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28.8.09

प्रतिभाओं को अवसर - इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सराहनीय कार्य !

इस देश में प्रतिभाओं को कमी नही है, बस जरूरत है तो एक अदद अवसर और उचित मंच की। जिसके माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें जाने ऐसी कितनी ही प्रतिभाएं हैं, जो एक उचित अवसर के अभाव में गुमनामी के अंधेरे में दम तोड़ देती हैं एक टीवी चॅनल के रियलिटी शो के माध्यम से सुदूर ग्रामीण अंचल बहराम पुर ( उडीसा ) के शारीरिक कमियों से ग्रस्त युवाओं के प्रिंस डांस ग्रुप ने शानदार नृत्य प्रस्तुत कर देश भर के दर्शकों का दिल जीतकर अपने अटूट जज्बे और अदभुत प्रतिभा का प्रदर्शन किया है इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा प्रतिभाओं को सामने लाने और उन्हें उचित अवसर प्रदान करने का यह बहुत ही सराहनीय प्रयास किया जा रहा है
पहले पहल दूरदर्शन में यह बात देखने को मिलती थी। जिसमे शास्त्रीय नृत्य , संगीत और बाद्य यंत्रों पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन हुआ करता था । नीजि चेनलों के आ जाने से देश की प्रतिभाओं को उचित अवसर और मंच मिलने की सम्भावना बढ़ने लगी । इलेक्ट्रॉनिक मीडिया धीरे-धीरे मनोरंजन , ख़बरों एवं ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों के दायरे से निकलकर अब देश की प्रतिभाओं हेतु प्रतिभा प्रदर्शन का उचित मंच साबित होने लगा । प्रारम्भ में केवल फिल्मी क्षेत्रों से जुड़े गीत , संगीत और नृत्य से जुड़ी प्रतिभाओं के प्रदर्शन का माध्यम बना एवं लंबे समय तक बना रहा , इससे ऐसा लगने लगा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सिर्फ़ फिल्मी कला क्षेत्रों से जुड़ी प्रतिभाओं के प्रदर्शन के मंच तक ही सिमटकर रह गया है, जिसमे नैसर्गिक और स्वाभाविक प्रतिभा प्रदर्शन के अपेक्षा नक़ल को ज्यादा तवज्जो दी जाती रही है । यंहा तक कि छोटे-छोटे बच्चे भी फिल्मी गाने की नक़ल कर प्रेम और प्यार के नगमे गाते नजर आते रहे । ऐसा देखने को मुश्किल ही मिला हो कि प्रतियोगी स्वयं द्वारा रचित गीत संगीत अथवा निर्मित नृत्य शैली का प्रदर्शन कर रहा हो ।
किंतु रियलिटी शो के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा लोगों को नैसर्गिक और स्वाभाविक प्रतिभा और हुनर के प्रदर्शन का अवसर प्रदान किया जा रहा है और वह भी फिल्मी क्षेत्रों के आलावा अन्य कला क्षेत्रों में।
कुछ अपवादों को छोड़ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की यह नई भूमिका अत्यन्त प्रशंसनीय और सराहनीय है, जो देश की प्रतिभाओं को प्रसिद्धि पाने और कला एवं हुनर के प्रदर्शन हेतु उचित मंच और अवसर प्रदान करने का कार्य कर रही है । युवा पीढियों के साथ सभी उम्र के कलाकारों अथवा प्रतिभाओं को रचनात्मक और सकारात्मक कार्यों की ओर प्रेरित कर रही है । इससे देश के सुदूर अंचलों एवं कोने-कोने में विद्यमान उभरती प्रतिभाओं की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से आशा कुछ ज्यादा बढ़ गई है । अतः इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कंधे पर भारी जिम्मेदारी आन पड़ी है कि स्वस्थ्य मनोरंजन के साथ-साथ देश की छुपी हुई प्रतिभाओं को प्रदर्शन का उचित अवसर बिना किसी पूर्वाग्रह के प्रदान कर सके । आशा है, मीडिया अपने जिम्मेदारी पर खरा उतरेगा और देश तथा समाज के लोगों की खुशहाली और प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेगा ।

27.8.09

20 पशु बरामद

जींद(हरियाणा): जिले की सफीदों पुलिस ने गश्त के दौरान भैंसों तथा कटड़ों से भरा एक ट्रक पकड़ा। जिसमे इन पशुओं को ठूस-ठूस कर भरा गया था। पुलिस द्वारा पांच लोगों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया गया है। सफीदों पुलिस खानसर चौंक पर गश्त कर रही थी कि अचानक तेज गति से रहे एक ट्रक को संदिग्ध समझ कर रोका गया और पूछताछ की गई। ट्रक चालक द्वारा सही जवाब दिए जाने पर ट्रक की तलाशी ली गई तो उसमे 13 भैंस तथा 7 कटड़ों को ठूस-ठूस कर भरा हुआ था। पुलिस पूछताछ में पकड़े गए लोगों की पहचान उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर इलाके के गांव अटावली से सागिर, गांव परनौली से इरसाद, मांगा नासिर तथा जींद के ढाठरथ गांव के रामकिशन के रूप में हुई। पुलिस द्वारा पशु क्रूरता अधिनियम के तहत पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।

......जब वो गाती है....


झुमती गाती और गुनगुनाती ग़ज़ल,

गीत कोई सुहाने सुनाती ग़ज़ल

ज़िंदगी से हमें है मिलाती ग़ज़ल,

उसके अशआर में एक ईनाम है,

उसके हर शेर में एक पैगाम है।

सबको हर मोड़ पे ले के जाती ग़ज़ल।

उसको ख़िलवत मिले या मिले अंजुमन।

उसको ख़िरमन मिले या मिले फिर चमन,

वो बहारों को फिर है ख़िलाती ग़ज़ल।

वो इबारत कभी, वो इशारत कभी।

वो शरारत कभी , वो करामत कभी।

हर तरहाँ के समाँ में समाती ग़ज़ल।

वो न मोहताज है, वो न मग़रूर है।

वो तो हर ग़म-खुशी से ही भरपूर है।

हर मिज़ाजे सुख़न को जगाती ग़ज़ल।

वो मोहब्बत के प्यारों की है आरज़ू।

प्यार के दो दिवानों की है जुस्तजु।

हो विसाले मोहब्बत पिलाती ग़ज़ल।

वो कभी पासबाँ, वो कभी राजदाँ।

उसके पहलु में छाया है सारा जहां।

लोरियों में भी आके सुनाती ग़ज़ल।

वो कभी ग़मज़दा वो कभी है ख़फा।

वक़्त के मोड़ पर वो बदलती अदा।

कुछ तरानों से हर ग़म भुलाती ग़ज़ल।

वो तो ख़ुद प्यास है फ़िर भी वो आस है।

प्यासी धरती पे मानो वो बरसात है।

अपनी बुंदोँ से शीद्दत बुझाती ग़ज़ल।

उसमें आवाज़ है उसमें अंदाज़ है।

इसलिये तो दीवानी हुई राज़ है।

जब वो गाती है तब मुस्कुराती ग़ज़ल।

26.8.09

दहेज के लिए तंग करने के आरोप में पति गिरफ्तार

जींद(हरियाणा): विवाहिता को दहेज के लिए तंग करने के मामले में पुलिस ने आरोपी पति को गिरफ्तार किया है। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है। बधाना गांव निवासी इंदू ने अदालत में याचिका दायर कर कहा था कि उसकी शादी लगभग दो वर्ष पूर्व पानीपत के अदाना गांव निवासी कुलदीप के साथ हुई थी। शादी के कुछ समय बाद ही ससुरालियों ने उसे और अधिक दहेज की मांग को लेकर परेशान करना शुरू कर दिया था. दहेज की मांग पूरा करने पर उसके साथ मारपीट की जाने लगी। मामले को लेकर दोनों पक्षों के बीच पंचायतों का दौर भी चला, लेकिन सुसराल जन अपनी हरकतों से बाज नहीं आए और मारपीट कर घर से निकाल दिया। पुलिस ने इंदू की शिकायत पर पति कुलदीप, ससुर रणधीर, जेठ शेर सिंह, जेठानी राजवंती, ननंद गांव डंढेरी निवासी शीला, नंदोई विजेंद्र, गांव किठाना निवासी कमला तथा नंदोई बलबीर के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज किया था। पुलिस ने इस मामले में पति कुलदीप को गिरफ्तार कर लिया है।


राशि हड़पने का मामला दर्ज

जींद(हरियाणा): महाराष्ट्र के पूना स्थित ख्याति प्राप्त शिक्षण संस्थान में दाखिला कराने के नाम पर एक महिला से लगभग बारह लाख रुपये हड़पने का मामला सामने आया है। महिला की शिकायत पर पुलिस ने राशि हड़पने वाले बाप-बेटा के खिलाफ धोखाधड़ी तथा जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस के अनुसार अर्बन इस्टेट निवासी प्रेम देवी ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि वह अपनी बेटी संध्या को मास्टर ऑफ़ मैनेजमेंट कोर्स में दाखिला दिलाना चाहता थी। इसी दौरान उसकी मुलाकात गाव धनाना सोनीपत निवासी आरके जतिन तथा उसके बेटे विजय जतिन से हुई। बातचीत में दोनों ने उसे बताया कि पूना में ख्याति प्राप्त शिक्षण संस्थान है। वे उसकी बेटी का दाखिला उस संस्थान में करवा सकते है। दाखिला करवाने की एवज में उसे लगभग बारह लाख रुपये डोनेशन के रूप में देने होंगे। 12 अप्रैल 2009 को आरके जतिन तथा उसके बेटे विजय ने उससे 11 लाख 70 हजार रुपये ले लिए। शुरू में दोनों काउंसिलिंग होने के बाद दाखिला का आश्वासन देते रहे। बाद में उस शिक्षण संस्थान की सभी सीटे फुल हो गई, लेकिन उसकी बेटी का दाखिला शिक्षण संस्थान में नहीं हुआ। दाखिला होने पर जब उसने डोनेशन के रूप में ली गई राशि को वापस माँगा तो उन्होंने राशि लौटाने से मना कर दिया और धमकी दी कि अगर पैसे मागने या शिकायत करने की कोशिश की तो उसका अंजाम बुरा होगा। पुलिस ने प्रेम की शिकायत पर आरके जतिन तथा उसके बेटे विजय के खिलाफ धोखाधड़ी तथा जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज किया है।

25.8.09

थाने में आयोजित किया रक्तदान शिविर

जींद:-तर्कशील सोसाइटी द्वारा रक्तदान कैंप का आयोजन अलेवा थाने में किया गया। जिला पुलिस अधीक्षक बी सतीश बालन ने इसका उद्घाटन किया अध्यक्षता की। सोसाइटी के प्रदेश प्रचार सचिव सुभाष तितरम ने बताया कि यह सोसाइटी द्वारा आयोजित 14वां रक्तदान कैंप है। जिला पुलिस अधीक्षक बी सतीश बालन ने कहा कि रक्तदान से दूसरों का अमूल्य जीवन बचाया जा सकता है। यह सिर्फ दान द्वारा ही प्राप्त होता है। इस कैंप में थाना एसएचओ रवींद्र कुमार का अहम योगदान रहा। उन्होंने इस अवसर पर रक्तदान किया और कहा कि वह समय-समय पर रक्तदान करते रहे है। यह भी विशेष बात रही कि किसी थाने में यह अब तक का पहला रक्तदान कैंप है। जिस दिन थाने में कैंप सोसाइटी द्वारा फैसला किया गया, उसी दिन रवींद्र कुमार का पदोन्नति का आदेश पहुंचा। पुलिस अधीक्षक ने भी पुलिस कर्मचारियों के सामाजिक कार्यो में भाग लेने पर प्रशंसा की। इस मौके पर इंस्पेक्टर रवींद्र कुमार, एएसआई गोपाल कुमार, हवलदार बलवान, रामदिया, संदीप, गुरदेव, रामपाल सुभाष तिरम, विक्रम, धर्मबीर, सत्वान, बंसी, सुभाष, सोनू, बलराज, सहदेव, राजेश, देवेंद्र, विक्रम, सुनील, अशोक ने रक्तदान किया। इस अवसर पर सतबीर अहिरका, मुकेश, रणदीप श्योकंद, नरेश सिंगला, विक्रम भी मौजूद थे।

....तेरी यादें.....


मैं चुराकर लाई हुं तेरी वो तस्वीर जो हमारे साथ तूने खींचवाई थी मेरे परदेस जाने पर।

में चुराकर लाई हुं तेरे हाथों के वो रुमाल जिससे तूं अपना चहेरा पोंछा करती थी।

मैं चुराकर लाई हुं वो तेरे कपडे जो तुं पहना करती थी।

मैं चुराकर लाई हुं पानी का वो प्याला, जो तु हम सब से अलग छूपाए रख़ती थी।

मैं चुराकर लाई हुं वो बिस्तर, जिस पर तूं सोया करती थी।

मैं चुराकर लाई हुं कुछ रुपये जिस पर तेरे पान ख़ाई उँगलीयों के नशाँ हैं।

मैं चुराकर लाई हुं तेरे सुफ़ेद बाल, जिससे मैं तेरी चोटी बनाया करती थी।

जी चाहता है उन सब चीज़ों को चुरा लाउं जिस जिस को तेरी उँगलीयों ने छुआ है।

हर दिवार, तेरे बोये हुए पौधे,तेरी तसबीह , तेरे सज़दे,तेरे ख़्वाब,तेरी दवाई, तेरी रज़ाई।

यहां तक की तेरी कलाई से उतारी गई वो, सुहागन चुडीयाँ, चुरा लाई हुं “माँ”।

घर आकर आईने के सामने अपने को तेरे कपडों में देख़ा तो,

मानों आईने के उस पार से तूं बोली, “बेटी कितनी यादोँ को समेटती रहोगी?

मैं तुज में तो समाई हुई हुं।

“तुं ही तो मेरा वजुद है बेटी”

बस पर किया पथराव


जींद : हरयाणा के जींद जिले के सफीदों कसबे के पीर बाबा पर माथा टेकने आए श्रद्धालुओं की बस पर कुछ अज्ञात लोगों ने पथराव कर दिया, जिसमें बस के सारे शीशे टूट गए। उसके बाद उक्त लोगों ने बस में सो रहे बस के कंडक्टर व ड्राईवर की बुरी तरह से धुनाई कर डाली, जिसमें कंडक्टर व ड्राइवर घायल हो गया। दोनों घायलों को उपचार के लिए जींद के अस्पताल में लाया गया जहां हालत गंभीर देखकर घायलों को रोहतक रेफर कर दिया गया है। इस घटना की सूचना पुलिस को दे दी गई है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। जानकारी के अनुसार रविवार रात अंबाला से श्रद्धालुओं से भरी एक बस नंबर सीएच-03ई-2831 में सफीदों पीर बाबा पर माथा टेकने के लिए आई हुई थी। श्रद्धालु बस से उतरकर पीर बाबा के दरबार में जा चुके थे, जिसके बाद कुछ अज्ञात युवक आए और बस में सो रहे कंडक्टर सुशील व ड्राईवर सुरेश पर हमला कर दिया, जिससे वह बुरी तरह से घायल हो गए। जब उन्हे पीटने के बाद भी हमलावर शांत नहीं हुए तो बाद में हमलावरों ने बस पर पथराव कर दिया जिससे बस के सारे शीशे टूट गए। इस बारे में बस के मालिक मनदीप सिंह अंबाला वासी से फोन पर संपर्क साधा तो उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि हर साल करीब 6-7 बसें श्रद्धालुओं की भरकर गूगा-मेड़ी, सफीदों व अन्य कई धार्मिक स्थानों पर माथा टेकने के लिए आती है। इसी प्रकार रविवार को भी सभी बसें गूगा-मेढ़ी व कई धार्मिक स्थानों से होकर सफीदों पहुंची थी, जिसके बाद रविवार रात करीब 11 बजे उन्हे सूचना मिली की उनकी बस पर पथराव कर दिया है और कंडक्टर व ड्राइवर के साथ मारपीट भी की गई है। सूचना पाते ही वह सफीदों पहुंचे और पुलिस में शिकायत की। उन्होंने बताया कि बस पर पथराव होने से उनको भारी नुकसान हुआ है।

मैं तेरे साथ - साथ हूँ.........

देखो तो एक सवाल हूँ
समझो तो , मैं ही जवाब हूँ ।।
 
उलझी हुई,इस ज़िन्दगी में। 
सुलझा हुआ-सा तार हूँ।।
 
बैठे है दूर तुमसे , गम करो
मैं ही तो बस, तेरे पास हूँ।।
 
जज्वात के समन्दर में दुबे है। 
पर मैं ही , उगता हुआ आफ़ताब हूँ
 
रोशनी से भर गया सारा समा
पर मैं तो, खुद ही में जलता हुआ चिराग हूँ ।।
 
जैसे भी ज़िन्दगी है, दुश्मन तो नही है। 
तन्हा-सी हूँ मगर, मैं इसकी सच्ची यार हूँ।।
 
जलते हुए जज्वात , आंखो से बुझेंगे  
बुझ कर भी बुझी, मैं ऐसी आग हूँ।।
 
कैसे तुम्हे बता दें , तू ज़िन्दगी है मेरी
अच्छी या बुरी जैसे भी, मैं घर की लाज हूँ ।।
 
कुछ रंग तो दिखाएगी , जो चल रहा है अब।
खामोशी के लबो पर छिड़ा , में वक्त का मीठा राग हूँ।।
 
कलकल-सी  वह चली, पर्वत को तोड़ कर
मैं कैसे भूल जाऊ, मैं बस तेरा प्यार हूँ।।
 
भुजंग जैसे लिपटे है , चंदन के पेड़ पर
मजबूरियों में लिपटा हुआ , तेरा ख्बाव हूँ।।
 
चुप हूँ मगर , में कोई पत्थर तो नही हूँ।
जो तुम कह सके, मैं वो ही बात हूँ
 
बस भी कर, के तू मुझको याद
वह सकेगा जो, में ऐसा आव हूँ।।
 
मेहदी बारातै सिन्दूर चाहिए
मान लिया हमने जब तुम ने कह दिया , मैं तेरा सुहाग हूँ।।
 
खुद को समझनाकभी तन्हा और अकेला। 
ज़िन्दगी के हर कदम पर , मैं तेरे साथ - साथ हूँ।।