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30.11.10

उल्‍टे अक्षरों से लिख दी भागवत गीता

मिरर इमेज शैली में कई किताब लिख चुके हैं पीयूष : आप इस भाषा को देखेंगे तो एकबारगी भौचक् रह जायेंगे. आपको समझ में नहीं आयेगा कि यह किताब किस भाषा शैली में लिखी हुई है. पर आप ज्यों ही शीशे के सामने पहुंचेंगे तो यह किताब खुद--खुद बोलने लगेगी. सारे अक्षर सीधे नजर आयेंगे. इस मिरर इमेज किताब को दादरी में रहने वाले पीयूष ने लिखा है. इस तरह के अनोखे लेखन में माहिर पीयूष की यह कला एशिया बुक ऑफ वर्ल् रिकार्ड में भी दर्ज है. मिलनसार पीयूष मिरर इमेज की भाषा शैली में कई किताबें लिख चुके हैं. उनकी पहली किताब भागवद गीता थी. जिसके सभी अठारह अध्यायों को इन्होंने मिर इमेज शैली में लिखा. इसके अलावा दुर्गा सप्, सती छंद भी मिरर इमेज हिन्दी और अंग्रेजी में लिखा है. सुंदरकांड भी अवधी भाषा शैली में लिखा है. संस्कृत में भी आरती संग्रह लिखा है. मिरर इमेज शैली में हिन्दी-अंग्रेजी और संस्कृत सभी पर पीयूष की बराबर पकड़ है. 10 फरवरी 1967 में जन्में पीयूष बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं. डिप्लोमा इंजीनियर पीयूष को गणित में भी महारत हासिल है. इन्होंने बीज गणित को बेस बनाकर एक किताब 'गणित एक अध्ययन' भी लिखी है. जिसमें उन्होंने पास्कल समीकरण पर एक नया समीकरण पेश किया है. पीयूष बतातें हैं कि पास्कल एक अनोखा तथा संपूर्ण त्रिभुज है. इसके अलावा एपी अधिकार एगंल और कई तरह के प्रमेय शामिल हैं. पीयूष कार्टूनिस् भी हैं. उन्हें कार्टून बनाने का भी बहुत शौक है. piyushdadriwala 09654271007

28.11.10

बच्चों व बड़ों के परिश्रम से सफल रही चित्रकला प्रतियोगिता-२०१०

बच्चों के अपने खास दिन बाल दिवस(१४ नवंबर,२०१०) पर शोभना वैलफेयर सोसाइटी रजि. द्वारा एंड्रयूज गंज स्लम सोसाइटी रजि.(आर्थिक नहीं) के सहयोग से राम प्रसाद बिस्मिल पार्क, एंड्रयूज गंज, नई दिल्ली में चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. जिसमें लगभग २०० बच्चों ने बढ़-चढ कर भाग लिया. इस प्रतियोगिता के मुख्य अतिथि थे सूचना भवन के तकनीकी निदेशक श्री एम. नजीरुद्दीनविशेष अतिथि थीं क्षेत्र की निगम पार्षद श्रीमती सविता गुप्ता. चित्रकला प्रतियोगिता के पश्चात रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया.जिसका शुभारंभ श्री विनोद बोहोट के सुरीले गीतों से हुआ. हास्य कलाकार श्री गुरजिंदर सैनी ने विभिन्न प्रकार की आवाजें निकाल कर बच्चों को खूब हँसाया. श्री राजेंद्र कलकल (कवि व इस प्रतियोगिता के जज) तथा श्री रंजीत चौहान ने अपनी-२ रचनाओं के माध्यम से सभी का मनोरंजन किया. इस पूरे कार्यक्रम के प्रबंधक व दिल्ली पुलिस के हास्य कवि श्री सुमित प्रताप सिंह ने अपनी चिर-परिचित शैली में कविता पाठ करके बच्चों व बड़ों को आनंदित किया. सी.एन.ई.बी. चैनल द्वारा इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया.रंगारंग कार्यक्रम के पश्चात सभी विजेताओं को पुरस्कार व सभी बच्चों को रिफ्रेशमेंट दिया गया. शोभना वेलफेयर सोसाइटी रजि. की अध्यक्षा श्रीमती शोभना तोमर ने इस प्रतियोगिता को सफल बनाने के लिए सभी अतिथिगणों , सभी स्वयंसेवकों व एंड्रयूज गंज स्लम सोसाइटी को धन्यवाद दिया व सभी बच्चों को खूब पढ़ने व आगे बढ़ने को प्रेरित किया.

27.11.10

ब्रिटेन में कम होते जा रहे रोजगार के मौके.

ब्रिटेन में आर्थिक मंदी और आर्थिक पुनरुद्धान में सुस्ती के कारण रोजगार के मौके कम होते जा रहे हैं। इस के मद्देनजर ब्रिटिश गृहमंत्री टेरेसा मेए ने हाल ही में जानकारी दी कि सरकार ने योजना बनाई है कि अगले साल अप्रैल से ब्रिटेन में नौकरी पाने के लिए आने वाले विदेशियों की संख्या पर और अधिक सख्त नियंत्रण लगना शुरू होगा।

ब्रितानी राजकीय सांख्यकी ब्यूरो के हालिया आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2009 में नौकरी पाने के लिए ब्रिटेन आए विदेशियों की संख्या 1 लाख 90 हजार से ज्यादा थी,जो 2008 से करीब 30 हजार कम है। सरकारी योजना के अनुसार ब्रिटेन में पढाई पूरी करने के बाद 2 सालों के प्रैक्टिस के लिए छात्रों को वीजा देने पर भी सख्त नियंत्रण लगाया जाएगा।

मेरी ट्रेड फेयर यात्रा

प्रगति मैदान में ट्रेड फेयर आरंभ हो चुका है यह समाचार जनसंपर्क साधनों व जासूस मित्रों द्वारा मेरे कानों तक पहुँच चुका था. कई बार मेला देखने का विचार किया था किन्तु कोई न कोई काम होने के कारण नहीं जा सका. माताश्री कई दिनों से व्यापार मेले में जाने के लिए कह चुकी थीं. मैंने भी सोचा कि जब श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता को अपने कन्धों पर डोली लटकाकर तीर्थयात्रा करवा डाली तो मैं क्या अपनी मैया को ट्रेड फेयर में भी नहीं घुमा सकता. इस प्रकार एक दिन दृढ निश्चय कर माता श्री को अपनी फटफटिया पर बिठाकर मैं ट्रेड फेयर की यात्रा करवाने चल पड़ा. अब आपके मन में ये विचार कौंध रहा होगा कि श्रवण कुमार की भांति मैं माता-पिता दोनों को एक साथ ट्रेड फेयर की यात्रा पर क्यों नहीं ले गया. तो हुज़ूर इसका भी कारण है. मेरे पिता श्री तो दूसरों (जेबकतरों,चोरों व अन्य अपराधी) को यात्रा(जेल की) करवाते हैं फिर मैं उनका तुच्छ पुत्र ट्रेड फेयर की यात्रा के लिए उनके इस सुकार्य में कैसे बाधा ( डालने का साहस कर सकता हूँ. कुछ समय के पश्चात मैं व माताश्री प्रगति मैदान पहुँच गए. पार्किंग में अपनी फटफटिया को पटक कर हम ट्रेड फेयर के प्रवेशद्वार पर पहुंचे. वहाँ हमारा स्वागत पुलिस में कार्यरत एक महिला द्वारा बुरी तरह चिल्लाकर किया गया. प्रवेश द्वार से भीतर जाने के उपरान्त जब मैंने माता श्री से पुलिसवाली द्वारा इस प्रकार अभद्रता प्रकट करने पर खिन्नता प्रकट की तो माता श्री ने इसका कारण बताया कि वह शायद अपने घर में कोई परेशानी झेल रही होगी अथवा अपनी ड्यूटी से तंग होगी. मैंने कहा कि फिर सरकार पर अहसान क्यों कर रही है जब बस की नहीं है तो नौकरी क्यों नहीं छोड़ देती. खैर हम आगे बढे. मैं आज्ञाकारी पुत्र की भांति माताश्री के पीछे-२ चला जा रहा था. सर्वप्रथम हम दिल्ली के पांडाल में घुसे. अत्यधिक भीड़ थी.कुछ समय बाद ऐसा लगा कि दम घुट जाएगा. बड़ी मुश्किल से हम बाहर निकले. अंदर क्या-क्या देखा कुछ भी याद न रहा. बाहर निकल माता श्री ने इलेक्ट्रोनिक्स सामान के पांडाल की और इशारा किया. हम वहाँ की ओर चल पड़े. नए-२ प्रकार के सामानों के दर्शन हुए.वहाँ चीन के बने सस्ते व घटिया सामान पर जनता टूट पड़ रही थी. शायद उन्हें इसका अनुमान न था कि इन सामानों से हुई आय से चीन भारत के जवानों के सीने छलनी करने के लिए गोलियाँ बनाएगा. इसके पश्चात हम खादी के पांडाल की ओर चल पड़े. सामने देखा तो पुलिसवाले कुछ लड़कों को पीटते हुए ला रहे थे. पता करने पर ज्ञात हुआ कि वे लड़की छेड़ रहे थे. शायद लड़की छेड़ते समय वे यह भूल गए थे कि जिस नारी जाति का वो अपमान कर रहे थे उसी की कोख से ही उनका जन्म हुआ था. खादी भण्डार में भिन्न-२ प्रकार के खादी वस्त्रों से भेंट हुई. यदि महात्मा गाँधी जीवित होते तो वो भी खादी के इतने सारे रूप देखकर दंग रह जाते.वहाँ से निकले तो सामने पाकिस्तान का पांडाल दिखा. हमने सोचा कि चलो इस मुएँ पाकिस्तानी पांडाल की भी खैर-खबर ले ली जाये.भीतर बहुत भीड़ थी. कोई वहाँ का सामान लेने का इच्छुक न था.ऐसा लगता था कि जैसे सभी भारतीय मात्र पाकिस्तानियों को डराने के एकमात्र उद्देश्य से ही वहाँ पहुंचे थे. यह भारतीयों की पाकिस्तानी व्यापारियों को घूरती आँखों को देखकर प्रतीत हो रहा था. पूरा पांडाल डर के मारे थर-२ काँप रहा था.वहाँ से निकलकर हमने उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश की संस्कृति देखी. राजस्थान, पंजाब तथा दक्षिण भारतीय राज्यों को भी निकट से जाना. अब हम बिहार के पांडाल में थे. वहाँ से माता श्री ने कुछ चूड़ियाँ खरीदीं.बिहार के व्यंजनों का स्वाद लेने की इच्छा हुई. हमने लिट्टी चोखा खाया किन्तु उसमें हमने धोखा ही खाया क्योंकि वह बिलकुल बेस्वाद था.हम थोड़ा और आगे बड़े तो सामने हिमाचल प्रदेश का पांडाल था. मेरे मना करने के बावजूद माता श्री मुझे साथ ले गयीं. वहाँ आनंद आया.हिमाचल की चाय मजेदार थी.जी किया कि काश! ऐसी चाय सदैव पीने को मिले.रात होनेवाली थी. ठण्ड भी बढ़ गयी थी. मैं माता श्री को संग लेकर अपनी फटफटिया पर सवार हो घर की ओर निकल पड़ा. माता श्री अत्यधिक प्रसन्न थीं व ट्रेड फेयर फिर से(अगले वर्ष) देखने की इच्छा जता रही थीं.

25.11.10

....लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक,




हज
एक ऐसी अजीमुश्शान इबादत और फ़रीज़ा जिसके हर अमल से इश्क और मोहब्बत और कुरबानी का इज़हार होता है एक मुसलमान के लिए अपने रब से मोहब्बत का इज़हार करते हुए दुनिया की हर चीज़ को छोडकर सिर्फ और सिर्फ दो बिना सीले हुए कपड़ो में यानी कफ़न पहने सच्चे आशिक बनाकर तमाम तकलीफों और मुसीबतों को खुशी के साथ बर्दाश्त करते हुए अल्लाह की खुशनूदी और रज़ा लेकर उसके दरबार में हाज़िर होता है उस पाक दरबार में अपने आपको अल्लाह की इबादत में समेट लेता है हज को आना एक फ़रीज़ा तो है ही हर मुसलमान इस पाक जगह पर पहोचने के लिए अपनी ज़िन्दगी की कमाई को इकठ्ठा करता है दुनिया की सारी जिम्मेदारियों से फारिग होकर अपने को अल्लाह के सुपुर्द करता है जो न किसी कर्जदार रहता है हाजी जब अपने को अहेराम में समेट लेता है उस पर तभी से सारी पाबंदीया शुरू हो जाती हैं
और हाजी अल्लाह से इन पाबंदीयों को निभाने का वादा करता है
जैसे की …..
१) अहेराम की हालात में किसी जीव-जंतु को मारना नहीं
२) शिकार करना नहीं है
३) हरी घास या पेड़ काटने नहीं हैं
४)खुशबु लगाना नहीं है
५) नाखुन काटना नहीं है
६) शारीरीक सम्बन्ध बनाना नहीं है
“लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक, लब्बैक ला शरीका लाका लब्बैक इन्नल हमदा व नेअमता लाका वाला मुल्क ला शरीक लाका
( हाज़िर हु अय अल्लाह आपका कोई शरीक नहीं मैं हाज़िर हु सारी तारीफें और सब नेअमते आपही के लिए हैं और सारी दुनिया पर हुकुमत आपकी ही है हुकुमत में आपका कोई शरीक नहीं
”दिया हुआ तो उसी का है मगर हक तो यहाँ है की हक अदा हो जाये”
”तूं नवाबा है तो तेरा करमा है वरना, तेरी ताअतों का बदला मेरी बंदगी नहीं’
मैं अपने आप को बहोत ही नसीबदार मानती हूँ की अल्लाह ने मुझ पर अपने करम की इनायत अता की

20.11.10

उल्‍टे अक्षरों से लिख दी भागवत गीता







उल्‍टे अक्षरों से लिख दी भागवत गीता
: मिरर इमेज शैली में कई किताब लिख चुके हैं पीयूष : आप इस भाषा को देखेंगे तो एकबारगी भौचक्‍क रह जायेंगे. आपको समझ में नहीं आयेगा कि यह किताब किस भाषा शैली में लिखी हुई है. पर आप ज्‍यों ही शीशे के सामने पहुंचेंगे तो यह किताब खुद-ब-खुद बोलने लगेगी. सारे अक्षर सीधे नजर आयेंगे. इस मिरर इमेज किताब को दादरी में रहने वाले पीयूष ने लिखा है. इस तरह के अनोखे लेखन में माहिर पीयूष की यह कला एशिया बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकार्ड में भी दर्ज है. मिलनसार पीयूष मिरर इमेज की भाषा शैली में कई किताबें लिख चुके हैं.
उनकी पहली किताब भागवद गीता थी. जिसके सभी अठारह अध्‍यायों को इन्‍होंने मिरर इमेज शैली में लिखा. इसके अलावा दुर्गा सप्‍त, सती छंद भी मिरर इमेज हिन्‍दी और अंग्रेजी में लिखा है. सुंदरकांड भी अवधी भाषा शैली में लिखा है. संस्‍कृत में भी आरती संग्रह लिखा है. मिरर इमेज शैली में हिन्‍दी-अंग्रेजी और संस्‍कृत सभी पर पीयूष की बराबर पकड़ है. 10 फरवरी 1967 में जन्‍में पीयूष बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं.
डिप्‍लोमा इंजीनियर पीयूष को गणित में भी महारत हासिल है. इन्‍होंने बीज गणित को बेस बनाकर एक किताब 'गणित एक अध्‍ययन' भी लिखी है. जिसमें उन्‍होंने पास्‍कल समीकरण पर एक नया समीकरण पेश किया है. पीयूष बतातें हैं कि पास्‍कल एक अनोखा तथा संपूर्ण त्रिभुज है. इसके अलावा एपी अधिकार एगंल और कई तरह के प्रमेय शामिल हैं. पीयूष कार्टूनिस्‍ट भी हैं. उन्‍हें कार्टून बनाने का भी बहुत शौक है.
piyushdadriwala 09654271007