आप अपने क्षेत्र की हलचल को चित्रों और विजुअल समेत नेटप्रेस पर छपवा सकते हैं I सम्पर्क कीजिये सेल नम्बर 0 94165 57786 पर I ई-मेल akbar.khan.rana@gmail.com दि नेटप्रेस डॉट कॉम आपका अपना मंच है, इसे और बेहतर बनाने के लिए Cell.No.09416557786 तथा E-Mail: akbar.khan.rana@gmail.com पर आपके सुझाव, आलेख और काव्य आदि सादर आमंत्रित हैं I

22.6.09

अमरीकी स्कूलों में अप्रवासी बच्चे

यूं तो लगता है कहने को बहुत कुछ है पर हम कहकर भी कुछ नहीं कहते. हां ये सच है कि पूरी दुनिया में अमरीका जैसा दूसरा देश नहीं पिछले कोई ४० वर्षों में विश्व के हर कोने से आये लोगों का, ये सबसे बड़ा बसेरा है. अमरीका आये लोगों की सबसे बड़ी चाहत होती है उनके बच्चे इस देश के स्कूलों में पढाई करें, तो बहुत से युवा अपने देश में ही बैठे अमरीका के एम.आई.टी. और हारवर्ड जैसे विश्वविद्यालयों में पढने के सपने संजोते रहते है, लेकिन ये तस्वीर सभी की नहीं है, यहां एक बहुत बड़ा तबका ऐसे परिवारों का भी है, जिनकी बढ़ती संख्या का दबाब अमरीका के स्कूलों पर पड़ा है.

यहां मेक्स्सिको से आये ऐसे लोगों की संख़्या लाख़ों में हैं जिनके पास कानूनी कागज़ात नहीं हैं अमरीका आकर उन्होंने अपने परिवार यहीं बसाये हैं, उनके बच्चों को आम स्कूलों में जगह न मिलने पर उनके लिये, चलते फिरते घरों में कक्षायें लगायी जा रहीं हैं. इनमें से बहुत से छात्र ऐसे भी हैं जिन्हें अंग्रेजी नहीं आती. अमरीकी स्कूलों में भेदभाव की कोई जगह नहीं है, पढाई का माध्यम अंग्रेजी है, इसलिये इन अप्रवासी छात्रों को क्लास के अन्य क्षात्रों के स्तर पर कैसे लाया जाये, अपने आप में ये एक बड़ी समस्या बन गई है.

इस पर भी बहुत से स्कूलों में अध्यापक एक साथ दो क्लास लेते हैं, एक अंग्रेजी माध्यम में और दूसरा अंग्रेजी न जानने वालों को शुरू से अंग्रेजी सिखाने के लिये. बहुत से स्कूलों ने अनेक अध्यापक फिलिपीन,मेक्सिको और भारत से बुलाऐ हैं, ताकि, उन्हें जो कुछ भी पढाया जा रहा है अंग्रेजी के साथ साथ अपनी भाषा में भी सीख कर वो जल्दी से आगे बढ़ सकें, स्कूलों में कुछ ऐसे प्रोग्राम भी हैं जो इन छात्रों को इसप्रकार शिक्षा दे रहें है ताकि वो पाठ्यक्रम के साथ चलें, ऐसे में होता ये है कि जब तक नेशनल परीक्षाओं का समय आता है उनकी अंग्रेजी
इतनी अच्छी हो जाती है कि वे परीक्षा अंग्रेजी माध्यम में पास करने में सफ़ल रहते हैं.

एक समय पीस कोर से लौटे युवा और वयस्क भी, इन नये अप्रवासी परिवारों की, इस समस्या को दूर करने में वरदान साबित हो रहे हैं. हां इस बात को भी झुटलाया नहीं जा सकता कि अमरीकी स्कूलों के इन लाजवाब प्रयासों के बाद भी शुरुवात से ही अंग्रेजी माध्यम से आये और बाद में इस माध्यम को सीख कर आगे की पढाई करने वाले अप्रवासी छात्रों के प्रति उनकी अपनी मानसिकता के साथ ही समाज के तथाकथित वर्गभेद के प्रति संकुचित विशवास रखने वालों की मानसिकता में भी अंतर साफ नज़र आता है. इस सबके बावजूद अमरीकी अध्यापकों का भी, ये प्रयास जारी है कि ऐसे छात्रों को स्पोर्टस,कला और संगीत में आगे बढ़ाकर, उनकी अपनी मानसिकता वे दूर कर दें।

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें