आप अपने क्षेत्र की हलचल को चित्रों और विजुअल समेत नेटप्रेस पर छपवा सकते हैं I सम्पर्क कीजिये सेल नम्बर 0 94165 57786 पर I ई-मेल akbar.khan.rana@gmail.com दि नेटप्रेस डॉट कॉम आपका अपना मंच है, इसे और बेहतर बनाने के लिए Cell.No.09416557786 तथा E-Mail: akbar.khan.rana@gmail.com पर आपके सुझाव, आलेख और काव्य आदि सादर आमंत्रित हैं I
मातेश्वरी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
मातेश्वरी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

14.11.09

बस एक एहसास की ज़रूरत है.

आदरणीया माता स्वरूपणी निर्मला जी से मुलाक़ात और उनके लेख पर ...
क्या नाम दूँ उस पाकीजा रिश्ते को, जो हमारे बीच कायम हुआ है? मै और मेरी पत्नी जब आपसे मिले, उस दौरान का एक-एक क्षण हमारी स्मृतियों में हमेशा बसा रहेगा।
मुझे उस पल का एहसास नही भूल सकता, जब आप दरवाज़े पर खड़ी होकर हमारे आने इंतज़ार कर रहीं थी बचपन में जब मै स्कूल से पढ़कर आता था तो मेरी बड़ी बहन ऐसे ही मेरी राह देखा करती थी।

आपकी हर बात में मातृत्व का मुलायम स्पर्श था। मै सोच रहा हूँ कि आखिर वह रब यें रिश्ते कैसे बना देता है....किसी से हर रोज़ की मुलाक़ात भी औपचारिक रहती है और किसी से पल भर का मिलना सदा के लिए दिल में जगह घेर लेता है।

आपसे विदा लेते हुए जो आर्शीवाद आपने दिया, उस समय मानो ये लगा कि सभी सांसारिक तथा अध्यात्मिक माताएं हमें दुआएं दे रही हैं।

नेटप्रेस पर छपा आपका लेख "एक कतरा बचपन चाहिये" पढ़कर आपका यह बेटा आपको एक सलाह देने की गुस्ताखी कर रहा है कि बराहे मेहरबानी उन बेशकीमती नेमतों से वंचित न रहिये, जो खुदा ने आपको बख्शी हैं। माताश्री ! मैंने उस दिन "आपकी" जी हाँ, इस शब्द पर फिर से गौर कीजिये कि "आपकी" तीन पुश्ते देखी. आपकी नाती के रूप में आपका बचपन आपके पास है.

आपको तो "एक कतरा बचपन चाहिये" था. जबकि आपके पास जीने के लिए पूरा बचपन है.....बस एक एहसास की ज़रूरत है.