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29.5.09

आज कल शहर में

आज कल शहर में, सन्नाटे बहुत गहरे हुए जाते हैं

कोई रोको हमे कि हम, अब प्यार में दीवाने हुए जाते है ।।

तेरे ख्याल बस अब मेरे, जीने के सहारे हुए जाते है

वरना आज कल तो खुद ही हम, खुद से बेगाने हुए जाते है ।।

ज़िन्दगी ले चली है, हमे जाने किस मोड़ पर।

अब तो रास्ते ही मेरे, ठिकाने हुए जाते है ।।

मोहब्बत का करम है, जो मुझे ये किस्मत बक्शी

अब तो बातो- में जाने ,कितने फसाने हुए जाते हैं॥

चंद लम्हो में मिली है, जो दौलत हम को

इतने नशे में है, कि मयखाने हुए जाते हैं॥

मेरी बातों को हसी में लेना, मैं सच कहती हूँ

कि अब हर खुशी के आप ही, बहाने हुए जाते हैं ।।

रुकी-रुकी सी नदी थी, ये ज़िन्दगी मेरी

अब तो रुकना-ठहरना लगता है, अफ़साने हुए जाते हैं॥

27.5.09

स्वराज्य और लोकतन्त्र को बचाने की कीमत !

हमारे मित्र श्री अमित श्रीवास्तव ने फेस बुक पर यह पोस्ट लिखी, मुझे लगा आपके साथ भी शेयर करुँ. तो लीजिये पढिये:
सुकरात लोगों से एक के बाद एक प्रश्न पूछता था और उनसे जवाब पाने की कोशिश करता था। फिर हँसता हुआ कहता था, ‘‘सज्जनों, जूता सिलवाना हो तो तुम मोची के पास जाते हो, मकान बनवाना हो तो मिस्त्री की मदद लेते हो। फर्नीचर बनवाना हो तो बढ़ई को काम सौंपते हो। बीमार पड़ने पर डॉक्टरों की सलाह लेते हो। किसी झमेले में फँस जाते हो तब वकीलों के पास दौड़ते हो। क्यों ? ये सब लोग अपने-अपने क्षेत्र के जानकार हैं इसीलिए न ? फिर बताओ, राजकाज तुम ‘किसी के भी’ हाथ में कैसे सौंप देते हो ? क्या राजकाज चलाने के लिए जानकारों की जरूरत नहीं होती ? ऐरे-गैरों से काम चल सकता है ?’’
स्वराज्य में हमने लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभाओं में ‘किसी को भी’ भेज दिया, ‘किसी को भी’ मन्त्री बना दिया। हमने उनका अनुभव वगैरह कुछ नहीं देखा। देखी सिर्फ उनकी जाति या उनका धर्म। नतीजा-मौजूदा सरकार से पहले की सरकार अच्छी थी, उससे अच्छी उससे पहले की थी, यह कहते-कहते अन्त में सबसे अच्छी अँग्रेजों की थी, इस नतीजे पर आ पहुँचते हैं।
लोकतन्त्र को बचाना हो तो किसी-न-किसी को समाज में सुकरात की भूमिका निभानी ही होगी। लोगों से प्रश्न पूछ-पूछकर उन्हें सजग करने का काम करना होगा। हो सकता है, लोगों को वह असहनीय मालूम हो और लोग उसे जहर पिलाने के लिए उद्यत हो जाएँ।
लेकिन यह कीमत हमें स्वराज्य और लोकतन्त्र को बचाने के लिए चुकानी ही होगी।

---- 'पतझर में टूटी पत्तियाँ' द्वारा रवीन्द्र केलेकर, (पुस्तक का अंश )

26.5.09

धर्म के नाम पर दंगा.

ऑस्ट्रिया के वियना में धार्मिक संप्रदाय डेरा सच्च खंड के गुरुद्वारे में एक सभा के दौरान रविवार को हमले किये गये। हमलों में संत निरंजन दास और रामानंद सहित 30 लोग घायल हो गये थे. बाद में संत रामानंद की मौत हो गयी. संत रामानंद जालंधर- पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित बल्लां गांव के गुरुद्वारे के प्रमुख थे. वह भारत से वहां गये थे.
० संत रामानंद की मौत के बाद पंजाब के अनेक क्षेत्रों में हिंसा भड़क उठी।
० जालंधर, लुधियाना और फ़गवाड़ा में जबरदस्त हिंसा।
० कर्फ्यू लगा।
० संवेदनशील क्षेत्रों में सेना तैनात।
० प्रदर्शनकारियों द्वारा ट्रेनों पर पथराव आगजनी
० प्रशासन ने जालंधर आने-जाने वाली ट्रेनों को स्थगित किया
० पुलिस फायरिंग से मौतें
० लाठीचार्ज में कई लोगों को चोटें।
० पथराव में कई पुलिसकर्मी घायल।
० प्रदर्शनकारियों द्वारा एक पेट्रोल पंप में तोड़फ़ोड़।
० कारों, स्कूटरों, मोटरसाइकलों और अन्य वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया
० दिल्ली-लाहौर बस को लुधियाना में रोककर पुलिस की कड़ी सुरक्षा में रखा गया।
० अमृतसर, फिरोजपुर पटियाला से भी अप्रिय घटनाओं की सूचनाएं।
० स्थिति तनावपूर्ण।
इन
दंगों के कारण कईं बार इस समाज का ऐसा स्थान रिक्त हो जाता है, जिसकी भरपाई कभी नही हो पाती। किसी का वो खो जाता है, जो उसे कभी नही मिलता। समाज की वो धरोहरें निश्तो नाबूद कर दी जाती हैं, जो कभी नही बन पाती। क्योंकि उसका पुरातन ही उसकी शान है। क्या यह काम कट्टर धार्मिक लोगों का है? कदापि नहीं। क्योंकि कट्टरता से अपने धर्म पर चलने वाला व्यक्ति ऐसा घिनोना कृत्य कर ही नहीं सकता। कोई भी धर्म बेकसूरों को मारने की इजाज़त नही देता। ऐसे काम तो वो लोग करते हैं, जिनका मकसद धर्म के नाम पर दंगा करना होता है

25.5.09

गरीबों हेतु राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू.

सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना शुरु की है.अगर यह योजना सही रूप से क्रियान्वित हो जाती है तो गरीब परिवारों को बीमारी की स्थिति मे बहुत फायदा पहुँच सकता है. केंद्र की इस योजना को लागू करने के लिये हरियाणा सरकार ने राज्य के हर गाँव व कस्बे में पीले व गुलाबी राशन कार्ड धारको के परिवारों के समार्ट कार्ड बनाने का काम शुरु कर दिया है. सरकार ने पीले व गुलाबी राशन कार्ड धारक परिवारों के मुफ्त इलाज के लिये परदेस के सरकारी व गैर सरकारी १५१ अस्पतालों को इस योजना में शामिल किया है. समार्ट कार्ड धारक व्यक्ति को करना सिर्फ इतना है कि नेटवर्क में शामिल १५१ अस्पतालों में से किसी एक मे अपना समार्ट कार्ड दिखाना है तथा अपना इलाज मुफ्त मे करवाना है. समार्ट कार्ड धारक व्यक्ति को हॉस्पिटल मे जाकर तीस हजार तक के अपने इलाज के लिये कोई भुगतान नहीं करना होगा. चाहे उसकी शल्य चिकित्सा भी क्यों न हो रही हो. अगर इलाज मे खर्च तीस हजार से ऊपर हो जाता है तो समार्ट कार्ड धारक व्यक्ति को बची राशि का भुगतान खुद ही करना होगा. इस योजना मे और तो और व्यक्ति को इलाज के लिये आने-जाने के लिये १०० रूपए अतिरिक्त यात्रा भत्ता भी सरकार द्वारा ही दिया जाएगा. व्यक्ति का नेटवर्क में मोजूद अस्पतालों में भर्ती होने से एक दिन पहले और अस्पताल से छुट्टी के पॉँच दिनों तक के खर्च का भुगतान भी योजना का हिस्सा है. वहीँ जन्मजात, बाहरी बीमारियों, नशीली दवाओं के सेवन से पैदा हुई बीमारियों, टीकाकरण, आत्महत्या के प्रयास से उत्पन्न समस्या तथा युद्ध के मामले में समार्ट कार्ड धारक को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। सरकार द्वारा पीले व गुलाबी राशन कार्ड धारको के परिवारों के चिप लगा एक समार्ट कार्ड दिया जाएगा. जिसमे पूरे परिवार की जानकारी रिकार्ड होगी. कार्ड में ही पालिसी कवर का विवरण भी होगा. इस योजना का लाभ उठाने के लिये परिवार के किसी भी मेंबर को बीमारी की स्थिति में स्मार्ट कार्ड को अपने साथ नेटवर्क के हॉस्पिटल में ले जाना पडेगा. बिना समार्ट कार्ड के हॉस्पिटल मरीज की कोई मदद नहीं कर पाएगा. कार्ड के खो जाने या ख़राब हो जाने तथा उसमे परिवार के मेम्बरों के नाम जोड़ने या हटाने की स्थिति मे १०० रूपए का शुल्क जमा करवाना होगा. सरकार ने लोगो को इस योजना मे कॉल सेण्टर की सुविधा भी दी है. टोल फ्री नंबर १८००२०९८८८८ पर फ़ोन करके किसी भी समय कोई भी जानकारी ली जा सकती है. इन दिनों पूरे हरियाणा मे पीले व गुलाबी राशन कार्ड धारको के समार्ट कार्ड बनाने का काम जोरों से चल रहा है. लोग भी इन समार्ट कार्ड बनवाकर बेहद खुश है. अब देखना यह है की सरकार की यह योजना कितनी कारगर सिद्ध हो पाती है.

डेक्कन चार्जर्स ने कब्जाया आईपीएल ख़िताब.

एक ज़बरदस्त मुकाबले में बैंगलोर रॉयल चैलेंजर्स को मात्र छह रनों से हरा कर एडम गिलक्रिस्ट की डेक्कनचार्जर्स ने आईपीएल ख़िताब पर कब्ज़ा कर लिया।
कमज़ोर आंकी जाने वाली

टीम डेक्कन चार्जर्स ने जब बैंगलोर के सामने 144 रन का लक्ष्य दिया तो यह मुश्किल काम नहीं दिख रहा था. लेकिन ऐंड्रयू साइमंड्स के हरफ़नमौला खेल के आगे अनिल कुंबले की अगुवाई वाली बैंगलोर टीम कमज़ोर साबितहुई. बैंगलोर पिछले साल नीचे से दूसरे नंबर पर रही थी.

ख़िताब जीतने के लिए 144 रन बनाने उतरी कुंबले की सेना ने धीमीशुरुआती की. सलामी बल्लेबाज़ जैक कालिस ने कुछ सधे हुए हाथदिखाए लेकिन जल्द ही आउट हो गए. इसके बाद लगातार दो मैचों सेहीरो बने मनीष पांडे भी फ़ाइनल में दबाव के आगे झुक गए और सिर्फ़चार रन बना कर चलते बने. 26 रन पर दो विकेट गंवा कर कुंबले कीटीम मुश्किल में पड़ गई.

बाद में वैन डेयर मर्वे और टेलर ने टीम को उबारने की पूरी कोशिश की लेकिन साइमंड्स की लगातार दो गेंदों नेबैंगलोर टीम की कमर तोड़ दी और दर्शकों के बीच बैठे विजय माल्या का दिल भी. साइमंड्स ने 15वें ओवर कोनिर्णायक बना दिया. पहले ख़तरनाक दिख रहे टेलर को विदा किया और अगले ही गेंद पर युवा प्रतिभा विराटकोहली को चलता कर दिया. इसके साथ ही बैंगलोर की रही सही उम्मीद ख़त्म हो गई.

हालांकि रॉबिन उथप्पा ने आख़िरी ओवरों में टीम के लिए एक बार फिर उम्मीद जगाई लेकिन तब तक काफ़ी देरहो चुकी थी. टूर्नामेंट जीतने के इरादे से उतरी कुंबले की टीम को सिर्फ़ उपविजेता टीम के साथ ही संतोष करना पड़ा.

99 रन पर छह विकेट खोने के बाद बैंगलोर की टीम के लिए कुछ नहीं बचा था. लेकिन उथप्पा ने इसमें भी जानफूंकने की कोशिश की. एक वक्त सात गेंदों पर 15 रन बनाने का मुश्किल लक्ष्य सामने था और टीम के दो विकेटबचते थे. बैंगलोर ने पूरी ताक़त झोंक दी थी. लेकिन विनय कुमार ने दबाव के आगे दम तोड़ दिया और आख़िरीओवर में 15 रन बनाने का मुश्किल लक्ष्य छोड़ गए.

टूर्नामेंट में सबसे ज़्यादा विकेट लेकर पर्पल कैप पहनने वाले आरपी सिंह ने आईपीएल का आख़िरी ओवर बड़े सूझबूझ के साथ फेंका और एक चौका जड़ने के बाद भी विजय माल्या की टीम छह रन छोटी रह गई. चार्जर्स के हाथसोने और हीरे जड़ा ख़िताब लग गया.

इससे पहले डेक्कन चार्जर्स ने भी ख़राब शुरुआत की. अनिल कुंबले ने अप्रत्याशित तरीक़े से बैंगलोर के लिएगेंदबाज़ी की शुरुआत की. दिल्ली के विरुद्ध सेमीफ़ाइनल में 35 गेंदों में 85 रन जड़ने वाले हैदराबाद के कप्तान गिलीतीसरी गेंद पर ही आउट हो गए और वही भी बिना कोई रन बनाए. इसके बाद तो जैसे बैंगलोर ने आधा मैच ही जीतलिया हो. हैदराबाद को एक एक रन के लिए तरसाए रखा और सिर्फ़ सलामी बल्लेबाज़ हर्शल गिब्स को छोड़ करकिसी बल्लेबाज़ को नहीं टिकने दिया.

गिब्स ने मैच में सबसे ज़्यादा 53 रन बनाए, जबकि ऐंड्रयू साइमंड्स ने ताबड़तोड़ 33 रन जोड़े. सैकड़ों अंतरराष्ट्रीयमैच खेल चुके इन दोनों क्रिकेटरों की मदद से हैदराबाद ने 143 रन का स्कोर खड़ा किया.

बैंगलोर के लिए जहां उनका 15वां ओवर घातक साबित हुआ, वहीं हैदराबाद की पारी के लिए 15वां ओवर वरदानसाबित हुआ. प्रवीण कुमार की इन छह गेंदों में 19 रन बने और टीम दबाव से बाहर निकलने में कामयाब हुई. किसी आम ट्वेन्टी 20 मैच के लिए 143 का स्कोर भले ही काफ़ी हो लेकिन फ़ाइनल मुक़ाबले के लिए यह एकअच्छा चुनौती भरा स्कोर साबित हुआ.

बैंगलोर के कप्तान अनिल कुंबले ने एक बार फिर अपने फ़न का जौहर दिखाया और मैच में सबसे ज़्यादा उम्र के इसखिलाड़ी ने सबसे अच्छी गेंदबाज़ी की। उन्होंने चार ओवर में सिर्फ़ 16 रन देकर 4 विकेट झटके और इस वजह सेउन्हें मैन ऑफ़ मैच आंका गया. हैदराबाद के कप्तान गिलक्रिस्ट मैन ऑफ़ सीरीज़ रहे.

याद रहे डेक्कन चार्जर्स पिछले साल सबसे निचले पायदान पर थी।

23.5.09

Tao Te Ching - Hindi: चौदहवाँ अनुच्छेद

"अगर आप इसे देखने का प्रयास करें तो नहीं देख पायेंगे, क्योंकि यह निराकार है
अगर आप इसे सुनने का प्रयास करें तो नहीं सुन पाएंगे, क्योंकि यह श्रवण के परे है
अगर आप इसे छूना चाहें तो नहीं छू पाएंगे क्योंकि यह ठोस नहीं है

इन्द्रियों के परे जो है वही सर्वोच्च है
अदृश्य, अश्रव्य, अस्प्रश्य

जो ऊपर उठता है वह उज्जवल लगता है, जो नीचे बैठता है वह काला लगता है
मगर देखा जाए तो न तो अँधेरा है न उजियारा, बस छायाओं का खेल है|

अनस्तित्व से पूर्णता और पूर्णता से वापस अनस्तित्व
यह निराकार रूप
यह अदृश्य चित्र
दिमाग या शक्ति से नहीं समझे जा सकते
अगर आप इसके सामने जाना चाहें तो कहाँ जा के खड़े होंगे?
अगर आप इसका पीछा करना चाहें तो कहाँ इसे पाएंगे?

जब आप जान लेंगे की की सभी शुरुआतों से परे कौन है तब आप सब कुछ अभी और यहीं जान लेंगे
आप अभी सब जान लीजिये और आप अनादी ताओ को जान लेंगे |"

ख़ुद कितने गम्भीर हैं?

देशप्रेम, राष्ट्रहित जैसे शब्दों का प्रयोग हम सब बहुतायत में करते हैंऔर यह भी आमतौर पर कहते रहते हैं कि अब लोगों को अपनी संस्कृति, अपने समाज अपने देश से प्यार नही रहा
परन्तु क्या कभी अपने गिरेबान में झाँककर देखा है कि इन बातों को लेकर हम ख़ुद कितने गम्भीर हैं?
दोस्तों, कह देने तथा कर देने के अंतर को समझना होगा

कृपया अपनी टिप्पणियाँ अवश्य दीजिये !!!