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12.8.09

घटिया कीटनाशक देने पर २५ हजार रुपए हर्जाना

उपभोक्ता फॉर्म ने एक किसान को घटिया कीटनाशक देने पर २५ हजार रुपए हर्जाने के तौर पर देने के आदेश दिए हैं
हरियाणा के जिला जीन्द के गाँव रजाना निवासी बलबीर ने मार्च २००८ को फॉर्म में की शिकायत की थी कि उसने अपनी गेहूं की फसल के लिये एक ट्रेडिंग कंपनी से १५०० रुपये का कीटनाशक खरीदा थादुकानदार द्वारा बताये गए सुझावों के अनुसार उसने फसल पर कीटनाशक का प्रयोग किया तो उसकी ९० प्रतेशत फसल खराब हो गईकृषि विभाग की टीम ने भी अपनी रिपोर्ट में फसल खराब होने का कारण घटिया कीटनाशक बतायाउपभोक्ता फॉरम ने बलबीर को घटिया कीटनाशक देने पर ट्रेडिंग कम्पनी द्वारा शिकायतकर्ता को २५ हजार रुपए हर्जाने के तौर पर देने के आदेश दिए हैं

जनहित में जारी

Use mask in crowd. It is primary protection against H1N1 infection. Don't shake hand with the suspected or RTI patients. Thanks!

11.8.09

प्रेमानुभूती

वक्त का पहिया चलता जाता
नये - नये ये रूप दिखाता
हर पल एक सीख दे जाता
कि हमको है बस चलते जाना
बचपन छोड युवा बन जाऊ
चाहत थी कोई अपना पाऊ
मन में उनका अरमान लिये
आंखो में एक सपना लिये
चली जा रही थी कोमल मन अपना लिये
दौडती भागती ज़िन्दगी में
वो मिल गये हमे
आराम की ठंडी सांस की तरह
सांसो से साँसे मिली
और वो दिल के मेहमा हुए
बिना कोई किराया- भाड़ा दिये
कह दिया दिल ने दिल से
सुनो हम तुम्हारे हुए
सपनो में कल तक जो साथ था
अब मेरी उंगली थामे चलने लगा
ऐसा लगा खोया सा कोई
ख्वाब सच होने लगा
वो मुझ में और मैं
उन में खोने लगी
वक्त फिर कुछ और भी मेहरबां हुआ
और जाने कब उनका मन मेरा हुआ
आंखो ही आंखो में दुनिया सजी
और दिल एक दूसरे का बसेरा हुआ
चल पड़ी मेरी नैया प्यार की लहर पर
वो इस नैया का खिव्या हुआ
हर दिन मेरा उत्सव और रात मयखाना हुआ
जैसे हर लम्हे पर उनका ही पहरा हुआ
उसके होठो ने मेरे होठो को छू कर कहा
कि उम्र भरके लिये मैं तेरा हुआ
तुझ में खो कर ही तो घर मेरा
फूलो का बगीचा हुआ
जब उसने अपनी अखियाँ खोली
घर मेरा रोशन हुआ
जब गूंजी उसकी किलकारी
तेरा मेरा सपना हमारा हुआ
उसने हंसकर भर दी हमारी झोली
तभी तो हमारा प्यार पूरा हुआ
उसका सपना ही अब हमारा सपना हुआ
देखते ही देखते अपना दुलारा
किसी और का साजना हुआ
हंस - रो कर जी लिया हर पल
प्यार नही , पर अब शरीर बूढ़ा हुआ
पर तेरा प्यार दिन -दिन
और भी गहरा हुआ
जब छोटू का छोटू
चश्मे से तेरे खेला किया
फिर मेरा हंस के कहना
अब तो तू बूढा हुआ
आँख भर आई मेरी
जब मेरा पल्लु पकड़ भर
तेरा यू कहना हुआ
खुशी है कि तेरे साथ में बूढा हुआ
हम हमेशा साथ होंगे मेरा फिर कहना हुआ
और फैल गया हमारा प्यार
एक अविरल धार-सा हर तरफ
वक्त की आँधी चली और तुफा गया
तेरे कंधे पर सज कर
ये तन मेरा इस दुनिया से रुख्सत हुआ
और इस मिट्टी का मिट्टी में ही मिलना हुआ
जब तू रोया फूट कर तो आत्मा चिल्ला उठी
मैं दूर नही हूँ तुमसे
मिट्टी थी मिट्टी में मिल गई
पर मन और आत्मा का तुम से ही संगम हुआ
और जब तुम अकेला होते हो उस आराम कुर्सी पर
मैं देखती हूँ तुम्हे और तुम भी तो महसूस करते हो
जब ढूंढते हो खुद में ही
और दीवारो से मेरे बातें करते हो
तो ये पीड़ा मुझ से सही नही जाती
तुम से मिलने को तड़प उठती है मेरी रुह
तब में खुद से वादा करती हूँ
हर जन्म तेरे ही पत्नी बनने का इरादा रखती हूँ
जब मिलेंगे साँवरे के द्वार पर हम
तब रुह की रुह से मुलाकात होगी
और हमारे लौकिक नही अलोकिक प्रेम की शुरुआत होगी
और वहाँ मृत्यु का बंधन नही होगा
वहा अमिट अमर प्रेम होगा .....
बस प्रेम....हमारा प्रेम
और ये वक्त जिसने हमे मिलाया
हमे दूर करने में लाचार होगा
अगर कुछ शेष होगा तो वो होगा हमारा प्रेम ....!!!!

मिशन इंडिया फाउंडेशन की बैठक संपन्न

10.8.09

देखो लोगों मेरे जाने का है पैग़ाम आया.



देख़ो लोगों मेरे जाने का है पैग़ाम आया..(2)

ख़ुदा के घर से है ये ख़त, मेरे नाम आया….देख़ो लोगो…

जिसकी ख़वाहिश में ता-जिन्दगी तरसते रहे।

वो तो ना आये मगर मौत का ये जाम आया। ख़ुदा के घर…..

ज़िंदगी में हम चमकते रहे तारॉ की तरहॉ ।

रात जब ढल गइ, छुपने का ये मक़ाम आया। ख़ुदा के घर…..

राह तकते रहे-ता जिन्दगी दिदार में हम |

ना ख़बर आइ ना उनका कोइ सलाम आया । ख़ुदा के घर…..

चल चुके दूर तलक मंज़िलॉ की खोज में हम।

अब बहोत थक गये रुकने का ये मक़ाम आया। ख़ुदा के घर…..

हम मुहब्बत् में ज़माने को कुछ युं भूल गये ।

हम है दिवाने, ज़माने का ये इल्ज़ाम आया। ख़ुदा के घर…..

जिसने छोडा था ज़माने में युं तन्हा रज़िया

क़ब्र तक छोड़ने वो क़ाफ़िला तमाम आया। ख़ुदा के घर…..

8.8.09

हत्या की कोशिश करने पर पति गिरफ्तार

हरियाणा की जुलाना थाना पुलिस ने पत्नी की गला घोट कर हत्या की कोशिश करने के मामले में आरोपी पति कोगिरफ्तार किया हैपुलिस गिरफ्तार पति से पूछताछ कर रही हैगाँव किला जफरगढ़ की संगीता ने २९ जुलाई२००९ को जुलाना थाना पुलिस को दी शिकायत में बताया था कि उसका पति बिजेंदर शराब पीता है तथा नशे में वहउसे अक्सर पीटता है२८ जुलाई को बिजेंदर शराब के नशे में धुत होकर आया और रस्सी से गला घोटकर उसे मारनेका पर्यास किया. उसके द्वारा शोर मचाये जाने पर आसपास के लोग गए। लेकिन तब तक बिजेंदर भाग चुका था।शिकायत पर कारवाई करते हुए पुलिस ने पति बिजेंदर को गिरफ्तार किया है

दाता तेरे हज़ारों हैं नाम



दाता तेरे हज़ारों है नाम…(2)

कोई पुकारे तुझे रहीम,

और कोई कहे तुझको राम।दाता(2)

क़ुदरत पर है तेरा बसेरा,

सारे जग पर तेरा पेहरा,

तेरा राज़ बड़ा ही गैहरा,

तेरे इशारे होता सवेरा,

तेरे इशारे होती शाम।दाता(2)

ऑंधी में तुं दीप जलाए,

पत्थर से पानी तूं बहाये,

बिन देखे को राह दिख़ाये,

विष को भी अमृत तू बनाये,

तेरी कृपा हो घनश्याम।दाता(2)

क़ुदरत के हर-सु में बसा तू,

पत्तों में पौंधों में बसा तू,

नदिया और सागर में बसा तू,,

दीन-दु:ख़ी के घर में बसा तू,

फ़िर क्यों में ढुंढुं चारों धाम।दाता(2)

ये धरती ये अंबर प्यारे,

चंदा-सूरज और ये तारे,

पतझड़ हो या चाहे बहारें,

दुनिया के सारे ये नज़ारे,

देखूँ मैं ले के तेरा नाम।दाता(2)




7.8.09

चार पशु-चोर गिरफ्तार

हरियाणा के नरवाना सदर थाना पुलिस ने लाखो रुपये के पशु चुराने के मामले में चार लोगो को गिरफ्तार किया है. पुलिस पकड़े गए लोगो से पूछताछ कर रही हे। गाँव दनोदा कलां के राजू ने अगस्त को पुलिस में दी शिकायत मेंबताया था कि कोई उसके पशु को चुरा ले गया है। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने चार लोगों को पकड़ा है।जिनकी पहचान गाँव के ही बबली, परवीन, राजबीर और काला के रूप में हुई। पुलिस ने पकड़े गए लोगों के कब्जे सेचुराए गए पशु भी बरामद किए हैं।

अय धूप कि किरन...



तूं हर सुबह मेरे घर की खिड़की पर दस्तक देती थी।.

छोटी-छोटी किवाडों से मेरे घर में चली आया करती थी।

मैं चिलमन लगा देती फिर भी तू चिलमनो से झांक लिया करती।

तेरी रोशनी चुभती थी मेरी आंखों में,मेरे गालों पर,मेरी पेशानी पर।

मैं तुझे छुपाने कि कोशिश करती थी कभी किताबों के पन्नों से तो

कभी पुरानी चद्दरों से.लेकिन…..

ऎ किरन ! तू किसी न किसी तरहां आ ही जाती.ना जाने तेरा मुजसे

ये कैसा नाता था?क्यों मेरे पीछे पड गई है तूं ?

आज मुझे परदेश जाने का मौका मिला है.मै बहोत खुश हुं।

ऎ किरन ! चल अब तो तेरा पीछा छुटेगा !

दो साल बाद वापस लौटने पर…..

जैसे ही मैने अपने घर का दरवाजा खोला !

मेरा घर मेरा नहीं लगा मुझे,

क्या कमी थी मेरे घर मैं?

क्या गायब था मेरे घर से?…..

अरे हां ! याद आया ! वो किरन नज़र नहीं आती !

बहोत ढुंढा ऊसे,पर कहीं नज़र नहीं आई,वो किरन,

खिड़की से सारी चिलमनें हटा दी मैने,फिर भी वो नहीं आई,

क्या रुठ गई है मुझ से?

घर का दरवाज़ा खोलकर देखा तो,

घर की खिड़की के सामने बहोत बडी ईमारत खडी थी.उसी ने किरन को

रोके रखा था।

आज मैं तरसती हुं, ऊस किरन को, जो मेरे घर में आया करती थी।.

कभी चुभती थी मेरी आंखों में..मेरे गालों पर…

आज मेरा घर अधूरा है, ऊसके बिना.ऊसके ऊजाले से मेर घर रोशन था.

पर आज ! वो रोशनी कहां? क्यों कि ….!

वो धूप की किरन नहीं..