गरीबों का राशन डकार रहे है अमीर सफीदों, (हरियाणा) : सफीदों में अमीरों की बल्लेबल्ले है तथा गरीब थल्लेथल्ले है, क्योंकि सरकार द्वारा गरीबों के लिए शुरू की गई बी.पी.एल. राशन योजना से क्षेत्र के सैंकड़ों गरीब महरूम हैं। गरीबों के उत्थान के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही बी.पी.एल. कार्ड योजना का लाभ असली हकदारों को नहीं मिल पा रहा है। गरीब अपने हक को प्राप्त करने के लिए दरदर ठोकर खाने को मजबूर है। दरदर ठोकर खाने के बावजूद भी गरीब को उसका हक प्राप्त नहीं हो पा रहा है। देश व प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अपने आप को गरीबों का मसीहा साबित करने के लिए बी.पी.एल. योजना तो लागू तो कर दी लेकिन सरकार ने इस बात पर कभी भी ध्यान नहीं दिया कि इस योजना का फायदा वास्तविक गरीब को मिला है या नहीं। सरकार ने इस योजना की सारी लगाम अधिकारियों के हाथ में पकड़ा दी। लगाम हाथ में आने के बाद अधिकारियों ने जो जी में आया वहीं किया। सर्वे में वास्तविक गरीब के नाम तो काट दिए गए तथा अमीर के नाम सर्वे में शामिल कर लिए गए। नतीजा यह हुआ कि गरीब के हाथ में तो हरें रंग का कार्ड थमा दिया गया, जिसमें राशन डिपों से कुछ भी प्राप्त होने वाला नहीं है तथा गुलाबी व पीले कार्ड अमीरों के हाथों में दे दिए गए, जिससे गरीब का हक मारने वाला वह अमीर हर महीने अपने घर में सस्ते भावों में राशन डिपों से राशन ला रहा है। सब कुछ इस तरह से चल रहा है मानों प्रशासनिक अधिकारियों ने अपनी आँखों पर काली पट्टी बंधी हो। सफीदों में सैंकड़ों इस तरह के उदाहरण भरे पड़े हैं। ऐसा ही एक उदाहरण कस्बे के रेलवे स्टेशन के पास एक टूटीफूटी झौपड़ी में रहने वाले मां बेटें का भी हैं। यह परिवार भी अधिकारियों की भाई भतीजावाद की भेंट चढ़ गया तथा इनके हाथ में भी गुलाबी राशन कार्ड को काटकर हरा राशन कार्ड थमा दिया गया है। आज इस परिवार की सूध लेने वाला ना तो प्रशासन है तथा ना ही कोई राजनेता है। कस्बे के रेलवे स्टेशन की दीवार के ठीक नीचे एक टूटी फूटी छोटी सी झोपड़ी डालकर अपने बेटे रोशन लाल के साथ उसकी बुढ़ी मां मूर्ति देवी रहती हैं।मूर्ति देवी की झोपड़ी भी पूरी तरह से जर्जर हालात में है। मूर्ति देवी के पति रामकिशन की काफी पहले मौत हो चुकी है। उसका एक ही सहारा उसका बेटा रोशन लाल है जो मानसिक तौर पर बीमार है। घर में आय का कोई साधन नहीं है। बेटा रोशनलाल ही थोड़ी बहुत मजदूरी करके अपना व अपनी मां का पेट पाल रहा है। बेटा मजदूरी करके कुछ कमा लाए तो घर का चूल्हा जल जाता है वरना दोनों भूखे पेट ही सो जाते हैं, क्योंकि सर्वे करने वाले अधिकारियों ने जो उसका गुलाबी राशन कार्ड काट दिया है। सर्वे करने वाले अधिकारियों का यह बात समझ में नहीं आती कि इन मां बेटे की मामूली सी झौपड़ी में उन्हें कितनी बड़ी कोठी नजर आई। सरकार द्वारा गरीबों को राशन बांटने वाली बी.पी.एल. योजना भ्रष्ट अधिकारियों की अनदेखी के चलते 2 वर्ष् पूर्व इस परिवार को मिलनी बंद हो गई थी, जोकि बार बार अधिकारियों कों गुहार लगाने के बाद भी नहीं मिल पाई। इस परिवार का ना तो खुद का कोई मकान है तथा ना ही कोई कमाई का साधन। लेकिन अधिकारियों की आंखों को इनकी गरीबी नजर नही आई और इनके बी.पी.एल. कार्ड रद्द करके इनके हाथ में हरें रंग का कार्ड थमा दिए गया । गरीब मूर्ति देवी व उसका बेटा रोशन लाल बडे़ ही मुश्किल हालातों में जी रहा है। खुले आसमान के नीचे तो वे सोते ही हैं।बरसात के मौसम तो उनके लिए भी मुश्किलें लेकर आता है। उनकी झौपड़ी के पास ही ट्रक यूनियन का दतर है। प्रशासन की बेरूखी के बाद ट्रक यूनियन के ड्राईवरों को ही उन पर तरस आ गया। दिन में तो ट्रक यूनियन का दफ्त्तर चलता है तथा ट्रक ड्राईवरों ने रात में इन दोनों मां बेटे को दतर में सोने की इजाजत दे दी है। अब ये दोनों मां बेटा दिन में तो मजदूरी की तलाश में इधर उधर फिरते हैं तथा रात में इस ट्रक यूनियन के दतर में आकर सो जाते हैं। गरीब मूर्ति देवी ने बताया कि उसने गुलाबी राशन कार्ड बनवाने के लिए जनप्रतिनिधियों से लेकर छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों तक खूब धक्के खाए लेकिन उसे कोई सफलता प्राप्त नहीं हुई। नतीजतन आज तक भी उसका गुलाबी कार्ड दोबारा से नहीं बन पाया है। उसका कहना है कि वह अपनी जिंदगी तो किसी तरह से काट लेगी लेकिन उसे फिक्र तो अपने बेटे की लगी हुई है कि उसका गुजरबसर किस तरह से होगा, क्योंकि उसके पास रहने के लिए ना तो मकान है तथा ना खाने के लिए भोजन है। उन्होंने सरकार व प्रशासन से गुहार लगाई है कि उसका गुलाबी राशन कार्ड बनवाया जाए तथा सरकार की तरफ से उसे मकान बनवाकर दिया जाए ताकि वे अपना सही रूप से गुजर बसर कर सकें।
कुछ शर्म करो बेगैरत गिलानी दुश्मन के स्वतन्त्रता दिवस को "एकता दिवस" और अपने गौरान्वित कर देने वाले "15 अगस्त" को "काला दिवस" के रूप में मना रहे हो। शेम ! शेम !! शेम !!! किसी शायर को यूँ भी कहना चाहिए था कि:- न संभलोगे तो मिट जाओगे अहले कश्मीर, तुम्हारी दास्ताँ तक न होगी, दास्तानों में !
इसजिलेकेगावंनिडानामेंचलरहीखेतपाठशालामेंआजमहिलाएं, डिम्पलकेखेतमेंकपासकेकीड़ोंकीव्यापकपैमानेपरहुईमौतदेखकरहैरानरहगई।डिम्पलकीसाससेपुछताछकरनेपरमालूमहुआकितीनदिनपहलेकपासकेइसखेतमेंविनोदनेजिंक, यूरियावडी.ए.पी. आदिरासायनिकउर्वरकोंकामिश्रितघोलबनाकरस्प्रेकियाथा।यहघोल 5.5 प्रतिशतगाढ़ाथा।इसकामतलब 100 लिटरपानीमेंजिंककीमात्राआधाकि.ग्रा., यूरियाकीमात्राढ़ाईकि.ग्रा.वडी.ए.पी. कीमात्राभीढ़ाईकि.ग्रा. थी।पोषकतत्वोंकेइसघोलनेकपासकीफसलमेंरसचूसकरहानिपहूँचानेवालेहरा-तेला, सफेद-मक्खी, चुरड़ावमिलीबगजैसेछोटे-छोटेकीटोंकोलगभगसाफकरडालातथास्लेटी-भूंड, टिड्डे, भूरीपुष्पकबीटलवतेलनजैसेचर्वककीटोंकोसुस्तकरदिया।इसनजारेकोदेखकरकृषिविज्ञानकेन्द्र, पिंडारासेपधारेवरिष्ठकृषिवैज्ञानिकडा. यशपालमलिकवडा. आर.डी. कौशिकहैरानरहगये।उन्होनेमौकेपरहीखेतमेंघुमकरकाफीसारेपौधोंपरकीटोंकासर्वेक्षणवनिरिक्षणकिया।हरेतेले, सफेदमक्खी, चुरड़ा व मिलीबगकीलाशेंदेखी।इसतथ्यकीगहराईसेजांचपड़तालकी।डा.आर.डी.कौशिकनेकृषि विश्वविद्यालय, हिसार में प्रयोगों द्वारा सुस्थापित प्रस्थापनाओं की जानकारी देते हुए बताया कि पौधे अपने पत्तों द्वारा फास्फोरस नामक तत्व को ग्रहण नही कर सकते।
डा. यशपाल-कांग्रेस घास के खतरे।
घोल के स्प्रे से मरणासन-हरा तेला।
इस मैदानी हकीकत पर डा. कौशिक की यह प्रतिक्रिया सुन कर निडाना महिला पाठशाला की सबसे बुजर्ग शिक्षु नन्ही देवी ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए फरमाया कि आम के आम व गुठ्ठलियों के दाम वाली कहावत को इस स्प्रे ने सच कर दिखाया, डा. साहब। इब हाम नै इस बात तै के लेना-देना अक् पौधे इस थारे फास्फोरस नै पत्ता तै चूसै अक् जड़ा तै।
घोल के स्प्रे से सुस्त टिड्डा।
जिंक, यूरिया व डी.ए.पी. के इस 5.5 प्रतिशत मिश्रित घोल के दोहरे प्रभाव (पौधों के लिये पोषण व कीड़ों के लिये जहर) की जांच पड़ताल निडाना के पुरुष किसान पहले भी कर चुके हैं पर महिलाओं के लिये इस घोल के दोहरे प्रभाव देखने का यह पहला अवसर था।
मे-मक्खी।
पेन्टू बुगड़ा के अंडे व अर्भक।
सांठी वाली सूंडी।
सांठी वाली सूंडी का पतंग
घोल के स्प्रे से सुस्त-भूरी पुष्पक बीटल।
डा.यशपाल मलिक व डा. आर.डी.कौशिक ने जिंक, यूरिया व डी.ए.पी. के इस 5.5 प्रतिशत मिश्रित घोल के दोहरे प्रभाव की इस नई बात को किसी ना किसी वर्कशाप में बहस के लिये रखने का वायदा किया। इसके बाद महिलाओं के सभी समूहों ने डा. कमल सैनी के नेतृत्व में कपास के इस खेत से आज की अपनी कीटों की गणना, गुणा व भाग द्वारा विभिन्न कीटों के लिये आर्थिक स्तर निकाले तथा सबके सामने अपनी-अपनी प्रस्तुती दी। सभी को यह जानकर बहुत खुशी हुई कि इस कपास के खेत में हानिकारक कीटों की संख्या सिर्फ ना का सिर फोड़ने भर वाली है। इन कीटों में से कोई भी कीट हानि पहुँचाने की स्थिति में नही है। विनोद की माँ ने चहकते हुए बताया कि इस खेत में कपास की बिजाई से लेकर अब तक किसी कीटनाशक के स्प्रे की जरुरत नही पड़ी है। यहाँ तो मांसाहारी कीटों ने ही कीटनाशकों वाला काम कर दिया। ऊपर से परसों किये गए उर्वरकों के इस मिश्रित घोल ने तो सोने पर सुहागा कर दिया। नए कीड़ों के तौर पर महिलाओं ने आज के इस सत्र में कपास के पौधे पर पत्ते की निचली सतह पर पेन्टू बुगड़ा के अंडे व अर्भक पकड़े। राजवंती के ग्रुप ने एक पौधे पर मे-फ्लाई का प्रौढ़ देखा। पड़ौस के खेत में सांठी वाली सूंडी व इसके पतंगे भी महिलाएं पकड़ कर लाई। इस सूंडी के बारे में अगले सत्र में विस्तार से अध्यन करने पर सभी की रजामंदी हुई। सत्र के अंत में समय की सिमाओं को ध्यान में रखते हुए, डा. यशपाल मलिक ने "कांग्रेस घास - नुक्शान व नियंत्रण" पर सारगर्भीत व्याखान दिया जिसे उपस्थित जनों ने पूरे ध्यान से सुना।
सफीदों (हरियाणा) : पेड़ों की कमी के चलते स्थिति बेहद विस्फोटक हो चुकी है। हालात इस कदर बेकाबू हो चुके हैं हमें सांस लेना भी दूभर हो चुका है। यह बात तहसीलदार ज्ञानप्रकाश बिश्र्रोई ने रामपुरा गांव स्थित बी.एस. मैमोरियल स्कूल में सामाजिक संस्था मानव अधिकार सुरक्षा संघ (मास) द्वारा मनाए गए पौधारोपण महोत्सव में बोलते हुए कही। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को लेकर केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्र्व चिंतित है। पर्यावरण के प्रति लोगों को सचेत व जागरूक करने के लिए सरकारों की तरफ से बड़ेबड़े कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। उन कार्यक्रमों को सही रूप से अमलीजामा तभी पहनाया जा सकता है जब लोगों में पर्यावरण को बचाए रखने के प्रति दृढ़ इच्छाशक्ति पैदा होगी। लोगों के सहयोग के बिना इस कार्य को पूरा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के दूष्ति होने का मुख्य कारण पेड़ों की अंधाधुंध कटाई है। लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पेड़ों पर कुल्हाड़ा चला रहे हैं। मानव पेड़ों पर कुल्हाड़ा चलाने की बजाए खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ा चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि वृक्ष है तो हम हैं।वृक्षों के बिना मानव जीवन की कल्पना करना बेमानी है। यदि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई इसी तरह से होती रही तो आने वाली पीढ़ियों को इसके गंभीर दुष्परिणाम भुगतने होंगे। पेड़ों की कमी से वातावरण में आसीजन की कमी होती जा रही है तथा दूष्ति गैसों की अधिकता होती जा रही है। जोकि मानव जीवन के लिए बेहद घातक बात है। उन्होंने जोर देकर कहा कि व्यक्ति अपने जीवन में एक पौधा अवश्य लगाए तथा उसका भरपूर पालनपोषण करें। इस मौके पर बोलते हुए संस्था के अध्यक्ष अकबर खान ने कहा कि हर व्यक्ति का परम कर्तव्य बनता है कि वह पर्यावरण शुद्धि के प्रति सचेत हो ताकि उनकों प्रकृति के भयकंर परिणामों को ना भुगतने पड़ें। उन्होंने बताया कि संस्था ने ख्भ् जुलाई से सफीदों उपमंडल में पौधारोपण कार्यक्रम शुरू किया था। इस दौरान संस्था ने लोगों के सहयोग से सार्वजनिक स्थानों व स्कूलों में पौधारोपण किया है। इस मौके पर स्कूल के चेयरमैन अरूण खर्ब, संस्था के परियोजना निदेशक विनोद वर्मा व सहसचिव सुरेश कुमार ने भी अपने विचार रखें।
गुलाबी कार्ड कटने के बाद संस्था के राशन पर जी रहा है गरीब परिवार सफीदों, (हरियाणा) : देश व प्रदेश की कांग्रेस सरकार गरीबों का मसीहा होने के बड़ेबड़े दावे करती है तथा सरकार द्वारा गरीबों के लिए लागू की जाने वाली योजनाओं के प्रचार के लिए बडे़बडे़ विज्ञापन प्रकाशित किए जाते हैं लेकिन उन कल्याणकारी योजनाओं का फायदा वास्तविक गरीब लोगों तक नहीं पहुंचता। उन योजनाओं को फायदा अपने रसूक के दम पर अमीर लोग उठा ले जाते हैं। सरकार ने इस बात की तरफ ध्यान नहीं दिया कि गरीबों के लिए जारी की गई योजनाएं ठीक रूप से लागू हो भी रही है या नहीं। इन्हीं योजनाओं के तहत सरकार ने अति गरीब परिवारों के लिए गुलाबी कार्ड बनाए जाने की योजना लागू कर रखी है। उन कार्डों को बनाए जाने के लिए किए सर्वे में कर्मचारियों द्वारा निचले स्तर पर बड़ी धांधली हुई। सर्वे में अमीरों के नाम शामिल कर लिए गए तथा गरीबों के नाम काट दिए गए। नतीजतन गरीब लोग इस गुलाबी कार्ड योजना से महरूम रह गए। गुलाबी कार्ड बनाने के लिए किए गए सर्वे में हुई धांधली को लेकर कई बार लोगों द्वारा प्रदर्शन किए गए तथा प्रशासन को ज्ञापन सौंपे गए। इसी धांधली का शिकार सफीदों के वार्ड नंबर 12 में एक टूटेफूटे मकान में रह रही एक विधवा कस्तूरी देवी भी हुई है। विधवा कस्तूरी देवी ने रोते हुए बताया कि उसके साथ बहुत बड़ी ज्यादती हुई है। उसके पास ना तो रहने के लिए ढंग का मकान तथा ना ही खाने के लिए भोजन है। जिस मकान में वह रह रही है, उस मकान की हालत इतनी जर्जर है कि वह किसी भी क्षण गिर सकता है। उसने बताया कि वर्ष् 2008 से पहले उसका गुलाबी कार्ड बना हुआ था लेकिन वर्ष 2008 में उसका गुलाबी कार्ड अफसरशाही व कर्मचारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया। उसके बाद आज तक भी उसका गुलाबी कार्ड नहीं बन पाया है। गुलाबी कार्ड कट जाने के बाद सरकार द्वारा कम दामों पर दिया जाने वाला उसका राशन बंद हो गया। राशन बंद होते ही वह भूखों मरने के कगार पर पहुंच गई। उसने बताया कि उसके पति छोटू राम की काफी सालों पहले ही मौत हो चुकी है। उसका एकमात्र सहारा उसका बेटा रमेश कुमार पैरो से अपाहिज है। घर में कमाई का कोई साधन नहीं है। उसका बेटा रमेश बाजार में बाजार में छोटी सी रेहड़ी लगाता है तथा वह स्वयं भी लोगों के घरों में काम कर रही है। उसके बेटे रेहड़ी पर भी इतना भी काम नहीं है कि वह घर का गुजारा चला सके। परिवार चलाने के लिए जब सरकार के साी दरवाजे बंद हो गए तब उसको महामंडलेश्र्वर एवं गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के सानिध्य व आशीर्वाद चल रही सफीदों की एक सामाजिक संस्था श्री कृ ष्ण कृपा सेवा समिति ने सहारा दिया। उल्लेखनीय है कि सफीदों की सामाजिक संस्था श्री कृ ष्ण कृपा सेवा समिति हर महीने क्षेत्र के भ्क् गरीब व बेसहारा परिवारों को राशन दे रही है। जिसमें पूरे महीने भर का खानेपीने का सारा सामान होता है। विधवा कस्तुरी देवी ने बताया कि उसे इस बात का पता चला कि श्री कृ ष्ण कृपा सेवा समिति गरीब व बेसहारा परिवारों को राशन दे रही है तो उसने संस्था के पदाधिकारियों से संपर्क किया। संस्था के पदाधिकारियों ने उसके घर व परिवार की हालत को देखते हुए संस्था की तरफ से उसका कार्ड बना दिया।उसने बताया कि वह उस कार्ड के माध्यम से हर महीने का राशन प्राप्त करके गुजरबसर कर रही है। उसने बताया कि उसने इस बात के खूब प्रयास किए कि वह संस्था का राशन ना ले तथा किसी तरह से उसका गुलाबी राशन कार्ड दोबारा से बन जाए। उसने गुलाबी राशन कार्ड बनवाने के लिए जनप्रतिनिधियों से लेकर छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों तक खूब धक्के खाए लेकिन उसे कोई सफलता प्राप्त नहीं हुई। नतीजतन आज तक भी उसका गुलाबी कार्ड दोबारा से नहीं बन पाया है। उसका कहना है कि अब उसे सरकार व प्रशासन से इस मामले में उमीद कम ही बची है। उसका कहना है कि वह अपनी जिंदगी तो किसी तरह से काट लेगी लेकिन उसे फिक्र तो अपने बेटे की लगी हुई है कि उसका गुजरबसर किस तरह से होगा। उसने सरकार व प्रशासन से गुहार लगाई है कि उसका गुलाबी कार्ड बनवाया जाए तथा उसका मकान बनवाया जाए। इस मामले में श्री कृष्ण कृपा सेवा समिति के राशन वितरण प्रमुख दर्शन लाल मेहता ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि विधवा कस्तूरी देवी पिछले कई सालों से इस संस्था से राशन प्राप्त कर रही है। उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा कस्तूरी देवी को हर महीने आटा, दाल, चावल, चाय, चीनी व अन्य सामान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि महामंडलेश्र्वर एवं गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के सानिध्य व आशीर्वाद से यह राशन वितरण का प्रकल्प पिछले काफी समय से चल रहा है। इस प्रकल्प के तहत गरीब व बेसहारा परिवारों को राशन दे रही है।न है तथा ना ही गुजारा करने के लिए कारोबार है। उसने बताया कि वह हर महीने श्री कृ ष्ण कृपा सेवा समिति द्वारा बनाए गए कार्ड पर समिति से राशन प्राप्त कर रही है।
आज भी सुबह से ही निडाना के आसमान में चारों ओर बादलों की चौधर है। चौधरियों के इसी आसमान में लोपा मक्खियाँ (ड्रैगन फलाईज्) भी जमीन के साथ-साथी नीची उड़ान भर रही हैँ। निडाना की महिला किसान इसका सीधा सा मतलब निकालती हैं कि भारी बरसात होने वाली है। मौसम की इस तुनक मिजाजी के मध्य ही आज निडाना की महिला खेत पाठशाला का सातवाँ सत्र शुरु होने जा रहा है। इस महिला खेत पाठशाला के मैदानी सच को जानने, इसकी बारिकियों को समझने व इसकी कवरिंग के लिये, हरियाणा न्यूज चैनल के रिपोर्टर, श्री सुनील मोंगा भी अपनी टीम के
महिला खेत पाठशाला के इस सातवें सत्र के अन्त में कृषि विकास अधिकारी डा. सुरेन्द्र दलाल ने उपस्थित महिला किसानों को बताया कि कपास की भरपूर फसल लेने के लिए किसान का जागरूकहोना अति आवश्यक है। उन्हें एक तरफ तो अपनी फसल को खरपतवारों से मुक्त रखना चाहिए व दूसरीतरफ हानिकारक कीटों व लाभदायक कीटों की पहचान कर कीटनाशक के स्प्रे करने का सही समय पर सही फैसला लेना चाहिए। किसानों को जानकारी होनी चाहिए कि बहुत सारे खरपतवार हानिकारक कीटों के लिये वैकल्पिक आश्रयदाता का काम करते हैं और इन खरपतवारों पर पल रहे शाकाहारी कीटों की आबादी पर मांसाहारी कीटों का फलना-फुलना निर्भऱ करता है। अगर फसल में दोनों तरह के कीट साथ-साथ आते हैं तो हमारी फसल में कीटों का नुक्शान नही होगा। अतः सड़कों, कच्चे रास्तों, नालों, खालों, मेंढों आदि पर उग रहे कांग्रेस घास, आवारा सूरजमुखी, उल्ट कांड, धतूरा, कचरी, भम्भोले आदि खरपतवारों को आँख मिच कर नष्ट नही करना चाहिए। बल्कि इन पौधों पर दोनों तरह के कीटों की वास्तविक स्थिति का जायजा लेकर ही इस बारे में कोई ठोस फैसला लेना चाहिये। डा. सुरेन्द्र दलाल ने महिलाओं को बताया कि कपास की फसल सम्मेत तमाम खरपतवारों पर इस समय मिलीबग के साथ-साथ इसकोखत्म करने वाले अंगीरा, फंगीरा व जंगीरा नामक परजीवी भी बहुतायत में मौजूदहैं। इनमें से अंगीरा नामक परजीवी तो अकेले ही 80-90 प्रतिशत तक मिलीबग कोनष्ट कर देता है।
डा. सुरेन्द्र दलाल ने महिलाओं को याद दिलायाकिफसलमेंमित्रकीटभीदुश्मनकीटोंकोअपनाभोजनबनाकरकीटनाशकोंवालाहीकामकरतेहैं।इसलिएफसलपरकीटनाशककाछिड़काव करने का फैसला लेने से पहले फसल का निरीक्षण करना, हानिकारक कीटों व मित्र कीटोंकी संख्या नोट करना व सही विशलेषण करना अति जरूरी है।
सुधार की उमीद से राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन सफीदों, (हरियाणा) : हरियाणाप्रदेशकेव्यापारीग्लोबलवार्मिंगवभूमिगतजलकेअत्याधिकदोहनकेदृष्टिगतभविष्यमेप्रदेशमेभूमिगतजलकेसंकटकेप्रतिगंभीरहैं।इसदिशामेंकरनालजिलाकेकुंजपुराकस्बेमेआईराष्ट्रपतिप्रतिभादेवीपाटिलकोहरियाणाकेव्यापारियोंकेआठसदस्यीयप्रतिनिधिमंडलनेएकज्ञापनसौंपाहैजिसमेंहरियाणाकीइससमस्याकासमाधानकरानेकाअनुरोधकियागयाहै।प्रतिनिधिमंडलनेइसमौकेपरराष्ट्रपतिकोसौंपेज्ञापनमेंकृषिउत्पादोंकेसहीरखरखावकेलिएपर्याप्तगोदामबनाएजानेकीआवश्यकतापरबलदियाहैऔरकृषिउत्पादोंकोकरमुक्तकरने, छोटेव्यापारियोंकोसामाजिकसुरक्षाबिलकीपरिधिमेशामिल करने, दुर्घटनावहादसेकीस्थितिमेव्यापारीकोपांचलाखरूपएकीबीमासुविधाउपलधकराने, लघुवमध्यमउनोगोंकोदसकरोड़तककीएसाईजड्यूटीमेछूटदेनेवनएगूड्सएवंसर्विसटैसकोदेशभरमेआनलाईनकरानेकीमांगभीकी।प्रतिनिधिमंडलकानेतृत्वझारखंडकेपूर्वराज्यमंत्रीगन्नौरकेविजेंद्रगोयलनेकियाऔरइसमेअखिलभारतीयअग्रवालसमेलनकेमहासचिवबालकिशनअग्रवाल, भारतीयउनोगव्यापारमंडलकेसंगठनसचिवगोपालशरणगर्ग, पूर्वमुख्यमंत्रीकेबनारसीदासगुप्ताकेबेटेवबनारसीदासगुप्ताफाऊंडेशनकेअध्यक्षअजयगुप्ता, हरियाणाप्लाईवुडमन्यूफैक्चर्सएसोसिएशनकेपूर्वप्रधानअशोकगोयल, व्यापारमंडलसफीदोंकेअध्यक्षराजकुमारमिाल, आलइंडियाराईसमिलर्सएसोसिएशनकेउपाध्यक्षप्रवीणगुप्तावहरियाणाप्रदेशव्यापारमंडलकेमहासचिवसुभाष्तायलशामिलथे।