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29.4.10

आजाद भारत है या गुलाम भारत ?

बाराबंकी में सफदरगंज पुलिस अफीम के लाईसेंस धारक माता प्रसाद मौर्या को उनके गाँव से पकड़ कर लायी और रुपया वसूलने के लिए उनकी जबरदस्त पिटाई की कि उनकी मौत हो गयी उनके लड़कों को पुलिस थाने लाकर फर्जी मुक़दमे में चालान की तैयारियां शुरू कर दी कल बाराबंकी कोतवाली में अपर पुलिस अधीक्षक कोतवाल के बीच में सरेआम काफी कहासुनी हुई कोतवाल ने अपर पुलिस अधीक्षक के मुखबिर का चालान एन.डी.पि.एस एक्ट में कर दिया अपर पुलिस अधीक्षक ने कोतवाल के मुखबिरों का चालान करा दिया राजस्व विभाग के अधिकारी लोगों की जमीनों को विवादित कर गुंडों और मवालियों को कब्ज़ा कराने का कार्य कर रहे हैं आम नागरिक करे तो क्या करे वस्तुगत स्तिथियों को देखने के बाद अब संदेह होने लगता है कि हम आजाद भारत के नागरिक हैं या ब्रिटिश कालीन भारत के नागरिक हैं ब्रिटिश कालीन भारत में भी राज्य द्वारा नागरिकों का उत्पीडन होता था लोकतान्त्रिक आजाद भारत में भी नागरिकों का उत्पीडन हो रहा है

सुमन
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ब्लॉग उत्सव 2010

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं,
सादर प्रणाम,

आज दिनांक २८.०४.२०१० को परिकल्पना ब्लोगोत्सव-२०१० के अंतर्गत प्रकाशित पोस्ट -
ब्लोगोत्सव-२०१० : ऑनलाइन विश्व की आजाद अभिव्यक्ति है ब्लोगिंग
ब्लोगोत्सव-२०१० :दर्पण का कार्य तो वस्तु का बिम्ब प्रदर्शित करना है
रहस्य: हम किसी चीज़ को किसी जगह पर देखते हैं तो वह वास्तव में ‘उस जगह’ पर नहीं होती
ब्लोगोत्सव-२०१० : आज हम लेकर आये हैं श्यामल सुमन की ग़ज़ल
ब्लोगोत्सव में आज हम लेकर आये हैं संजीव वर्मा सलिल,
ललित शर्मा और रवि कान्त पांडे के गीत
ब्लोगोत्सव में आज श्रेष्ठ पोस्ट के अंतर्गत माँ की डिग्रियां और शारदा अरोरा की कविता
ब्लोगोत्सव-२०१० : बहुत कठिन है डगर पनघट की
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28.4.10

क्या गद्दारी हमारी परंपरा का हिस्सा है ?

हमारे देश के राजे महाराजे सामंत जमींदार ब्रिटिश साम्राज्यवाद के एजेंट के रूप में कार्य करते थे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश साम्राज्यवाद का दुनिया में सूरज अस्त होना शुरू हो गया था और उसकी जगह अमेरिकन साम्राज्यवाद ने ले ली थी ब्रिटिश साम्राज्यवाद के चाकर तभी से अमेरिकन साम्राज्यवाद के लिए कार्य करना शुरू कर दिया था। उनके लिए देश और सामाज का कोई अर्थ नहीं है उनको अपनी शानो-शौकत बनाये रखने के लिए हर कार्य करने के लिए यह शक्तियां तैयार रही हैं आजाद भारत में पहला पाकिस्तानी जासूस मोहन लाल कपूर था जो कुछ पैसे और शराब के लिए देश के ख़ुफ़िया राज पकिस्तान के जासूसों को बेच देता था। उसी कड़ी में भारतीय महिला राजनयिक माधुरी गुप्ता जो इस्लामाबाद में भारतीय उच्च आयोग में अधिकारी थी आई.एस.आई के लिए काम कर रही थी पकड़ी गयी । आई.एस.आई अमेरिकन साम्राज्यवाद की प्रतिनिधि संस्था है। आज हमारे देश में अमेरिकन साम्राज्यवादियों की सबसे मजबूत पकड़ है देश के उच्च नौकरशाह अगर अमेरिकन दूतावास की शराब व दावतें उड़ा रहे हैं तो उनके लिए कार्य भी करते हैं । पूँजीवाद का उच्च स्वरूप साम्राज्यवाद है जिसके हितों के पोषण के लिए हमारी सरकारें कारगर तरीके से कार्य करती हैं देश की बहुसंख्यक आबादी से उनका कोई सरोकार नहीं है आज मुख्य चुनौती साम्राज्यवादी शक्तियों से लड़ने के लिए है। भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों से किसी भी देश की खुफिया एजेंसी जब चाहे तब अपने मनमाफिक तरीके से कार्य कराती रहती है। इतिहास के पृष्ठों पर अगर नजर डाली जाए तो मोहन लाल कपूर माधुरी गुप्ता जैसे लोगों की बहुतायत है जिसे देखकर लगता है क्या गद्दारी हमारी परंपरा का हिस्सा है ?

27.4.10

मायावती का सी0बी0आई0 पर दोहरा मापदण्ड अपनाने का आरोप

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती जी हैं, जो अपने को दलित की बेटी कहते हुए नहीं थकतीं, हैं भी वह दलित की बेटी; लेकिन खुद वह दलित नहीं हैं बल्कि अब उनकी गिनती अतिविशिष्ट गणों में होती है। अगड़ा, पिछड़ा दलित, यह है सामाजिक बंटवारा और इसी सामाजिक बंटवारा को समाप्त करने के लिए संविधान में पिछड़ों और दलितों के आरक्षण की व्यवस्था की गई हैं, वह अलग है कि पिछड़ों में या दलितों में किसको दिया, किसको नहीं दिया। इसको लेकर देश कई बार जलते-जलते बचा है और आज भी देश का एक हिस्सा राजस्थान आग की लपेट में है।

मायावती जी ने राजनीति में रहकर कितना धन कमाया या अन्य किसी नेता ने राजनीति से कितना लाभ उठाया इसकी जानकारी देश के अधिकांश नागरिकों को है, चाहे वह हार के द्वारा हो या उपहार के द्वारा या फिर स्थानान्तरण और नियुक्ति के उद्योग के द्वारा। लाभ तो हर राजनेता उठाता है अगर मायावती जी ने उठाया तो बुरा क्या?

ज्ञात सूत्रों से अतिरिक्त धन रखने के मामले में सी0बी0आई0 विवेचना कर रही है, मायावती जी के खिलाफ, जिसे न्यायालय में चुनौती दी गई है। चुनौती देते हुए मायावती जी द्वारा कहा गया है कि उनके साथ दोहरा मापदण्ड अपनाया जा रहा है। दोहरा मापदण्ड अपनाया जाना गलत है और हर कोई उसे गलत कहेगा; लेकिन दोहरा मापदण्ड अपनाये जाने के आधार पर किसी भी राजनेता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही समाप्त करना कानूनी गलती होगी। मायावती जी के खिलाफ अगर विवेचना चल रही है तो उसका रोका जाना विधि सम्मत नहीं होगा बल्कि उचित तो यह होगा कि किस राजनेता के मुकाबले मायावती जी के साथ दोहरा मापदण्ड अपनाया जा रहा है, यह तथ्य मायावती जी स्वयं स्पष्ट करें और उनके इस स्पष्टीकरण के बाद उनके द्वारा बताये गये राजनेता के खिलाफ भी ज्ञात स्रोतों से अधिक सम्पत्ति रखने का मामला दर्ज करके विवेचना शुरू करना चाहिए और विवेचना में न्यायालय को दखल नहीं देना चाहिए, चाहे वह कोई भी न्यायालय हो।

एक राजनेता को फंसते देखकर दूसरा राजनेता जो उसी हमाम में नहाया हुआ होता है उसे बचाने की कोशिश करता है। नेता शासक दल का हो या विपक्ष दल का नेता होता है, वह जनोपयोगी चीजों का दाम बढ़ाने में भी एक साथ होता है और अपनी सुविधाएं बढ़ाने के पक्ष में भी। वह हम जन साधारण हैं जो नेताओं के लिए इंसान नहीं वोट की अहमियत रखते हैं, इसलिए आवश्यक है कि वोट की अहमियत रखने वाले ही यह बात कहें कि ज्ञात स्रोतों से अधिक धन रखने वाला अपराधी तो है ही जन साधारण से अधिक सुविधा प्राप्त करने वाला और केवल पांच साल में करोड़पति बन जाने वाला और अरब-खबरपतियों को मदद पहुंचाने वाला नेता जनता का दोषी है और उसे जनता की अदालत में इसके लिए जवाबदेह होना आवश्यक है और यह भी जरूरी है कि न्यायिक प्रक्रिया अपना काम करे और उसमें कोई व्यवधान न पैदा हो तथा हर नेता के साथ एक जैसी कार्यवाही हो और दोहरा मापदण्ड न अपनाया जाए।

मोहम्मद शुऐब एडवोकेट
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26.4.10

ब्लॉग उत्सव 2010

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं,

सादर प्रणाम,

आज दिनांक २६ .०४.२०१० को ब्लोगोत्सव-२०१० के अंतर्गत प्रकाशित पोस्ट का लिंक

ब्लोगोत्सव-२०१० : हम व्यस्क कब होंगे ?

http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_25.html

चिट्ठाकारिता ने हमें एक नया सामाजिक आस्वादन दिया है

http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_1872.html

हिन्दी ब्लॉगिंग की ताकत को कम करके आंकना बिल्कुल ठीक नहीं है:अविनाश वाचस्पति
आईये हिंदी ग़ज़ल की विकास यात्रा पर एक नजर डालते हैं..

मानवीय सर्जना का नवोन्मेष है यह.....गिरीश पंकज

हम लेकर आये हैं आज निर्मला जी की कुछ और गज़लें

http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_2935.html

अपनी बात : हिन्दी ग़ज़ल की विकास यात्रा http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_6880.html

ब्लोगोत्सव-२०१० : नीरज गोस्वामी,गौतम राजरिशी और अर्श की गज़लें

http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_3288.html

निर्मला कपिला की तीन गज़लें

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_3358.html

गौतम राजरिशी की दो गज़लें

नीरज गोस्वामी की दो ग़ज़लें
अर्श की तीन गज़लें

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_3917.html

ब्लोगोत्सव-२०१०: श्रेष्ठ पोस्ट और बच्चों का कोना

बच्चों का कोना : शुभम सचदेव की तीन बाल-कहानियां
ब्लोगोत्सव-२०१० : आज का कार्यक्रम उत्सवी स्वर के साथ संपन्न
रश्मि प्रभा के उत्सवी स्वर

बुद्धिजीवी होना भी एक चस्का : डा० अरविन्द मिश्र



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तुम जो कहो वह सब सही, हम जो कहें वह सब गलत

अम्बेडकर जयन्ती समारोह के दौरान गोण्डा में बसपा के मंच पर पार्टी के पदाधिकारी हनुमान शरण शुक्ला की सरेआम हत्याकर दी गई।
इसी के बाद पार्टी की ओर से बढ़ चढ़ कर सफाई अभियान शुरू हुआ। मज़े की बात यह है कि इसके लिये प्रमुख सचिव ग्रह कुवंर फतेह बहादुर तथा डी0 जी0 पी0 करम वीर सिंह मैदान में उतर गये और प्रेस-कान्फ्रे़न्स में इस प्रकार बोले जैसे पार्टी-प्रवक्ता बयान दें। उन्हों ने मृतक के संबंध में कहा कि वह न तो बसपा का सदस्य था और न ही वह पार्टी की किसी समिति से जुड़ा था, वह हिस्ट्रीशीटर था, उसकी हत्या रंजिश में की गई। जब यह सवाल हुआ कि बसपा से नहीं जुड़ा था और तो मंच पर कैसे बैठा था ? और हथियार बंद लोग मंच तक कैसे पहुँचे ? इन के उत्तरों के लिये अधिकारी-गण बग़लें झांकने लगे।
अब दुसरा बयान मृतक की पत्नी पंचायत सदस्य मंजु देवी तथा पु़त्री प्रियंका शुक्ला का देखिये-पत्नी ने बताया कि वे बसपा ब्राह्मण भाई चारा समिति के तरब गंज विद्यान सभा क्षेत्र के अघ्यक्ष थे, उनको यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वे ब्राह्मण समाज को बसपा के पक्ष में एकजुट करें। यह भी बताया की वह जयन्ती के मौके़ पर तीन सौ से अधिक गाड़ियों द्वारा हजारों लोगों को लेकर गये थे। पत्रकारों से बातचीत में रूँधे गले और बह रहे आसुंओ के बीच कहा कि दुःख की घड़ी में शासन उन्हें बसपा कार्यकर्ता न होने की बात कहकर उनके ज़ख्मों को कुरेद रहा है। पुत्री ने कहा कि बसपा के प्रत्येक र्कायक्रम में उनकी बढ़ चढ़ कर हिस्सेदारी थी।
दोनों बयानों की तौल-नाप आप खुद करें। मैं तो बस मृतक की पत्नी और पुत्री को यह कहूँगा कि वे बहन कु0 मायावती और शासन प्रशासन के गुरगों को मुखातिब करके यह शेर पढ़ दें-

बात तुम्हारी आज तक कोई हुई है कब गलत?
तुम जो कहो वह सब सही, हम जो कहें वह सब गलत।

डॉक्टर एस.एम हैदर

25.4.10

नेट प्रेस से बातचीत में राज्यसभा सांसद ने कहा " जातपात की दीवार तोडऩे में सफलता नहीं मिली"

सफीदों, (हरियाणा) : हरियाणा के हिसार जिले के मिर्चपुर गांव में दलितों के घर कथित रूप से एक जाति विशेष के लोगों के द्वारा जलाए जाने की घटना से देश व प्रदेश के लोग सन्न हैं। मिर्चपुर गांव में राज्यसभा के सांसद ईश्र्वरसिंह दौरा करने के बाद एक उदघाटन के सिलसिले में सफीदों पहुंचे। इस मौके पर नेट प्रेस संवाददाता महावीर मित्तल ने इस मुद्दे पर उनके साथ खास बातचीत की। इस बातचीत में राज्यसभा सांसद ने कहा कि मिर्चपुर में दलितों के घरों को जलाए जाने की घटना अति निंदनीय है, शायद ही मै इस घटना को अपनी जिंदगी में भूला पाऊंगा। वहां पर चारों तरफ विनाश का मंजर है। चारों तरफ आग से जले दलितों के घर दिखाई दे रहे हैं। इस घटनामें घरों के साथसाथ एक अपाहिज लडक़ी व उसका पिता भी आग में स्वाहा हो गया। यह पूछे जाने पर कि आप इस घटना के लिए किसे जिमेदार मानते हैं तो उनका कहना था कि इस घटना को अंजाम देने वाले शरारती तत्व हैंतथा वहां का प्रशासन भी इस मामले में काफी हद तक दोषी है। वहां का प्रशासन स्थिति को संभाल नहींपाया।स्थिति बेकाबू होने के बावजूद भी वहां के प्रशासन ने उच्चाधिकारियों को सूचित नहीं किया जिसकी वजह से स्थिति अनियंत्रित हो गई। उन्होंने बताया कि घटना के बाद उस कालोनी में रहने वाले लोग डरे व सहमे हुए हैं।उन्होंने कहा कि सरकार पूरी तरह से इन गरीबों के साथ है। सभी परिवारों के नुकसान की भरपाई सरकार करेगी। इसके अलावा इन परिवारों को सरकार सरकारी जमीन में मकान बनवाकर इनका पुर्नवास करेगीयह पूछे जाने पर कि अलग से कालोनी बसाए जाने से ये दलित परिवार समाज की मुख्यधारा से कट जाएंगे पर राज्यसभा सांसद ने टिप्पणी करते हुए कहा कि दलित समाज की समाज कि मुख्यधारा से जुड़ा ही कब था। मिर्चपुर ही नहीं बल्कि हरियाणा के गोहाना, हरसौला व सालवन के अलावा कई जगहों पर में दलितों पर जुल्म की घटनाएं घट चुकी है।आजादी के 63 सालों के बावजूद समाज से जातपात की दीवार को तोडऩे में सफलता हासिल नहीं हुई है।कांग्रेस सरकार ने इस दीवार को तोड़ने के लिए शुरू से ही प्रयास कर रही है लेकिन इस कार्य में व्यापक सफलता हासिल नहीं हुई है। सरकार द्वारा लागू विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद दलित वर्ग पिछड़ा हुआ है।उन्होंने कहा कि कई जाति व धर्म में पैदा होना किसी के बस की बात नहीं है। समाज किसी एक जाति से नहीं बनता बल्कि विभिन्न जातियों का समूह ही समाज है। उन्होंने कहा कि आज सबसे ज्यादा जरूरत जातिपाति की इस दीवार को तोडऩे की है तथा इस कार्य में समाज के सभी वर्गों के लोगों को आगे आना होगा।

पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य का हुआ जोरदार स्वागत

सफीदों, (हरियाणा) : समाज के सभी वर्गों को आगे बढ़ाने, सभी क्षेत्रों में बराबर विकास योजनाओं का क्रियान्वयन करवाने तथा लोगों का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करना ही हुड्डा सरकार का मुख्य ध्येय है। यह बात पूर्व मंत्री एवं सफीदों हलका के पूर्व विधायक बचन सिंह आर्य ने कही। वे भुसलाना गांव में आयोजित एक अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस समारोह की अध्यक्षता पूर्व मंत्री कुलबीर मलिक व पूर्व विधायक दयानंद शर्मा ने की। इस मौके पर लोगों ने सभी नेताओं का जोरदार स्वागत किया। उन्होंने कहा कि विकास व रोजगार के मामले सफीदों विधानसभा क्षेत्र किसी भी क्षेत्र से पीछे नहीं है।अन्य क्षेत्रों की तरह से मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा यहां के युवाओं को रोजगार दे रहें हैं तथा विकास के लिए धन भेज रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मेहरबानी से वे लगातार क्षेत्र का चौकीदारा करते रहेंगे तथा लोगों की समस्याओं का निराकरण करवाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा किसान वर्ग की खुशहाली के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। सरकार के कल्याणकारी फैसलों से प्रदेश में उन्नति के द्वार खुले हैं तथा बेरोजगारों को रोजगार के अवसर उपलध होने से उनका भविष्य उज्ज्वल हुआ है। हुड्डा सरकार ने गांवों का सर्वांगीण विकास करने के लिए एक योजनाबद्ध दूरगामी कार्यक्रम बनाया है जिससे प्रत्येक गांव को मुचित विकास होना संभव हो सकेगा। प्रदेश के राजनीतिक दलों के पास हुड्डा सरकार के खिलाफ कोई भी मुद्दा नहीं बचा है।

लो क सं घ र्ष !: इन्साफ हो किस तरह कि दिल साफ नही है

परमाणु अस्त्रों के सम्बन्ध में अनेक मंचों पर जब चिंता जताई जाती है तब हमकों एक कहानी याद आ जाती है-कुछ लोग एक मुर्दा उठायें हुए शमशान की ओर जा रहे थे, मोटा ताजा होने के कारण जब उसके भारीपन का एहसास हुआ तो उपाय सोचने हेतु उसे उतारा गया, फिर मुंह की ओर से कफ़न खोला, बड़ी बड़ी मूँछे देखकर एक सज्जन ने राय यह दी कि इसकी मूँछें उखाड़ लो।
अस्त्रों के अप्रसार, निरस्त्रीकरण आदि के अनेक समझौते हुए, एन0 पी0 टी0, सी0 टी0 बी0 टी0 की संधियाँ काफी पहले की हैं, परन्तु समस्या जहाँ थी वही अब भी हैं। बात यह है कि हुल्लड़ वही देश मचाते है जिनके पास विश्व भर के परमाणु हथियारों का 95 ज़खीरा मौजूदा है। यह हुल्लड़ भी इसलिये होता है कि वे दुसरो पर निशाना साधते रहें और किसी को उनकी ओर उंगली उठाने का मोका ने मिले।
आप ग़ौर करें कि चीन के पास 200, इस्राईल के पास 200, भारत, पाकिस्तान के पास 100-100 परन्तु अमेरिका व रूस के मिला कर 22 हजार से अधिक परमाणु हथियार हैं।
अप्रेल 10 के दुसरे सप्ताह में इस मामलें पर दो स्थानों पर र्वातायें हुईं।
सप्ताह के आरम्भ में चेकोस्लोवाकिया की राजधानी प्राग में अमेरिका राष्ट्रपति ओबामा तथा रूसी राष्ट्रपति मेदवेदेन ने परमाणु हथियारों में 30 कटौती के समझौते पर हस्ताक्षर किये। यह संधि 1991 की स्र्टाट संधि (स्ट्राटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी ) की जगह लेगी।
सप्ताह के अंत में नाभिकीय सुरक्षा सम्मेलन अमेरिका ने आयोजित किया, जिसमें भारत समेत 47 देशों नें परमाणु प्रौद्योगिकी था सूचना के गलत हाथों में न पड़ने देने का संकल्प लिया। ताकि सामग्री सूचना एवं तकनीक आतंकियों तक न पहुंचे। इस सम्मेलन से कुछ दिन पूर्व अमेरिकी विदेशी मंत्री हिलेरी किलंटन ने एक अमेरिकी यूनिवर्सिटी में भाषण देते हुए भारत पाकिस्तान को धमकाया यह कहते हुए कि इन्हीं देशों ने परमाणु संतुलन बिगाड़ा है। इसके लिये यह मुहावरा है उल्टे चोर कोतवाल को डांटे। इस भाषण में उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात यह जरूर कही कि परमाणु अप्रसार संधि के तीन छोर हैं, पहला निरस्त्रीकरण, दूसरा अप्रसार, तीसरा परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण इस्तेमाल।
हथियारों को घटाना, उनका अप्रसार, गलत हाथों में न पड़ना, इन सब बातों से बेहतर तो यही था कि मूल मुद्दे निरस्त्रीकरण पर दो टूक बाते की जाती। 1945 में इसकी भयावह तस्वीर सामने आई थी, जब अमेरिका ने नागासाकी शहर पर बम छोड़ा जिससे 90 हजार लोग मरे, फिर हिरोशियमा पर बम ब्लास्ट में एक लाख चालीस हजार जाने गई तथा 69 फीसदी इमारते नष्ट हो गई।
यह सच मानिये कि परमाणु प्रसार के मामले में अमेरिका की सब से बड़ा अपराधी है, 1945 के बाद से आज तक 65 वर्ष हो चुके हैं परन्तु मुख्य मुद्दे से ध्यान हटाने की बाते होती रहती हैक्ं। यदि पूर्ण निरस्त्रीकरण लागू हो जाये तो सभी समस्यायें सुलझ जायें। अब उत्तर कोरिया और ईरान यदि अपराधी हैं तो उन्हें सजा जरूर दीजिये लेकिन इस्राईल का दोष क्यों नजर नहीं आता?

इस दहर में सब कुछ है पा इन्साफ नहीं है।
इन्साफ हो किस तरह कि दिल साफ नही है।

डॉक्टर एस.एम हैदर