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25.1.10

मंगलमयी और ऐतिहासिक शादियां करवाकर मनाया शाह सतनाम जी महाराज का जन्मदिन

पूज्य गुरू जी की पावन उपस्थिति व लाखों की साध संगत की उपस्थिति में विवाह बंधन में बंधी 5 'शुभदेवियां'
सिरसा डेरा सच्चा सौदा के दूसरे गद्दीनशीन संत परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज का पावन जन्मदिवस डेरा सच्चा सौदा में धूमधाम से मनाया गया। इस पावन अवसर पर देश विदेश से करीब एक करोड़ की संख्या में साध संगत ने शिरकत की तथा पूजनीय संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन वचनों का श्रवण किया। इस पावन दिवस पर डेरा सच्चा सौदा ने एक और मंगलमयी व ऐतिहासिक शुरूआत करते हुए वेश्यावृति त्यागकर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने वाली युवतियों तथा किन्नरों के उद्धार के लिए डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाए गए महायज्ञ की पहली कड़ी वेश्यावृति की बुराई को त्याग कर समाज की मुख्य धारा में शामिल होने वाली 5 युवतियों की शादियां करवाई गई। पूज्य गुरू जी ने इन युवतियों को 'शुभदेवी' के नाम से नवाजा वहीं युवकों को पूज्य गुरू जी द्वारा पहले ही 'भक्तयोद्धा' की संज्ञा दी गई है। यह शादियां पूर्णत: गुप्त ढंग से करवाई गई। भंडारें के दौरान पूज्य गुरू जी ने आई हुई साध संगत को परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के जन्ममाह की बधाई दी। इस अवसर पर पूज्य गुरू जी ने कहा कि करीब डेढ माह पूर्व वेश्यावृति त्यागकर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने वाली युवतियों तथा किन्नरों के उद्धार के लिए डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाए गए महायज्ञ की पहली कड़ी की शुरूआत आज सच्चे मुर्शिदे कामिल परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के पावन जन्मदिवस से की जा रही है। उन्होने बताया कि समाज व मजबूरी ने जिनको वेश्या बना दिया तथा गलत नाम दिया। उनको डेरा सच्चा सौदा ने बेटियों और बहनों के रूप में अपनाया है। पूज्य गुरू जी ने आह्वान किया कि समाज वाले हरामखोरी के लिए वहां जाते है,उन्हे लाहनत है। संत जी ने कहा कि सच्चा रिश्ता पति पत्नी का रिशता है बाकी सब घोर पाप है। इस अवसर पर संत जी ने वेश्यावृति का धंधा करने वाली युवतियों से आह्वान किया कि वे बुराइयों को त्याग कर जीने की कला सिखे। शादी समारोह में बुराइयों का दलदल त्यागकर अपना घर परिवार बसाने की शुरूआत करने वाली युवतियों को पूज्य गुरू जी ने 'शुभदेवी' की उपाधि दी। पूज्य गुरू जी ने कहा कि वे ईश्वर, परमात्मा से प्रार्थना करते है कि ये जिस भी घर में जाए वहां खुशियां लाएं। इतिहास में पहली बार हुई इस तरह की शादी को पूर्णत गुप्त रखा गया। नवविवाहित युवक व युवती की पहचान पूर्णत: गुप्त रखी गई। करीब एक करोड़ लोगों की उपस्थिति में हुई इन शादियों में जहां युवतियों के चेहरों पर लाल रंग का बुर्का पहनाया हुआ था वहीं दुल्हों के चेहरे भी पूर्णत छुपाए हुए थे। 'शुभदेवी' के पिता के नाम के आगे पूज्य संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी का नाम उल्लेखित किया गया। इस अवसर पर स्वयं पूज्य गुरू जी ने नवविवाहित युवतियों को अपनी नेक कमाई से 25-25 हजार रूपये प्रदान किए। वही डेरा सच्चा सौदा के शाही परिवार के सदस्यों ने 1 लाख 25 हजार रूपये प्रदान किए। इसके अलावा 'शुभदेवी' को 25 सुट, लहंगा, गर्म कपड़े प्रदान किए गए वही 'भक्तयोद्धा' को 7 जोड़ी कपड़े, पेंट-कोट, जूते इत्यािद प्रदान किए गए। इस अवसर पर पांचों भक्त योद्धाओं के परिवारों ने शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स के भलाई फंड में 3 लाख 33 हजार रूपये बैंक में जमा करवाए इसके साथ ही परिजनों ने मरणोंपरात शरीरदान,नेत्रदान का प्रण लिया। इस ऐतिहासिक लम्हे के दौरान स्वयं पूज्य गुरू जी ने तालियां बजाकर इस लम्हे को और अधिक ऐतिहासिक बना दिया वहीं सत्संग पंडाल में उपस्थित साध संगत ने भी इस पावन अवसर पर नाच गाकर खुशियां मनाई।

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