलने के लियें करोड़ों रूपये खर्च हुए और गरुड की बढ़ी प्रतिमा लगा दी गयी गरुड की चोंच उद्ध्योग नगर की तरफ थी जब कुछ दिनों बाद जे के सहित कुछ और उद्योगों पर संकट आया और उद्योग बंद होने लगे तो कोंग्रेस की एक महिला विधायक को एक पंडित वास्तुशास्त्र वाले ने कह दिया के इधर गरुड गिद्ध की कुद्र्स्ती हे इसियें उद्योगों पर मंदी और तबाही हे बाद मुख्यमंत्री जी तक पहुंचाई गयी और काफी विवादों के बाद गरुड की मूर्ति हटाई गयी और नया चोराहा फिर से करोड़ों रूपये खर्च कर कोंग्रेस सरकार में बनाया गया इस चोराहे में फव्वारे थे तो चार महंगे खम्बे खड़े कर उन पर हाथी लगाये गये हें बस यहं से फिर विवाद शुरू हो गया लोगों ने कहना शुरू कर दिया के कोंग्रेस बहुजन समाज पार्टी की प्रचारक हे और इसीलियें इस चोराहे पर बहुजन समाज पार्टी का चुनाव चिन्ह हाथी लगाये गये हें और वोह भी एक नहीं दो नहीं पुरे चार हाथी लगाये गये हें , कोंग्रेस सरकार इन हाथियों को हटाने की सोचती के इनकी सरकार ही चली गयी अब फिर से राजस्थान में कोंग्रेस की सरकार हे और इस व्यस्तम चोराहे को फिर से नई शक्ल देने के नाम पर तोड़ा जायेगा और करीब अथ करोड़ रूपये की लागत से इस चोराहे पर अब किसी की मूर्ति नहीं बलके इण्डिया मेरिज के नाम से हिन्दुस्तानी दुल्हा दुल्हन की मुर्तिया और विवाह के तोर तरीके करते हुए मुर्तिया लगाई जाएँगी जिस के निर्माण में ४ वर्ष लगेंगे इस सभी निर्माण में एक खास बात यह हे के इस चोराहे से कोंग्रेस सरकार और एक अभियंता गोलछा का हमेसा रहा हे यह चोराहा बना जब अभियंता गोलचा सहायक अभियंता थे फिर दूसरी बार चोराहा बना तो अधिशासी अभियंता बने फिर तीसरी बार अधिक्ष्ण अभियंता बने और अब जब मुख्य अभियंता बन रहे हें तो फिर तो इस चोराहे में चार चाँद के नाम पर फ़िज़ूल खर्ची होना ही हे तो जनाब इस चोराहे का हाल देखिये छोटा सा चोराहा और इसने दो दशक में कितनी तोड़ फर कितना भ्रस्ताचार और कितनी सियासत देखी हे अब तो यह चोराहा खुद अपनी हालत पर आंसू बहाने लगा हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान