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6.12.10

मुफ्त आप्रेशन कैंप में दर्जनों लोगों ने खोई आंखों की रोशनी



सफीदों (हरियाणा) : सफीदों में एक डाक्टर की लापरवाही ने दर्जनों लोग अपनी आंखों की रोशनी हमेशा के लिए खो बैठे। अब ये पीड़ित लोग सिर्फ दोषी डाक्टर को कोसने के सिवाए कुछ भी नहीं कर सकते हैं। पीड़ित व्यक्ति इस उम्मीद के साथ दुसरे अस्पतालों में इलाज के लिए धक्के खा रहे हैं कि शायद उनकी आंखों की रोशनी वापिस जाए। जहां इन लोगों ने जिंदगी भर के लिए अपनी आंखे खोई, वहीं आरोपी डाक्टर बड़ी बेशर्मी से यह कह रहा है कि आप्रेशन के दौरान इस तरह की समस्या आम बात है। सफीदों के मां भागो देवी धमार्थ अस्पताल के आंखों के डाक्टर अरविंद मौर्य ने क्षेत्र की सामाजिक संस्था बंधु सेवा संघ द्वारा लगाए गए मुफ्त आंखों के कैंप में लोगों की आंखों के आप्रेशन किए थे। आप्रेशन के कुछ ही दिनों बाद आप्रेशन करवाने वाले लोगों को अपनी आखें खो देने का अहसास होने लगा तो पीड़ितों उनके परिजनों के पांव तले की जमीन सरक गई। जब पीड़ित लोग आंखों की रोशनी नहीं आने की शिकायत लेकर डाक्टर से मिले तो पहले तो डाक्टर उन्हें आश्र्वान देता रहा कि आंखे ठीक हो जाएंगी लेकिन बाद में साफतौर पर मना कर दिया कि अब इन आंखों का कुछ भी नहीं हो सकता। पीड़ित मुआना गांव के गोपीराम, हाट गांव के हुकम चन्द, सफीदों के रामदिया, सफीदों की शिव कालोनी निवासी ओमपति, निमनाबाद गांव के अजायब सिंह, सिंघाना गांव के रणबीर, निमनाबाद गांव की राजो देवी सहित अन्य लोगों ने सीधेसीधे डाक्टर अरविन्द मौर्य पर आप्रेशन के दौरान लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। जिसके कारण उनकी आखें की रोशनी सदासदा के लिए चली गई। पीड़ित लोगों ने बताया कि आप्रेशन से पहले तो उन्हें थोड़ा बहुत अवश्य दिखाई देता था लेकिन उसके बाद उन्हें दिखाई देना बिल्कुल बंद हो गया है। अब वे दुसरे अस्पतालों में इलाज के लिए चक्कर लगा रहे हैं। सभी पीड़ित डाक्टर को पानी पीपीकर कोश रहे है। आप्रेशन कैंप के बाद आंखों की रोशनी गंवाने के मामले सामने आने के बाद सफीदों प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। स्वास्थ्य विभाग ने डिप्टी सिविल सर्जन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर जल्द रिपोर्ट देने के लिए कहा। इसके अलावा आप्रेशन करने वाले चिकित्सक को तबल किया गया है। स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डाक्टर नरवीर ने भी मामले की शीघ्र रिपोर्ट भेजने के निर्देश सिविल सर्जन डा आरएस वाधवा को दिए हैं।इसके अलावा मामले की जांच के बाद आरोपी चिकित्सक के खीलाफ भी कार्रवाई के लिए कहा गया है। आप्रेशन के दौरान लोगों की आंखों की रौशनी खो जाने का मामला सामने आने पर उपायुक्त अभय सिंह यादव ने सिविल सर्जन डा. आर.एस. वाधवा तथा सफीदों के एस.डी.एम. सत्यवान इंदौरा के साथ पूरे मामले पर विचारविमर्श किया और निर्देश दिया कि मुत कैंप में आप्रेशन करवाने वाले लोगों का पता लगाकर उनकी जांच करवाई जाए और पीड़ित लोगों का इलाज सामान्य अस्पताल जींद में करवाया जाए। आप्रेशन के दौरान खामिया या रही इसके लिए जांच टीम का गठन किया जाए और आरोपी चिकित्सक डा. अरविंद मौर्या के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उपायुक्त से निर्देश मिलते ही स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी पीड़ित लोगों के पास पहुंच गए। इस मामले में डी.सी. डा. अभय सिंह यादव ने बताया कि इस मामले में एक जांच टीम का गठन किया गया है और चिकित्सक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। सिविल सर्जन डा आर.एस. वधवा ने बताया कि डिप्टी सिविल सर्जन डा. धन कुमार के नेतृत्व में जांच टीम बना दी गई है। जिन्हें शीघ्र रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। इसके अलावा डी.जी. हैल्थ ने भी मामले की रिपोर्ट शीघ्र देने के लिए कहा है। इस विष्य में आरोपी डाक्टर अरविंद मौर्य का कहना है कि आप्रेशन के दौरान इस तरह की समस्या आम बात है। सौ में दस केस खराब हो ही जाते है।

ललित भाई का प्रेम कोटा के लियें

श्मशान और कब्रिस्तान तक, लगे हैं जिन्दगी के मेले ---- ललित शर्मा

जहां से हम चलते हैं वहीं फ़िर पहुंच जाते हैं घूम घाम कर, धरती गोल है। ईश्वर की सारी सृष्टि ही गोल है, कहीं भी चौकोर नही हैं। चौरास्ते नहीं है, भटकने का जो खतरा होता है। भूल भूलैया से निकल कर सीधा वहीं आना पड़ता है जहां कोई आना नहीं चाहेगा। लेकिन मुझे सुकून वहीं मिलता है जहां आने से लोग डरते हैं। घर से बैठ कर ही जलती चिताओं को देखता हूँ। उसकी लपटें धीरे धीरे बढते हुए एका एक गगन चूमने लगती हैं। फ़िर मद्धम होकर शांत हो जाती हैं। फ़िर अंगारे धधकते रहते हैं कितना गर्व और गुमान भरा है इस देह में। जिसकी अकड़ भस्म होने पर ही निकलती है। शायद श्मशान ही वह जगह जहाँ मनुष्य को अपने किए की याद आती है, भले बुरे कर्मों का चिंतन करता है और वापस आकर पुन: उसी प्रक्रिया में लग जाता है। इसीलिए श्मशान बैराग कहा गया है।

वकील साहब कोर्ट से आ जाते हैं तब तक मैं एक पोस्ट लिख देता हूँ। उनका वाहन अस्पताल में जनरल चेकअप के लिए भर्ती है। तभी अख्तर खान अकेला जी याद आती है वकील साहब उन्हे फ़ोन लगा कर बुलाते हैं। तब तक हम कार लेकर आ जाते हैं। अकेला साहब के साथ चल पड़ते हैं कोटा भ्रमण को। वकील साहब बताते हैं कि कोटा की सुंदर जगहों में एक श्मशान है मुक्तिधाम किशोरपुरा में जिसे कोटा के एक बिड़ला परिवार ने सजाया संवारा है। हम श्मशान में पहुंच जाते हैं। चम्बल के तीर यह श्मशान वास्तव में इस लायक है कि यहां चिरविश्राम लिया जा सकता है।

आत्मा का परमात्मा से मिलन हो सकता है। कुछ चिताएं अभी भी सुलग रही हैं, कुछ की भस्म ठंडी हो रही है।ज्वालाएं अंधेरे को दूर भगाने का पुरजोर प्रयास कर रही हैं। देह जला कर अंधेरा दूर भगाने का प्रयास नमन योग्य है।मैं कुछ देर खड़े होकर उन्हें अंतिम नमस्कार करता हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ उन्हे सदगति प्रदान करे। अरे मेरे संकट मोचक पास ही हैं, मेरे साथ यहाँ तक आ पहुंचे।प्रणाम है बाबा तुम्हे, यूँ ही साथ रहा करो। पास ही एक अखाड़ा है जहां गदाधारी महावीर विराज मान है, कुछ पहलवाल जोर लगाने के बाद भांग रगड़ा लगाते हैं और फ़िर मस्त हो जाते हैं ठंडाई पीकर। वकील साहब ने बताया कि यहां आधा किलो भांग रोज ही चढा ली जाती है। भांग का नाम सुनकर मैं तो सिहर उठता हूँ। बनारस के काशी विश्वनाथ जी की यात्रा का स्मरण हो जाता है।
अंधेरा हो चला है कुछ ठंड भी है वातावरण में,अकेला साहब अब अधरशिला दिखाने ले चलते हैं। यह प्रकृति का एक चमत्कार है कि एक विशाल शिला यहां एक बिंदु पर आकर टिक गयी है। अधरशिला के पास ही एक मंदिर है यहां प्यारे मिंया महबूब साहब स्थान है। इस स्थान से मंदिर के कंगुरे दिखाई देते हैं। साम्प्रदायिक सद्भाव की एक अनुठी मिशाल है। कवि यौगेन्द्र मौद्गिल की पंक्तियां याद आ जाती हैं- मस्जिद की मीनारें बोलीं, मंदिर के कंगूरों से, संभव हो तो देश बचा लो मज़हब के लंगूरों से.." हम अधरशिला देखते हैं। अधरशिला के नीचे थोड़ी सी जगह है जहां से बच्चों को पार कराया जाता है। अकेला भाई ने बताया कि किवदंती है कि हराम का जना बच्चा इसमें फ़ंस जाता है और सही बच्चा पार निकल जाता है। सोचना पड़ा कि जब बच्चा इस संकरी जगह में परीक्षा दे रहा होगा तो उसके माँ बाप के चेहरों पर किस किस तरह के भाव उमड़ रहे होगें। ये परीक्षा बच्चों की नहीं माँ बाप की होती है। समझ लो कि "हूई गति सांप छछुंदर केरी"
पास ही एक कब्रिस्तान है जहाँ बहुत सारे लोग कयामत का इंतजार कर रहे हैं कितनी लगन है इस इंतजार में। नहीं तो किसी का इंतजार करना, ना रे बाबा ना, मेरे लिए तो बहुत कठिन काम है। लेकिन यहां तो इंतजार करना ही पड़ेगा। यहां किसी की सिफ़ारिश पर्ची या टेलीफ़ोन पैरवी नहीं चलती। सभी को इंतजार करना पड़ता है। अकेला साहब ने बताया कि कोटा के प्रसिद्ध डॉ ए क्यु खान साहब ने अपनी कब्र खुदवा रखी है। इनकी पत्नी का इंतकाल लगभग 30 वर्ष पूर्व हो गया था। डॉक्टर साहब की ख्वाहिश थी कि उनकी फ़ौत के बाद वे अपनी पत्नी की कब्र के पास ही दफ़न हों। इसलिए इन्होने एडवांस बुकिंग इस्लामिक रिवाज के अनुसार करवा ली। इस्लामिक रवायत के अनुसार जो भी शख्स अपने दफ़न के लिए जगह आरक्षित करता है उसे प्रतिवर्ष उस कब्र के बराबर अनाज भरकर ईद से पहले गरीबों में बांटना पड़ता है और इस कार्य को डॉ ए क्यु खान साहब पिछ्ले 30 सालों से अंजाम दे रहे हैं।
श्मशान और कब्रिस्तान से अब हम चल पड़े बाजार की तरफ़ जहां उम्दा पान हमारा इंतजार कर रहे थे। पेशे से पत्रकार और अधिवक्ता अख्तर खान अकेला साहब उर्दु साहित्य पर भी अच्छी पकड़ रखते हैं। उन्होने “अकेला” तखल्लुस का राज भी खोला। पान की दुकान पर जाने से पहले हमने कोटा की उम्दा कुल्फ़ी का स्वाद लिया। पान के तो कहने की क्या थे। 90 नम्बर की किमाम ने जायका ही ला दिया पान में। यहीं पर हमारी मुलाकात कोटा से प्रकाशित देनिक कोटा ब्यूरो के सम्पादक जनाब कय्यूम अली एवं प्रेस क्लब के कोटा के महासचिव जनाब हरिमोहन शर्मा जी से हुई। सभी से मिलकर बहुत अच्छा लगा। कोटा जैसे एतिहासिक शहर में घुमना तो कम ही हुआ पर दिनेश जी के साथ घुमना अच्छा लगा। इसके पश्चात अकेला साहब के चेम्बर में भी गए जहाँ एडवोकेट आबिद अब्बासी और नईमुद्दीन काजी जी से भी भेंट हुई। अकेला साहब ने कुरान पाक की एक प्रति दिनेश जी को भेंट की और मुझे कोटा के इतिहास से संबंधित एक पुस्तक भी। मैं सभी का शुक्रगुजार हूँ।
मैने अधरशिला से एक चित्र लिया जिसमें अधरशिला में लगा ध्वज और मंदिर एक साथ नजर आ रहा है। एक चक्कर हमने कोटा के परकोटे का भी लगाया। लेकिन किला वगैरह नहीं देख पाए उसे बाद के लिए रख छोड़ा कोटा के विषय में एक जानकारी और दे दूँ कि यहां थर्मल, हाइड्रो, एटमिक, और गैस से बिजली का निर्माण होता है। मेवाड़ एक्सप्रेस रात डेढ बजे कोटा से चित्तौड़ जाती है। हम घर पहुंच कर जीम लिए और रवि स्वर्णकार जी से फ़ोन पर बात हुई, वे रावत भाटा में थे। कोटा होते तो मुलाकात हो जाती। कुछ देर आराम करने के बाद एक बजे उठे तो पता चला की गाड़ी कुछ देर लेट चल रही है। वकील साहब के साथ स्टेशन पहुंचे तो पता चला गाड़ी एक घंटे लेट है। प्लेटफ़ार्म पर वकील साहब से चर्चा होती रही। वकील साहब का जीवन भी संघर्ष से भरा प्रेरणादायी है। ट्रेन आ गयी, हमारा रिजर्वेशन नहीं था लेकिन आराम से सोने के लिए सीट मिल गयी। तब तक सुबह का अखबार भी आ चुका था। वकील साहब से हमने विदा ली और चल पड़े चित्तौड़ गढ की ओर इंदुपुरी, पद्मसिंग और रानी पद्मिनी से मिलने के लिए…………..।
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राजस्थान में कोंग्रेस सरकार की असफलता के दो साल

राजस्थान में कोंग्रेस के शासन के १३ दिसम्बर को दो साल हो जायेंगे में एक कोंग्रेसी और कट्टर कोंग्रेसी वोटर हूँ आप जानते हें और को ठोर नहीं तो में और मेरे भये कोंग्रेस से जायेंगे भी कहां लेकिन भाइयों में कोंग्रेसी के साथ एक आज़ाद पंछी और एक सच बोलने सच लिखने वाला प्राणी हूँ और इसीलियें मुझे देश के सवा अर्ब लोग नापसंद करते हें , में एक सच राजस्थान सरकार के दो साल के बारे में भी बयान कर रहा हूँ आप जानते हें सी पी जोप्शी एक वोट से हरने के बाद भी मुख्यमंत्री की दोड में थे लेकिन अशोक गहलोत ने किरोड़ी मीना के दम पर जोशी को पटकनी दी और राजस्थान में ही नहीं बलके पुरे देश और विश्व में पहली बार गोलमा जेसे लोगों को बहुमत के लियें मंत्री बनाना मजबूरी बनी ,गोलमा जिनके पति डोक्टर किरोड़ी रोज़ कोंग्रेस के लियें मुसीबत पैदा करते हें और फिर सरकार में बेठी मंत्री गोलमा सरकार के खिलाफ उनकी मदद करती हे जनता हंसती हे गोलमा इस्तीफा देती हे लेकिन लंगड़ी सरकार उन इस्तीफा भी स्वीकार नहीं कर सकती ऐसे ही कई विरोधाभासी विचारधारा वाले लोग कोंग्रेस की इस सरकार में शामिल हुए । सरकार ने जनता के लियें तो अभी तक कुछ खास नहीं किया लेकिन आश्वासनों के बाद आश्वासन वक्त पर पूरा नहीं करने के कारण डॉक्टरों , मास्टर,वकीलों की बड़ी हडताल झेलना पढ़ी सरकारं ने एक आयोग नुमा माथुर समिति बनाई जिसकों वसुंधरा सरकार के भ्रस्ताचार की जाँच करना थी वसुंधरा की जाँच तो नहीं हुई खुद इस माथुर समिति की है कोर्ट ने जाँच शुरू कर दी और फिर आयोग बेनतीजा गायब हो गया , सरकार ने गुर्जरों को संविधान के खिलाफ आरक्षण का कानून बनाया और फिर हाईकोर्ट ने इसे गलत करार दिया सरकार ने निकायों में नो जवानों को वोटर बनाने की बात खी लेकिन हाईकोर्ट ने इसे रोक दिया तो कुल मिलाकर भाई सरकार ने सिर्फ निकाय,पंचायत,लोकसभा चुनाव करवाए मजे करे, ट्रांसफर करे और बस अखबारी घोषणाएं की हड़तालें करवाई लोगों के लट्ठ दिए लेकिन काम कुछ नहीं किया खास कर अल्पसंख्यकों को तो बस इस सरकार ने आयना ही दिखा दिया राजस्थान में अल्प संख्यक आयोग जो संवेधानिक हे दो वर्षों से खाली पढ़ा हे , मदरसा बोर्ड किसी को नियुक्त नहीं किया , वक्फ बोर्ड अल्प मत में था लेकिन जुलाई में कार्यकाल खत्म हुआ तब से आज तक कोई नियुक्त नहीं हुआ , हज कमेटी में कोई नियुक्ति नहीं मेवात बोर्ड , अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम खाली हे तो जनाब थोक में वोट लेकर सरकार में आई कोंग्रेसे ने दो वर्षों में मुसलमानों को ना तो इन्साफ दिया ना ही उन्हें कोई पद दिए अब सरकार १३ दिसम्बर को याने दो वर्षों के कार्यकाल में उसने क्या कुछ किया हे इसके लियें एक निजी टी वी चेनल के जरिये कुछ विज्ञापन तय्यार किये जा रहे हें कुछ लोग बुलाये गये हें जो राजस्थान की गलत विकास की तस्वीर बताएं कुल मिला कर सरकार ने और दुसरे पदों पर भी किसी की नियुक्ति नहीं की मंत्री जितने भी हे सब बे लगाम रहे कोंग्रेस में झगड़े फसाद रहे कोटा में तो मुख्यमंत्री के सामने ही मंत्री भरत सिंह ने शांति धारीवाल को बुरा भला कह डाला हाडोती में बारां में अश्क अली टाक सांसद का मुंह काला करने वाले लोग मंत्री बने हें जबकि कोटा में डंके की चोट पर कोंग्रेस के बहुमत के बाद भी कोंग्रेस के टिकिट पर जिला प्रमुख का चुनाव लड़े नईमुद्दीन गुड्डू को हराने वाले मंत्री भरत सिंह और उनके समर्थक आज भी कोंग्रेस में ना फ़रमानी कर रहे हें तो जनाब यह कोंग्रेस के दो साल हें जहां दूर दूर तक झाँकने पर भी कोई उपलब्धी या जन हित का काम नजर नहीं आता हे आपकी क्या राय हे हो सकता हे में ग़लत हूँ लेकिन अगर कोंग्रेस ने दो वर्शन में कुछ किया हे और अगर आपकी जानकारी में हे तो लिज़ बताओं ना में भूल सुधर लूंगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

नहीं सुधरे तो जनता दोड़ा दोड़ा कर मारेगी

देश में लगातार हो रहे भ्रस्ताचार कारण और निवारण के मामले में अब जब जनता,नेताओं और अधिकारीयों ने उम्मीद छोड़ दी हे तो बस सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने इसे देश से खत्म करने के लिए संकल्प लिया हे , सुप्रीम कोर्ट हो चाहे हाई कोर्ट हो अब तो भ्रस्ताचार के कारण और निवारण मामले में हथियार डाल बेठी हे और चीख चीख कर सार्वजनिक तोर पर यह कहने को मजबूर होना पढ़ा हे के अगर देश से भ्रस्ताचार दूर नहीं हुआ तो जनता भ्र्स्ताचारियों को दोड़ा दोड़ा कर मारेगी बस लगातार हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट मिलकर चारो घोटाले से लेकर गेहूं घोटाले से लेकर संचार घोटाले में पत्रावलियों की गंदगी और भ्रस्ताचार में सरकार के सहयोग को देख कर अब ऐसी ही टिप्पणी करने को मजबूर हो रही हे इधर अदालतों के मामले में बी जब सुप्रीम कोर्ट ने दबी छुपी टिप्पणी की तो ब्सिलाह्बाद हाईकोर्ट नाराज़ हो गयीउ और एक सच जो सुप्रीम कोर्ट ने देखा और जनता से कहा उसे हटाने के लियें इलाहाबाद हाईकोर्ट खुद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयी भ्रष्टाचार होना कोई नई बात नहीं हे लेकिन इसके उजागर होने पर अगर सुधार की जगह इस तरह चोरी और सीना जोरी होने ल्गेतो सही हे के जनता भ्र्स्ताचारियों को सडकों पर दोड़ा दोड़ा कर मारेगी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मीडिया ने कराया देश का टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला

देश में डंके की चोट पर किया गया टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला अकेले प्रधानमन्त्री या फिरपूर्व संचार मंत्री ऐ राजा ने नहीं किया हे इसमें देश का मिडिया भी बराबर का हिस्सेदार हे और देश के मिडिया का नाम इस मामले में प्रमुखता से उजागर होने पर देश के मीडिया की नंगी तस्वीर जनता के सामने खुल गयी हे ।
भरत में पत्रकार आज तक सम्मान के काम करने के लियें याद किया जाता रहा हे लेकिन उद्योगपतियों के इस पत्रकारिता में आजाने से इन लोगों ने पत्रकारिता को मिशन से हटा कर व्यवसाय बना दिया हे हालात यह हें के खबरें छापने नहीं छापने के रूपये खुले आम लिए जा रहे हें विज्ञापनों के नाम पर खुली ब्लेकमेलिंग हे जनता का आधे से ज्यादा रुपया भ्रष्ट सरकार द्वारा विज्ञापनों के नाम पर रिश्वत देकर बांटा जा रहा हे टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले में ४५ मिनट में इस भ्रस्ताचार की जो कहानी जो सच देनिक भास्कर ने उजागर किया हे उससे तो लगता हे के जो मिडिया भ्रस्ताचार उजागर करने के लियें अपनी पहचान बनाये हुए हे वही मिडिया आज देश के सबसे बढ़े संचार घोटाले का मददगार बना हे और देश में एक सच जो कडवा सच हे सामने आ गया हे के देश के अधिकतम घोटाले के पीछे मिद्या हे जो या तो चुप होने की वजह से हे या फिर मिडिया के इस में शामिल होने के कारण भ्रस्ताचार हो रहा हे बात सच हे के अगर देश में मिडिया अपनी आधी ज़िम्मेदारी भी निभाए तो भ्रष्टाचार जद से खत्म हो जाएगा लेकिन मिडिया तो अब खुद को तीसरी शक्ति बनाने की कोशिशो में सभी मां मर्यादाएं भूल गया हे इसलिए ब्लोगर्स को ही अब देश को बचाने के लियें आगे आना होगा ताकि कुछ तो हो जो देश को बचाया जा सके । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मां अब भी रोती हे ........

मां
पहले भी रोती थी
आज भी रोती हे
पहले
बच्चा जब खाना नहीं खाता था
तब मां बच्चे को
भूखा देख कर रोती थी
आज बच्चे जब बढ़े हुए हें
घर में बहु आई हे
मां तब भी रोती हे
फर्क इतना हे जब
बच्चे के रोती नहीं खाने पर रोती थी
आज बहु बेटे
उसे रोती नहीं देते
इसलियें मां रोती हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मृग- अभिलाषा

( कविता )

मृ्ग अभिलाशा
हम विकास की ओर !
किस मापदंड मे?
वास्तविक्ता या पाखन्ड मे !
तृ्ष्णाओं के सम्मोहन मे
या प्रकृ्ति के दोहन मे
साईँस के अविश्कारों मे
या उससे फलिभूत विकारों मे
मानवता के संस्कारो मे
या सामाजिक विकारों मे
धर्म के मर्म या उत्थान मे
या बढ्ते साम्प्रदायिक उफान मे
पूँजीपती के पोषण मे
या गरीब के शोषण मे
क्या रोटी कपडा और मकान मे
या फुटपाथ पर पडे इन्सान मे
क्या बडी बडी अट्टालिकाओं मे
या झोंपड पट्टी कि बढती सँख्याओं मे
क्या नारीत्व के उत्थान मे
या नारी के घटते परिधान मे
क्या ऊँची उडान की परिभाषा मे
या झूठी मृ्ग अभिलाषा मे
ऎ मानव कर अवलोकन
कर तर्क और वितर्क
फिर देखना फर्क
ये है पाँच तत्वोँ का परिहास
प्राकृ्तिक सम्पदाओँ का ह्रास
ठहर 1 अपनी लालसाओँ को ना बढा
सृ्ष्टि को महाप्रलय की ओर ना लेजा



5.12.10

एक सवाल ...

पाकिस्तानी प्रधान मंत्री युसूफ रजा गिलानी ने शनिवार को काबुल पहुंच कर अपनी प्रथम औपचारिक अफगानिस्तान यात्रा शुरू की ।
उस दिन अफगान राष्ट्रपति हमिद करजई के साथ आयोजित संयुक्त पत्रकार वार्ता में गिलानी ने कहा कि आतंकवाद अफगानिस्तान व पाकिस्तान के समान दुश्मन है। पाकिस्तान आतंकवाद के विरोध में अफगानिस्तान के साथ पूरा सहयोग करेगा। उन्होंने बल देकर कहा कि पाकिस्तान के समर्थन के बिना अफगानिस्तान में चिरस्थाई शांति स्थापित नहीं होगी ।
भारत की बाबत पाकिस्तान का ऐसा रवय्या क्यों नहीं होता?

आपका इंतजार है...

दि नेटप्रेस डोट कॉम से जुड़े लोगों से निवेदन है कि कृपया अपनी पोस्टें इस ब्लॉग पर भी अवश्य पेस्ट कर दिया कीजिये। आखिर तो ये आप ही का मंच है। धन्यवाद!