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10.11.11

डूबकर मर जाओ आर.एस.एस. वालो !!!!!

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने बेच दी जमीन
अब कहां शाखा लगाएंगे स्वयंसेवक ?
पुराने स्वयंसेवकों ने लगाए संघ उच्चाधिकारी करोड़ो के घोटाले के आरोप
विरोध में आर.एस.एस.कार्यकर्ता हुए

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के लिए इससे बड़ी डूब मरने वाली या बात होगी कि उसने हरियाणा प्रांत के सफीदों कस्बे में अपनी ही जमीन को ही बेच डाला। इस जमीन को बेचने के पीछे संघ को पैसे की जरूरत बताया जा रहा है। या राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इतनी कंगाल हो गई है कि उसे अपनी कंगाली दूर करने के लिए अपनी जमीन बेच डाली? अब सफीदों कस्बे के स्वयंसेवकों के सामने यह प्रश्न खड़ा हो गया है कि वे अपनी संघ की शाखा कहां पर लगाएंगे। आर।एस.एस. यह कहती नहीं थकती कि वह हिंदू समाज के उत्थान युवाओं के चरित्र निर्माण का कार्य करती है। इस जमीन के बिक जाने के बाद यह बात साफ हो गई कि आर.एस.एस. हिंदू समाज का बंटाधार करने में लगी हुई है। सफीदों की नहर पुल के समीप खाली पड़ी जमीन को कथित तौर पर बोली करवाकर बेच दिया जाना जहां क्षेत्रवासियों के गले नहीं उतर रहा, वहीं संघ के कुछ पुराने संघ कार्यकर्ताओं ने जमीन को बेचने की प्रकिया को असंवैधानिक बताया और इस जमीन की खरीद फिखरोत में भारी गोलमाल की आशंकाएं जताई है तथा कथित तौर पर करवाई जमीन की बोली में संघ के स्थानीय कार्यकर्ताओं की नाराजगी ने संघ के उच्च पदाधिकारी को भी संदेह के कटघरें में खड़ा कर दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार क्षेत्र में बढ़ रही अवैध कालोनियों की भरमार में अब राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ सफीदों शाखा की जमीन भी बली चढ़ गई। शहर के नहर पुल के पास खाली पड़ी लगभग 1600 गज जमीन पिछले कई वर्षें से क्षेत्र के भूमाफियाओं की नजरों में खटकी हुई थी। प्रोपटी बाजार के जानकारों की माने तो लगभग 15 करोड़ रूपये की यह जमीन केवल मात्र साढ़े 8 करोड़ में प्रदेश राष्ट्रीय स्तर के उच्च अधिकारियों ने स्थानीय कार्यकर्ताओं से मिलीभगत सहयोग से बेच दी गई। बताया जाता है कि शहर भर में चर्चा का विष्य बनी इस जमीन के वैसे तो खरीददार बहुत थे, लेकिन गुपचुप तरीके से संघ के अधिकारियों ने इस जमीन को महज केवल मात्र साढ़े 8 करोड़ रूपये में सफीदों शाखा को दान में मिली जमीन को बेच दिया गया। बताया जाता है कि किसी ने स्थानीय नहर पुल के समीप पड़ी खाली जमीन 1962 में शहर के ही नरसिंह दास ने तीन कनाल आठ मरले जमीन राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ सफीदों को दान दी थी। जिसको स्थानीय कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने मिलीभगत कर संघ की ही एक अन्य संस्था डा. हेडगेवार समिति को 2007 में इस जमीन को सुपुर्द कर दिया। तभी से इस जमीन पर काले बादल मंडराने लगे थे। इस जमीन से पहले भी लगभग दो मरले जमीन को बेच दिया गया था। इस जमीन के हुए कथित तौर पर करोड़ो के घोटाले के मामले में संघ के ही कुछ पुराने कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोल दिया है।
संघ के कार्यकर्ताओं ने लगाए करोड़ों के घोटाले के आरोप
इस संदर्भ में लगभग 30 साल से संघ में काम कर रहे कार्यकर्ता शिवचरण ने आरोप लगाए कि क्षेत्र के कुछ
कार्यकर्ताओं ने संघ के उच्च अधिकारियों से मिलकर इस जमीन को सौदा कर दिया और बोली कर इस जमीन को
लगभग साढ़े 8 करोड़ में बेच दिया गया। इस बोली में शहर के किसी भी व्यक्ति को सूचना नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि इस की सूचना अगर होती तो इस जमीन की कीमत ओर बढ़ सकती थी। जिससे करोड़ो की इस जमीन में करोड़ों के ही घोटाले की बू रही है। इस बोली की प्रक्रिया भी संदेहपूर्ण है। जिसके चलते संघ कार्यकर्ता संदेह के घेरे में आते है। इस विष्य पर विरोध प्रकट करने के लिए आगामी रविवार को नाराज कार्यकर्ताओं द्वारा एक बैठक भी की जा रही है।
कैसे हुई करोड़ो की जमीन की बोली?
संघ की इस जमीन की बोली करवाने की प्रक्रिया पर उस वक्त स्वालिया निशान लग गया जब संघ द्वारा इस बोली की सूचना सार्वजनिक नहीं की गई। करोड़ो रूपये की जमीन की बोली करवाने आए अधिकारियों ने स्थानीय खांसर चौंक पर स्थित संघ के ही एक स्कूल के एक बंद कमरव् बोलीदाताओं को बैठाया गया और बताया जाता है कि बोली देने पहुंचे चुनिंदा लोगों ने आपस में ही पूल करके साढ़े 8 करोड़ में जमीन को लेने का फैसला ले लिया और संघ के अधिकारियों को खुश करने के लिए 11 लाख रूपये की राशी भी दी गई। जबकि प्रोपटी बाजार के जानकारों की माने तो लगभग इस जमीन की किमत 15 करोड़ रूपये आंकी जा रही है।
वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को भी नहीं दी बोली की सूचना
संघ की इस जमीन की बोली करवाने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए संघ के उच्च अधिकारियों ने स्थानीय वरिष्ठ कार्यर्ताओं को भी बोली में बुलाना मुनासिब नहीं समझा गया। इस संदर्भ में संघ के नगर कार्य वाहक जयप्रकाश, प्रचारक संजीव शर्मा जितेन्द्र जैन सहित अनेक कार्यकर्ताओं ने अपनी दबी जुबान में बताया कि इस बोली के विष्य में वे कुछ नहीं जानते और ही उनके पास इसकी सूचना थी। इस संदर्भ में संघ के नगर कार्यवाहक जयप्रकाश ने जानकारी देते हुए कहा कि इस बोली के विष्य में पहले भी बैठक तो हो चुकी थी, लेकिन बोली के समय पर वह नहीं जा सका। जब उनसे बोली की सूचना सार्वजनिक करने के बारें में पुछा गया तो उन्होंने टालमटोल करते हुए कहा कि अधिकारियों ने फोन पर ही सूचना दे दी थी।

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