19.7.09
17.7.09
देश व जनता के विरूद्व हुए, अपराधिक मामलों की जाँच रिपोर्ट सार्वजनिक हो !
देश में आए दिन समाचारपत्रों और न्यूज़ चैनलों के माध्यम से देश और जनता के अहित से जुड़े अपराधिक मामलों की ख़बरों को जोर शोर से प्रस्तुत किया जाता है और धीरे धीरे दिन बीतने पर ये मामले ओझल होने लगतेहैं और उनकी जगह कोई नई ब्रेकिंग न्यूज़ स्थान बना लेती है । किंतु समाचार पत्रों और न्यूज़ चैनलों द्वारा बहुत कम इस बात की जहमत उठायी जाती होगी कि उन मामलों पर क्या कार्यवाही चल रही है और चल रही है तो किस गति से और किस स्तर पर । क्या उन मामलों को ठंडे बस्ते में डालकर शासन प्रशासन अथवा सत्तासीन पार्टी राजनीतिक लाभों के लिए, अपराधियों को बचाने की कोशिश कर रही है या फिर पर मामलों को उलझाने की कोशिश की जा रही है या फिर जबरन दोषी साबित करने की कोशिश कर रही है ।
अभी तक की बात करें तो यह देखने में आया है कि देश और जनता के हितों से जुड़े बड़े बड़े मामले राजनीतिक खीचातानी के चलते या तो उलझ कर रह गए है या फिर उन्हें ठंडे बस्ते मैं डाल दिया गया है । चाहे वह चारा घोटाला की बात हो , बोफोर्स तोप खरीद प्रकरण की बात हो , ताज कोरिडोर मामला हो , नकली और मिलाबती खाद्य पदार्थों का बड़े पैमाने पर धंधा हो या फिर अन्य कोई देश और जनता के हितों के सरोकारों के मामले हो । कई मामलों मेंदेश और जनता को इन सब बातों से अनजान और अनभिज्ञ रखकर उस पर लीपा पोती करने की कोशिश की जाती है । अतः सुस्त और टाल मटोल रवैया के कारण अपराधिक मामलों के किसी अंजाम तक न पहुचने के फलस्वरूप देश में ऐसे मामलों में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है और देश और जनता पीड़ित और छले जाने हेतु मजबूर है ।
अतः जरूरी है कि देश और जनता के हितों से जुड़े इस तरह मामलों पर हो रही कार्यवाही की प्रगति रिपोर्ट प्रतिमाह रखी जानी चाहिए और इसे जनता के सूचना के अधिकार में शामिल करते हुए शासन द्वारा स्वतः ही जनता को दिया जाना चाहिए । इससे देश और जनता यह जान सकेगी कि अपने हितों से जुड़े अपराधिक मामलों पर कितनी और क्या कार्यवाही हो रही है । इससे ऐसे मामलों में जनता की निगरानी स्वतः ही बढ़ जायेगी और वह समीक्षा कर पाएगी और आवश्यक एवं समुचित कार्यवाही न होने पर उचित कार्यवाही हेतु दवाब भी बना सकेगी ताकिअपराधियों को उनके अंजाम तक पहुचाया जा सके । प्रशासन को भी इस अनिवार्यता के चलते इन मामलों मेंतत्परता से उचित और ईमानदार कार्यवाही करने हेतु बाध्य होना पड़ेगा ।
ऐसा कदम जरूर ही देश में होने वाली अपराधिक गतिविधियों में रोक लगाने , शासन प्रशासन को अपराधिक मामलों में त्वरित गति से और पूर्णतः जवावदेही से कार्यवाही करने और जनता का न्याय और क़ानून व्यवस्था मेंविश्वास बढ़ाने हेतु मील का पत्थर साबित होगा ।
ऐसा कदम जरूर ही देश में होने वाली अपराधिक गतिविधियों में रोक लगाने , शासन प्रशासन को अपराधिक मामलों में त्वरित गति से और पूर्णतः जवावदेही से कार्यवाही करने और जनता का न्याय और क़ानून व्यवस्था मेंविश्वास बढ़ाने हेतु मील का पत्थर साबित होगा ।
मैं जब पैदा हुई तो कितनी मजबूर थी ,,(कविता)
मित्रो आज की रचना मेरी नहीं मेरी एक मित्र अनु अग्रवाल ने ये मुझे भेजी है. वो बहुत ही संवेदनशील व्यक्तित्व की धनी है और उनकी कविताओं में भावना एवं एकरसता रहती है. माँ और पिता के ऊपर लिखी गयी रचना है. माँ के ऊपर बहुत सी रचनाये लिखी गयी परन्तु माँ शब्द ही येसा है, जिस पर जितना लिखा जाए वो अधुरा ही है. उसकी महानता को हम व्यक्त ही नहीं कर सकते. निर्मला जी के शब्दों में,,
माँ की ममता ब्रह्मण्ड से विशाल है॥
माँ की ममता की नहीं कोई मिसाल है,,माँ पर लिखी गयी इस अमूल्य रचना पर अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें अनुग्रहीत करें
मैं जब पैदा हुई तो कितनी मजबूर थी ,,
इस जहान की सोच से मैं दूर थी,,,,
हाथ पैर तब मेरे अपने न थे ,,
मेरी आँखों में दुनिया के सपने न थे ,,
कद मेरा बहुत छोटा था ,,
मुझको आता सिर्फ रोना था ,,
दूध पीकर काम मेरा सोना था ,,
मुझको चलना सिखाया था माँ ने मेरी,,
मुझको दिल में बसाया था पापा ने मेरे ,,,
माँ पापा के होने से हर एक सपना मेरा अपना था ,,,
दूकान का हर एक खिलौना मेरा अपना था ,,
माँ पापा के साये में दुलार परवान चढ़ने लगा ,,
वक़्त के साये में कद मेरा बढ़ने लगा ,,,
एक दिन एक लड़का मुझे भा गया ,,
बनके दूल्हा वो मुझे ले गया ,,,
माँ पापा की जिम्मेदारी से अब मैं दूर होने लगी ,,
फिर माँ पापा को मैं भूलने लगी ,,,
सांसो का रिश्ता अब मेरा न था ,,,
माँ पापा का साया अब पराया था ,,
ऐसे माँ पापा की क्या मिशाल दूँ ,,
अपने हाथों से हर पल मुझे दुलारा था ,,,
हर गलती पर सर मेरा पुचकारा था ,,
चाहती हूँ उनके सजदे में रख दूँ अपनी तकदीर ,,
इस जहान की सोच से मैं दूर थी,,,,
हाथ पैर तब मेरे अपने न थे ,,
मेरी आँखों में दुनिया के सपने न थे ,,
कद मेरा बहुत छोटा था ,,
मुझको आता सिर्फ रोना था ,,
दूध पीकर काम मेरा सोना था ,,
मुझको चलना सिखाया था माँ ने मेरी,,
मुझको दिल में बसाया था पापा ने मेरे ,,,
माँ पापा के होने से हर एक सपना मेरा अपना था ,,,
दूकान का हर एक खिलौना मेरा अपना था ,,
माँ पापा के साये में दुलार परवान चढ़ने लगा ,,
वक़्त के साये में कद मेरा बढ़ने लगा ,,,
एक दिन एक लड़का मुझे भा गया ,,
बनके दूल्हा वो मुझे ले गया ,,,
माँ पापा की जिम्मेदारी से अब मैं दूर होने लगी ,,
फिर माँ पापा को मैं भूलने लगी ,,,
सांसो का रिश्ता अब मेरा न था ,,,
माँ पापा का साया अब पराया था ,,
ऐसे माँ पापा की क्या मिशाल दूँ ,,
अपने हाथों से हर पल मुझे दुलारा था ,,,
हर गलती पर सर मेरा पुचकारा था ,,
चाहती हूँ उनके सजदे में रख दूँ अपनी तकदीर ,,
दिखती है उनके कदमो में जन्नत की तस्वीर,,,
अनु अग्रवाल
तुम भी बोलो हम भी बोलें देखें कौन बड़ा नेता है......
कमाल की उठापटक चल रही है आज कल उत्तर प्रदेश की राजनीति में....मायावती बलात्कार पीड़ितों को मुआवज़ा देकर तथाकथित भला काम कर रही थीं। उनके सचिव गांव गांव जाकर हैलीकॉप्टर से लड़कियों औऱ महिलाओं को 25 हज़ार से लेकर 75 हज़ार तक की कीमत अदा माफ करियेगा मुआवज़ा दे रहे थे। इस शुभ काम या कहें कि ज़बान बंद करने की कीमत या ये भी कह सकते है कि बलात्कार पीड़ित महिलाओं के जले पर नमक छिड़कने का भला कर रही थीं। एक तो पहले ही उनके आत्मविश्वास को तोड़ दिया गया औऱ बजाए आरोपियों को मृत्युदंड दिये महिलाओं को पैसे थमा रही हैं। भाई मैं तो इस तरह के मामले पर तालिबान का समर्थन करता हूं कि जब भी उनके राज में कोई पुरुष किसी महिला के साथ छेड़छाड़ करता या बलात्कार करता तो उसको ऐसा दंड दिया जाता था कि फिर कभी वो ये करने के हालत में ही न रहे। मतलब आप समझ गये होंगे। लेकिन भईया ये भारत है हम है सबसे बड़े लोकतंत्र। यहां पर सबको जीने का हक है चाहे वो बलात्कारी हो या बलात्कार पीड़ित। यहां पर किसी भी कत्ल में शामिल मुजरिम को सिवाय कुछ दिन की सज़ा के अलावा कुछ नहीं मिलता। तभी तो आजकल फैशन हो गया है कि पांच पांच सौ में लोगों का मर्डर हो जाता है। क्योंकि कानून कड़ा नहीं है। और अगर कोई ये कहता है कि कानून कड़ा है तो मै बता दूं तो वे दलाल भी तो कानूनविद् है जो ऐसे अपराधियों को छुड़ा लेते है प्रोफेशनल बनकर। खैर मुद्दे से भटक गया था मुद्दा है मायावती के बलात्कार पीड़ित महिलाओं को उनकी कीमत अदा अरे फिर गलती हो गई माफ करियेगा मुआवज़ा देने औऱ इसी मुद्दे पर कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी के बयान के बाद भड़की आग में झुलसे उनके घर औऱ उत्तर प्रदेश की राजनीति की। रीता के बयान को सही नहीं ठहरा रहा हूं ये दोनों एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं। कार्यकर्ता कह रहे है कि मायावती पर की गई टिप्पणी अशोभनीय थी और बीएसपी कार्यकर्ताओं द्वारा रीता का घर प्रतिशोध की ज्वाला में जल गया तो एक बात मै ऐसे कार्यकर्ताओं को याद दिला दूं कि.......आगे की बात पढ़ने के लिए केसरिया...पधारो म्हारे ब्लाग
16.7.09
बेहोशी के मीठे पल में,,
बेहोशी के मीठे पल में,,
मैं शून्य क्षितिज में फिरता था ,,,
हिमगिरी की ऊंचाई चढ़ता था,,
फिर सागर में गिरता था ,,
कौतुक विस्मय हो लोगों को ,,
अपलक निश्चल देखे जाता था ,,
कर्तव्य विमूढ़ हो उनकी इस ,,
चंचलता को लिया करता था ,,
फिर हो सकेंद्रित निज की ,,
मस्ती में ही तो जिया करता था ,,
प्रीत और प्रेम को अनायास ही,,
खेता था,,
नीरस इन रागों में रस्वादन लेता था ,,
माधुर्य और माधुरी की ,,,
एक प्रथक कल्पना थी मेरे मन में ,,
इन बेढंगों से अलग,,
वासना थी मेरे मन में ,,
कभी प्रेम की व्याकुलता को ,,
मैंने महसूस नहीं किया था,,
कभी ह्रदय की दुर्बलता को ,,
मैंने महसूस नहीं किया था ,,
सौन्दर्य वशन इस धरती का ,,
मेरा प्रेमांगन था ,,
ऋतुओ का परिवर्तन ही ,,
मेरा प्रेमालिंगन था ,,
हर सर्द किन्तु चौमुखी हवा,,
मुझको हर्षित करती थी ,,,
सूरज की एक एक किरण ,,
उल्लासो से भरती थी ,,,
बस नया प्रेम अब खोज रहा हूँ ,,
वो सब भूल भूला के ,,,
छेड़ रहा हूँ नयी तान ,,
रागों में खुद को मिला के ,,,
मैं शून्य क्षितिज में फिरता था ,,,
हिमगिरी की ऊंचाई चढ़ता था,,
फिर सागर में गिरता था ,,
कौतुक विस्मय हो लोगों को ,,
अपलक निश्चल देखे जाता था ,,
कर्तव्य विमूढ़ हो उनकी इस ,,
चंचलता को लिया करता था ,,
फिर हो सकेंद्रित निज की ,,
मस्ती में ही तो जिया करता था ,,
प्रीत और प्रेम को अनायास ही,,
खेता था,,
नीरस इन रागों में रस्वादन लेता था ,,
माधुर्य और माधुरी की ,,,
एक प्रथक कल्पना थी मेरे मन में ,,
इन बेढंगों से अलग,,
वासना थी मेरे मन में ,,
कभी प्रेम की व्याकुलता को ,,
मैंने महसूस नहीं किया था,,
कभी ह्रदय की दुर्बलता को ,,
मैंने महसूस नहीं किया था ,,
सौन्दर्य वशन इस धरती का ,,
मेरा प्रेमांगन था ,,
ऋतुओ का परिवर्तन ही ,,
मेरा प्रेमालिंगन था ,,
हर सर्द किन्तु चौमुखी हवा,,
मुझको हर्षित करती थी ,,,
सूरज की एक एक किरण ,,
उल्लासो से भरती थी ,,,
बस नया प्रेम अब खोज रहा हूँ ,,
वो सब भूल भूला के ,,,
छेड़ रहा हूँ नयी तान ,,
रागों में खुद को मिला के ,,,
15.7.09
नारनौल एरिया के लिए नयी वेबसाइट
पश्चिम हरियाणा के नारनौल- महेंद्रगढ़ क्षेत्र पर केन्द्रित एक वेबसाइट का प्रारंभ हम कुच्छ मित्रों ने किया है. इस वेबसाइट का लिंक यह है: www.narnaul.org
यह वेब साईट नारनौल- महेंद्रगढ़ को सूचना क्रांति के विश्व पटल पर लाने का एक प्रयास है.
यह वेब साईट जन हित तथा जन सूचना के लिए है. इस का एक ही मकसद है: महेंद्रगढ़ - नारनौल के लोगों तथा समाज को जोड़ा जाये. आपका इस वेबसाइट पर स्वागत है. यदि आप महेंद्रगढ़ - नारनौल से सम्बन्ध रखते हैं या इस क्षेत्र में रुचि रखते हैं, तो आप इस वेब साईट से जरुर जुड़िये . इस पोर्टल पर दी गयी जानकारी, सूचना, आलेखों का मकसद समाज को सकारात्मक रूप से प्रभावित करना है. राजनीतिक सोच या विचार धारा के प्रति हमारा स्टैंड निष्पक्ष रहेगा। सकारात्मक राजनीतिक बहस का भी स्वागत है.
वेबसाइट का लिंक पुन: www.narnaul.org
यह वेब साईट नारनौल- महेंद्रगढ़ को सूचना क्रांति के विश्व पटल पर लाने का एक प्रयास है.
यह वेब साईट जन हित तथा जन सूचना के लिए है. इस का एक ही मकसद है: महेंद्रगढ़ - नारनौल के लोगों तथा समाज को जोड़ा जाये. आपका इस वेबसाइट पर स्वागत है. यदि आप महेंद्रगढ़ - नारनौल से सम्बन्ध रखते हैं या इस क्षेत्र में रुचि रखते हैं, तो आप इस वेब साईट से जरुर जुड़िये . इस पोर्टल पर दी गयी जानकारी, सूचना, आलेखों का मकसद समाज को सकारात्मक रूप से प्रभावित करना है. राजनीतिक सोच या विचार धारा के प्रति हमारा स्टैंड निष्पक्ष रहेगा। सकारात्मक राजनीतिक बहस का भी स्वागत है.
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