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23.6.10

महिला खेत पाठशाला का पहला सत्र


आज महिला खेत पाठशाला का पहला सत्र निडाना गावँ में डिम्पल पत्नी विनोद के खेत में शुरू हुआ | सुबह आठ बजे ही महिलाओं का पहला जत्था कपास की खेती के प्रशिक्षण हेतु इस खेत में पहुच चूका था | महिलाओं का यह पहला जथा अपने साथ पिने के पानी का भी जुगाड़ करके लाया था | महिलाएं इस नई किस्म की पाठशाला के लिए आज गीत गाते हुए खेत में पहुंची थी | गीत के बोल थे, " बगड़ो-मनियारी हे! मनै लगै प्यारी हे!! हमनै खेत में बैठी पाईये हे! म्हारी बाड़ी के कीड़े खाईये हे!!!!" डा सुरेन्द्र दलाल के लिए भी यह एक नये किस्म का अनुभव था| पुरुषों में तो किसी भी पाठशाला में इतना हौंसला व चाव उसने नहीं देखा था| डा.दलाल ने उपस्तिथ महिलाओं को इस पाठशाला के उदेश्य विस्तार से बताये| इसके राजनितिक मायने महिलाओं को समझाते हुए किसान और कीटों की इस अंतहीन जंग में बेहतर सैनिकों के रूप में विकसित होने कि अपील की| उन्होंने हरियाणा में लड़ी गई सबसे भयंकर जंग महाभारत व इस किट्टीया जंग की तुलना करते हुए महिलाओं को बताया की महाभारत की लड़ाई इतनी भयावह थी कि आज भी हिन्दू इस जंग कि किताब को अपने घर में रखते हुए डरते हैं| लेकिन फिर भी यह लड़ाई सिर्फ अठारह दिन में अपने मुकाम पर पहुँच गई थी| पर यह किसान -कीटों की जंग पिछले पच्चीस सालों से रुकने का नाम नही ले रही| इन दोनों जंगों के मुख्य अन्तरो पर चर्चा करते हुए डा.दलाल ने बताया कि महारत की लड़ाई में दोनों पक्षों को एक दुसरे का पूरा भेद था| पांडवों को कौरवों की पूरी पहचान, पुरे भेद व एक-एक कमजोरियों का इल्म था| इसीतरह कौरवों को भी पांडवों के बारे में ज्ञात था| जबकि इस कीटों व किसानों की आधुनिक जंग में किसानों व इनके नेतृत्व को कीटों की पूरी पहचान व भेद मालूम नही है|दूसरा मुख्य फर्क हथियारों को लेकर है|महाभारत में हर योद्धा के पास दो तरह के हथियार थे- एक तरह के वो जो दुश्मन को मारने के लिए तथा दुसरे अपना खुद का बचाव करने के लिए| लेकिन आज हमारे किसानों के पास तो सिर्फ कीटों को मारने के हथियार भर ही हैं अर् वो भी बेगाने| इसीलिए तो यह जंग ख़त्म होने का नाम नही ले रही| अत: हमारी इस पाठशाला में मिलजुल कर सारा जोर कीटों की सही पहचान व इनके भेद जानने पर रहेगा|
डा.दलाल ने महिलाओं को मांसाहारी व शाकाहारी कीटों के बारे में बताया| चुसक व चर्वक किस्म के कीटों बारे बताया| इसके बाद महिलाये अवलोकन व निरिक्षण के लिए पांच-पांच की टोलियों में कपास के खेत में उतरी| हरेक टोली के पास छोटे-छोटे कीट देखने के लिए मैग्नीफाईंग-ग्लास था| एक घंटे की माथा-पच्ची के बाद महिलाओं ने रिपोर्ट दी कि आज के दिन इस कपास के खेत में हरे-तेले, सफ़ेद-मक्खी, चुरड़े व मिलीबग देखे गये हैं परन्तु इनकी संख्या काफी कम है|

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