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10.8.11

  कला का "नगीना" जिसे जौहरी का इंतज़ार
- अँधेरी गलियों में चमक रहा कला का जुगनू
 - मोमबत्ती केधुंए से पेंटिंग बनाने में  महारथ 
- सुलभ शौचालय में नौकरी करके जुटाता है कला को जिंदा रखने के खर्च
 - कक्षा छह तक पढ़ाई की





















अपनी धुंए की पेंटिंग के साथ राजेश.

कानपुर|   इसे कला जगत की बदनसीबी ही कहेंगे कि चित्रकला का बेहतरीन कलाकार अँधेरी गलियों में जुगनू की तरह चमक रहा है. ये कानपुर की खुशनसीबी है की इस जुगनू का जन्म यहाँ हुआ. इस उम्र में चित्रकला के क्षेत्र में राजेश निषाद ने उपलब्धि तो खूब हासिल की लेकिन वह मुकाम नहीं मिला जिसके वे हकदार हैं.
                राजेश निषाद कला की दुनिया का वह नगीना है जिस पर किसी जौहरी की निगाह नहीं पड़ी है. मोमबत्ती के धुंए से तस्वीर बनाना, माडर्न आर्ट और क्लिअर आर्ट में राजेश को महारथ हासिल है. कक्षा छह तक पढ़ाई करने वाले राजेश की पेंटिंग देखकर कोई यह साबित नहीं कर सकता है की वह किसी डिग्रीधारक से कम होगा. साँस रोककर मोमबत्ती के धुंए से बने पेंटिंग वाकई लाजवाब है. 

































  मोमबत्ती  के धुंए से बनाई डॉ. कलाम के तस्वीर के राजेश.

नारी  दुर्दशा, नेताओं के गिरफ्त में भारत, गरीबी और ममता जैसे विषयों को चित्रों के माध्यम से दर्शाना उसकी ज़हीन मानसिकता को दर्शाता है.





















  ममता की अद्भुत मिसालभरी चोत्रकारी.






































को लक्ष्मीपुरवा के मंगली प्रसाद के हाता में पैदा हुआ यह कलाकार बचपन से ही कला का शौक़ीन था, स्कूल तो  जाता था लेकिन पास के ही सुशील पेंटर देखता था. यही वजह है कि वह कक्षा छह तक ही पढ़ सका. पिता की छोटी सी पान की दुकान में तीन भाई और दो बहनों का बचपन आर्थिक तंगी में बीता. आज वह हाते में सुलभ शौचालय में कर महीने में आठ हज़ार रूपये महीने कम लेता है. इन रुपयों से वह कला को जीवित रखने के लिए खर्च करता है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महावीर निषाद का पौत्र राजेश बदहाली में ज़िन्दगी गुज़ार रहा है. 
       बकौल राजेश कई बार बड़े मंचों से ईनाम देने के लिए उसे बुलावा आया लेकिन पुरस्कार किसी दूसरे को मिला. राजेश बताते हैं कि लखनऊ के ललित कला केंद्र में फिल्मकार मुजफ्फर अली ने लोगों से उसकी पेंटिंग की तारीफ़ की लेकिन ईनाम और किसी को मिल गया.
  राजेश बड़ी जगहों पर चले तो जाते हैं लेकिन उन्हें अपनी कला को प्रदर्शित करने में डर लगता है. उनका कहना है कि सरकार उसे १५ दिन की थ्योरी की क्लास दिलवा दे जिससे वह किसी को अपनी पेंटिंग को उनकी शब्दावली में समझा सके.
     अब उन्हें इंतज़ार है १७ नवम्बर २०११ का. मुंबई के नेहरू कला केंद्र में उनकी पेंटिंग प्रदर्शनी के लिए चयनित हुई है जहां तीन अम्बानी, आमिर खान जैसे देश के तमाम मशहूर हस्तियाँ शिरकत करने वाली हैं. दुनिया में मशहूर जहाँगीर आर्ट गैलरी में राजेश ने अपनी पेंटिंग की सीडी भेजी है. दिसंबर में होने वाली प्रदर्शनी में अगर उनकी सीडी चयनित हो गई तो शहर में लोग उन्हें पहचानने लगेंगे.
शायद इन दोनों  में से किसी एक जगह इस नगीने को उसका जौहरी मिल जाए. आमीन...
                                ( लेखक --सुहेल खान, पत्रकार, अमर उजाला मोबाइल- ९६७५८९७५३7 )



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