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27.8.10

ग़ज़ल

हौसला अपना बनाये रखना
आस का दीया जलाए रखना.

ज़िन्दगी हर क़दम पे झटके खिलाएगी
क़दम फिर भी बढ़ाए रखना.

इच्छाओं ने लूटा है बार-बार
उम्मींदों का आशियाँ बसाये रखना.

हो गई है जिस्म अब बाज़ार की 
हो सके तो थोड़ा ज़मीर बचाए रखना.

सफ़र हो सकता है तवील जीस्त का
आशाओं के क़दम चलाये रखना.

घुड़दौड़ तमन्नाओं में रिश्ते छूट गए
मिलें कहीं तो " प्रताप " ख़ुलूस बनाये रखना.

प्रबल प्रताप सिंह

18.8.10

अमीरों की बल्लेबल्ले, गरीबों की थल्लेथल्ले


गरीबों का राशन डकार रहे है अमीर
सफीदों, (हरियाणा) : सफीदों में अमीरों की बल्लेबल्ले है तथा गरीब थल्लेथल्ले है, क्योंकि सरकार द्वारा गरीबों के लिए शुरू की गई बी.पी.एल. राशन योजना से क्षेत्र के सैंकड़ों गरीब महरूम हैं। गरीबों के उत्थान के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही बी.पी.एल. कार्ड योजना का लाभ असली हकदारों को नहीं मिल पा रहा है। गरीब अपने हक को प्राप्त करने के लिए दरदर ठोकर खाने को मजबूर है। दरदर ठोकर खाने के बावजूद भी गरीब को उसका हक प्राप्त नहीं हो पा रहा है। देश व प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अपने आप को गरीबों का मसीहा साबित करने के लिए बी.पी.एल. योजना तो लागू तो कर दी लेकिन सरकार ने इस बात पर कभी भी ध्यान नहीं दिया कि इस योजना का फायदा वास्तविक गरीब को मिला है या नहीं। सरकार ने इस योजना की सारी लगाम अधिकारियों के हाथ में पकड़ा दी। लगाम हाथ में आने के बाद अधिकारियों ने जो जी में आया वहीं किया। सर्वे में वास्तविक गरीब के नाम तो काट दिए गए तथा अमीर के नाम सर्वे में शामिल कर लिए गए। नतीजा यह हुआ कि गरीब के हाथ में तो हरें रंग का कार्ड थमा दिया गया, जिसमें राशन डिपों से कुछ भी प्राप्त होने वाला नहीं है तथा गुलाबी व पीले कार्ड अमीरों के हाथों में दे दिए गए, जिससे गरीब का हक मारने वाला वह अमीर हर महीने अपने घर में सस्ते भावों में राशन डिपों से राशन ला रहा है। सब कुछ इस तरह से चल रहा है मानों प्रशासनिक अधिकारियों ने अपनी आँखों पर काली पट्टी बंधी हो। सफीदों में सैंकड़ों इस तरह के उदाहरण भरे पड़े हैं। ऐसा ही एक उदाहरण कस्बे के रेलवे स्टेशन के पास एक टूटीफूटी झौपड़ी में रहने वाले मां बेटें का भी हैं। यह परिवार भी अधिकारियों की भाई भतीजावाद की भेंट चढ़ गया तथा इनके हाथ में भी गुलाबी राशन कार्ड को काटकर हरा राशन कार्ड थमा दिया गया है। आज इस परिवार की सूध लेने वाला ना तो प्रशासन है तथा ना ही कोई राजनेता है। कस्बे के रेलवे स्टेशन की दीवार के ठीक नीचे एक टूटी फूटी छोटी सी झोपड़ी डालकर अपने बेटे रोशन लाल के साथ उसकी बुढ़ी मां मूर्ति देवी रहती हैं।मूर्ति देवी की झोपड़ी भी पूरी तरह से जर्जर हालात में है। मूर्ति देवी के पति रामकिशन की काफी पहले मौत हो चुकी है। उसका एक ही सहारा उसका बेटा रोशन लाल है जो मानसिक तौर पर बीमार है। घर में आय का कोई साधन नहीं है। बेटा रोशनलाल ही थोड़ी बहुत मजदूरी करके अपना व अपनी मां का पेट पाल रहा है। बेटा मजदूरी करके कुछ कमा लाए तो घर का चूल्हा जल जाता है वरना दोनों भूखे पेट ही सो जाते हैं, क्योंकि सर्वे करने वाले अधिकारियों ने जो उसका गुलाबी राशन कार्ड काट दिया है। सर्वे करने वाले अधिकारियों का यह बात समझ में नहीं आती कि इन मां बेटे की मामूली सी झौपड़ी में उन्हें कितनी बड़ी कोठी नजर आई। सरकार द्वारा गरीबों को राशन बांटने वाली बी.पी.एल. योजना भ्रष्ट अधिकारियों की अनदेखी के चलते 2 वर्ष् पूर्व इस परिवार को मिलनी बंद हो गई थी, जोकि बार बार अधिकारियों कों गुहार लगाने के बाद भी नहीं मिल पाई। इस परिवार का ना तो खुद का कोई मकान है तथा ना ही कोई कमाई का साधन। लेकिन अधिकारियों की आंखों को इनकी गरीबी नजर नही आई और इनके बी.पी.एल. कार्ड रद्द करके इनके हाथ में हरें रंग का कार्ड थमा दिए गया । गरीब मूर्ति देवी व उसका बेटा रोशन लाल बडे़ ही मुश्किल हालातों में जी रहा है। खुले आसमान के नीचे तो वे सोते ही हैं।बरसात के मौसम तो उनके लिए भी मुश्किलें लेकर आता है। उनकी झौपड़ी के पास ही ट्रक यूनियन का दतर है। प्रशासन की बेरूखी के बाद ट्रक यूनियन के ड्राईवरों को ही उन पर तरस आ गया। दिन में तो ट्रक यूनियन का दफ्त्तर चलता है तथा ट्रक ड्राईवरों ने रात में इन दोनों मां बेटे को दतर में सोने की इजाजत दे दी है। अब ये दोनों मां बेटा दिन में तो मजदूरी की तलाश में इधर उधर फिरते हैं तथा रात में इस ट्रक यूनियन के दतर में आकर सो जाते हैं। गरीब मूर्ति देवी ने बताया कि उसने गुलाबी राशन कार्ड बनवाने के लिए जनप्रतिनिधियों से लेकर छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों तक खूब धक्के खाए लेकिन उसे कोई सफलता प्राप्त नहीं हुई। नतीजतन आज तक भी उसका गुलाबी कार्ड दोबारा से नहीं बन पाया है। उसका कहना है कि वह अपनी जिंदगी तो किसी तरह से काट लेगी लेकिन उसे फिक्र तो अपने बेटे की लगी हुई है कि उसका गुजरबसर किस तरह से होगा, क्योंकि उसके पास रहने के लिए ना तो मकान है तथा ना खाने के लिए भोजन है। उन्होंने सरकार व प्रशासन से गुहार लगाई है कि उसका गुलाबी राशन कार्ड बनवाया जाए तथा सरकार की तरफ से उसे मकान बनवाकर दिया जाए ताकि वे अपना सही रूप से गुजर बसर कर सकें।


ग़ज़ल

हम उनको नादां
समझाने की भूल कर गए.
वो हमारी जीस्ते-तरक्की१ में 
तन के शूल बन गए.
 ये बात वो एक रात 
मयखाने में कबूल कर गए.
तब हमें ये इल्म हुआ 
किसे हम अपना रसूल२ कर गए.
मेरा इरफ़ान३ कहीं सो गया था
औ' वो हमारी किस्मत धूल कर गए.
सब कुछ दे दिया था उनको 
अपनी रश्कों से हमारा मक्तूल४ कर गए.

१- जीवन की प्रगति
२- नबी
३- विवेक
४- कत्ल

प्रबल प्रताप सिंह

14.8.10

















लो फिर आ गया १५ अगस्त 

लो फिर आ गया १५ अगस्स्त
स्वाधीनता उत्सव का एक और दिवस
पीएम ली आयेंगे 
लाल किले की प्राचीर पर
आज़ादी का झंडा फहराएंगे.
कुर्सियों पर बैठे देशी-विदेशी नागरिक 
ताली बजायेंगे.
कुछ लोग घरों में लेटे
लोकतंत्र पर गाल बजायेंगे.

पीएम जी झंडा फहराने के बाद
अतिसुरक्षित घेरे में जन-गण को
क्या किया है, क्या करेंगे
वादों का भाषण सुनायेंगे.
मेरे जैसे कुछ देशप्रेमी 
वादों के ' वाइब्रेशन ' में
सीना फुलायेंगे.

वादे पूरे हो न हों
पीएम जी को इससे क्या लेना
भाषण तो किसी और ने लिखा था
उनका काम था
उसे पढ़कर सुना देना.
जैसे स्कूल का बच्चा 
पाठ याद कर कक्षा में सुनाता है
और
गुरू जी की शाबाशी पा
गदगद हो जाता है.

मेरा दोस्त ' मुचकुंदीलाल '
हर स्वाधीनता दिवस पर 
देशप्रेम की दरिया में डूब जाता है.
पीएम जी का भाषण सुन
सुन्दर सपनो में खो जाता है.

' मुचकुंदी...' ' मुचकुंदी...'
उठो पीएम जी चले गए.
वादों का झुनझुना सबको देते गए.
डोर में बंधा तिरंगा
' फड़फडा ' रहा है.
' मुचकुंदीलाल ' ' झुनझुना ' बजा रहा है
देशभक्ति गीत गा रहा है .
अगले बरस 
पीएम जी फिर आयेंगे
लाल किले पर झंडा फहराएंगे.
वादों का बशन पिलायेंगे 
और
चले जायेंगे.
पिचले तिरसठ वर्षों से यही होता रहा है
भारत इसी आज़ादी में जिंदा रहा है.
            ..........................
प्रबल प्रताप सिंह

11.8.10

शेम ! शेम !! शेम !!!

कुछ शर्म करो बेगैरत गिलानी दुश्मन के स्वतन्त्रता दिवस को "एकता दिवस" और अपने गौरान्वित कर देने वाले "15 अगस्त" को "काला दिवस" के रूप में मना रहे हो। शेम ! शेम !! शेम !!!
किसी शायर को यूँ भी कहना चाहिए था कि:-
न संभलोगे तो मिट जाओगे अहले कश्मीर,
तुम्हारी दास्ताँ तक न होगी, दास्तानों में !

8.8.10

महिला खेत पाठशाला का आठवां सत्र।

इस जिले के गावं निडाना में चल रही खेत पाठशाला में आज महिलाएं, डिम्पल के खेत में कपास के कीड़ों की व्यापक पैमाने पर हुई मौत देख कर हैरान रह गई। डिम्पल की सास से पुछताछ करने पर मालूम हुआ कि तीन दिन पहले कपास के इस खेत में विनोद ने जिंक, यूरिया डी..पी. आदि रासायनिक उर्वरकों का मिश्रित घोल बना कर स्प्रे किया था। यह घोल 5.5 प्रतिशत गाढ़ा था। इसका मतलब 100 लिटर पानी में जिंक की मात्रा आधा कि.ग्रा., यूरिया की मात्रा ढ़ाई कि.ग्रा. डी..पी. की मात्रा भी ढ़ाई कि.ग्रा. थी। पोषक तत्वों के इस घोल ने कपास की फसल में रस चूसकर हानि पहूँचाने वाले हरा-तेला, सफेद-मक्खी, चुरड़ा मिलीबग जैसे छोटे-छोटे कीटों को लगभग साफ कर डाला तथा स्लेटी-भूंड, टिड्डे, भूरी पुष्पक बीटल तेलन जैसे चर्वक कीटों को सुस्त कर दिया। इस नजारे को देखकर कृषि विज्ञान केन्द्र, पिंडारा से पधारे वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. यशपाल मलिक डा. आर.डी. कौशिक हैरान रह गये। उन्होने मौके पर ही खेत में घुम कर काफी सारे पौधों पर कीटों का सर्वेक्षण निरिक्षण किया। हरे तेले, सफेद मक्खी, चुरड़ा व मिलीबग की लाशें देखी। इस तथ्य की गहराई से जांच पड़ताल की। डा.आर.डी.कौशिक ने कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में प्रयोगों द्वारा सुस्थापित प्रस्थापनाओं की जानकारी देते हुए बताया कि पौधे अपने पत्तों द्वारा फास्फोरस नामक तत्व को ग्रहण नही कर सकते।
डा. यशपाल-कांग्रेस घास के खतरे।
घोल के स्प्रे से मरणासन-हरा तेला।
इस मैदानी हकीकत पर डा. कौशिक की यह प्रतिक्रिया सुन कर निडाना महिला पाठशाला की सबसे बुजर्ग शिक्षु नन्ही देवी ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए फरमाया कि आम के आम व गुठ्ठलियों के दाम वाली कहावत को इस स्प्रे ने सच कर दिखाया, डा. साहब। इब हाम नै इस बात तै के लेना-देना अक् पौधे इस थारे फास्फोरस नै पत्ता तै चूसै अक् जड़ा तै।
घोल के स्प्रे से सुस्त टिड्डा।
जिंक, यूरिया व डी.ए.पी. के इस 5.5 प्रतिशत मिश्रित घोल के दोहरे प्रभाव (पौधों के लिये पोषण व कीड़ों के लिये जहर) की जांच पड़ताल निडाना के पुरुष किसान पहले भी कर चुके हैं पर महिलाओं के लिये इस घोल के दोहरे प्रभाव देखने का यह पहला अवसर था।
मे-मक्खी।
पेन्टू बुगड़ा के अंडे व अर्भक।
सांठी वाली सूंडी।
सांठी वाली सूंडी का पतंग
घोल के स्प्रे से सुस्त-भूरी पुष्पक बीटल।
डा.यशपाल मलिक व डा. आर.डी.कौशिक ने जिंक, यूरिया व डी.ए.पी. के इस 5.5 प्रतिशत मिश्रित घोल के दोहरे प्रभाव की इस नई बात को किसी ना किसी वर्कशाप में बहस के लिये रखने का वायदा किया। इसके बाद महिलाओं के सभी समूहों ने डा. कमल सैनी के नेतृत्व में कपास के इस खेत से आज की अपनी कीटों की गणना, गुणा व भाग द्वारा विभिन्न कीटों के लिये आर्थिक स्तर निकाले तथा सबके सामने अपनी-अपनी प्रस्तुती दी। सभी को यह जानकर बहुत खुशी हुई कि इस कपास के खेत में हानिकारक कीटों की संख्या सिर्फ ना का सिर फोड़ने भर वाली है। इन कीटों में से कोई भी कीट हानि पहुँचाने की स्थिति में नही है। विनोद की माँ ने चहकते हुए बताया कि इस खेत में कपास की बिजाई से लेकर अब तक किसी कीटनाशक के स्प्रे की जरुरत नही पड़ी है। यहाँ तो मांसाहारी कीटों ने ही कीटनाशकों वाला काम कर दिया। ऊपर से परसों किये गए उर्वरकों के इस मिश्रित घोल ने तो सोने पर सुहागा कर दिया।
नए कीड़ों के तौर पर महिलाओं ने आज के इस सत्र में कपास के पौधे पर पत्ते की निचली सतह पर पेन्टू बुगड़ा के अंडे व अर्भक पकड़े। राजवंती के ग्रुप ने एक पौधे पर मे-फ्लाई का प्रौढ़ देखा। पड़ौस के खेत में सांठी वाली सूंडी व इसके पतंगे भी महिलाएं पकड़ कर लाई। इस सूंडी के बारे में अगले सत्र में विस्तार से अध्यन करने पर सभी की रजामंदी हुई।
सत्र के अंत में समय की सिमाओं को ध्यान में रखते हुए, डा. यशपाल मलिक ने "कांग्रेस घास - नुक्शान व नियंत्रण" पर सारगर्भीत व्याखान दिया जिसे उपस्थित जनों ने पूरे ध्यान से सुना।

5.8.10

मानव अधिकार सुरक्षा संघ (मास) ने मनाया पौधारोपण महोत्सव


सफीदों (हरियाणा) : पेड़ों की कमी के चलते स्थिति बेहद विस्फोटक हो चुकी है। हालात इस कदर बेकाबू हो चुके हैं हमें सांस लेना भी दूभर हो चुका है। यह बात तहसीलदार ज्ञानप्रकाश बिश्र्रोई ने रामपुरा गांव स्थित बी.एस. मैमोरियल स्कूल में सामाजिक संस्था मानव अधिकार सुरक्षा संघ (मास) द्वारा मनाए गए पौधारोपण महोत्सव में बोलते हुए कही। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को लेकर केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्र्व चिंतित है। पर्यावरण के प्रति लोगों को सचेत व जागरूक करने के लिए सरकारों की तरफ से बड़ेबड़े कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। उन कार्यक्रमों को सही रूप से अमलीजामा तभी पहनाया जा सकता है जब लोगों में पर्यावरण को बचाए रखने के प्रति दृढ़ इच्छाशक्ति पैदा होगी। लोगों के सहयोग के बिना इस कार्य को पूरा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के दूष्ति होने का मुख्य कारण पेड़ों की अंधाधुंध कटाई है। लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पेड़ों पर कुल्हाड़ा चला रहे हैं। मानव पेड़ों पर कुल्हाड़ा चलाने की बजाए खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ा चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि वृक्ष है तो हम हैं।वृक्षों के बिना मानव जीवन की कल्पना करना बेमानी है। यदि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई इसी तरह से होती रही तो आने वाली पीढ़ियों को इसके गंभीर दुष्परिणाम भुगतने होंगे। पेड़ों की कमी से वातावरण में आसीजन की कमी होती जा रही है तथा दूष्ति गैसों की अधिकता होती जा रही है। जोकि मानव जीवन के लिए बेहद घातक बात है। उन्होंने जोर देकर कहा कि व्यक्ति अपने जीवन में एक पौधा अवश्य लगाए तथा उसका भरपूर पालनपोषण करें। इस मौके पर बोलते हुए संस्था के अध्यक्ष अकबर खान ने कहा कि हर व्यक्ति का परम कर्तव्य बनता है कि वह पर्यावरण शुद्धि के प्रति सचेत हो ताकि उनकों प्रकृति के भयकंर परिणामों को ना भुगतने पड़ें। उन्होंने बताया कि संस्था ने ख्भ् जुलाई से सफीदों उपमंडल में पौधारोपण कार्यक्रम शुरू किया था। इस दौरान संस्था ने लोगों के सहयोग से सार्वजनिक स्थानों व स्कूलों में पौधारोपण किया है। इस मौके पर स्कूल के चेयरमैन अरूण खर्ब, संस्था के परियोजना निदेशक विनोद वर्मा व सहसचिव सुरेश कुमार ने भी अपने विचार रखें।