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2.1.10

किसी भी युग में और किसी भी क्षेत्र में महिलाएं अपने को कमजोर न समझें !!


शारीरिक तौर पर पुरूषों से काफी कमजोर होते हुए भी महिलाएं मानसिक तौर पर बहुत ही सशक्‍त है। यह हमारा भ्रम है कि आज पढाई लिखाई के बाद महिलाएं  मजबूत हुई हैं , वास्‍तव में महिलाएं हर युग में , हर क्षेत्र में मजबूत रही हैं। तभी तो एक मर्द पत्‍नी की आकस्‍मिक मृत्‍यु या अन्‍य किसी बीमारी वगैरह में खुद को ही संभाल नहीं पाता , बच्‍चों के कष्‍ट की न सोंचकर वह दूसरे विवाह के लिए तैयार हो जाता है , वहीं एक महिला ऐसी स्थिति आने पर न खुद स्‍वयं को संभालती है , खुद सारे कष्‍ट झेलकर भी बच्‍चों को भी अपने और पिता के सपने पर खरा उतारती है। वह आज की तरह पढी लिखी हो , या अनपढ , गांवों में रहती हो या शहर में , कोई अंतर नहीं पडता , वह जो भी ठान लेती है , कर दिखाती है। इनकी इस खासियत को उसकी कमजोरी बना दिया जाए , तो इसमें महिलाओं का कोई कसूर नहीं ।

वैसे तो प्रकृति ने महिलाओं और पुरूष दोनो को एक दूसरे का पूरक बनाया है , पर वर्तमान में नहीं , किसी भी युग में कोई भी क्षेत्र महिलाओं से अछूता नहीं रहा। यदि समाज का दबाब न रहे तो अधिकांश महिला पुरूषों के बिना आराम से जीवन यापन कर सकती है , पर महिलाओं का सहारा लिए बिना अधिकांश पुरूषों का जीवन यापन मुश्किल है। यहां तक कि बलपूर्वक नारी को हासिल कर भी कोई पुरूष सुख का अनुभव नहीं कर सकता, उन्‍हें एक समर्पित नारी की ही आवश्‍यकता होती है। खासकर आनेवाली पीढी की जिम्‍मेदारी अच्‍छी तरह निभाने में महिलाओं की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता। नारी की उन्‍नति पर ही , नारी की प्रगति पर ही समाज और राष्‍ट्र को मजबूत बनाया जा सकता है।  इससे स्‍पष्‍ट है कि महिलाओं के बिना ये दुनिया एक कदम भी आगे नहीं बढ सकती, पूरा पढें

1 टिप्पणियाँ:

sahi kaha
sach kaha
__uttam aalekh.......

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