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27.7.09

संतुष्टि किस बला का नाम है ?

कुछ दिनों पहले मुझे एक केस के सिलसिले मे चंडीगढ़ जाना पड़ गया। मेरे साथ कुछ और लोग भी थे. रास्ते में हम में से एक आदमी को करनाल के नजदीक मधुबन पुलिस लाईन में किसी काम से जाना था. हम दोपहर तक पुलिस लाईन के मुख्य गेट के बाहर पंहुच गए थे. जिस आदमी को वहां काम जाना था वह कार से उतरकर हमे यह कहकर अंदर चला गया कि तुम सभी यही रुको मै दस मिनिट मे काम निपटाकर आता हूँ। वह आदमी तो अपने काम से पुलिस लाइन मे चला गया और हम भी कार से उतरकर उसकी इंतजार करने लगे लेकिन गर्मी के कारण हमारी जान पर बन आई। कुछ ही मिनिटो मे हम पसीने से तरबतर हो गए. अधिक गर्मी को देखते हुए हमने फैंसला किया कि ए.सी. चलाकर कार मे बैठा जाए और पुलिस लाईन में गए साथी का इंतजार किया जाए . हम सभी कार मे ठंडक का आनंद लेने बैठे ही थे कि मेरी नजर पुलिस लाईन के मुख्य गेट के बाहर की दीवार पर चली गई। मैंने देखा कि उस दीवार पर एक आदमी बड़े आराम से सो रहा था। शायद वह कोई मजदूर होगा जो दोपहर मे आराम कर रहा होगा। लेकिन मै यह सोच सोचकर हैरान था कि वह आदमी इतनी गर्मी मे किस तरह से सो रहा है. मै सोच रहा था कि लोग बगैर पंखे, कूलर और ए.सी. के सोना तो क्या बैठ भी नहीं सकते. यह आदमी किस तरह से आराम से सो रहा है और वह भी खाली दीवार पर. लोगों को तो मोटे मोटे गद्दों पर भी नींद नहीं आती तो वह आदमी किस तरह से विपरीत परिस्थतियों में आराम फरमा रहा है . यह पूरा दृश्य देखकर मेरे दिमाग में सिर्फ़ एक ही सवाल उभरा कि संतुष्टि कहते किसे हैं और यह मिलती किन्हें है? एक व्यक्ति तो काँटों की सेज़ पर भी संतुष्ट है, जबकि दूसरा फूलों की सैय्या पर भी नही सो सकता। कोई तो बताये कि आख़िर संतुष्टि किस बला का नाम है?

4 टिप्पणियाँ:

इस शारीर को हम जितना आराम पसंद बनाते हैं उठाना ही ये सर पर चढ़ता है ! अगर हमें जबरदस्त नींद आ रही होती है | तभी अगर हमारे जोरदार सोने का इन्तजाम कोई करदे, नरम नरम गदा मन के अनुकूल मौसम तो नींद गायब हो जायेगी ,और अगर वही जहां बैठे हैं नींद लें तो अचानक नींद आ जायेगी |

kya baat hai !
bahut achha !

aayo re jab santosh dhan baba sab dhan dooree samaan.isiliye bolo santosh baba ki jai.
jhalli-kalam-se
jhallevichar.blogspot.com
angrezivichar.blogspot.com

संतुश्टि तो उसे ही मिलती है जो इस से प्या्र करता है और इस की हाँ मे हाँ मिलाता रहता है और हर आदमी तो इतनी आसानी से समर्पण नहीं कर सकता प्रिस्थितिओं के प्रति समर्पन ही संतुश्टि है आभार्

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