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21.9.09

जिला जींद में ज्वार, बाजरा व कपास की फसल में धातुई हरे रंग का कीट

आज कल जिला जींद में कपास, बाजरा व ज्वार की फसलों में चमकीले हरे रंग का कीट नजर आ रहा है। आकार व बुनावट में यह भुंड गोबर वाले (गबरैला) भुंड से मिलताजुलता है। बाजरे की सिरट्टियों पर तो यह भुंड किसानों को दूर से दिखाई दे जाता है। बाजरे की सिरट्टियों पर इस के दर्शन होने पर आमतौर पर तीन काम होते हैं। एक -कीटनाशकों पर होने वाले खर्चे के रूप में किसानो की गोज पर डाका; दो -कीटनाशकों की बिक्री से डीलरों के यहाँ मुनाफे के रूप में लक्ष्मी का आगमन व तीन -कीटनाशकों के अवशेषों के रूप में लोगों की सेहत पर डाका। काश! किसानों को इस कीट की पहचान होती व इसकी भक्षण-क्षमता, भोजन-विविधता व प्रजनन्ता का ज्ञान होता? यह सबसे जरुरी काम किया- अनुपगढ के भूपेश व सुरेश नै, ईगराह के मनबीर, धर्मबीर व नरेंद्र नै, रूपगढ के राजेश व कुलदीप नै व निडाना के रत्तन, जिले, कप्तान, चन्द्र पाल व रणबीर नै। इन किसानों ने बताया की इस भुंड के मुखांग कुतर कर चबाने वाले होते हैं। इन किसानों ने आगे यह भी बताया की यह भुंड कपास, बाजरा व ज्वार के फूलों से पराग-कण खाकर गुजरा करता है। इन किसानों ने इस भुंड को ज्वार के बंद फुल खोल कर पराग-कण खाते अपनी आंखों से देखा है। इस लिए इस भुंड के शाकारी होने के बावजूद, इसका फसलों में लंबा-चौडा नुकशान नहीं होता। इन किसानों का साफ़ कहना है की इस भुंड का इन फसलों में इतना भी नुकशान नही होता जितना की हम इसके नियंत्रण के लिए कीटनाशकों पर खर्च देते हैं।

20.9.09

अवैध वाहनो से सरकार को करोड़ों का नुकसान

जींद:-जिले में चल रहे अवैध वाहनों पर रोक न लगने से जहां सरकार को हर महीने करोड़ों रुपये का चूना लग रहा है, वहीं पर इस मामले में प्रशासन पर भी सवालिया निशान लगाया जा रहा है। उधर अवैध वाहनों के कारण जिले में दुर्घटनाओं में भी आए दिन बढ़ोतरी हो रही है। इन वाहनों के चालकों की लापरवाही के चलते पिछले दो महीनों में शहर में एक दर्जन से अधिक दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। याद रहे जिले में अवैध वाहनों का आवागमन दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इनकी रोकथाम के लिए लोगों ने कई बार जिला प्रशासन को सचेत भी किया, लेकिन अभी तक जिला प्रशासन अवैध वाहनों को रोकने में पूरी तरह नाकाम रहा। वर्ष 2003 में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मनजीत अहलावत ने अवैध वाहनों की रोकथाम के लिए जिले में कड़े कदम उठाए थे, लेकिन उन द्वारा उठाए गए कदम कुछ दिन ही चल पाए। अब फिर जिले में अवैध वाहनों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। शहर के कई लोगों का मानना है कि प्रशासन अवैध वाहनों को रोकने में ढुलमुल रवैया अपना रहा है। शहर के ईश्वर, कर्ण सिंह, ओमप्रकाश, रामदिया, प्रताप, रतन सिंह, प्रेम, प्रवीण, अशोक, सतवीर, विजय, सतीश, रामकिशन, शमशेर, रामकुमार, राजेंद्र, देशराज आदि ने कहा कि जब तक प्रशासन अवैध वाहनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करेगा, तब तक इन पर रोक नहीं लग पाएगी। उन्होंने बताया कि अवैध वाहनों के मालिकों को कुछ ऐसे लोगों का संरक्षण हासिल है, जिसके चलते उन लोगों के हौसले बुलंद है। सबसे ज्यादा अवैध वाहनों का आवागमन जींद-जुलाना, जींद-सफीदों, जींद-असंध मार्ग के साथ-साथ जींद-उचाना मार्ग पर लगा रहता है। अवैध वाहनों के आवागमन के चलते सरकार को हर महीने करोड़ों रुपये का चूना भी लग रहा है।

19.9.09

एड्स की जानकारी ही बचाव

जींद:- जिला रेडक्रास सोसाइटी द्वारा संचालित एड्स कंट्रोल कार्यक्रम के तत्वावधान में रेडक्रास भवन में प्राथमिक चिकित्सा के छात्राओं को एड्स जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें युवाओं को एड्स के बचाव की जानकारी दी गई। कार्यक्रम प्रबंधक विनोद कुमार ने कहा कि एड्स एक जानलेवा बीमारी है, इसलिए युवाओं को चाहिए कि वे इस बीमारी से बचे रहे, क्योंकि एड्स का इलाज केवल बचाव है। हिंदुस्तान में प्रति मिनट में एक व्यक्ति एचआईवी वायरस की चपेट में आकर एड्स मुहाने पर खडे़ है। इसमें कभी भी भयानक विस्फोट होकर मानवता को तहस-नहस कर सकता है। लिहाजा एचआईवी वायरस तथा एड्स पर ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल करे। जहां तक हो सके विवाह से पहले ही एचआईवी टेस्ट भी हर हाल में कराए। इस अवसर पर उन्होंने एड्स के कारण, लक्षण व बचाव के बारे में विस्तृत जानकारी दी और एड्स कंट्रोल प्रोजेक्ट के तहत दी जाने वाली सुविधाएं, मुफ्त परामर्श व जांच चिकित्सीय सहायता, शिक्षा व जागरूकता, दैनिक कार्यक्रम के बारे में अवगत कराया। रेडक्रास सचिव रणदीप श्योकंद ने आह्वान किया कि एड्स पीड़ित व्यक्ति को आपके प्यार की जरूरत है न की उसे तिरस्कार की। एड्स पीड़ित व्यक्ति को लगातार एआरटी सेंटर रोहतक से लगातार अपना इलाज कराना चाहिए, जिससे वह व्यक्ति अपने जीवन को सुखद व अच्छे तरीके से व्यतीत कर सकें।

राजकीय सम्मान से महरूम रहा मृतक सैनिक

वैसे तो देशभर से सैनिकों उनके परिवारों के अपमान के समाचार कई बार टी.वी. में देखने समाचार पत्रों में पढ़ने को मिल जाते हैं, लेकिन एक समाचार तो इस प्रकार का जाता है, जिससे लगता है कि सैनिकों का समान सरकार प्रशासन की नजर में बिल्कु खत्म हो चुका है। इसी तरह का एक समाचार हरियाणा के सफीदों उपमंडल से सामने आया है। यहां के प्रशासन के दिल में सैनिकों के प्रति कोई इज्जत नहीं बची हैं। इसका स्पष्ट उदाहरण यहां देखने को मिला जब मृतक सैनिक के अंतिम संस्कार के समय प्रशासन का कोई नुमाइंदा नहीं पहुँचा
उल्लेखनीय है कि सफीदों नगर का निवासी सैनिक जयभगवान (42) पिछले करीब १२ साल से आर्मी के आर्मड सप्लाई कोर विभाग में गुजरात के कच्छ क्षेत्र में कार्यरत था तथा एक प्रशिक्षण के दौरान उसका निधन हो गया। सेना के कंपनी कमांडर लेफटीनेंट कर्नल रोहित सेठी का शोक संदेश लेकर सूबेदार एस.एल. यादव सूबेदार बावल चेतिया अपनी सैनिक टुकड़ी के साथ तिरंगे में लिपटे सैनिक जयभगवान के शव को लेकर सफीदों पहुंचे तथा सैनिकों ने अपने साथी के संस्कार के समय उसके सम्मान में हवा में गोलियां दागकर उसे सलामी दी। इस भाव भरे दृश्य को देखकर उपस्थित लोगों की आंखें भर आई लेकिन स्थानीय प्रशासन के किसी भी नुमाइंदे ने दुख व्यक्त करना तो दूर श्मशानघाट की तरफ झांकने की भी जहमत नहीं उठाई। सैनिक की मौत की खबर पूरे क्षेत्रभर को थी तथा जिसे भी सैनिक की मौत का पता चला वह श्मशानघाट की तरफ दौड़ पड़ा लेकिन सफीदों प्र्रशासन सैनिक को अंतिम विदाई देने की औपचारिकता निभाने के लि
भी अंतिम विदाई में शरीक नहीं हुआ। सबसे अहम बात यह है कि जिस श्मशान घाट में सैनिक का संस्कार किया गया वह श्मशान घाट मिनी सचिवालय से मात्र कु गज दूरी पर था। सैनिक का पूरे मानसम्मान के साथ अंतिम संस्कार हो गया लेकिन साथ ही एक प्रश्न छोड़ गया कि एक सैनिक देश की सुरक्षा के लिए अपने घरपरिवार से दूर होकर अपनी जान तक को न्यौछावर कर देता है उसका यही हश्र होता रहेगा? प्रशासन संस्कार में तो दूर उसके बाद भी सैनिक के परिवार के पास जाकर उसके दुख में शामिल नहीं हुआ लेकिन सैनिक के अंतिम संस्कार के लिए यहां पहुंची सैनिक टुकड़ी के प्रभारी अधिकारी सुबेदार एस एल यादव ने शहीद के परिजनों के साथ बैठक करके उनसे अनुरोध किया कि वे शहीद के आश्रितों को हर संभव सहयोग संरक्षण दें। उन्होंने भी आश्र्वासन दिया कि विभागीय जिमेदारियों से ऊपर उठाकर वह भी समय समय पर सैनिक के परिवार के सदस्यों का हालचाल जानने आते रहेंगे। उन्होंने अपनी कंपनी की तरफ से कंनी कमांडर लैटीनैंट कर्नल रोहित सेठी द्वारा जारी ख् रुपए की राशी का चैक तथा आर्मी वैलफैयर एसोसिएशन की तरफ से २० हज़ार रुपए की राशी का चैक मृतक सैनिक की पत्नी ऊषा को दिया।

18.9.09

सोलो डांस में भारती और राधा ने बांधा समां

जींद:- राजकीय महिला महाविद्यालय में बृहस्पतिवार को वार्षिक प्रतिभा खोज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें कालेज की 1600 छात्राओं ने भाग लिया तथा 52 छात्राओं ने नृत्य, मोनो एक्टिंग तथा गायन में प्रस्तुत की प्राचार्य डा. एसके आहुजा मुख्यातिथि के रूप में मौजूद थे। प्रतियोगिता का शुभारंभ डा. पीआर गर्ग ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। मंच संचालन डा. रमेश कुमार गर्ग ने किया। कविता गायन में रिंकू, शैफाली एवं सारिका क्रमश: प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय रही। वाद-विवाद प्रतियोगिता में ज्योति महेश प्रथम, सारिका द्वितीय एवं सोमा ने तृतीय स्थान पाया। पेंटिंग प्रतियोगिता में कविता ने प्रथम, कविता द्वितीय तथा सारिका तृतीय रही। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में पूनम प्रथम, रितु द्वितीय तथा रिता तृतीय रही। नृत्य प्रतियोगिता में हिंदी, पंजाबी एवं राजस्थानी प्रस्तुतियां देकर छात्राओं ने सभी उपस्थितजनों को मंत्रमुग्ध कर दिया तथा कालेज के मैदान में तथा चारों तरफ उपस्थित जनसमूह को अनुशासित करने के लिए पुलिस विभाग के अधिकारियों ने भरपूर सहयोग दिया। नृत्य प्रतियोगिता में भारती तथा राधा ने प्रथम पुरस्कार संयुक्त रूप से प्राप्त किए। प्रीति, रिक्षा ने संयुक्त रूप से द्वितीय तथा कुसुम ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। गायन प्रतियोगिता में रिंकू, राधा और कविता ने क्रमश: पहला, दूसरा तीसरा स्थान पाया। राजेश्वरी कौशिक, पीएस परमार तथा शीला हिया ने निर्णायक की भूमिका निभाई। मुख्यातिथि डा. एसके आहुजा ने छात्राओं को आश्वस्त किया कि अगले साल इस प्रतियोगिता का आयोजन नए विशाल भवन के बहुत बडे़ प्रांगण में किया जाएगा। इस अवसर पर पीएस परमार, डा. वजीर सिंह, बलवान सिंह, डा. रमेश गर्ग आदि मौजूद थे।

टच स्क्रीन के जरिए मतदाताओं को मिलेगी जानकारी

जींद(हरियाणा) : मतदाताओं की सुविधा के लिए जिला चुनाव कार्यालय में टच स्क्रीन जल्द लगाई जाएगी। इस पर एटीएम की तरह टच करने पर मतदाता को जानकारी उपलब्ध हो जाएगी। इस टच स्क्रीन पर मतदाता अपने नाम तथा परिवार के अन्य मतदाताओं के संबंध में जानकारी हासिल कर सकेगा। मशीन को चुनाव कार्यालय में रखा जाएगा, जहां कोई भी मतदाता इसके प्रयोग से जानकारी हासिल कर सकता है। यह एटीएम की तरह काम करती है। इस स्क्रीन की विशेषता यह होगी कि इसमें डेमो की सुविधा दी गई है अर्थात इस स्क्रीन पर इसे कैसे प्रयोग में लाना है, के बारे में भी जानकारी है। मशीन अपने प्रयोग का तरीका भी सुझाती है। इसमें एटीएम की तरह स्क्रीन को टच करना होता है। सबसे पहले विधानसभा क्षेत्र का विकल्प दिया है अर्थात आप कौन से विधान क्षेत्र की वोटर लिस्ट देखना चाहते है, उसे स्क्रीन को टच करके स्क्रीन पर लाना होता है। इसके बाद आप जिस भी गांव व शहर के वोटर है, उसका नाम एल्फाबेटिकली क्रम लाकर उसी वर्ण के आगे स्क्रीन को टच करेगे तो आप के गांव व शहर का नाम आ जाएगा। इस प्रकार एक मतदाता के घर में कितने वोटर है, उनके नाम भी एक कोने में आ जाएंगे। मतदाता से संबंधी सारी जानकारी जैसे नाम, आयु, मतदान केंद्र का नाम, लिंग आदि स्क्रीन पर आ जाएगी। इसे चलाने की प्रक्रिया बिल्कुल आसान है। कम पढ़ा-लिखा आदमी भी इसका प्रयोग आसानी से कर सकेगा। सही मायने में तो यह मशीन ही बता देती है कि इसका प्रयोग कैसे करना है। सुरक्षा की दृष्टि से इसे एटीएम का रूप दिया गया है। एक खूबसूरत एटीएम नूमा लकड़ी का माडल बनाकर इसमें इस स्क्रीन को स्थापित किया गया है। इसमें कंप्यूटर की तरह माउस की जरूरत नहीं है बल्कि सारी प्रक्रिया के लिए स्क्रीन को हाथ की उंगली से स्पर्श करना होता है। इस स्क्रीन को चुनाव के बाद अन्य कार्यो में भी प्रयोग लाया जा सकता है। जिला सूचना अधिकारी एमजैडआर बदर ने बताया कि टच स्क्रीन चुनाव कार्यालय में लगाई जाएगी। नए मतदाताओं की सूची अपडेट होने के बाद डाटा पूरा होने के बाद चंडीगढ़ से आएगा। उसके बाद डाटा अपग्रेड करके चुनाव कार्यालय में टच स्क्रीन लगा दी जाएगी। इस मशीन को आसानी से चलाया जा सकता है। कम पढ़ा-लिखा व्यक्ति आसानी से इस मशीन को चलाकर जानकारी हासिल कर सकता है।

17.9.09

जनता - जानवर या जनार्दन ?

जनता जानवर है या जनार्दन या भगवान । यह तो हमारे देश के नेता तय करते हैं । वक़्त वक़्त के हिसाब से नजरिया बदलता है । चुनाव के समय जब वोट की आवश्यकता होती है तब तो जनता जनार्दन अथवा भगवान् होती है बाकी समय तो जानवर होती है और यही सोच को हमारे विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर ने जग जाहिर कर ही दी है की देश की इकोनोमी क्लास जिसमे जनता सफर करती है को केटल क्लास ( अर्थात जानवर के स्तर की श्रेणी ) कहकर । और यह सही भी तो है जो दिल मैं जनता के प्रति भाव है वह तो वाही तो मंत्री जी के श्रीमुख से बाहर निकला है की जनता जानवर के समान है । जिस पर क़र्ज़ का जितना बोझ डालों और ख़ुद उस क़र्ज़ के पैसे से खर्चीली जीवन शैली अपनाओं , अपने मन मुताबिक कानून को अपनी मुट्ठी मैं रख जनता को जैसा चाहे हांको , अव्यवस्था , मंहगाई और असुरक्षा के ख़राब माहोल मैं जनता को जानवर जिंदगी जीने हेतु छोड़ दो और ख़ुद पाँच सितारा और आराम जिन्दगी जियो । बस दो वक़्त की रोजी रोटी जुटाने हेतु उसकी जिन्दगी को खपा दो ताकि उसके पास न तो उनकी करतूत देखना का वक़्त हो और न ही देश के बारे मैं कुछ सोचने और पूछने का समय मिले ।

तो जनता के प्रति इस तरह की सोच रखने वाले नेताओं और जनप्रतिनिधियों और मंत्रियों से जन हित और जन कल्याण की अपेक्षा की जा सकती है । क्या इस तरह से पाँच सितारा होटलों मैं रहने वाले और वातानुकूलित खर्चीली यात्रा करने वाले , ऐशो आराम वाली जिन्दगी जीने वाले मंत्रियों से आम जनता के हितों के अनुरूप नीतियों के निर्धारण और क्रियान्वयन की उम्मीद की जा सकती है । जो आम लोगों के बीच न रहकर और जाकर उनके जीवन और जीवन शैली मैं झाँकने का प्रयास न करे और उन्हें और उनकी जिन्दगी की तुलना जानवर से करके देखे , क्या ऐसे व्यक्ति आम लोगों की समस्या और आवश्यकता से अच्छी तरह से रूबरू और वाकिफ हो सकता है । क्या ऐसे नेता आम जनता के सच्चे प्रतिनिधि हो सकते हैं ।

जरूरत है ऐसे जनप्रतिनिधि को पहचानकर इन्हे संसद , विधानसभा अथवा सरकार मैं जाने से रोका जाए और ऐसे जनप्रतिनिधि को चुना जाए जो जनता को जानवर नही अपितु जनार्दन समझे , जो जनता के हमदर्द हो और जनता के दुःख दर्द और मुसीबत मैं काम आए , लोगों की भावना और आवश्यकता के अनुरूप काम करें ।