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6.1.11

कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती में फर्जीवाड़ा

हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में छात्रों को कप्युटर शिक्षा देने के लिये नियुक्त किये गए कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। यह फर्जीवाड़ा में इन शिक्षकों को नियुक्त करने वाली कंपनी ने खुद अपने ही बनाए नियमों को उलंघन किया वहीं हजारों बेरोजगारों को लाखों का चुना लगाया। इस बात का खुलासा आर.टी.आई. के तहत मांगी गई सुचना के बाद हुआ है। सुचना के अनुसार कपनी ने जिन शिक्षकों को नौकरी पर लगाया है उनमें से अधिकतर कपनी द्वारा घोष्ति परिक्षा परिणाम में शामिल ही नहीं थे। कपनी के अधिकारियों ने सांठगांठ करके दुसरें लोगों को नियुक्त कर दिया। उल्लेखनीय है कि कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए सरकार ने एनआईसीटी कपनी को ठेका दिया था। ठेके के तहत कपनी को कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती करनी थी। कपनी ने शिक्षकों की भर्ती के लिए बकायदा पांच सौ रूपये के ड्राफट के साथ आवेदन मांगे। जिसमे हजारों व्यक्तियों ने आवेदन फार्म भरें तथा कपनी ने उनकी लिखित परीक्षा भी ली। जिनके परिणाम इंटरनेट की वेबसाइट पर भी डाले गए। इसके बाद परीक्षा उतीर्ण करने वालों को साक्षात्कार के लिए भी आमंत्रित किया गया लेकिन बाद मे जिलास्तर पर नियुक्त कपनी के अधिकारियों ने अपनी मर्जी से शिक्षकों को नियुक्त लिया। जबकि परीक्षा उतीर्ण करने वालों को नियुक्त ही नहीं किया गया। सरकार के नियमों के अनुसार कपनी द्वारा योग्य लोगों को इस पद पर लगाया जाना था ताकि छात्रों को सही कंप्यूटर शिक्षा दी जा सके लेकिन यदि आरटीआई के तहत मिली सुचना और कपनी द्वारा जारी परीक्षा पास लोगों की लिस्ट का मिलान किया जाए तो आंकड़े चौकाने वाले निकलते है।अकेले जिला जींद मे साठ प्रतिशत से ज्यादा ऐसे स्कूलों में कपनी द्वारा नियुक्त शिक्षक है जिन्होंने ना तो लिखित परीक्षा पास की और ना ही साक्षात्कार दिया। लेकिन सांठगांठ करके इन्हे नियुक्त कर दिया गया। सफीदो खंड मे कंपनी द्वारा नियुक्त ग्यारह शिक्षकों में से नौ शिक्षक बिना लिखित परीक्षा पास किए लगा दिये गये। वहीं पिल्लूखेड़ा खंड के स्कूलों में दस में से पांच शिक्षक फर्जी तौर पर नियुक्त किये गए। यही नहीं अलेवा खण्ड मे नियुक्त ग्यारह में से तीन तथा नरवाना मे बीस में से दस कप्युटर शिक्षक इसी तरह नियुक्त किये गये। यह तो केवल चार शिक्षा खण्डों का हाल है बाकी तीन खण्डों की सूचना अभी बाकी है। ऐसे मे सवाल यह उठता है कि यदि कपनी को इसी तरह से नियुक्ति करनी थी तो लिखित परीक्षा तथा साक्षात्कार का ड्रामा रचने की या जरुरत थी। कपनी की इस प्रक्रिया से आवेदन करने वाले हजारों आवेदकों को लाखों रुपये का चूना भी लग गया। वहीं आरटीआई लगाने वाली कुसुम के अनुसार कपनी के अधिकारीयों ने पैसे लेकर अवैध रुप से नियुक्ति की है। इस मामले मे कपनी के जिला अधिकारी अशोक शर्मा से इस मामले बात करनी चाही तो उन्होने इसे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात बताया।