3:21 pm
Randhir Singh Suman
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) दावा तो सांस्कृतिक संगठन होने का करता है परन्तु उसने भारत की बहुलतावादी संस्कृति एवं सहअस्तित्व की भावना से हमेशा परहेज ही किया। उसके गैर-राजनीतिक होने के दावे की हकीकत से देश का बच्चा-बच्चा वाकिफ है। बाजपेई और आडवाणी 85 वर्ष के करीब हो गये, वे अपनी उम्र और भूमिका दोनों का सफर तय कर चुके हैं। उनके शरीर नश्वर हैं..... समाप्ति की ओर अग्रसर। लेकिन भाजपा की आत्मा - ”राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ“ भी 85 साल की होने के बावजूद न तो स्वयं को मृतप्रायः स्वीकार करने को तैयार और न ही अपने राजनीतिक संस्करण भाजपा को ही।
सत्ता में आने के लिए भाजपा बार-बार अपनी आत्मा यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के घोषित सोच के साथ समझौता करने के बावजूद राजनीतिक क्षितिज पर पराभव की ओर अग्रसर है। अपने राजनीतिक संस्करण की इस दुर्दशा पर बहुत चिन्तित है संघ। बड़ी कुलबुलाहट, बड़ी छटपटाहट का शिकार है संघ। पूर्व संघ प्रमुख के.सी.सुदर्शन भाजपा नेतृत्व से शिकायतें करते ही रह गये कि भाजपा सत्ता के नशे में परिवार के योगदान को भुला बैठी। भागवत संघ परिवार के मुखिया बनने के बाद लोकसभा चुनावों में पार्टी की पराजय को बर्दाश्त नहीं कर सके। अपनी 60वीं वर्षगांठ की ओर अग्रसर भागवत चीख उठे - ”बदलाव जरूरी है।“ समाचार माध्यमों एवम् राजनीतिक हल्कों में भाजपा ने कुलबुलाहट को शान्त करने का प्रयास किया। राजनाथ सिंह पार्टी में आन्तरिक लोकतंत्र के नाम पर मामले को शान्त करते नजर आये। वे पार्टी के जिस आंतरिक लोकतंत्र की दुहाई दे रहे थे, पूरा देश उसके अस्तित्वहीन होने से परिचित है।
आखिर 18 दिसम्बर को वह घड़ी आ ही गयी जब संघ के प्रतिनिधि के तौर पर गडकरी ने भाजपा की शीर्षसत्ता यानी उसके अध्यक्ष पद पर आसीन हो गये। भागवत के निर्देशन में ‘हेडगेवार भवन’ में भाजपा को एक बार फिर जिन्दा रखने के लिए जो ब्लूप्रिन्ट तैयार किया गया था, उसको अगली जामा पहनाया जाने लगा।
गडकरी की क्या पहचान होगी? उनके सामने पार्टी की लगभग वही स्थिति है तो सन 1984 में भाजपा की थी। संघ का स्वास्थ्य हमेशा जन-मानस के रूधिर से ही पनपता रहा है। तब संघ को अयोध्या में एक प्रतीक नजर आ गया। उस प्रतीक के झुनझुने को लाल कृष्ण आडवाणी को एक रथ पर बैठा कर पकड़ा दिया गया। वे पूरे देश में उस झुनझुने को बजा-बजाकर आवाम की शान्ति-चैन छीनने निकल पड़े क्योंकि फासिस्ट संघ के राजनीतिक संस्करण भाजपा को जीने के लिए तमाम लाशों की जरूरत थी। उधर संघ परिवार अपने अन्य अनुषांगिक संगठनों के साथ मिलकर अयोध्या के प्रतीक को ध्वंस करने के ब्लूप्रिन्ट को अमली जामा पहनाने की तैयारी करता रहा। उस दौर में पूरे देश में काफी लाशें गिराने में संघ और भाजपा सफल रहे। उन लाशों से गुजर कर आखिरकार भाजपा को एक नया जीवन मिल गया। केन्द्र में सत्तासीन होने का उसका रास्ता प्रशस्त हुआ था परन्तु वह 24 पार्टियों का सर्वमान्य नेता कथित उदारमना अटल बिहारी बाजपेई के नाम पर सहमत होने पर ही सम्भव हो सका था।
उस दौर ने जनता के सामने संघ परिवार की सोच को साफ-साफ पेश कर दिया था। उसके इस चेहरे से भी जनता अब परिचित हो गयी है।
अब देखना होगा कि गडकरी के हाथ में भागवत ”हेडगेवार भवन“ से कौन सा झुनझुना और कैसा रथ भेजते हैं। हमें सतर्क रहना होगा क्योंकि मृतप्रायः भाजपा को नया जीवनदान देने के लिए संघ फिर लाशों की राजनीति करने से नहीं हिचकेगा। हम जनता से यही गुजारिश कर सकते हैं कि जागते रहो और फासिस्ट संघ की नई चाल से सतर्क रहो।
ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि अयोध्या के प्रतीक रूपी झुनझुने की अवधारणा तैयार करने के पहले संघ परिवार ने सत्तर के दशक से अस्सी के दशक के मध्य तक कई पैतरों का इस्तेमाल किया था। पहले उन्होंने स्वामी विवेकानन्द को अपनाने का प्रयास किया परन्तु स्वामी विवेकानन्द के शिकागो के ऐतिहासिक भाषण की यह लाईनें कि ”भूखों को धर्म की नहीं रोटी की जरूरत होती है“ भाजपा के रास्ते पर आकर खड़ी हो गईं। फिर उन्होंने शहीदे-आजम भगत सिंह को अपना प्रतीक बनाने का प्रयास किया तो भगत सिंह का खुद को नास्तिक घोषित करने का मामला भाजपा के आड़े आ गया। तब उन्होंने ”गांधीवादी समाजवाद“ का प्रलाप शुरू किया तो जनता ने गांधी के हत्यारे के रूप में भाजपा को चित्रित कर उसे लोकसभा में दो सीटों तक पहुंचा दिया। सम्भव है शुरूआती दौर में संघ एक बार फिर इस तरह के प्रतीकों का इस्तेमाल करने की असफल कोशिश करे परन्तु अन्तोगत्वा उसे जिन्दा रहने के लिए लाशों की ही जरूरत पड़ेगी। उसका इतिहास तो यही बताता है।
- प्रदीप तिवारी
2:40 pm
Manmohit Grover
सिरसा: ओल्ड बस स्टैण्ड मार्किट वैल्फेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश मेहता ने एसोसिएशन की कार्यकारिणी का विस्तार करते हुए पुराना बस स्टैण्ड स्थित विकास मैडिकोज के संचालक एवं प्रमुख समाजसेवी सुरेश कुमार गोयल को एसोसिएशन का वरिष्ठ उपप्रधान नियुक्त किया है। नरेश मेहता ने कहा कि श्री गोयल की नियुक्ति से मार्किट की समस्याओं को निपटाने में तीव्रता आएगी तथा यह पद उन्हें उनकी निष्ठा व मार्किट के हित में रूचि के चलते सौंपा गया है। इस अवसर पर नवनियुक्त उपप्रधान सुरेश गोयल ने एसोसिएशन का इस पद हेतु आभार व्यक्त किया तथा आश्वासन दिया कि वे इस पद को पूर्ण जिम्मेदारी से निभाएंगे तथा मार्किट के हितों के प्रति हमेशा प्रयासरत रहेंगे।
2:36 pm
Manmohit Grover
सिरसा: युवा नम्बरदार सुप्रीमो सूबे सिंह बैनीवाल के नेतृत्व में सैंकड़ों नम्बरदारों का एक शिष्ट मण्डल हरियाणा के मुख्यमंत्री चौ० भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से गत दिवस उनके चण्डीगढ़ स्थित निवास स्थान पर मिला। इस अवसर पर शिष्ट मण्डल ने ऐलनाबाद विधानसभा हल्का से सूबे सिंह बैनीवाल को टिकट देने की मांग की है। शिष्ट मण्डल ने कहा कि सूबे सिंह बैनीवाल युवा एवं उच्च शिक्षा प्राप्त हैं तथा इनके सभी स्थानीय कांगे्रसी नेताओं से मधुर सम्बन्ध रहे हैं। हरियाणा में नम्बरदारों की एक विशाल सेना है जिनकी संख्या 23096 है। सूबे सिंह बैनीवाल गत विधानसभा चुनावों में कांगे्रस के सिरसा से उम्मीदवार लछमण दास अरोड़ा के ग्रामीण चुनाव इन्चार्ज भी रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सूबे सिंह के ताऊ चौ० इन्द्राज सिंह बैनीवाल कांगे्रस की टिकट पर चौ० देवीलाल के सामने उपचुनाव लड़ चुके हैं। इसके अतिरिक्त ऐलनाबाद हल्के में बैनीवाल गौत्र के लगभग 18 हजार वोट हैं।
2:26 pm
Manmohit Grover
सिरसा: 61
वां गणतन्त्र दिवस आगामी 26
जनवरी को स्थानीय बरनाला रोड़ स्थित भगत सिंह स्टेडियम में बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा । इस बार गणतंत्र दिवस का आयोजन एक
विशेष थीम के आधार पर किया जाएगा। साक्षरता,
स्वच्छता,
स्वास्थ्य और संपन्नता के बिंदुओं को छूते हुए विषयों पर थीम तैयार किया जाएगा। यह जानकारी उपायुक्त श्री युद्धवीर सिंह ख्यालिया ने गत दिवस
स्थानीय डीआरडीए के कांफ्रेंस हाल में गणतन्त्र दिवस समारोह की तैयारियों बारे बुलाई गई अधिकारियों की बैठक में दी । इस अवसर पर जिला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री सुभाष यादव,
अतिरिक्त उपायुक्त डा.
जे.
गणेशन सहित विभिन्न विभागों के जिला अधिकारी उपस्थित थे। उपायुक्त ने बताया कि गणतंत्र दिवस समारोह में प्रस्तुत किए जाने वाले सभी कार्यक्रमों को संविधान की प्रस्तावना,
संविधान में प्रदत मौलिक अधिकारों और संविधान के नीति निदेशक सिद्धांतों से जोड़ा जाएगा ताकि आमजन को संविधान की महत्ता का बारीकी से पता चल सके। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस समारोह के कार्यक्रमों में साक्षरता,
स्वच्छता,
सपंन्नता और स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करते हुए बिंदूओं और संविधान में नीति निदेशक सिद्धांतों को छुते हुए बिंदुओं पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करवाया जाएगा। इसके लिए उन्होंने अतिरिक्त उपायुक्त डा.
जे.
गणेशन की अध्यक्षता में एक कमेटी का भी गठन किया है जो इस सारे कार्यक्रम की रुपरेखा तैयार कर गणतंत्र दिवस समारोह के लिए कार्यक्रम तैयार करवाएगी। उन्होंने बताया कि 26
जनवरी को समारोह के दिन पुलिस,
गृहरक्षी,
राष्ट्रीय कैडेट कोर,
स्काउट्स व विभिन्न विद्यालयों के बच्चों की टुकडिय़ा परेड में शामिल होंगी । समारोह में सिरसा की भिन्न-
भिन्न शिक्षण संस्थाओं के 1000
से भी अधिक विद्यार्थी पी.
टी शो में भाग लेंगे और शिक्षण संस्थाओं की ओर से संविधान के बिंदुओं को जागृत करते हुए ही भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत होंगे। उन्होंने बताया कि 21, 22
व 23
जनवरी को परेड में भाग लेने वाली सभी टुकडिय़ों का पूर्वाभ्यास करवाया जाएगा और 24
जनवरी को स्टेडियम में अन्तिम रिहर्सल करवाई जाएगी । उन्होंने शिक्षा अधिकारियों व परेड से जुड़े अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अन्तिम पूर्वाभ्यास के दिन परेड,
पी.
टी.
शो,
सांस्कृतिक कार्यक्रम व अन्य कार्यक्रमों में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को पूरे परिधान में लेकर आएं । उपायुक्त ने बताया कि समारोह में विभिन्न विभागों द्वारा विकास कार्यो को दर्शाती आकर्षक झांकियों का प्रदर्शन किया जाएगा। इन झांकियों को भी गणतंत्र समारोह के थीम व संविधान में प्रदत मौलिक अधिकारों और नीति निदेशक सिद्धांतों से जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि सिरसा शहर में विशेष सफाई अभियान चलाकर शहर को साफ सुथरा बनाया जाएगा । इस जिला स्तरीय गणतंत्र दिवस समारोह में जिला के गणमान्य व्यक्ति,
स्वतंत्रता सेनानी,
समाज सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाएगा । उन्होंने कहा कि उत्कृष्टï
कार्य करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों व समाज में उत्कृष्ठ कार्य करने वाले व्यक्तियों को भी सम्मानित किया जाएगा। श्री ख्यालिया ने गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारियों से सम्बन्धित सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अपना-
अपना कार्य जिम्मेदारी से करें । उन्होंने बताया कि समारोह में पीने के पानी की व्यवस्था जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा की जाएगी । समारोह में बैरीकोटिंग की व्यवस्था कार्य लोक निर्माण विभाग के जिम्मे रहेगा । इस प्रकार से बिजली सम्बन्धी कार्य बिजली विभाग के अधिकारी देखेंगे । समारोह स्थल व शहर में रंगबिरंगी झण्डियां लगाकर शहर को सजाया जाएगा । उन्होंने बताया कि समारोह स्थल पर झण्डियां लगाने की जिम्मेवारी नगर परिषद तथा समारोह स्थल के बाहर झण्डियां लगाने की जिम्मेवारी हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड को सौंप दी गई है । उन्होंने जिला के सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों से अपील की कि वे गणतंत्र दिवस समारोह में परिवार सहित उपस्थित होकर समारोह की शोभा बढ़ाएं ।
9:29 am
sureda

यह कीट ना तो तेली की बहु अर् ना इस कीट का तेली से कोई वास्ता
फ़िर भी हरियाणा में पच्चास तै ऊपर की उम्र के किसान, अंग्रेजों द्वारा ब्लिस्टर बीटल कहे जाने वाले इस कीट को तेलन कहते हैं। हरियाणा के इन किसानों को यह मालुम हैं कि इस तेलन का तेल जैसा गाढा मूत अगर हमारी खाल पर लग जाए तो फफोले पड़ जाते हैं। इन किसानों को यह भी पता हैं कि पशु-चारे के साथ इन कीटों को भी खा लेने से, हमारे पशु बीमार पड़ जाते हैं। घोडों में तो यह समस्या और भी ज्यादा थी। एक आध किसान को तो थोड़ा-बहुत यह भी याद हैं कि पुराने समय में देशी वैध इन कीटों को मारकार व सुखा कर, इनका पौडर बना लिया करते। इस पाउडर नै वे गांठ, गठिया व संधिवात जैसी बिमारियों को ठीक करने मै इस्तेमाल किया करते। इस बात में कितनी साच सै अर् कितनी झूठ - या बताने वाले किसान जानै या इस्तेमाल करने वाले वैध जी। कम से कम हमनै तो कोई जानकारी नही।

हमनै तो न्यूँ पता सै अक् या तेलन चर्वक किस्म की कीट सै। कीट वैज्ञानिक इस नै Mylabris प्रजाति की बीटल कहते हैं जिसका Meloidae नामक परिवार Coleaoptera नामक कुनबे मै का होता है। इसके शरीर में कैन्थारिडिन नामक जहरीला रसायन होता है जो इन फफोलों के लिए जिम्मेवार होता है। इस बीटल के प्रौढ़ कपास की फसल में फूलों की पंखुडियों , पुंकेसर व स्त्रीकेसर को खा कर गुजारा करते हैं। कपास के अलावा यह बीटल सोयाबीन, टमाटर, आलू, बैंगन व घिया-तोरी आदि पर भी हमला करती है जबकि इस बीटल के गर्ब मांसाहारी होते हैं। जमीन के अंदर रहते हुए इनको खाने के लिए टिड्डों, भुन्डों, मैदानी-बीटलों व् बगों के अंडे एवं बच्चे मिल जाते हैं।
जीवन चक्र:इस बीटल का जीवन चक्र थोड़ा सा असामान्य होता है। अपने यहाँ तेलन के प्रौढ़ जून के महीने में जमीन से निकलना शुरू करते है तथा जुलाई के महीने में थोक के भावः निकलते हैं। मादा तेलन सहवास के 15-20 दिन बाद अंडे देने शुरू कराती है। मादा अपने अंडे जमीन के अंदर 5-6 जगहों पर गुच्छों में रखती है। हर गुच्छे में 50 से 300 अंडे देती है। अण्डों की संख्या मादा के भोजन, होने वाले बच्चों के लिए भोजन की उपलब्धता व मौसम की अनुकूलता पर निर्भर करती है। भूमि के अंदर ही इन अण्डों से 15-20 दिन में तेलन के बच्चे निकलते है जिन्हें गर्ब कहा जाता है। पैदा होते ही ये गर्ब अपने पसंदीदा भोजन "टिड्डों के अंडे" ढुंढने के लिए इधर-उधर निकलते हैं। इस तरह से भूमि में पाए जाने वाले विभिन्न कीटों के अंडे व बच्चों को खाकर, ये तेलन के गर्ब पलते व बढते रहते है। अपने जीवन में चार कांजली उतारने के बाद, ये लार्वा भूमि के अंदर ही रहने के लिए प्रकोष्ठ बनते हैं। पाँचवीं कांजली उतारने के बाद, लार्वा इसी प्रकोष्ठ में रहता है। इस तरह से यह कीट सर्दियाँ जमीन के अंदर अपने पाँच कांजली उतार चुके लार्वा के रूप में बिताता है। यह लार्वा जमीन के अंदर तीन-चार सेंटीमीटर की गहराई पर रहता है। बसंत ऋतु में इस प्रकोष्ठ में ही इस कीट की प्युपेसन होती है। और जून में इस के प्रौढ़ निकलने शुरू हो जाते हैं।
5:57 pm
Randhir Singh Suman
एक समय में वनों को बचाए रखने के लिए वन सम्पदा को राष्ट्रीय सम्पदा घोषित किया गया । वन सम्पदा को बनाये रखने के लिए विभिन्न तरह के विधियों का निर्माण किया गया। जिसका असर यह हुआ कि सरकार, उद्योगपति विभिन्न योजनाओ के नाम पर जमकर वन सम्पदा को नष्ट करने के अधिकारी हो गए । वन सम्पदा से जनता वंचित हो गयी । वन विभाग ने विभिन्न योजनाओ के तहत कागज पर ही पेड़ लगाये। जनता ने अपनी जमीनों के ऊपर पेड़ लगाकर पर्यावरण से लेकर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करनी चाही । जिसका हश्र यह हुआ कि पेड़ मालिक को जब अपने उपयोग के लिए अथवा व्यावासिक उपयोग के लिए उनको कटवाने की जरूरत होती है तो नियमो और उपनियमों का सहारा लेकर पुलिस कुल बिक्री मूल्य का 60 प्रतिशत रुपया ले लेती है। 10 प्रतिशत वन विभाग ले लेता है पेड़ मालिक को बिक्री मूल्य का 30 प्रतिशत ही मिलता है उसी तरह से इजारेदार कम्पनियां उद्योगपति जल को राष्ट्रीय सम्पदा घोषित करने के लिए काफी दिनों से प्रयासरत हैं। उनकी योजना यह है कि जल राष्ट्रीय सम्पदा घोषित हो जाए और आम आदमी अपने इस्तेमाल के लिए जल सोत्रों से जल बिना अनुमति के न प्राप्त कर पावे । जल व्यापार करने के इच्छुक बड़े-बड़े उद्योगपति शहरों की जल आपूर्ति प्राप्त करना चाहते हैं और उनका एकाधिकार हो जाने पर गरीब तबके के लोग, पशु-पक्षी पानी नहीं पा सकेंगे। पानी के बगैर जीवन असंभव है जिसपर वह एकाधिकार चाहते हैं । उत्तर प्रदेश में नगर निगम वाले शहरों में वाटर टैक्स वसूलने की व्यापक तैयारियां की जा रही हैं और मीटर से पानी दिया जायेगा और मीटर के हिसाब से ही पानी का मूल्य वसूला जायेगा । शहरों के अन्दर एक बड़ा हिस्सा पानी खरीद कर अपना जीवन बचा सकता है उस तबके का क्या होगा ? पानी के सोत्रों को गन्दा करने का काम सबसे ज्यादा उद्योगजगत करता है । आज जरूरत इस बात की है कि जल स्रोत्रों को गन्दा न होने दिया जाए । जल स्रोत्रों को गन्दा करने वाले उद्योगजगत को व नगर नियोजकों के खिलाफ कानून बनाने की आवश्यकता है। न की जल को राष्ट्रीय सम्पदा घोषित करने की । मुनाफा खोर चाहते हैं की शहरों में मीटर प्रणाली के हिसाब से पानी की आपूर्ति होने लगे और आपूर्ति में असफल होने के नाम पर स्वायतशाषी संस्थाओं से जल आपूर्ति उन्हें मिल जाए।
- सुमन
5:58 pm
Randhir Singh Suman
पाकिस्तान में जब सेना को सरकार जब पसंद नहीं आती है तो वह तख्तापलट कर देती है। किन्तु इसके विपरीत हमारे देश में यह कार्य बखूबी नौकरशाही बड़े आराम से करती रहती है। अमेरिकन साम्राज्यवाद को दुनिया में चुनौती देने वाली भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की सरकार को नौकरशाही ने अपने कारनामो से जनता से सत्ताच्युत करा दिया था । श्रीमती इंदिरा गाँधी ने 20 सूत्रीय कार्यक्रम जनता के हितों के लिए लागू किया था तथा उनके पुत्र संजय गाँधी ने 5 सूत्रीय कार्यक्रम जारी किया था । उस समय की नौकरशाही शक्तिशाली प्रधानमंत्री नहीं चाहता था उसने आपातकाल के नाम पर गाँव से लेकर दिल्ली तक बेगुनाह लोगों को फर्जी मुकदमों में बंद कर दिया था। नसबंदी के नाम पर जबरदस्ती अविवाहित नवजवानों की नसबंदी कर दी गयी थी और प्रेस पर तरह-तरह के आरोप लगा कर उनके भी नकेल डाल दी गयी थी । जिन नवजवानों ने इन सब नौकरशाही के गलत कार्यों का विरोध किया या तो वह मार डाले गए या फर्जी मुकदमों में जेलों में निरुद्ध कर दिए गए ।
इस समय उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार है नौकरशाही तरह-तरह से सरकार को हमेशा के लिए सत्ताच्युत करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है । प्रदेश के पूर्व महानिदेशक ने आतंकवाद के नाम पर मुस्लिम नवजवानों को या तो एन्कोउन्टर के नाम पर मरवा दिया है या कड़े कानूनों के तहत जेलों में बंद करवा दिया था पूरे प्रदेश में अफसरशाही अंतर्गत धारा 198 ए उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश अधिनियम के तहत चलने वाले वादों में जबरदस्ती जुर्म इकबाल करा कर या सुलह समझौते वादों में सौ प्रतिशत सजा कर तमगा जीतने की होड़ मचा रखी है जिसके उदाहरण बाराबंकी जनपद में देखने में आ रहा है । एक उपजिलाधिकारी के यहाँ इस धारा के अंतर्गत चलने वाले सभी वादों में सजा हो चुकी है कई मुकदमों में वादी और प्रतिवादी में सुलह हो चुकी थी । सुलह के पश्चात भी सजा सुनाई गयी है । अनुसूचित जाति/ जनजाति निवारण अधिनियम के तहत कोई भी विवेचना नहीं की जा रही है । अभियुक्त घटना के दिन चाहे प्रदेश से बाहर ही क्यों न हो विवेचना अधिकारी उसको घटना स्थल पर दिखाकर वाद में आरोप पत्र न्यायलयों में भेज रहे हैं । इससे यह महसूस होता है की जब नौकरशाही अति उत्साह में फर्जी आंकड़ों के नाम पर जनता का भला करने लगे व कानून के नाम पर जनता का उत्पीडन करने लगे तो समझ लेना चाहिए की नौकरशाही जिस दल की सरकार है उसको मौन रहकर सत्ताच्युत करना चाहती हैं ।
-एडवोकेट सुमन