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9.2.11

देवराज सिरोहीवाल द्वारा लिखित रागमय हरियाणा पुस्तक का हुआ विमोचन

सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी देवराज सिरोहीवाल द्वारा लिखित पुस्तक रागमय हरियाणा का विमोचन रोहतक के महर्ष्ि दयानंद विश्र्वविनालय के परिसर में किया गया। इस अवसर पर एक समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्यातिथि जानेमाने पत्रकार एवं पूर्व कुलपति (महानिदेशक) माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता संस्थान भोपाल राधे श्याम शर्मा ने कहा कि भारत के ग्रामीण विकास में पत्रकारिता की सशक्त भूमिका ने विशेष्कर रेडियो ने ग्रामीण लोक जीवन को खेत, खलिहान से लेकर घर आंगन के बीच अपनी छाप छोड़ी जिसकी वजह से सूचना क्रांति के दौर में अतुलनीय भारत का समूचा दर्शन कलम के सिपाहियों की बदौलत अपनी पहचान वैश्र्िवक प्रतिस्पर्धा में कायम कर पाया है। रव्ड़ियों कल भी प्रासंगिक था और आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि राधे श्याम शर्मा ने कहा कि भले ही पत्रकारिता आज मिशन से व्यवसाय बन गई है और पत्रकारिता के मूल्य में निरंतर बदलाव रहा है। नईनई चुनौतियां पत्रकारिता के सामने रही है फिर भी लोकतंत्र के स्तभ के रूप में सजग पत्रकारिता की रचनात्मक भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। पत्रकार और लेखक या साहित्यकार समाज की संवेदनाओं और जीवन मूल्यों से बेखबर नहीं होते वे पलपल हो रहे परिवर्तनों को आत्मसात करते है। उबेद नियाजी जाने माने प्रसारक और जर्मन में हिन्दी के प्रचारप्रसार में आकाशवाणी के भारत की ओर से प्रतिनिधि रहे ने कहा कि समाज के निर्माण में अपनी सुहाती खबरों और रचनाओं से समाज और व्यवस्था को केवल सजग करते है बल्कि उसे पटरी पर लाने के लिए आगाह भी करते है। उन्होंने कहा कि रव्ड़ियों रूपक लेखन विधा एक अनुपम विधा है जिसके लिखने वाले कम होते जा रहे है। दूरदर्शन हिसार के निदेशक विजय राजदान ने कहा कि रूपक लेखन अपने आप में बेजोड़ है जिसमें समाज में हो रहे बदलावों को दस्तावेज के रूप में नाटकीय पुट देकर श्रोताओं को कुशलतापूर्वक जोड़ना लेखक की कलम की सफाई है जो श्रृंगार रस, विरह और घटनाओं व्यक्तित्व जैसे किसी भी विषय को तानाबाना बुनकर रूपक के रूप में ढालना एक चुनौती भरा कार्य लेखक के सामने होता है। आकाशवाणी जालंधर एवं रोहतक के पूर्व केन्द्र निदेशक धर्मपाल मलिक ने कहा कि सिरोहीवाल अपने आप में पिछले फ् दशकों का ऐसा कलमकार है जिसने रूपक रचनाओं को निशुद्ध रूप से रव्ड़ियों के लिए लिखा और श्रोताओं को केवल मनोरंजन दिया बल्कि सूचनाओं को भी दिलचस्प तरीके से परोसा। उन्होंने कहा कि यह रेडियो का ही चमत्कार है कि पहले पहल दौर में दक्षिण भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में रेड़ियों ने सूचना की ऐसी क्रांति लाकर खड़ी कर दी कि किसानों ने धान की एक उन्नत बीज को रव्ड़ियों राईस के नाम से लोकप्रिय बनाया। अंत में रागमय पुस्तक के रचयिता रव्ड़ियों प्रसारक देवराज सिरोहीवाल ने अतिथियों का धन्यवाद करते हुए लेखक के मर्म को अपने ही शदों में यां करते हुए कहा कि वे उर्दू के पालने में पले, हिन्दुस्तानी में चले और जवां होकर हिन्दी में लिखने लगे। उम्र के भ्म् वें बसंत में मैं रागमय पुस्तक की रचना को लेकर गद्गद्हूं जो हरियाणा के अनेक गांवों को रागों के नाम से पहचान देती है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी अपने लिखित संदेश में रागमय हरियाणा पुस्तक के बारव् में लेखक सिरोहीवाल की भूरिभूरि प्रशंसा की है और हरियाणा की लोकजीवन की झांकी का इसे रव्ड़ियों दस्तावेज बताया है। डॉ के.के .खण्डेलवाल विाायुक्त एवं प्रधान सचिव सूचना जनसपर्क, एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग हरियाणा ने भी अपने संदेश में रागमय हरियाणा की पुस्तक कृति के लिए सराहना की है और इस अनूठी पहल के लिए लेखक को बधाई दी है।

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