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23.7.09

आ जाओ सांवरे.......!!

पथ पखारू, रह निहारु
जाओ सांवरे........जी जाओ सांवरे


रह ताकत, अखियाँ पत्थराई
तुम्हारे लिये है, दुनिया बिसराई
सुन लो अरज सांवरे
जाओ सांवरे........जी जाओ सांवरे


मैं हूँ तुम्हारी, तुझ में ही खोई
भूली हूँ सब कुछ, मेरा नही कोई
ले लो शरण सांवरे
जाओ सांवरे........जी जाओ सांवरे


जब से है जाना, मैं हूँ तुम्हारी
भूली हूँ सब कुछ , मेरा दोष नही कोई
दर्शन दो सांवरे
जाओ सांवरे........जी जाओ सांवरे


तुम्ही मेरा जीवन, तुम्ही मेरी साँसे
तुम्ही मेरी मुक्ति, तुम्ही मेरे सहारे
पार लगा दो सांवरे
जाओ सांवरे........जी जाओ सांवरे


काम , क्रोध, लोभ, मोह , माया सब मुझ से जुडा है
सृष्टि का कैसा ये जाल बिछा है
कठपुतली से नाच रहे हैं
मुक्ति दो सांवरे
जाओ सांवरे........जी जाओ सांवरे
जाओ सांवरे........जी जाओ सांवरे

5 टिप्पणियाँ:

इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

सँवरे और श्रष्ठी का अर्थ समझ पाऊं तो कुछ कह पाऊंगा;क्यूँ कि ऊपर केवल पॉँच हैं ,देखें ''काम , क्रोध, लोभ, मोह , माया सब मुझ से जुडा है ''

अच्‍छी रचना है !!

सँवरे का अर्थ है कृष्ण, श्रष्ठी और का अर्थ है दुनिया

इतनी अच्छी रचना केवल दो शब्दों के कारन मात खा रही थी,देखिये शब्दों को सही करते ही '' कविता " जिवंत हो उठी ; टाइपिंग से पहले ''गूगल बाबा को प्रणाम '' अदि करलिया करें |

भक्ति भाव-रस से पगी कोइ भी रचना सुन्दर तो होगी ही ,रचना के लिए धन्यवाद | गुस्ताखी के लिए मुआफी का तलबगार हूँ

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