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29.4.11

अमीर-गरीब (लघु कथा)

शिष्य को चुपचाप बैठे देख गुरु ने उससे पूछा

गुरु : पुत्र कहाँ खोये हुए हो ?
शिष्य : गुरुदेव सामने खड़े रेहड़ीवाले को देख मन में कुछ विचार उमड़ रहे हैं.
गुरु : कैसे विचार पुत्र ?
शिष्य : यही कि रेहड़ीवाला गरीब है और अपना गुजारा परांठे की रेहड़ी लगाकर चलाता है.

गुरु : तो इसमें खास बात क्या हुई पुत्र ?
शिष्य : गुरु देव रेहड़ीवाला गरीब है फिर भी आगे पढ़ें...

25.4.11


 












इक उमर गुज़र गई बहारों के ख्वाब में
इक उमर गुज़र जाएगी एक पैग शराब में.

निगाहों की रौशनी मद्धम  हो गई है

जिगर  जूझ रहा ज़िंदगी के जवाब में.

ढूंढता है जवानी का जोश नादां

मुर्दों के कबाब में.

जमाले-ज़िंदगी को ज़ाहिल बना

ढूंढता है मन जमाल हुस्नो-शवाब में.

कैसे करूं यकीं उसका "प्रताप" मैं

कुछ भी नज़र न आये तुम सा जनाब में.


प्रबल प्रताप सिंह 

24.4.11

एक पत्र पोस्टमैन चचा के नाम

प्यारे पोस्टमैन चचा

सादर डाकस्ते!

इतने दिन बीत गये किन्तु तो आप आये ही कोई पत्र . वो भी क्या दिन थे जब आपसे नियमित भेंट होती रहती थी. खाकी वस्त्र धारण किये हुए साइकल पर सवार हो पत्रों का झोला टाँगे आप अचानक ही प्रकट हो जाते थे और दे जाते थे खट्टी-मीठी खबरों से भरा एक पत्र. आप मात्र सादा पत्र ही नहीं बल्कि साक्षात्कार पत्र नौकरी के नियुक्ति पत्र के रूप में हमारा भाग्य भी संग ले आते थे और कभी- मनी ऑर्डर द्वारा हमारी जेब भी भर जाते थे. हम सब आपकी उत्सुकता से प्रतीक्षा में आगे पढ़ें...

22.4.11

पाँच पी (P)

पाँच पी (P)
विश्व के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश भारत आज एक बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है शायद 60 सालों के शासन काल में आपका समय अब तक के सबसे बड़े घोटाले में फंसा है मनमोहन सरकार चारों और से घिरी है ऐसे में अन्ना हजारे सारे देश को ब्रह्स्त्ताचार से मुक्त करने की पहल कर चुके हैं और यह चिंगारी बहुत दूर तक जाने वाली है जिस तरह देश के युवा आगे आये हैं इससे ऐसा लगता है समय की बयार ईमानदारी की और बह रही है और यह विशालकाय लोकतान्त्रिक देश के लिए अच्छी बात है आज इस समय में पाँच चीजें हैं जिन पर में चर्चा करना चाहूँगा वो हैं पाँच पी (P) पहला पी (Progress) "प्रोग्रेस" दूसरा पी (Public) "पब्लिक" तीसरा पी (Politician) "राजनेतिक लोग" चोथा पी (Police) "पुलिस" आखिरी और पांचवां पी (Press) "प्रेस" इसमें से तीन पी - Politician's, Police & Press जो चौथे पी के लिए कार्य करते हैं अब थोडा सा सोचने की बात है ये तीनो अपने फायदे के लिए न सोच कर जनता के लिए व् पूरी ईमानदारी से कार्य करें तो में सम्हजता हूँ क़ि पांचवां पी अपने आप हमारे सामने होगा I
इसमें ईमानदारी तीनो की ही तो जरुरी है साथ ही साथ आम पब्लिक की भी ईमानदारी होनी बहुत जरुरी है I आज हर व्यक्ति स्वार्थी हो गया है सिर्फ अपना ही अपना सोचता है पडोसी जाय भाड़ में I जब तक ऐसा रहेगा कुछ भी अच्हा नहीं होने वाला I इसलिये हम चारों साथी (P) गीता पर हाथ रख कर कसम खाते हैं, में जो भी करूंगा ईमानदारी के साथ करूंगा I और देश की तरक्की में भागीदार हूँगा I

"पीयूष दादरी वाला"

भारतीय रेल :- सुरक्षा सें परें"

"भारतीय रेल :- सुरक्षा सें परें"
मेरा कोई लिखने का मुंड नहीं था, में एक कार्टूनिस्ट हूँ व् मेकेनिकल इंजिनियर हूँ और विश्व प्रसिद्ध कंपनी में कार्यरत हूँ लेकिन आजकल के हालात को देखते हुय मन क़ि अगन है वो पीड़ा बनकर कागजों पर उतरनी शुरु हो चुकी है I नितीश कुमार जी क़ि पहल पर भारतीय रेल पटरी पर आनी शुरू हुई थी तभी चुनाव हुय I सत्ता में आये लालू यादव को रेलवे का मंत्री बनाया गया I सारा श्रेय लालू जी ले गये लेकिन किस्मत में कुछ और लिखा था अगले चुनाव में नितीश जी बिहार के मुख्यमंत्री बन गये I बेचारा लालू जी खड़ा देखता रह गया किस्मत कहाँ किसको कब क्या दे और क्या ले ले, कुछ पता नहीं I मुख्यमंत्री ने ऐसी डबल दुलत्ती मरी बिहार क़ि जनता आज नितीश क़ि जय-जय कार कर रही है I वेसे में आपको यह बताता चलूँ व्यक्ति के नाम में भी बहुत कुछ है जेसे (एश्वर्या राय, अमर्त्य सेन, ज्योतिसुर्य, सिकंधर,) ध्यान से देखो कुछ समानता है और तीनो क़ि किस्मत एक साथ खुली, दूसरा उदाहरण (बिल गेट्स, बिन लादेन, बिल किल्न्तन) आप समझ गये होंगे, तीसरा उदाहरण (नरेन्द्र मोदी, नितीश कुमार) सो अब आपको सझ्माने क़ि जरूरत नहीं है I सत्ता बदली ममता बहन जी फिर रेल क़ि पटरी पर खडी हो गयी रेल मंत्रालय ही चाहिय I आप देख रहे हैं फिर वही पुरानी वाली रेल पटरियों पर चल रही है I जब से रेल मंत्री बनी हैं रेल दुर्घत्नायाने बढ गई हैं I अभी फ़िलहाल में अरुणिमा के साथ जो हुआ वह पुरे देश के लिए शर्मनाक है I अरुणिमा के सपने टूट ; गये भारत का एक होनहार खिलाडी शयद अब बैशाखी का सहरा लेकर चले I यहां एक बात एक बात और यद् दिलाना चाहता हूँ भारत के दो किरकेटरों ने एक - एक लाख रुपये दिए वाकई बहुत अच्छी बात हैं उनके मन में कंहीं न कंहीं कुछ रहा होगा (लोगों दुआरा क्रिकेट विश्व कप जितने पर इनामो क़ि बोछारो का विरोध करना) यहाँ एक बात लिखना बहुत जरुरी है हर डिब्बे में लिखा होता है "यात्री अपने सामान क़ि सुरछा खुद करें" अब रेलवे को प्लेटफार्म पर लिखना होगा I
"यात्री अपनी सुरछा खुद करें"

17.4.11

उपस्थिति (लघु कथा)

ठाकुर इज्ज़त सिंह अपने इलाके के माने हुए रईस ज़मींदार थे और इस बात का उन्हें घमंड भी था. इसलिए यूं ही कहीं जाने के लिए वह अपनी शानदार हवेली से नहीं निकलते थे.जब भी किसी रिश्तेदार के यहाँ कोई शादी अथवा अन्य कोई कार्यक्रम होता था तो अपने नौकर को अपने जूते देकर रिश्तेदार के यहाँ दावत खाने को भेज देते थे. नौकर उनके रिश्तेदारों से ठाकुर साब के जूतों को ही उनकी उपस्थिति मान लेने का आग्रह करता था.आगे पढ़ें...

16.4.11

गलती (लघु कथा )

कुछ लड़कियाँ एक लड़के को पीटने में लगी हुई थी तभी हवलदार बच्चू सिंह वहां पहुंचा और कड़क आवाज़ में उनसे पूछा, "अरे तुम सब क्यों पीट रही हो इसे?" "हवलदार साब मैं यहाँ से गुजर रही थी तो इसने पीछे से मेरी पीठ पर कंकड़ मारा और अश्लील गाना गया।" उसी भीड़ में से एक लड़की बोली. आगे पढ़ें

25.3.11

ब्लोगिंग में टीका टिप्पणी की दुनिया भी अजीब हे

दोस्तों यह ब्लोगिंग की दुनिया भी अजीब हे ब्लोगिंग की इस दुनिया में कभी ख़ुशी कभी गम तो कभी दोस्ती कभी दुश्मनी का माहोल गरम हे ब्लॉग की दुनिया में कई अच्छे अच्छे ऐसे लेखक हे जो स्थापित नहीं हो सके हें बहतरीन से बहतरीन लेखन बिना टिप्पणी का अनटच पढ़ा रहता हे जबकि एक सामान्य से भी  कम घर गृहस्ती का न समझ में आने वाला लेखन दर्जनों टिप्पणिया ले जाता हे . 
ब्लोगिंग की दुनिया यह पक्षपात या रोग हे जिसे अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग भी कहा जा सकता हे मेरे एक दोस्त जो हाल ही के नये ब्लोगर हें उन्होंने बहतर से बहतर लेखन पर भी टिप्पणिया नहीं आने का राज़ जब मुझसे पूंछा तो में निरुत्तर था इन ब्लोगर जनाब की खुद की कम्पुटर की दूकान हे साइबर केफे हे सो इन्होने सभी ब्लोगर्स जो रोज़ अपने लेखन पर दर्जनों टिप्पणियाँ प्राप्त करते हें प्रिंट आउट निकलवाकर कई साहित्यकारों पत्रकारों से जंचवाया  सभी ने जो लेखन दर्जनों टिप्पणी प्राप्त कर चुके थे उन्हें स्तरहीन ,व्यक्तिगत और मनमाना लेखन माना लेकिन जो लेखन एक भी टिप्पणी प्राप्त नहीं कर सका था उसको बहतरीन लेखन बताया यह ब्लोगर जनाब मेरे पास सभी की राय और सेकड़ों प्रिंट आउट लेकर आये में खुद सकते में था में समझ नहीं पा रहा था के इन नये जनाब ब्लोगर भाई को बेहतरीन लेखन के बाद भी टिप्पणियाँ क्यों नहीं मिल पा रही हे में सोचता रहा ब्लोगिंग की दुनिया में फेले जिस रोग से में भी पीड़ित हूँ में भी गिव एंड टेक के एडजस्टमेंट का बीमार हूँ और मेरी जिन पोस्टों को अख़बार की दुनिया ने सराहा हे पाठकों ने सराहा हे उन्हें भी प्रारम्भ में ब्लोगिंग की दुनिया में किसी ने देखना भी मुनासिब नहीं समझा खेर में तो लिखने के जूनून में व्यस्त हूँ में पीछे मुड़कर देखना नहीं चाहता लेकिन मुझे इन नये काबिल पत्रकार ब्लोगर को तो जवाब देना था उनका  सवाल में एक बार फिर दोहरा दूँ आखिर बहतर लिखने वाला अगर पूल में शामिल नहीं हे तो उसे वाह और टिप्पणिया क्यूँ नहीं मिलती और जो स्तरहीन निजी लेखन हे उन पर भी पूल होने के बाद दर्जनों टिप्पणियाँ केसे मिल जाती हे तो जनाब इस सवाल का जवाब देने के लियें मेने एक तकनीक अपनाई और वोह नीचे अंकित हे. 
जनाब  हमारे कोटा में एक गुमानपुरा इलाका हे यहाँ एक मिठाई की और इसी नाम से नमकीन की मशहूर दूकान हे इस दूकान पर ब्रांड नेम बिकता हे दूकान के नाम से ही मिटाई बेशकीमती होती हे और लोग लाइन में लग कर इस दूकान से महंगी मिठाई खरीद कर ले जाते हें में इन ब्लोगर भाई को पहले इस दूकान पर मिठाई खिलाने ले गया वहन की दो तीन मिठाइयाँ टेस्ट की और भाव ताव किया एक कागज़ पर हर मिठाई का नाम और कीमत लिखी , फिर में इन जनाब को इंदिरा मार्केट ब्रिज्राज्पुरा एक दूकान नुमा कारखाने पर ले गया उनकी मिठाई की भी दूकान हे और मकबरा थाने के सामने एक ठेला भी लगता हे लेकिन सारी मिठाई इसी कारखाने में कारीगर बनाते हें मेने और इन जनाब ब्लोगर भाई ने इस दूकान पर वही महंगी दुकान वाली मिठाइयों के भाव पूंछे टेस्ट किया मिठाई वही थी लेकिन कीमत आधी थी जो मिठाई यहाँ दो सो से तीन सो रूपये किलो की थी वोह मिठाई इस गुमानपुरा की दूकान पर ६०० से एक हजार रूपये किलो थी मेने इन जनाब को बताया देखो मिठाई वही हे ब्रांड का फर्क हे जो मिठाई कम कीमत में भी कोई नहीं पूंछ रहा वही मिठाई महगी दुकान पर लोग लाइन लग कर ले रहे हें हम बाते कर ही रहे थे के इतनी देर में एक जनाब आये और वोह इस कारखाने का बना सारा माल एक टेम्पो में भर कर यहाँ से इसी सस्ते दामों में अपनी महंगी दूकान पर ले गये यानी इस कारखाने में जो मिठाई बन रही थी वही मिठाई कम कीमत देकर अपने ब्रांड से अपने डिब्बे में महंगे दामों में बेचीं जा रही थी मेरी इस तरकीब से नये ब्लोगर भाई को तुरंत बात समझ में आ गयी के ब्लोगर की दुनिया में भी अच्छा और बेहतर लेखन नहीं केवल और केवल ब्रांड ही चलता हे पूल बनता हे ग्रुप बनता हे और एक दुसरे को उठाने एक दुसरे को गिराने का सिलसिला चलता हे लेकिन मेने उनसे कहा के में आपकी बात से सहमत नहीं हूँ यहाँ कुछ बुरे हें तो बहुत सरे लोग इतने अच्छे हें जिनकी मदद से आप जर्रे से आफताब बन सकते हो और मेने उन्हें कुछ मेरे अनुभव मेरे अपने गुरु ब्लोगर भाईयों के किस्से मदद के कारनामे सुनाये तो यह जनाब थोड़े संतुष्ट हुए अब हो सकता हे के यह जनाब भी मेरे गुरु ब्लोगरों से सम्पर्क करे अगर ऐसा हुआ तो मुझे यकीन हे के मेरे गुरु ब्लोगर इन जनाब की मदद कर मेरे भरोसे को और मजबूत बनायेंगे और एक ऐसा वातावरण तय्यार करेंगे जिससे कोई अच्छा लिखें वाला छोटा ब्लोगर खुद को उपेक्षित और अकेला न समझे तभी इस ब्लोगिंग के कुछ दाग हट सकेंगे ............................. . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

22.3.11

त्योहार एक, मानाने के ढंग अनेक...!

होली मुबारक...!! 
होली के अवसर पर अमर उजाला कॉम्पैक्ट में विभिन्न कनपुरिया समाजों की होली...पढ़ें...और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं से हमें अभिसिंचित करें...!!













प्रबल प्रताप सिंह