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6.5.09

मूर्ख नेताओं के अधीन काम करना लोकतंत्र के लिए शर्मनाक.

नई दिल्ली। बेईमान जनप्रतिनिधियों’ की वजह से लोकतांत्रिक व्यवस्था में गड़बड़ी पैदा होने पर अफसोस जताते हुए प्रख्यात योग गुरू बाबा रामदेव ने कहा है कि यह विडंबना है कि तीन-तीन दौर की परीक्षा पास करने वाला अधिकारी ‘झूठे, बेईमान, अंगूठा छाप और मूर्ख’ नेताओं के निर्देश पर काम कर रहे हैं जो लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है।राजनेताओं को सही रास्ते पर लाने के लिए रामदेव ने कहा कि देश के प्रत्येक नागरिक की राजनीति में सक्रिय भागीदारी होनी चाहिए और उन्हें चुनाव सुधारों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए। योग गुरू ने कहा, ‘जन्म लेने से मौत होने तक प्रत्येक जनता की जिंदगी में राजनैतिक दखलंदाजी बनी रहती है तो राजनीति में हमारा सक्रिय हस्तक्षेप क्यों नहीं हो सकता।’ रामदेव ने कहा, ‘जन्म होता है तो जन्म प्रमाण पत्र, नौकरी होती है तो नौकरी प्रमाण पत्र, आचरण प्रमाण पत्र, शिक्षा का प्रमाण पत्र सहित तमाम प्रकार के प्रमाण पत्र और अंत में मौत का प्रमाण पत्र भी हमारे परिजनों से मांगा जाता है तो हम नेताओं से प्रमाण पत्र क्यों नहीं मांग सकते हैं।’उन्होंने कहा कि बाहर से देखने में ऐसा लगता है कि हम स्वतंत्र हैं लेकिन वास्तव में हम राजनतिक रूप से स्वतंत्र नहीं हो पाए हैं। बाबा ने कहा, ‘देश में तमाम प्रकार के सरकारी करों के अलावा तीन अन्य प्रकार के कर हैं जिसने हम सबको परेशान कर रखा हैं।’ ‘हमलोगों को अन्य करों के अलावा, कर वसूल करने वाले को भी कर देना पड़ता है, राजनीतिक कर देना पड़ता है और गुंडा कर देना पड़ता है। इन तीनों करों ने देश और देशवासियों की दुर्दशा कर रखी है।’ उन्होंने कहा कि राजनीति से लोगों का भरोसा उठ गया है। ‘इन भ्रष्ट और बेईमान नेताओं के कारण लोकतंत्र में खोट आ गई है। तमाम मुहिम के बाद 45 से 47 फीसदी मतदान होते हैं क्योंकि लोगों की रूचि अब इनमें रही ही नहीं।’ उन्होंने कहा, ‘कुछ दरिंदे देश को लूट रहे हैं और हम मूक हैं यह हास्यास्पद है। राजनीति के कुछ बेईमान, भ्रष्ट और नेत्रहीन लोगों ने देश और लोकतंत्र का मजाक बना दिया है शहीदों का अपमान कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि अब जागने का वक्त आ गया है। इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने का समय है।

1 टिप्पणियाँ:

चरमराया लोक तंत्र मजबूत हो, इसके लिए मीडिया तो अपनी भूमिका निभाए ही, लोगों को एक जुट हो " watch dog" के तरह काम करना होगा. अपने समाज में समाज सेवा ( charity) के नाम लोग दान पुण्य, स्वस्थ्य शिविर, फ्री में किताबें तो बाँट डालते है ( जो अपनी अपनी जगह ठीक है), लेकिन व्यवस्था को लेकर आँखें मूंदे बैठे हैं. जब तक लोक सत्ता को बढावा नहीं मिलेगा, अपना लोक तंत्र हिचकोले खाता रहेगा. शिक्षित व् जागरूक लोग अपने क्षेत्रों में ऐसी NGOs बनायें जो निश्पख रूप से अपने चुने गए बाशिंदों का अवलोकन करे, विकास कार्य को परखे, तथा जनता को शिक्षित करे.
सफीदों में जे सी संस्था एक सुद्रिड संस्था के रूप में पहचान बना चुकी है. ऐसी संस्थाओं को इस विषय में पहल करनी चाएह.

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