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31.10.10

प्रशासन ने लौहपुरूष् पटेल को भुलाया

सफीदों (हरियाणा) : सफीदों प्रशासन ने भारत के प्रथम उपप्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री लौहपुरूष् सरदार बल्लभ भाई पटेल को अपने शदकोष् से ही मिटा दिया है। ऐसा लगता है प्रशासन को या तो देश के प्रति उनके योगदान की जानकारी नहीं है वरना नागक्षेत्र कीर्तन हाल में मनाए जा रहे संकल्प एवं सद्‌भावना दिवस के मौके पर उनको भूलने की यह चूक नहीं होती। 31 अटूबर को जहां पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि है वहीं भारत को एकता के सूत्र में बांधने वाले लौहपुरूष् सरदार बल्लभ भाई पटेल का जन्मदिवस भी होता है। इस अवसर पर इंदिरा गांधी को भावभीनी श्रृद्धाजंलि देने के बाद अगर सरदार बल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन पर वहां मौजूद प्रशासन एवं अन्य अधिकारी उनके प्रति दो शब्द समर्पित करते जब सही मायनो में यह कौमी एकता एवं सद्‌भावना दिवस प्रतीत होता। प्रशासन द्वारा जारी प्रैस विज्ञप्ति में भी इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि को छोड़कर सरदार बल्लभ भाई पटेल का जिक्र तक नहीं किया गया। अगर हमारें महापुरुषों के योगदान को इसी प्रकार गौण रखा जाएगा तो आने वाले पीढ़ियों से हम किसी भी प्रकार की कौमी एकता एवं सद्‌भावना की उमीद नहीं कर सकते है।

खुले में शौच करने वालों पर पड़ेगी बैटरी की रौशनी

गाँवों में स्वच्छता रखने के लिए प्रशासन की कवायद
सफीदों (हरियाणा) : कागजी उपलधियों व शौचालयों के निर्माण मे हेराफेरियों के लिए पिछले कई सालों से चर्चित रहे सपूर्ण स्वच्छता अभियान के प्रति जिला जींद प्रशासन ने फिर से जागा है। जब सपूर्ण स्वच्छता के लिए प्रचार से काम नहीं चला तो अब जिला प्रशासन को केवल बैटरी का ही सहारा रह गया है। खुले में शौच जाने की आदत से मजबूर ग्रामीणों के लिए बुरी खबर है। जिला प्रशासन द्वारा जिले को साफ और स्वच्छ बनाए रखने के लिए चलाए गए सपूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत ग्राम स्तर पर बनाई गई निगरानी कमेटियों को एक बार फिर सक्रिय किया गया है। खुले में शौच जाने की प्रथा को रोकने के लिए जिला प्रशासन द्वारा ग्राम स्तर पर बनाई गई कमेटी के सदस्यों को प्रत्येक गांव में पांच टोपी, पांच बैटरी तथा पांच सीटियों की किट उपलध करवा दी गई है। इन कमेटियों के सदस्य सुबह व शाम गांव में खुले में शौच जाने वाले लोगों पर नजर रखेंगे और उन्हें ऐसा करने से रोकेंगे।
गौरतलब है कि गांवों मे अनेक गरीब परिवारों के पास घर मे शौचालय उपलध नहीं है और इनकी महिलाएं गांव के आसपास शौचादि के लिए विवश हैं। अतिरिक्त उपायुक्त डा० जे गणेशन ने इस बारें बताया कि खुले में शौच जाने की प्रथा को रोकने एवं सपूर्ण जिले को स्वच्छ करने के उदेश्य से ग्रामीण क्षेत्रों में घरों में शौचालय निर्माण कार्य जारी हैं।

23.10.10

भैंसा बना क्षेत्र में चर्चा का विषय


सफीदों, (हरियाणा) : हरियाणा के सफीदों विधानसभा क्षेत्र के गांव रत्ताखेड़ा में रहने वाले किसान राममेहर सिंह का अढ़ाई साल का मुर्राह नस्ल का भैंसा शेरू अपनी कद काठी तथा नस्ल के साथसाथ अपनी लगी अढ़ाई लाख रुपए की कीमत के कारण आसपास के क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है लेकिन भेंसें के मालिक ने अपने पशुबाड़े की शान तथा ग्रामीणों के आग्रह पर उसे बेचने से मना कर दिया। शेरू अब गांव की शान बना हुआ है। भैंसे के मालिक राममेहर सिंह ने बताया कि शेरू की खुराक में हर रोज छः लीटर दूध, चार किलोग्राम चना, दो किलोग्राम बिनौला तथा दो किलोग्राम गेहूं शामिल है। शेरू की लंबाई तेरह फुट तथा ऊंचाई साढ़े पांच फुट और वजन पांच सौ किलोग्राम है। कुछ दिन पूर्व एक पशुपालक ने शेरू की कीमत अढ़ाई लाख रुपए लगाई थी लेकिन ग्रामीणों द्वारा शेरू के बेचे जाने का आग्रह किए जाने पर उसने बेचने से मना कर दिया। उसने बताया कि शेरू मुर्राह नस्ल का भैंसा है। शेरू को मुर्राह नस्ल संरक्षण अभियान के तहत पशु पालन विभाग ने संरक्षित किया हुआ है और उसे टैग लगाया गया है। समयसमय पर पशुपालन विभाग के चिकित्सक शेरू की जांच के लिए आते रहते हैं। गांव के सरपंच सुशील सैनी ने बताया कि शेरू अब गांव की शान है। शेरू की लगी कीमत से केवल पशुपालक को याति मिली बल्कि गांव को भी पहचान मिली है। शेरू ग्रामीणों के लिए प्रेरणा बना हुआ है कि अच्छी किस्म के पशु पालकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। पशु चिकित्सक सुशील रोहिला ने बताया कि शेरू को पशुपालन विभाग द्वारा टैग किया गया है। शेरू मुर्राह नस्ल का उत्तम भैंसा है। उसके सिमंस पशुपालन विभाग द्वारा अन्य किसानों को उपलध करवाए जाते हैं। अच्छे किस्म के पशु पालना पशुपालको के लिए लाभ का सौदा है।

13.10.10

ग़ज़ल 

















बेसबब दर्द कोई बदन में
यूं पैदा होती नहीं प्यारे.

गर समझ होती दर्द की
चारागर की जरूरत होती नहीं प्यारे.

गरीब होना क्या गुनाह है
अमीरी किसी की करीबी होती नहीं प्यारे.

सुन ओ मेरे वतन से रश्क करने वाले
मां हमारी रश्क के बीज बोती नहीं प्यारे.

कितना बढाऊँ हाथ आशनाई का '' प्रताप ''
एक हाथ से तो ताली बजती नहीं प्यारे.

प्रबल प्रताप सिंह

11.10.10

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