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11.12.10

कोन जज भ्रष्ट हे , यह पब्लिक हे सब जानती हे

देश में कोन जज कितना भर्स्ट हे और कोन कितना ईमानदार हे , यह पब्लिक हे सब जानती हे अंदर क्या हे बाहर क्या हे सब जानती हे जी हना यह किसी फ़िल्मी गाने की लाइन या डायलोग नहीं हे बलके देश की सुप्रीम कोर्ट की टिप्प्प्नी हे जो उन्होंने देश की एक इलाहाबाद हाईकोर्ट की याचिका की सुनवाई के दोरान की हे ।
दोस्तों पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के जज मार्कड काटजू पर श्रीमती ज्ञान सुधा मिश्रा ने अपने एक फेसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़सलों में गंदगी और भ्रस्ताचार की बदबू देख कर सर पकड़ लिया था और टिप्पणी की थी के देश की कुछ न्यायालय आज अंकल सिड्रोम के दोर से गुजर रहे हें और इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकील और जज के नापाक रिश्ते आम हो गये हें , सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज तिलमिला गये और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दायर कर इस टिप्पणी को निकालने की मांग की बस इस याचिका की सुनवाई के दोरान इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकील साहब के तर्क सुन कर सुप्रीम कोर्ट के जज काटजू आप खो बेठे और कहने लगे के वकील साहब देश की जनता हे देश की पब्लिक हे सब जानती हे के कोन जज कितना भ्रष्ट हे उन्होंने कहा के इलाहाबाद के सभी जज भ्रष्ट नहीं हें लेकिन वहां क्या चल रहा हे सब जानते हें , जस्टिस काटजू ने कहा के अगर आज में भ्रष्ट हो जाऊँगा तो जनता को पता हे के कोन कितना भ्रष्ट हे , सुप्रीम कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट की पुनर्विचार याचिका ख़ारिज कर दी हे कहने को तो यह महज़ एक फेसला हे लेकिन इस फेसले में देश का दुःख देश का दर्द देश की अस्त व्यस्त कानून व्यवस्था छुपी हे और जब इस दर्द से सुप्रीम कोर्ट के जजों की आत्मा कराह रही हे तो फिर आम जनता के दर्द का क्या आलम होगा कहते हें हर शाख पे भ्रष्ट बेठा हे अंजामे गुलिस्ता क्या होगा ................ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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